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Monday, November 16, 2009

हरवंश के बयान से विधानसभा के उपाध्यक्ष पद की संवैधानिकता को लेकर जारी है बहस-विधानसभा का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद क्या संवैधानिक पद हैर्षोर्षो इस पद पर रहते हुते क्या किसी पार्टी की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष रहा जा सकता हैर्षोर्षो क्या इस पद पर रहते हुये अपनी पार्टी द्वारा आयोजित किसी आंदोलन में शामिल हुआ जा सकता हैर्षोर्षो क्या इस पद पर रहते हुये लोकसभा, विधानसभा या नगरीय निकायों के चुनावों में प्रचार प्रसार या उनकी तैयारियों के लिये की जाने वाली पार्टी की बैठकों में सम्मलित हुआ जा सकता हैर्षोर्षो ये तमाम सवाल इन दिनों राजनैतिक गलियारों में चर्चित हैं। नगरीय निकायों के चुनावों की तैयारियों के लिये आयोजित हुयी एक बैठक में मुख्य अतिथि की आसंदी से मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह ने यह कहा है कि वे एक संवैधानिक पद पर हैं इसलिये झंडा़ उठाकर वे नहीं चल सकते और ना ही प्रचार प्रसार कर सकते हैं। उनका यह कथन प्रमुखता के साथ सभी अखबारों की सुखीZ भी बना। बस तभी से राजनैतिक हल्कों में इस बयान को देने के कारण तलाशे जा रहें हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान इसी पद रहते हुये हरवंश सिंह ने खुले आम ना केवल चुनाव प्रचार किया हैं वरन बाकायदा इंका विधायक के रूप में उनके फोटो भी छपे हैं। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी भी इस चुनाव के दौरान सक्रिय रहे थे। और तो और पलारी गोली कांड़ के बाद जब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जबलपुर आये थे तो विस उपाध्यक्ष रहते हुये भी श्री रोहाणी ने आंदोलन का नेतृत्व किया था जिसमे कार्यकत्ताZ Þहरवंश सिंह हत्यारा हैß की तिख्तयां लेकर कार्यकत्ताZ खड़े थे जिनके रंगीन फोटो भास्कर जबलपुर और नवभारत जबलपुर में 8 और 6 फरवरी 2001 को प्रकाशित हुये थे। यदि श्री रोहाणी का उक्त कृत्य पद की मर्यादा और संविधान के विपरीत था तो तत्कालीन ताकतवर मंत्री रहते हुये भी हरवंश सिंह ने कोई विरोध या आवश्यक कार्यवाही क्यों नहीं की थीर्षोर्षो इतना ही नहीं वरन उक्त मीटिंग के चंद दिनों बाद ही वारासिवनी के इंका विधायक प्रदीप जैसवाल के खिलाफ पुलिस द्वारा बिना जांच किये गैरजमानती आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के विरोध में आयोजित प्रतिकार रैली मेें हरवंश सिंह के नेतृत्व में कार्यक्रम संपन्न हुआ। विश्लेषकों का तो यह भी मानना हैं कि अपनी राजनैतिक सुविधा के अनुसार कभी संवैधानिक तो कभी राजनैतिक पद मानकर काम निकाल लेते हैं ये राजनेता। यदि ऐसा ही होता रहा तो क्या यह संवैधानिक पद का अवमूल्यन नहीं हैंर्षोर्षोआशुतोष वर्मा सिवनीपप्पू खुराना का छिंदवाड़ा नपा का पर्यवेक्षक बनना सियासी हल्कों में चर्चित-नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी हैं। इस सूची में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा में मुख्यालय की नगर पालिका में जिले के इंका नेता राजकुमार पप्पू खुराना को पर्यवेक्षक बनाया गया हैं। जिले की इंकाई राजनीति में इस नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। पप्पू खुराना कमलनाथ खेमें के माने जाते हें लेकिन जबलपुर संभाग के एक प्रमुख इंका विधायक के विरोध के चलते समय समय पर उनके बारे में तरह तरह की चर्चायें होती रहती थीं। लेकिन इस नियुक्ति से राजनैतिक गलियारों में यह संकेत भी गया हैं कि कमलनाथ अब एक इंका नेता के अलावा अन्य नेताओं को भी तव्वजो देकर उन्हें सचेत कर रहें हैं। अभी तक समूचे संभाग में यह माना जाता था कि इंका विधायक हरवंश सिंह की सलाह से ही कमलनाथ हर फैसला लेते हैं जिससे संभाग के उनके कई निष्ठावान कार्यकत्ताZओं में इसे लेकर असंतोष रहता था। कमलनाथ के छिंदवाड़ा उप चुनाव हारने के बाद एक बार यह लावा जम कर फूटा भी था लेकिन बाद में राजनैतिक समीकरण फिर ऐसे बन गये थे कि समर्पित कार्यकत्ताZ मन मसोस कर रह गये थे। अब यह तो भविष्य ही बतायेगा कि यह राजनैतिक संकेत भी लंबे समय तक बरकरार रहेगा या नहीं या सभी को साधने में माहिर इंका नेता एक बार फिर अपना खेल जमा लेंगें।आशुतोष वर्मासिवनीपालिका अध्यक्ष पद के दावेदारों कीसंख्या से भाजपा में घमासान -नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर राजनैतिक दलों में भी हलचल शुरू हो गयी हैं। भाजपा और इंका के अध्यक्ष पद के दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं। भाजपा में तो अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में जिला भाजपा अध्यक्ष सुदर्शन बाझल के अलावा नगर भाजपाप अध्यक्ष एवं पार्षद सुजीत जैन के नाम भी शामिल हैं। इसलिये भाजपा के प्रत्याशी चयन के दो चरण निरर्थक हो गये हैं। अन्यथा सबसे पहले नगर मंड़ल में प्रत्याशियों पर विचार होता और फिर जिला भाजपा से होता हुआ पैनल अंतिम निर्णय के लिये भेज दिया जाता। ऐसी परिस्थिति में दोनों दावेदारों के सामने भी एक मुश्किल हो गयी हैं। वे बाकायदा आवेदन कर टिकिट मांगनें में भी एक संकोच की स्थिति में रहेंगें। भाजपा के सामने सबसे बड़ा संकंट यह है कि भाजपा की वर्तमान नपा अध्यक्ष पावर्ती जंघेला ने भ्रष्टाचार के सभी रिकाडोZं को ध्वस्त करते हुये ऐसी परिस्थिति बना दी हैं कि बहुत ही अच्छी छवि का प्रत्याशी ही भाजपा की वैतरणी पार करा सकता हैं अन्यथा इस बार भाजपा का बेड़ागर्क होने से कोई नहीं रोक सकता हैं। वैसे भी परिषद के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित 17 पार्षदों के खिलाफ धारा 40 की कार्यवाही लंबित हैं।भाजपा में उपरोक्त दो दावेदारों के अलावा वर्तमान अध्यक्ष पार्वती जंघेला,नरेन्द्र टांक,संतोष अग्रवाल, राजेश त्रिवेदी,प्रमोद कुमार जैन,नंदकिशोर सोनकेशरिया,राजेश उपाध्याय,आरती शुक्ला सहित कई दावेदार अपना अपना दावा कर रहें हैं। प्रत्याशी चयन का कार्य भाजपा के लिये आसान नहीं होगा। ऐसी परिस्थितियों में सांसद के.डी.देशमुख और विधायक नीता पटेरिया की भूमिका ही निर्णायक होगी। इसके अलावा पूर्व विधायक नरेश दिवाकर भी मंत्री गौरीशंकर बिसेन के माध्यम से प्रयास कर पालिका पर अपना कब्जा बनाने की कोशिश भी करेंगें।आशुतोष वर्मा सिवनीटिकटि के लिये गणेश परिक्रमा करने के आदी हो गये हैं कांग्रेसी -इंका का हाल भी भाजपा से कुछ अलग नहीं हैं। अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों में उपाध्यक्ष संतोष उर्फ नान्हू पंजवानी के अलावा पार्षद संजय भरद्वाज,पूर्व युवा इंकाध्यक्ष राजा बघेल, पूर्व पालिका अध्यक्ष विजय चौरसिया,संजय चौरसिया, असलम खॉन, हाजी सुहैल पाशा, एड. जकी अनवर,पार्षद शफीक खॉन, जयकिशोर वर्मा सहिीत अन्य कई नाम भी चर्चाओं में तैर रहेंं हैं। वैसे भी पिछले दस सालों से इंकाई राजनीति में अधिकांश नेता जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह की गणेश परिक्रमा करके सब कुछ पाने के आदी हो चुके हैं। जिला इंका सहित सभी मोर्चा संगठनों की स्थिति उनके ड्राइंग रूम में सजे हुये गुलदस्तों से अधिक कुछ और नहीं हैं। बीते पांच विधानसभा चुनावों से सिवनी विधानसभा में कांग्रेस हार रही हैं। कांग्रेस की इस हार के सफर की शुरूआत हरवंश सिंह ने ही सन 90 में की थी। इसके वे 93 में तत्कालीन सांद कु. विमला वर्मा के परंपरागत क्षेत्र केवलारी से चुनाव लड़कर जीते और मंत्री बन गये। लगतार चुनावों में हो रही हार से अब तो कांग्रेसी मजाक में यह कहने से नहीं चूकते हैं कि सिवनी के अगले चुनाव में हारने के लिये हरवंश सिंह किसे चुनते हैं। कांग्रेस के एक कौने में हो रही लामबंदी कुछ गुल खिला पायेगी या नहींर्षोर्षो इसे लेकर इंकाइयों में उत्सुकता हैं।आशुतोष वर्मा सिवनी

Thursday, November 12, 2009

नीता के विरोध के बाद भी बाघ पन्ना भेजा गया-आखिर पेंच का बाघ पन्ना चला ही गया। इसे पन्ना ना ले जाने का व्यापक स्तर पर स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया लेकिन किसी के कान में जूंं तक नहीं रेंगी। कई स्थानीय संस्थाओं ने भी पेंच का बाघ पन्ना भेजने का विरोध किया था। और तो और सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने भी पत्र लिखकर विरोध जाहिर किया था परंतु सत्तादल के विधायक को भी दरनिार कर दिया गया। इस काम को इतने गुपचुप तरीके और लापरवाही के साथ किया गया हैं कि इसके अंजाम को अच्छा मान लेना भारी भूल होगी। यह भी पता चला है कि बाघ जल्दी ही होश में आ गया था इसलिये उसे रेडियों कॉलर भी नहीं लगाया जा सका जिससे अब उसकी निगरानी कैसे रखी जायेगीर्षोर्षो यह वन विभाग के लिये एक चिंता का कारण बन गया हैं। पेंच नेशनल पार्क के बाघ प्रमियों ने इन बाघों की चिंता में पूरे देश में इतनी अधिक चिंता व्यक्त की थी कि राष्ट्रीय स्तर पर चल रही प्रधानमंत्री एक्सप्रेस हाईवे की योजना के तहत बनने वाला नार्थ साउथ कॉरीडोर,जो कि पेंंच नेशनल पार्क के समीप से गुजरता है, भी फिलहाल खटायी में पड़ गया हैं और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंड़िया नामक एक एन.जी.ओ. की याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। जिस पन्ना नेशनल पार्क में सुरक्षा प्रबंधों के आभाव में एक भी बाध ना बचा हो वहां बिना सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किये अन्य नेशनल पार्कों से बाघ और बाघिनी भेजना समझ से परे हैं।लेकिन इस मामले में वन्यप्राणी प्रेमियो की चुप्पी समझ से परे हैं।मंहगायी की अर्थी निकालने वाले भाजपायियों की भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुप्पी चर्चित-नगर भाजपा ने अध्यक्ष एवं पार्षद सुजीत जैन के नेतृत्व में मंहगाई की शवयात्रा निकाल कर विरोध प्रर्दशन किया। इस अवसर पर विधायक नीता पटेरिया,पालिकाध्यक्ष पार्वती जंघेला,जिला भाजपा अध्यक्ष सुर्दशन बाझल सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित थे।नगर पालिका चुनावों की पूर्व संध्या पर ऐसे प्रदर्शन और आंदोलन होना कोई नयी बात नहीं हैं। यह तथ्य भी सही है कि इन दिनों आम आदमी भीषण महंगायी से त्रस्त हैं और रोजमर्रा की चीजें महंगी होने से अपने आप को ढ़गा सा महसूस कर रहा हैं। चुनावों के पहले नेताओं के लुभावने नारे और वायदे आम आदमी के वोट तो कबाड़ लेते हैं लेकिन उसके बाद उसे निरीह बना छोड़ ेते हैं और तमाम नेता सत्ता सुख भोगने में इतने मशगूल हो जाते है कि मुल्क के मालिको की उन्हें याद ही नहीं रहती हैं। ऐसा ही कुछ पिछले नपा चुनाव के दौरान हुआ था और मतदाताओं ने अत्याचार ना भ्रष्टाचार हम देगें अच्छी सरकार के नारे से प्रभावित होकर नागरिकों ने नगर पालिका की बागडोर भाजपा को सौंप दी थी। लेकिन वर्तमान पालिका का कार्यकाल भ्रष्टाचार के मामले में इतना अधिक चर्चित रहा हैं कि उसने पिछले तमाम रिकार्ड धराशायी कर दिये हैं। और तो और प्रदेश सरकार के ही निर्देश पर पालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष, मु.नपा अधिकारी सहित परिषद के सत्रह पार्षदों को पर से पृथक करने और चुनाव लड़ने के लिये क्यों ना अयोग्य कर दिया जायेर्षोर्षो के कारण बताओ नोटिस दिये गये हें जिन पर फैसला होना अभी शेष हैं। महंगायी के विरोध में शवयात्रा निकालने वाले भाजपा नेता यदि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कुछ कारगरा कार्यवाही करने की मांग करते तो बात कुछ और होती अन्यथा चुनाव के समय यह सब कुछ तमाशा देखने के तो लोग आदी हो चुके हैं।
ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीर प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं। प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं। नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं। ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं। इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गìों में सड़क को ढूंढना पड़ता हैं। जबकि इस योजना के शुरुआती दौर की सड़के आज भी अच्छी दिखायी दे रहीं हैं। यही हाल किसानों की ऋण माफी योजना का हैं। ऋण माफ करने वालो की तकदीर तो बदल गयी लेकिन किसानों की तस्वीर में कोई निखार नहीं आया हैं। प्राकृतिक प्रकोपों की मार झेलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।आशुतोष वर्मासिवनीमो. 09425174640

Monday, November 9, 2009

ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीर प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं। प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं। नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं। ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं। इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गìों में सड़क को ढूंढना पड़ता हैं। जबकि इस योजना के शुरुआती दौर की सड़के आज भी अच्छी दिखायी दे रहीं हैं। यही हाल किसानों की ऋण माफी योजना का हैं। ऋण माफ करने वालो की तकदीर तो बदल गयी लेकिन किसानों की तस्वीर में कोई निखार नहीं आया हैं। प्राकृतिक प्रकोपों की मार झेलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।आशुतोष वर्मासिवनीमो. 09425174640

ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीरसिवनी। प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं। प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं। नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं। ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं। इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गìों में सड़क को ढूंढना पड़ता हैं। जबकि इस योजना के शुरुआती दौर की सड़के आज भी अच्छी दिखायी दे रहीं हैं। यही हाल किसानों की ऋण माफी योजना का हैं। ऋण माफ करने वालो की तकदीर तो बदल गयी लेकिन किसानों की तस्वीर में कोई निखार नहीं आया हैं। प्राकृतिक प्रकोपों की मार झेलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।आशुतोष वर्मासिवनीमो. 09425174640

Sunday, November 8, 2009

मुनमुन-हरवंश की दंगल उपस्थिति से इंकाई पहलवान चितिंत- आशुतोष वर्मा नगर पंचायत क्षेत्र लखनादौन में बीते दिनों हुआ एक दंगल राजनैतिक पहलवानों के बीच काफी चर्चित रहा हैं। इस दंगल में मुख्य अतिथि इंका विधायक हरवंश सिंह और अध्यक्षता नपं अध्यक्ष दिनेश मुनमुन राय ने की थी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये हरवंश सिंह ने मुनमुन की तारीफ के पुल बांधे और कहा कि दलीय भावना से परे हटकर वे ये तमाम बाते कह रहे हैं। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि नपं चुनाव में मुनमुन राय इंका की टिकिट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन जिला इंका द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक द्वय बलवंत सिंह और सेवकराम चंद्रवंशी में से किसी एक ने इस गुप्त निदेंZश को उजागर कर डाला था कि ठाकुर साहब ने कहा है कि मुनमुन का नाम किसी भी कीमत परं प्रस्तावित नही करना। इससे क्षुब्ध होकर मुनमुन ने कांग्रेस छोड़ दी थी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर भारी वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव आते तक परिसीमन के आंदोलन से उपजी परिस्थितियों को लेकर बहुत सा पानी बैनगंगा में बह चुका था और मुनमुन ने केवलारी के बजाय सिवनी से चुनाव लड़कर तीस हजार से अधिक वोट लेकर कांग्रेस को जमानत जप्त होने की स्थिति पर पहुचा दिया। चलते चुनाव में ही एक कार्यकत्ताZ ने सोनिया गांधी के नाम शपथपत्र देकर यह सनसनी खेज आरोप लगाया था कि हरवंश सिंह ने उसे मुनमुन का काम करने को कहा हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी पहले बरघाट का दंगल और लखनादौन के दंगल में हरवंश सिंह और मुनमुन की उपस्थिति को इंकाई राजनैतिक पहलवान चिंतित दिखायी दे रहें हैं कि यह मिली जुली कुश्ती ना जाने आने वाले समय में क्या गुल खिलायेगीर्षोर्षो आशुतोष वर्मा सिवनी मो.09425174640नरेगा की मलायी भाजपा को मिलने से चुनाव मंहगे हो सकते हैं- आशुतोष वर्मा नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल अब तेज होती जा रहीं हैं। इस सिलसिले में जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के मुख्यआतिथ्य में प्रबंध समिति की बैठक हुईं। जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में सिवनी विस क्षेत्र के पूर्व इंका प्रत्याशी प्रसन्न मालू को बुलाया ही नहीं गया। परिणाम स्वरूप दो अन्य पूर्व प्रत्याशी राजकुमार पप्पू खुराना और आशुतोष वर्मा भी बैठक में नहीं गये। अपने भाषण में हरवंश सिंह ने साफ कर दिया कि वे विधानसभा उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद के बंधनों से बंधें हैं अत: आपके साथ झंड़ा उठाकर नहीं चल सकता हंं। उन्होंने यह भी कहा कि नरेगा की मलाई राज्य सरकार और उसके अनुयायी खा रहे हैं इसलिये चुनाव मंहगा भी हो सकता हैं। इस बैठक में हरवंश समर्थक नेताओं ने यह आरोप भी लगाये कि लोग टिकिट लाकर चुनाव तो लड़ लेते हैं लेकिन उसके बाद ना तो वे कांग्रेस की मीटिंगों में आते हैं और ना ही उन्हें कांग्रेस से कोई मतलब ही रहता हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि ऐसा आरोप लगाने वाले ये सभी नेता पिछले 2008 के विधानसभा चुनावों में अपने हाथ में कांग्रेस का हाथ थामने के बजाय निदग्Zलीय मुनमुन राय की कपप्लेट थामें हुये थे जो कि कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण बना था। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सन 1990 में सिवनी विस विस क्षेत्र से इंका प्रत्याशी के रूप में हरवंश सिंह ने जो हारने की शुरुआत की थी वह आज तक बदस्तूर जारी हैं और कांग्रेस इस क्षेत्र से लगातार पांच चुनाव हार चुकी हैं।इस बैठक में नगरीय निकायों के चुनावों के साथ साथ पंचायत चुनावों की रणनीति भी तय की गयी हैं। चुनावी रणनीति तय करने की शुरुआत ही गुटबाजी को बढ़ावा देने से हुयी हैं तो अंजाम भला और क्या होगार्षोर्षो यहां यह विशेष रूप से उललेखनीय है कि जिले की दो विस सीटों सिवनी और बरघाट में पिछले पांच चुनावों से कांग्रेस को हार का मुह देखना पड़ रहा हैं जिसका प्रमुख कारण आपसी गुटबाजी के अलावा और कुछ भी नहीं हैं।आशुतोष वर्मा सिवनीमो. 09425174640

Wednesday, November 4, 2009

महिला हितेषी बन उमा के प्रभाव को कम करने में कामयाब रहे शिवराज मंत्रीमंड़ल विस्तार में चूके

महिला हितेषी बन उमा के प्रभाव को कम करने में कामयाब रहे शिवराज मंत्रीमंड़ल विस्तार में चूके प्रदेश सरकार की बागडोर संभालते ही शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की छवि महिला हितेषी की बनाने के प्रयास प्रारंभ कर दिये थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि प्रदेश की महिलाओं के मन में किसी कोने में यह टीस सालती रहती थी कि साध्वी महिला नेत्री उमा भारती के साथ भाजपा ने अन्याय किया हैं। शिवराज इस फ्ेक्टर को समाप्त कर अपना एक विशिष्ट स्थान बनाना चाहते थे। इसीलिये सत्ता में आने के बाद उन्होने महिलाओं के हित के लिये कई योजनायें प्रारंभ की हैं। जिनमें लाड़ली लक्ष्मी योजना, जननी सुरक्षा योजना, छात्राओं को गणवेश वितरण, छात्राओं को साइकिल वितरण जैसी कई योजनायें प्रारंभ की हैं। इन सबके चलते वे मुख्यमंत्री से शिवराज मामा बन गये और उन्होंने लगातार दूसरी बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। अपनी दूसरी पारी में शिवराज ने महिलाओं को नगरीय निकाय में पचास प्रतिशत आरक्षण देने के लिये नियमों में संशोधन किया। इसके खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर हुयी जिसमें इस आधार पर इस संशोधन को चुनौती दी गयी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गयी व्यवस्था के अनुसार कुल आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक नहीे होना चाहिये। प्रदेश सरकार ने यह लड़ाई उच्च न्यायालय में जीत ली और प्रदेश सरकार के संशोधन को हाई कोर्ट ने सही मान लिया हैं। हाई कोर्ट में मामला हारने के बाद याचिकाकत्ताZओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी हैं। महिलाओं को नगरीय निकाय में पचास प्रतिशत आरक्षण देने के लिये अब सुप्रीम कोर्ट में उसका सामना करने की तैयारी शिवराज सरकार कर रहीं हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि महिला हितेषी छवि को निखारने में मानों शिवराज से एक भूल हो गयी हो। इस बार मंत्री मंड़ल के विस्तार में एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया। और तो और मंत्रीमंड़ल में जो दो महिला मंत्री हैं उनके भी विभाग वितरण में पर कतर दिये गये हैं। भाजपा ने प्रदेश के चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया था और चारों ने ही जीत भी हासिल की थी। इन चार सांसदों में रामकृष्ण कुसमारिया और गौरी शंकर बिसेन तो पहली ही खेप में मंत्री बन गये थे। इस विस्तार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सरताज सिंह भी मंत्रीमंड़ल में स्थान पाने में सफल हो गये हैं। एक मात्र सांसद रहीं विधायक नीता पटेरिया ही मंत्री नहीं बन पायी हैं। वैसे भी शिवराज मंत्रीमंड़ल में 33 मंत्रियों में महिला मंत्रियों की संख्या दो ही हैं जो कि मात्र 6 प्रतिशत होता हैं। ऐसे में नगरीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर प्रदेश सरकार भला महिला हितेषी होने का दावा कैसे कर पायेंगीर्षोर्षो और कैसे भला शिवराज असली मामा बन पायेंगेंर्षोर्षो इसे लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें व्याप्त हैं।
आशुतोष वर्मामो. 09452174640