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Tuesday, December 29, 2009

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इंका नेताओं के खिलाफ हुई कार्यवाही -सिवनी नगरपालिका चुनाव में मतदाताओं द्वारा साीधे चुनाव में कांग्रेस के संजय भारद्वाज को हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते इंका विधायक ठाकुर हरवंश सिंह भी प्रचार कार्य में सम्मलित थे। लेकिन उनके समर्थकों की चुनावी गतिविधियां प्रारंभ से ही संदिग्ध लग रहीं थी। चुनाव के दौरान जिला इंका को मिली शिकायतों के आधार पर जिला इंका ने नपा उपाध्यक्ष संतोष उर्फ नान्हू पंजवानी को निलंबित किया तो जिला युवा इंका के पूर्व अध्यक्ष राजा बघेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जिला इंका के महामंत्री असलम भाई को भी कारण बताओं नोटिस जारी होने के चर्चे अखबारों में सुर्खियों में हैं। ये सभी इंका नेता हरवंश सिंह के समर्थक माने जाते हैें। ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं हैं कि इनसे हरवंश सिंह कुछ कहें और ये नेता वैसा ना करें ऐसी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। नेता प्रचार करें और समर्थकों के विरुद्ध पार्टी को अनुशासनात्मक कार्यवाही करना पड़े तो भला जीत की कल्पना कैसे की जा सकती हैर्षोर्षो अब इंका पुरोधा हरवंश सिंह हार के इस कलंक को मिटाकर जिला और जनपद पंचातों में जीत दर्ज कर जीत का सेहरा अपने सिर बांधने की जुगत जमाने में जुट गये हें। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इन चुनावों में अध्यक्ष सीघे मतदाताओं के बजाय सदस्यों के द्वारा चुने जातें हैं और ऐसे चुनावों में हरवंश सिंह की महारथ से सभी वाकिफ हैं। इस चुनाव में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित वर्ग से हैं इस कारण इस चुनाव में घमासान होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।आशुतोष वर्मा, सिवनीक्या राजेश की जीत भाजपायी राजनीति में परिवर्तन का कारण बनेगी र्षोर्षो-जिले की भाजपायी राजनीति में नपा अध्यक्ष का चुनाव राजेश त्रिवेदी द्वारा जीतने के बाद बदलाव आने के दावे किये जा रहें हैं। जिला भाजयुमो का अध्यक्ष बनने और उसे तीसरी बार भी बरकरार रखने में राजेश त्रिवेदी की जिले के लगभग सभी ग्रुपों से नजदीकियां और दूरियां बन ही गयीं थीं। इसी बीच उन्होंने भाजपा की संघीय राजनीति में अपनी पैठ बनाना शुरू कर दी थी। संघीय राजनीति का कमाल वे देख ही चुके थे। युवा नरेश दिवाकर ने अपनी संघीय पृष्ठभूमि के चलते प्रदेश के पूर्व मंत्री और तत्कालीन विधायक स्व. महेश शुक्ला के बदले खुद ना केवल टिकिट ले आये थे वरन दस साल तक जिला मुख्यालय के विधायक भी रहे थे। संघ की नाराजगी ने एक झटके में ही उन्हें पूर्व विधायक बना दिया था और आज तक उनके खाते में कुछ भी नहीं आया हैं। इसे भांपकर ही युवा राजेश ने स्थानीय भाजपायी झंड़बरदारों के बजाये संघ के नेताओं से नजदीकी बनाना शुरू कर दी थी। भाजपायी राजनीति के जानकारों का मानना हैं कि इसी कारण स्थानीय विधायक नीता पटेरिया,पूर्व विधायक नरेश दिवाकर,जिला एवं नगर भाजपा की मर्जी के बिना वे ना केवल नपा अध्यक्ष की टिकिट ले आये वरन अच्छे वोटों से जीत भी गये। राजेश समर्थकों का दावा हैं कि पूरा शहर इस बात को जानता हैं कि किसी भी वरिष्ठ भाजपा नेता ने उनका काम गंभीरता से नहीं किया और अधिकांश नेता रस्म अदायगी करते रहे। चुनाव के दौरान भी कई भाजपा नेता राजेश को बड़बोला और अपरिपक्व नेता बताने में कोई संकोच नहीं करते थे और भाजपायी हल्कों में यह चर्चा जोरों पर थी कि यह भाजपा का अब तक का सबसे अव्यवस्थित चुनाव हैं जिसमें सब कुछ प्रत्याशी ही हैं तथा किसी को भी कोई जवाबदारी नहीं सौंपी गयी हैं। लेकिन इसके बाद भी राजेश की जीत ने जिले की भाजपायी राजनीति को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया हैं जहां से परिवर्तन की कुछ आहटें सुनायी देने लगीं हैं। अब राजेश अपने इस सियासी सफर को कैसे तय करते हैंर्षोर्षो यह उन पर तथा उनके सलाहकारों पर ही निर्भर करेगा।आशुतोष वर्मा,सिवनीलोग भूल गये कि सांसद भी होता हैं क्या रामटेक गोटेगांव रेल लाइन के लिये होंगें सर्वदलीय प्रयासर्षोर्षो -प्रदेश परिसीमन आयोग के सह सदस्य भाजपा सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते और इंका विधायक ठाकुर हरवंश सिंह की सांठ गांठ से विलुप्त मंड़ला लोकसभा और केवलारी विधानसभा क्षेत्र तो बच गये थे लेकिन आयोग द्वारा प्रस्तावित सिवनी लोकसभा और घंसौर विस क्षेत्र विलुप्त हो गये थे। नये परिसीमन के बाद जिले के सिवनी और बरघाट विस क्षेत्र बालाघाट लोस में तथा केवलारी और लखनादौन विस क्षेत्र मंड़ला लोस में शामिल कर दिये गये थे। लोस चुनाव के दौरान दोनों ही लोस क्षेत्रों के प्रत्याशियो ने सिवनी जिले के लिये बड़ी बड़ी बातें तो कहीं थीं लेकिन अब उन पर अमल नहीं हो रहा हैं। बालाघाट से भाजपा के के.डी.देखमुख और इंका के बसोरी सिंह मसराम चुनाव जीत गये हें लेकिन दोनो ही सांसद कहने को तो कभसी कभार जिले मेें आयें हें लेकिन उनका संपर्क मात्र कुछ इंकाइयों और भाजपाइयों तक ही सीमित रह गया हैं। जिले का आम मतदाता अब यह भूलने लगा है कि जिले में सांसद नाम की भी कोई चीज होती है। संसद में जिले का नाम ही समाप्त हो जाने से केन्द्रीय स्तर की कई योजनाओं से जिले को महरूम रहना पड़ रहा हैं। सबसे बड़ खामियाजा तो बड़ी रेल लाइन को लेकर हो रहा हैं। पिछले रेल बजट में िंछदवाड़ा नैनपुर बड़ी रेल की घोषणा तो की गयी थी जिसका श्रेय दोनों ही सांसदों ने लिया था लेकिन वित्तीय वर्ष समाप्त होने को आ रहा है अब तक इस लाइन पर एक तसला गिट्टी तक नहीं डली हैें और दोनों ही सांसद ऐसे चुप्पी साधे हुये हें मानो उनका इससे कोई लेना देना ही नहीं हैं। संसद में की गयी घोषणा के अमल पर ही जब सांसदों का यह रुख हैं तो फिर देश के पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा आम सभा में की गयी रामटेक गोटेगांव बड़ी रेल लाइन के संबंध में क्या उम्मीद की जायेर्षोर्षो यहां यह उल्लेखनीय है कि इस नयी रेल लाइन के लिये जिले मेें पिछले तीन साल से लगातार कई प्रयास किये गये लेकिन राजनेताओं और दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते कोई कामयाबी नहीं मिल पायी हैं। औपचारिकता निबाहने के लिये तो कभी कोई दिल्ली प्रतिनिधिमंड़ल ले गया तो कभी कोई रेल मंत्री से मिल लिया लेकिन वैसा जन दवाब और राजनैतिक दवाब कभी नहीं बनाया गया जो ऐसे कामों के लिये आवयक होता हैं। जिले के विकास के लिये यह रेल लाइन जीवन रेखा का काम करने वाली सिद्ध होगी। क्या इस बार ऐसी अपेक्षा की जा सकती हैं कि इस नयी रेल परियोजना के लिये ऐसे सर्वदलीय प्रयास किये जायें कि आगामी रेल बजट में इस परियोजना के लिये बजट आवंटन हो सकेर्षोर्षोवरना यह योजना एक घोषणा बनकर ही रह जायेगी।आशुतोष वर्मा,सिवनी

Wednesday, December 23, 2009

इंका और भाजपा के स्थानीय कर्णधारों की पसंद के विपरीत टिकिट आने से शुरुआती दौर से ही तरह तरह की अटकलें शुरू हो गयीं थीसिवनी में भाजपा और बरघाट में इंका का कब्जा -नगरपालिका चुनाव की चहल पहल समाप्त हो गयी हैं। जिले में सिवनी पालिका में भाजपा और बरघाट नगर पंचायत में इंका को सफलता मिली हैं। जहां एक ओर सिवनी नपा में भाजपा के राजेश त्रिवेदी ने अध्यक्ष पद पर विपरीत परिस्थितियों में भी अपना कब्जा बरकरार रखा है वहीं दूसरी ओर बरघाट में यदि यह कहा जाय कि कांग्रेस के बजाय अनिल ठाकुर ने लगातार तीसरी बार अपने परिवार का कब्जा बनाये रखा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां दो बार अनिल ठाकुर खुद तथा इस बार उनकी पत्नी संध्या ठाकुर ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की हैं।इंका और भाजपा के स्थानीय कर्णधारों की पसंद को दरकिनार कर मिली टिकिट-सिवनी नपा के चुनाव में दोनो ही पार्टियों इंका और भाजपा में टिकिट तय होने से ही तरह तरह की चर्चायें शुरू हो गयीं थी। इंका में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी संजय भारद्वाज के बनते ही ये चर्चायें शुरू हो गयीं थीं कि इस चुनाव में प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष हरवंश की क्या भूमिका रहेगी। यह भी कहा जा रहा था कि संजय हरवंश सिंह के मनपसंद उम्मीदवार ना होकर मजबूरी में दी गयी सहमति के उम्मीदवार थे। इसी तरह भाजपा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी राजेश त्रिवेदी भी स्थानीय भाजपा नेताओं की पसंद के प्रत्याशी ना होकर सीधे संघ के कोटे के उम्मीदवार थे और उनकी उम्मीदवारी से ना तो विधायक नीता पटेरिया तथा ना ही पूर्व विधायक नरेश दिवाकर खुश थे। दोनों की ही पसंद के उम्मीदवारों को दरकिनार कर भाजपा ने संघ की पसंद के राजेश को अपना प्रत्याशी बनाया था। इंका और भाजपा के स्थानीय कर्णधारों की पसंद के विपरीत टिकिट आने से चुनाव के शुरुआती दौर से ही तरह तरह की अटकलें लगना प्रारंभ हो गयीं थी।सिवनी के समान कभी केवलारी में क्यों नहीं खेला जाता अल्पसंख्यक कार्डर्षोर्षो-नगर पालिका सिवनी के चुनाव के पहले ही कांग्रेस में परम्परानुसार बिसात बिछानी शुरू कर दी गयी गयी थी। पिछले कई चुनावों से यह देखा जा रहा हैं कि चाहे सिवनी विस का चुनाव हो या सिवनी नपा का कांग्रेस का एक धड़ा सुनियोजित तरीके से यह शिगूफा छोड़ना चालू कर देता हैं कि इस बार अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान वर्ग से कांग्रेस का उम्मीदवार होना चाहिये। इसकी बाकायदा चर्चा होती ह,ैं प्रत्याशियो के नाम उछाले जाते हैं, उनके आवेदन लगाये जाते हैं और बाकायदा आलाकमान तक नाम चलाये भी जाते हैं। इसके बाद जब टिकिट अल्पसंख्यक वर्ग को नहीं मिलती हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी की राह वैसे ही कठिन हो जाती हैं। ऐसा ही कुछ इस पालिका चुनाव में भी हुआ। अध्यक्ष पद के लिये हॉजी सुहैल पाशा का नाम चला। कई बार नाम चलने और टिकिट कटने से इंकाई मुस्लिम नेताओं का नाराज होना स्वभाविक भी था। पाशा सहित इंका के अधिकांश मुस्लिम नेताओं के कांग्रेस का काम भी किया लेकिन निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार राजा बाडी मेकर ने लगभग चार हजार वोट ले लिये और कांग्रेस को इस चुनाव में फिर 2950 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। वैसे यदि संख्या के आधार पर देखा जाये तो सिवनी और केवलारी विस क्षेत्रों में मुसलमान वोटों की संख्या में कोई खास फर्क नहीं हैं। ऐसे ही एक बार 1985 में मुस्लिम कार्ड केवलारी क्षेत्र में भी खेला गया था। तत्कालीन म.प्र.हाथ करघा संघ के अध्यक्ष हरवंश सिंह ने शफीक पटेल का नाम तत्कालीन क्षेत्रीय इंका विधायक विमला वर्मा के खिलाफ चलाया था। लेकिन हरवंश सिंह के 1993 में विधायक बनने के बाद से आज तक केवलारी क्षेत्र में ना तो कभी किसी मुस्लिम नेता को उम्मीदवार बनाने की बात चली तथा ना ही क्षेत्र के किसी मुस्लिम इंका नेता ने केवलारी विस से कांग्रेस की टिकिट ही मांगी। यह जरूर हुआ है कि केवलारी क्षेत्र के इंका नेताओं ने सिवनी विस क्षेत्र से टिकिट मांगी और नहीं मिलने पर नाराजगी भी सिवनी में ही निकाली। इसीलिये कांग्रेस के इस निर्णायक वोट बैंक में केवलारी विस क्षेत्र में कभी कोई आक्रोश पैदा नहीं हुआ और हरवंश सिंह की राह आसान बनी रही। लेकिन सिवनी विस और नपा चुनाव के समय ही अल्पसंख्यक वर्ग के साथ यह खेल क्यों और कौन के द्वारा खेला जाता हैंर्षोर्षो इसका खुलासा होने के साथ साथ इलाज होना भी जरूरी हैं वरना हर चुनाव में कांग्रेस के पात्र भले ही बदलते जायें लेकिन चुनाव परिणाम बदलना तो असंभव ही दिखायी देता हैं।इंका एवं भाजपा के अलावा सभी की हुई जमानत-नगरपालिका चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी भी प्रत्याशी की जमानत जप्त होने से बच नहीं पायी। इस चुनाव में मतदाताओं ने निर्दलीयों को बुरी तरह नकार दिया। मुस्लिम प्रत्याशी राजा बाडी मेकर को छोड़कर एक भी उम्मीदवार चार अंकों के आकड़ा पार नहीं कर पाया। इसमें जाति और क्षेत्र का मुद्दा भी काम नहीं कर पाया। राजनैतिक विश्लेष्कों का यह मानना हैं इस चुनाव का निर्णायक मुद्दा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दौरा रहा जिसके कारण इस चुनाव में भाजपा की जीत को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया गया। तमाम आकलनों को नकारते हुये भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिवेदी ने जीत दर्ज कर ली और लगातार दूसरी बार नपा पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा।क्या भ्रष्टाचार राजनैतिक शिष्टाचार बन जायेगार्षोर्षो-भाजपा शासित नगरपालिका में हुआ भारी भ्रष्टाचार पूरे चुनाव में प्रमुख मुद्दा बना रहा। लगभग सभी प्रत्याशियों ने इसे प्रमुखता से उछाला था। इसी बीच हाई कोर्ट ने भी अपने एक आदेश से भाजपा को कठघरे में खड़ा कर दिया था। इसके बाद भी मतदाताओं ने इस मुद्दे को नकार दिया और भाजपा को ही दोबारा पालिका में जिता दिया। इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में तरह तरह की चर्चायें जारी हैं कि आखिर ऐसा हुआ क्योंर्षोर्षो कुछ विश्लेषकों का ऐसा मानना हैं कि भ्रष्ट राजनेताओं का लगातार चुनाव जीतना और सत्ता के गलियारों में उनकी पूछ परख रहने से लोगों की ऐसी धारणा बन गयी हैं कि जब राजनैतिक दलों के आलाकमान चाहे वे कांग्रेस के हों या भाजपा के जब वे ही इस मामले को कोई महत्व नहीं देते तो फिर भला उन्हें महत्वपूर्ण क्यों माना जायेर्षोर्षो यदि ऐसे ही भ्रष्ट राजनेताओं को राजनैतिक और सामाजिक रूप से महिमा मंड़ित किया जाता रहा तो भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार ना रहकर राजनैतिक शिष्टाचार का स्वरूप ले ले कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आशुतोष वर्मा, सिवनीमो. 09425174640

Monday, November 16, 2009

हरवंश के बयान से विधानसभा के उपाध्यक्ष पद की संवैधानिकता को लेकर जारी है बहस-विधानसभा का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद क्या संवैधानिक पद हैर्षोर्षो इस पद पर रहते हुते क्या किसी पार्टी की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष रहा जा सकता हैर्षोर्षो क्या इस पद पर रहते हुये अपनी पार्टी द्वारा आयोजित किसी आंदोलन में शामिल हुआ जा सकता हैर्षोर्षो क्या इस पद पर रहते हुये लोकसभा, विधानसभा या नगरीय निकायों के चुनावों में प्रचार प्रसार या उनकी तैयारियों के लिये की जाने वाली पार्टी की बैठकों में सम्मलित हुआ जा सकता हैर्षोर्षो ये तमाम सवाल इन दिनों राजनैतिक गलियारों में चर्चित हैं। नगरीय निकायों के चुनावों की तैयारियों के लिये आयोजित हुयी एक बैठक में मुख्य अतिथि की आसंदी से मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह ने यह कहा है कि वे एक संवैधानिक पद पर हैं इसलिये झंडा़ उठाकर वे नहीं चल सकते और ना ही प्रचार प्रसार कर सकते हैं। उनका यह कथन प्रमुखता के साथ सभी अखबारों की सुखीZ भी बना। बस तभी से राजनैतिक हल्कों में इस बयान को देने के कारण तलाशे जा रहें हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान इसी पद रहते हुये हरवंश सिंह ने खुले आम ना केवल चुनाव प्रचार किया हैं वरन बाकायदा इंका विधायक के रूप में उनके फोटो भी छपे हैं। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी भी इस चुनाव के दौरान सक्रिय रहे थे। और तो और पलारी गोली कांड़ के बाद जब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जबलपुर आये थे तो विस उपाध्यक्ष रहते हुये भी श्री रोहाणी ने आंदोलन का नेतृत्व किया था जिसमे कार्यकत्ताZ Þहरवंश सिंह हत्यारा हैß की तिख्तयां लेकर कार्यकत्ताZ खड़े थे जिनके रंगीन फोटो भास्कर जबलपुर और नवभारत जबलपुर में 8 और 6 फरवरी 2001 को प्रकाशित हुये थे। यदि श्री रोहाणी का उक्त कृत्य पद की मर्यादा और संविधान के विपरीत था तो तत्कालीन ताकतवर मंत्री रहते हुये भी हरवंश सिंह ने कोई विरोध या आवश्यक कार्यवाही क्यों नहीं की थीर्षोर्षो इतना ही नहीं वरन उक्त मीटिंग के चंद दिनों बाद ही वारासिवनी के इंका विधायक प्रदीप जैसवाल के खिलाफ पुलिस द्वारा बिना जांच किये गैरजमानती आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के विरोध में आयोजित प्रतिकार रैली मेें हरवंश सिंह के नेतृत्व में कार्यक्रम संपन्न हुआ। विश्लेषकों का तो यह भी मानना हैं कि अपनी राजनैतिक सुविधा के अनुसार कभी संवैधानिक तो कभी राजनैतिक पद मानकर काम निकाल लेते हैं ये राजनेता। यदि ऐसा ही होता रहा तो क्या यह संवैधानिक पद का अवमूल्यन नहीं हैंर्षोर्षोआशुतोष वर्मा सिवनीपप्पू खुराना का छिंदवाड़ा नपा का पर्यवेक्षक बनना सियासी हल्कों में चर्चित-नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी हैं। इस सूची में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा में मुख्यालय की नगर पालिका में जिले के इंका नेता राजकुमार पप्पू खुराना को पर्यवेक्षक बनाया गया हैं। जिले की इंकाई राजनीति में इस नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। पप्पू खुराना कमलनाथ खेमें के माने जाते हें लेकिन जबलपुर संभाग के एक प्रमुख इंका विधायक के विरोध के चलते समय समय पर उनके बारे में तरह तरह की चर्चायें होती रहती थीं। लेकिन इस नियुक्ति से राजनैतिक गलियारों में यह संकेत भी गया हैं कि कमलनाथ अब एक इंका नेता के अलावा अन्य नेताओं को भी तव्वजो देकर उन्हें सचेत कर रहें हैं। अभी तक समूचे संभाग में यह माना जाता था कि इंका विधायक हरवंश सिंह की सलाह से ही कमलनाथ हर फैसला लेते हैं जिससे संभाग के उनके कई निष्ठावान कार्यकत्ताZओं में इसे लेकर असंतोष रहता था। कमलनाथ के छिंदवाड़ा उप चुनाव हारने के बाद एक बार यह लावा जम कर फूटा भी था लेकिन बाद में राजनैतिक समीकरण फिर ऐसे बन गये थे कि समर्पित कार्यकत्ताZ मन मसोस कर रह गये थे। अब यह तो भविष्य ही बतायेगा कि यह राजनैतिक संकेत भी लंबे समय तक बरकरार रहेगा या नहीं या सभी को साधने में माहिर इंका नेता एक बार फिर अपना खेल जमा लेंगें।आशुतोष वर्मासिवनीपालिका अध्यक्ष पद के दावेदारों कीसंख्या से भाजपा में घमासान -नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर राजनैतिक दलों में भी हलचल शुरू हो गयी हैं। भाजपा और इंका के अध्यक्ष पद के दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं। भाजपा में तो अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में जिला भाजपा अध्यक्ष सुदर्शन बाझल के अलावा नगर भाजपाप अध्यक्ष एवं पार्षद सुजीत जैन के नाम भी शामिल हैं। इसलिये भाजपा के प्रत्याशी चयन के दो चरण निरर्थक हो गये हैं। अन्यथा सबसे पहले नगर मंड़ल में प्रत्याशियों पर विचार होता और फिर जिला भाजपा से होता हुआ पैनल अंतिम निर्णय के लिये भेज दिया जाता। ऐसी परिस्थिति में दोनों दावेदारों के सामने भी एक मुश्किल हो गयी हैं। वे बाकायदा आवेदन कर टिकिट मांगनें में भी एक संकोच की स्थिति में रहेंगें। भाजपा के सामने सबसे बड़ा संकंट यह है कि भाजपा की वर्तमान नपा अध्यक्ष पावर्ती जंघेला ने भ्रष्टाचार के सभी रिकाडोZं को ध्वस्त करते हुये ऐसी परिस्थिति बना दी हैं कि बहुत ही अच्छी छवि का प्रत्याशी ही भाजपा की वैतरणी पार करा सकता हैं अन्यथा इस बार भाजपा का बेड़ागर्क होने से कोई नहीं रोक सकता हैं। वैसे भी परिषद के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित 17 पार्षदों के खिलाफ धारा 40 की कार्यवाही लंबित हैं।भाजपा में उपरोक्त दो दावेदारों के अलावा वर्तमान अध्यक्ष पार्वती जंघेला,नरेन्द्र टांक,संतोष अग्रवाल, राजेश त्रिवेदी,प्रमोद कुमार जैन,नंदकिशोर सोनकेशरिया,राजेश उपाध्याय,आरती शुक्ला सहित कई दावेदार अपना अपना दावा कर रहें हैं। प्रत्याशी चयन का कार्य भाजपा के लिये आसान नहीं होगा। ऐसी परिस्थितियों में सांसद के.डी.देशमुख और विधायक नीता पटेरिया की भूमिका ही निर्णायक होगी। इसके अलावा पूर्व विधायक नरेश दिवाकर भी मंत्री गौरीशंकर बिसेन के माध्यम से प्रयास कर पालिका पर अपना कब्जा बनाने की कोशिश भी करेंगें।आशुतोष वर्मा सिवनीटिकटि के लिये गणेश परिक्रमा करने के आदी हो गये हैं कांग्रेसी -इंका का हाल भी भाजपा से कुछ अलग नहीं हैं। अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों में उपाध्यक्ष संतोष उर्फ नान्हू पंजवानी के अलावा पार्षद संजय भरद्वाज,पूर्व युवा इंकाध्यक्ष राजा बघेल, पूर्व पालिका अध्यक्ष विजय चौरसिया,संजय चौरसिया, असलम खॉन, हाजी सुहैल पाशा, एड. जकी अनवर,पार्षद शफीक खॉन, जयकिशोर वर्मा सहिीत अन्य कई नाम भी चर्चाओं में तैर रहेंं हैं। वैसे भी पिछले दस सालों से इंकाई राजनीति में अधिकांश नेता जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह की गणेश परिक्रमा करके सब कुछ पाने के आदी हो चुके हैं। जिला इंका सहित सभी मोर्चा संगठनों की स्थिति उनके ड्राइंग रूम में सजे हुये गुलदस्तों से अधिक कुछ और नहीं हैं। बीते पांच विधानसभा चुनावों से सिवनी विधानसभा में कांग्रेस हार रही हैं। कांग्रेस की इस हार के सफर की शुरूआत हरवंश सिंह ने ही सन 90 में की थी। इसके वे 93 में तत्कालीन सांद कु. विमला वर्मा के परंपरागत क्षेत्र केवलारी से चुनाव लड़कर जीते और मंत्री बन गये। लगतार चुनावों में हो रही हार से अब तो कांग्रेसी मजाक में यह कहने से नहीं चूकते हैं कि सिवनी के अगले चुनाव में हारने के लिये हरवंश सिंह किसे चुनते हैं। कांग्रेस के एक कौने में हो रही लामबंदी कुछ गुल खिला पायेगी या नहींर्षोर्षो इसे लेकर इंकाइयों में उत्सुकता हैं।आशुतोष वर्मा सिवनी

Thursday, November 12, 2009

नीता के विरोध के बाद भी बाघ पन्ना भेजा गया-आखिर पेंच का बाघ पन्ना चला ही गया। इसे पन्ना ना ले जाने का व्यापक स्तर पर स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया लेकिन किसी के कान में जूंं तक नहीं रेंगी। कई स्थानीय संस्थाओं ने भी पेंच का बाघ पन्ना भेजने का विरोध किया था। और तो और सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने भी पत्र लिखकर विरोध जाहिर किया था परंतु सत्तादल के विधायक को भी दरनिार कर दिया गया। इस काम को इतने गुपचुप तरीके और लापरवाही के साथ किया गया हैं कि इसके अंजाम को अच्छा मान लेना भारी भूल होगी। यह भी पता चला है कि बाघ जल्दी ही होश में आ गया था इसलिये उसे रेडियों कॉलर भी नहीं लगाया जा सका जिससे अब उसकी निगरानी कैसे रखी जायेगीर्षोर्षो यह वन विभाग के लिये एक चिंता का कारण बन गया हैं। पेंच नेशनल पार्क के बाघ प्रमियों ने इन बाघों की चिंता में पूरे देश में इतनी अधिक चिंता व्यक्त की थी कि राष्ट्रीय स्तर पर चल रही प्रधानमंत्री एक्सप्रेस हाईवे की योजना के तहत बनने वाला नार्थ साउथ कॉरीडोर,जो कि पेंंच नेशनल पार्क के समीप से गुजरता है, भी फिलहाल खटायी में पड़ गया हैं और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंड़िया नामक एक एन.जी.ओ. की याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। जिस पन्ना नेशनल पार्क में सुरक्षा प्रबंधों के आभाव में एक भी बाध ना बचा हो वहां बिना सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किये अन्य नेशनल पार्कों से बाघ और बाघिनी भेजना समझ से परे हैं।लेकिन इस मामले में वन्यप्राणी प्रेमियो की चुप्पी समझ से परे हैं।मंहगायी की अर्थी निकालने वाले भाजपायियों की भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुप्पी चर्चित-नगर भाजपा ने अध्यक्ष एवं पार्षद सुजीत जैन के नेतृत्व में मंहगाई की शवयात्रा निकाल कर विरोध प्रर्दशन किया। इस अवसर पर विधायक नीता पटेरिया,पालिकाध्यक्ष पार्वती जंघेला,जिला भाजपा अध्यक्ष सुर्दशन बाझल सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित थे।नगर पालिका चुनावों की पूर्व संध्या पर ऐसे प्रदर्शन और आंदोलन होना कोई नयी बात नहीं हैं। यह तथ्य भी सही है कि इन दिनों आम आदमी भीषण महंगायी से त्रस्त हैं और रोजमर्रा की चीजें महंगी होने से अपने आप को ढ़गा सा महसूस कर रहा हैं। चुनावों के पहले नेताओं के लुभावने नारे और वायदे आम आदमी के वोट तो कबाड़ लेते हैं लेकिन उसके बाद उसे निरीह बना छोड़ ेते हैं और तमाम नेता सत्ता सुख भोगने में इतने मशगूल हो जाते है कि मुल्क के मालिको की उन्हें याद ही नहीं रहती हैं। ऐसा ही कुछ पिछले नपा चुनाव के दौरान हुआ था और मतदाताओं ने अत्याचार ना भ्रष्टाचार हम देगें अच्छी सरकार के नारे से प्रभावित होकर नागरिकों ने नगर पालिका की बागडोर भाजपा को सौंप दी थी। लेकिन वर्तमान पालिका का कार्यकाल भ्रष्टाचार के मामले में इतना अधिक चर्चित रहा हैं कि उसने पिछले तमाम रिकार्ड धराशायी कर दिये हैं। और तो और प्रदेश सरकार के ही निर्देश पर पालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष, मु.नपा अधिकारी सहित परिषद के सत्रह पार्षदों को पर से पृथक करने और चुनाव लड़ने के लिये क्यों ना अयोग्य कर दिया जायेर्षोर्षो के कारण बताओ नोटिस दिये गये हें जिन पर फैसला होना अभी शेष हैं। महंगायी के विरोध में शवयात्रा निकालने वाले भाजपा नेता यदि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कुछ कारगरा कार्यवाही करने की मांग करते तो बात कुछ और होती अन्यथा चुनाव के समय यह सब कुछ तमाशा देखने के तो लोग आदी हो चुके हैं।
ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीर प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं। प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं। नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं। ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं। इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गìों में सड़क को ढूंढना पड़ता हैं। जबकि इस योजना के शुरुआती दौर की सड़के आज भी अच्छी दिखायी दे रहीं हैं। यही हाल किसानों की ऋण माफी योजना का हैं। ऋण माफ करने वालो की तकदीर तो बदल गयी लेकिन किसानों की तस्वीर में कोई निखार नहीं आया हैं। प्राकृतिक प्रकोपों की मार झेलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।आशुतोष वर्मासिवनीमो. 09425174640

Monday, November 9, 2009

ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीर प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं। प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं। नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं। ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं। इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गìों में सड़क को ढूंढना पड़ता हैं। जबकि इस योजना के शुरुआती दौर की सड़के आज भी अच्छी दिखायी दे रहीं हैं। यही हाल किसानों की ऋण माफी योजना का हैं। ऋण माफ करने वालो की तकदीर तो बदल गयी लेकिन किसानों की तस्वीर में कोई निखार नहीं आया हैं। प्राकृतिक प्रकोपों की मार झेलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।आशुतोष वर्मासिवनीमो. 09425174640

ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीरसिवनी। प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं। प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं। नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं। ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं। इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गìों में सड़क को ढूंढना पड़ता हैं। जबकि इस योजना के शुरुआती दौर की सड़के आज भी अच्छी दिखायी दे रहीं हैं। यही हाल किसानों की ऋण माफी योजना का हैं। ऋण माफ करने वालो की तकदीर तो बदल गयी लेकिन किसानों की तस्वीर में कोई निखार नहीं आया हैं। प्राकृतिक प्रकोपों की मार झेलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।आशुतोष वर्मासिवनीमो. 09425174640

Sunday, November 8, 2009

मुनमुन-हरवंश की दंगल उपस्थिति से इंकाई पहलवान चितिंत- आशुतोष वर्मा नगर पंचायत क्षेत्र लखनादौन में बीते दिनों हुआ एक दंगल राजनैतिक पहलवानों के बीच काफी चर्चित रहा हैं। इस दंगल में मुख्य अतिथि इंका विधायक हरवंश सिंह और अध्यक्षता नपं अध्यक्ष दिनेश मुनमुन राय ने की थी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये हरवंश सिंह ने मुनमुन की तारीफ के पुल बांधे और कहा कि दलीय भावना से परे हटकर वे ये तमाम बाते कह रहे हैं। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि नपं चुनाव में मुनमुन राय इंका की टिकिट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन जिला इंका द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक द्वय बलवंत सिंह और सेवकराम चंद्रवंशी में से किसी एक ने इस गुप्त निदेंZश को उजागर कर डाला था कि ठाकुर साहब ने कहा है कि मुनमुन का नाम किसी भी कीमत परं प्रस्तावित नही करना। इससे क्षुब्ध होकर मुनमुन ने कांग्रेस छोड़ दी थी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर भारी वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव आते तक परिसीमन के आंदोलन से उपजी परिस्थितियों को लेकर बहुत सा पानी बैनगंगा में बह चुका था और मुनमुन ने केवलारी के बजाय सिवनी से चुनाव लड़कर तीस हजार से अधिक वोट लेकर कांग्रेस को जमानत जप्त होने की स्थिति पर पहुचा दिया। चलते चुनाव में ही एक कार्यकत्ताZ ने सोनिया गांधी के नाम शपथपत्र देकर यह सनसनी खेज आरोप लगाया था कि हरवंश सिंह ने उसे मुनमुन का काम करने को कहा हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी पहले बरघाट का दंगल और लखनादौन के दंगल में हरवंश सिंह और मुनमुन की उपस्थिति को इंकाई राजनैतिक पहलवान चिंतित दिखायी दे रहें हैं कि यह मिली जुली कुश्ती ना जाने आने वाले समय में क्या गुल खिलायेगीर्षोर्षो आशुतोष वर्मा सिवनी मो.09425174640नरेगा की मलायी भाजपा को मिलने से चुनाव मंहगे हो सकते हैं- आशुतोष वर्मा नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल अब तेज होती जा रहीं हैं। इस सिलसिले में जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के मुख्यआतिथ्य में प्रबंध समिति की बैठक हुईं। जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में सिवनी विस क्षेत्र के पूर्व इंका प्रत्याशी प्रसन्न मालू को बुलाया ही नहीं गया। परिणाम स्वरूप दो अन्य पूर्व प्रत्याशी राजकुमार पप्पू खुराना और आशुतोष वर्मा भी बैठक में नहीं गये। अपने भाषण में हरवंश सिंह ने साफ कर दिया कि वे विधानसभा उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद के बंधनों से बंधें हैं अत: आपके साथ झंड़ा उठाकर नहीं चल सकता हंं। उन्होंने यह भी कहा कि नरेगा की मलाई राज्य सरकार और उसके अनुयायी खा रहे हैं इसलिये चुनाव मंहगा भी हो सकता हैं। इस बैठक में हरवंश समर्थक नेताओं ने यह आरोप भी लगाये कि लोग टिकिट लाकर चुनाव तो लड़ लेते हैं लेकिन उसके बाद ना तो वे कांग्रेस की मीटिंगों में आते हैं और ना ही उन्हें कांग्रेस से कोई मतलब ही रहता हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि ऐसा आरोप लगाने वाले ये सभी नेता पिछले 2008 के विधानसभा चुनावों में अपने हाथ में कांग्रेस का हाथ थामने के बजाय निदग्Zलीय मुनमुन राय की कपप्लेट थामें हुये थे जो कि कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण बना था। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सन 1990 में सिवनी विस विस क्षेत्र से इंका प्रत्याशी के रूप में हरवंश सिंह ने जो हारने की शुरुआत की थी वह आज तक बदस्तूर जारी हैं और कांग्रेस इस क्षेत्र से लगातार पांच चुनाव हार चुकी हैं।इस बैठक में नगरीय निकायों के चुनावों के साथ साथ पंचायत चुनावों की रणनीति भी तय की गयी हैं। चुनावी रणनीति तय करने की शुरुआत ही गुटबाजी को बढ़ावा देने से हुयी हैं तो अंजाम भला और क्या होगार्षोर्षो यहां यह विशेष रूप से उललेखनीय है कि जिले की दो विस सीटों सिवनी और बरघाट में पिछले पांच चुनावों से कांग्रेस को हार का मुह देखना पड़ रहा हैं जिसका प्रमुख कारण आपसी गुटबाजी के अलावा और कुछ भी नहीं हैं।आशुतोष वर्मा सिवनीमो. 09425174640

Wednesday, November 4, 2009

महिला हितेषी बन उमा के प्रभाव को कम करने में कामयाब रहे शिवराज मंत्रीमंड़ल विस्तार में चूके

महिला हितेषी बन उमा के प्रभाव को कम करने में कामयाब रहे शिवराज मंत्रीमंड़ल विस्तार में चूके प्रदेश सरकार की बागडोर संभालते ही शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की छवि महिला हितेषी की बनाने के प्रयास प्रारंभ कर दिये थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि प्रदेश की महिलाओं के मन में किसी कोने में यह टीस सालती रहती थी कि साध्वी महिला नेत्री उमा भारती के साथ भाजपा ने अन्याय किया हैं। शिवराज इस फ्ेक्टर को समाप्त कर अपना एक विशिष्ट स्थान बनाना चाहते थे। इसीलिये सत्ता में आने के बाद उन्होने महिलाओं के हित के लिये कई योजनायें प्रारंभ की हैं। जिनमें लाड़ली लक्ष्मी योजना, जननी सुरक्षा योजना, छात्राओं को गणवेश वितरण, छात्राओं को साइकिल वितरण जैसी कई योजनायें प्रारंभ की हैं। इन सबके चलते वे मुख्यमंत्री से शिवराज मामा बन गये और उन्होंने लगातार दूसरी बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। अपनी दूसरी पारी में शिवराज ने महिलाओं को नगरीय निकाय में पचास प्रतिशत आरक्षण देने के लिये नियमों में संशोधन किया। इसके खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर हुयी जिसमें इस आधार पर इस संशोधन को चुनौती दी गयी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गयी व्यवस्था के अनुसार कुल आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक नहीे होना चाहिये। प्रदेश सरकार ने यह लड़ाई उच्च न्यायालय में जीत ली और प्रदेश सरकार के संशोधन को हाई कोर्ट ने सही मान लिया हैं। हाई कोर्ट में मामला हारने के बाद याचिकाकत्ताZओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी हैं। महिलाओं को नगरीय निकाय में पचास प्रतिशत आरक्षण देने के लिये अब सुप्रीम कोर्ट में उसका सामना करने की तैयारी शिवराज सरकार कर रहीं हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि महिला हितेषी छवि को निखारने में मानों शिवराज से एक भूल हो गयी हो। इस बार मंत्री मंड़ल के विस्तार में एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया। और तो और मंत्रीमंड़ल में जो दो महिला मंत्री हैं उनके भी विभाग वितरण में पर कतर दिये गये हैं। भाजपा ने प्रदेश के चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया था और चारों ने ही जीत भी हासिल की थी। इन चार सांसदों में रामकृष्ण कुसमारिया और गौरी शंकर बिसेन तो पहली ही खेप में मंत्री बन गये थे। इस विस्तार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सरताज सिंह भी मंत्रीमंड़ल में स्थान पाने में सफल हो गये हैं। एक मात्र सांसद रहीं विधायक नीता पटेरिया ही मंत्री नहीं बन पायी हैं। वैसे भी शिवराज मंत्रीमंड़ल में 33 मंत्रियों में महिला मंत्रियों की संख्या दो ही हैं जो कि मात्र 6 प्रतिशत होता हैं। ऐसे में नगरीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर प्रदेश सरकार भला महिला हितेषी होने का दावा कैसे कर पायेंगीर्षोर्षो और कैसे भला शिवराज असली मामा बन पायेंगेंर्षोर्षो इसे लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें व्याप्त हैं।
आशुतोष वर्मामो. 09452174640

Tuesday, October 20, 2009

मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र

प्रिय श्री शिवराज सिंह जी,
अत्याचार ना भ्रष्टाचार हम देंगें अच्छी सरकार, राज आप बदलें व्यवस्था हम बदलेंगें और बिजली पानी सड़क के मुद्दों पर प्रदेश की जनता ने भाजपा को सत्ता सौंपी थी। आज प्रदेश में भाजपा सरकार की दूसरी पारी शुरू हुये एक साल का समय बीत गया हैं। महिला अत्याचार में प्रदेश ने इस दौरान देश में पहला स्थान पा लिया हैं। भ्रष्टाचार का नजारा तो नगर के लोगों ने गली गली और सड़क सड़क देखा हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा गयी हैं। बिजली की आंख मिचौली ने प्रकाश के त्यौहार दीपावली में भी कमाल दिखा ड़ाला हैं। दुगनी कीमत पर बनी घटिया सड़कों का आनंद लोग उठा ही रहें हैं। पानी के संकंट को दूर करने के लिये पैसे तो बहुत आये पर संकंट जस का तस हैं। मुख्यमंत्री जी आप विधानसभा और लोकसभा चुनावों के पहले भी सिवनी आये थें। जिले के भाजपा नेताओं ने आपसे शहर के विकास के लिये बहुत कुछ मांगां भी था और आपने दोनों ही बार मंच से जिला कलेक्टर को निर्देशित किया था कि तीन महीने के अंदर शहर का मास्टर प्लान तैयार करें और फिर विकास के काम शुरू किये जायें। पैसे की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी। लेकिन अभी तक आपके द्वारा निर्देशित मास्टर प्लान का ही अता पता नहीं हैं। अब नगर पालिका चुनाव के पहले आप फिर आ रहें हैं। परंपरा अनुसार इस बार भी भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने आपको एक पत्र लिखकर पुरानी मांगों को ही दोहरा दिया हैं। हमें डर यह हैं कि इस बार भी नतीजा सिफर ही ना निकले।समूचा शहर दलसागर तालाब की सड़ांध से परेशान था। हमें मालूम हुआ है कि आपने इसकी सुध ली हैं और आप कुछ राशि भी यहां देने वाले हैं। पता चला है कि इसके लिये 150 लाख रुपये की स्वीकृति भी हो चुकी हैं। वैसे इस ऐतिहासिक तालाब की पहली बार सफायी 80 के दशक के शुरुआती सालों में हुयी थी। तब से अब तक कई बार केन्द्र और प्रदेश सरकार ने इसके सौन्दयीZकरण और सड़ांध मिटाने के लिये धनराशि दी हैं। करोड़ों की यह धनराशि तो मिट गयी लेकिन सड़ांध अभी तक नहीं मिटी हैं। हमारा अनुरोध हैं कि आप पिछला हिसाब भी लें और अब जो भी धनराशि दें उसके सदुपयोग का सबक भी सिखा जायें ताकि नागरिकों को राहत मिल सके। आप अपने इस प्रवास के दौरान बबरिया जलाशय का निरीक्षण करने भी जा रहें हैं। सन 1904 में बना यह तालाब शहर की जनता की प्यास बुझाता था। फिर करोड़ों रुपयों की लागत से भीमगढ़ जलावर्धन योजना शुरू की गयी जिसमें भारी भ्रष्टाचार किये जानें के आरोप भाजपा तो लगाती रही लेकिन अपने ही राज में इसकी जांच तक नहीं करा पायी। जांच कराने के बजाय प्रदेश की भाजपा सरकार ने बबरिया जलावर्धन योजना के लिये साठ लाख रुपये स्वीकृत कर दिये जो शहर के तीन मोहल्लों की प्यास तक नहीं बुझा पा रही हैं। इसी तालाब से लगा निर्माणाधीन शंकराचार्य पार्क में भी लगभग एक करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी हैं। जिसके भ्रष्टाचार के किस्से अखबारों की सुर्खियां बनती रही हैं। दिल्ली की परेड़ में प्रदेश प्रतिनिधित्व करने वाली करने वाली मोगली की झांकी पहले तो अतिक्रमण करके तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर की निधि से नये बस स्टेन्ड के सामने लगायी गयी थी जिसे शंकराचार्य पार्क में लगाने के लिये निकाला गया था जिसे अब आप टूटी फूटी हालत में शंकरचार्य पार्क में पड़े देख सकते हैं।नगर पालिका के भ्रष्टाचार की कई शिकायतें आपसे भी की गयीं लेकिन उनकी जांच तक नहीं हो पायी। लोकायुक्त की एक जांच के प्रतिवेदन पर प्रदेश सरकार ने अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और परिषद के सत्रह पार्षदों को पद से प्रथृक करने के लिये नोटिस दिये हैं। जिसमें नौ लाख रुपये की रिकवरी के आदेश भी दिये हैं। यह रिकवरी वर्तमान दर और पालिका द्वारा दी अधिक दर का अंतर भर है जबकि गुणत्ता की कमी की रिकवरी तो अभी निकाली ही नहीं गयी हैं। पता चला है कि ऐसे हालात में भी आप इसी संस्था द्वारा बनायी गयी एक सड़क का लोकाZपण या भूमि पूजन करने जा रहे हैं। जब प्रदेश का मुखिया ऐसे कार्यक्रम में शिरकत करेगा तो क्या चल रही जांच एवं प्रशासनिक कार्यवाही पर विपरीत असर नहीं पड़ेगार्षोर्षोवर्तमान नगर पालिका परिषद का कार्यकाल ना केवल भ्रष्टाचार के लिये चर्चित रहा हैं वरन उसने कई नये कीर्तिमान भी स्थापित किये हैं। अनगिनत ऐसी शिकायतें भी हें जिनमें जांच तक नहीं करायी गयी हैं। नगर पालिका के चुनाव की पूर्व संध्या पर भाजपा की ऐसी भ्रष्ट परिषद के कार्यक्रमों में आपका आना अनेक राजनैतिक संदेश दे रहा हैं।

नगरपालिका

सिवनी। नगरपालिका की तीनों सड़कों की गुणवत्ता की जांच के लिये किसी शासकीय ऐजेन्सी से क्यूब टेस्ट कराया जाये ।नपा ने सेम्पल की जांच एक स्थानीय निजी ऐजेन्सी से करायी हैं जो कि उचित नहीं कही जा सकती हैं।इस जांच में इन सड़कों के मूल्यांकन और ठेकेदार द्वारा क्लेम की गयी राशि के अंतर की वसूली भी की जाये।जिला कलेक्टर को लिखे एक पत्र में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने यह आग्रह किया हैं प्रेस को जारी विज्ञप्ति में इंका नेता ने बताया हैं कि उन्होंने पूर्व प्रषित पत्र क्रमांक 104/07 दिनांक 7 दिसम्बर 2007 एवं क्र. 49/08 दि. 8 मई 2008 के माध्यम से सरकार को इस बाबद शिकायत की थी।इस संबंध में लगभग दो साल बाद राज्य सरकार के निर्देश पर कार्यवाही की जा रही हैं तथा पालिका के जन प्रतिनिधियों सहित मुख्य नगर पालिका अधिकारी को नोटिस जारी किये गये हैं।इंका नेता आशुतोष वर्मा ने जिला कलेक्टर का ध्यानाकषिZत कराते हुये लिखा है कि जांच की प्रक्रिया में कुछ ऐसी भी बातें हैं जो कि जांच की निष्पक्षता पर भी सवालिया निशान लगा रहीं हैं। निविदा जारी करने की दोषपूर्ण प्रक्रिया के कारण टेंडर के रेट और उस समय के रेट में अंतर की राशि को परिषद की हानि मानकर लगभग 9 लाख रूपये की रिकवरी भी निकाली गयी हैं। लेकिन इस जांच में ठेकेदार द्वारा बनायी गयी सड़कों की गुणवत्ता की जांच ही नहीं की गयी हैं। ये सड़के कितनी घटिया बनी हैं यह तो आप स्वयं ही रोज देख रहें हैं। पत्र में कलेक्टर से अनुरोध किया गया है कि वे किसी अन्य विभाग के तकनीकी अधिकारियों से इन घटिया सड़कों की गुणवत्ता की जांच करवाकर इनका मूल्यांकन करायें तथा घटिया सड़के बना कर जो अतिरिक्त कमायी की गयी हैं उसकी वसूली भी ठेकेदार और छूट देने वाले तकनीकी अमले तथा अन्य जिम्मेदार लोगों से की जाये।इंका नेता वर्मा ने जिला कलेक्टर से अनुरोध किया हैं कि 89.98 प्रतिशत अधिक दर पर तीन सड़के,राकेशपाल पंप से एस.पी.बंगले, सिंघानिया के घर से मठ मंदिर और बुधवारी तालाब से अम्बेडकर वार्ड जटाशंकर मंदिर पुलिया तक, बनायी गयीं हैं उनका क्यूब टेस्ट किसी शासकीय ऐजेन्सी से कराया जाये ताकि गुणवत्ता की सही जांच हो सके। इन सड़को के सेम्पल की जांच नगरपालिका ने एक स्थानीय प्रायवेट ऐजेन्सी शार्प इंजीनियर्स एन्ड कंसलटेन्ट से करायी हैं।पत्र के अंत में इंका नेता ने विश्वास व्यक्त किया हैं कि वे शीघ्र ही इस मामले की जांच करवा कर दोषियों को दंड़ित करने का कष्ट करेंगें ताकि जिले में भ्रष्टाचार पर रोक लगायी जा सके।