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Monday, May 28, 2012


भाजपायी किसानपुत्र  के राज में और इंकाई किसानपुत्र के विस क्षेत्र में ही किसान के नाम पर गेहूं बेचते पकड़े गये व्यापारी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी इन दिनों इस मामले में काफी गंभीर हो गयी हैं कि धरने और आंदोलनों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्त्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो। इस बार यह बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की रपट पर यह तलब किया हैं कि इस       धरने में कौन कौन नेता उपस्थित थे और कौन कौन नहीं? प्रदेश कांग्रेस की इस पहल का कोई असर होता हैं या नहीं? यह तो आने वाले समय में ही पता चल पायेगा। इस बैठक में संभागीय संगठन मंत्री ने सभी की जम कर क्लास ली हैं। जहां एक तरफ संगठन के पदाधिकारियों को सीख दी गयी हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी सख्ती के साथ कहा गया हैं कि वे कार्यकर्त्ताओं को साथ लेकर चलें। अपने आप को किसान पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज्य में किसानों को अपना गेहूं बेचने में पसीने छूट रहें हैं।जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह भी आपने आप को किसान पुत्र कहलाना पसंद करते हैं। लेकिन कमाल की बात तो यह हैं कि किसानपुत्र मुख्यमंत्री के राज में किसानपुत्र विस उपाध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र में ही तीन स्थानों पर किसानों का शोषण करने वाले व्यापारियों को दंड़ित किया गया। जबकि इसके कुछ ही दिन पहले क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह ने खरीदी केन्द्रेां का दौरा किया था। अधिकांश केन्द्रों पर जिले के प्रशासनिक अमले ने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की हैं। इस पर यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानो का शोषण कभी भी रुकने वाला नहीं हैं।  
प्रदेश कांग्रेस की पहल चर्चित -प्रदेश कांग्रेस कमेटी इन दिनों इस मामले में काफी गंभीर हो गयी हैं कि धरने और आंदोलनों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्त्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो। पिछले दिनों जिला कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश के निर्देश पर बरेली में गोली से मारे गये कृषक की मौत पर धरना आयोजित किया गया था। इसमें प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं खरीदी में किसानों के साथ की जा रही ज्यादतियों को उजागर करने के साथ साथ बरेली में मृत किसान प्रजापति को श्रृद्धांजली भी अर्पित की जाना था। जिला इंकाध्यक्ष हीरा आसवानी और नगर अध्यक्ष इमरान पटेल ने सभी से उपस्थिति की अपील की थी। वैसे तो आम तौर पर देखा जाता हैं कि जिला इंका द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में नगर मे रहने वाले पदाधिकारी ही उपस्थित नही रहते हैं।ऐसे भी कार्यक्रम हुये हैं जिनमें प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त किये थे लेकिन उनमें भी यही नजारा देखने को मिलता रहा हैं। हां ऐसा कभी नहीं होता कि जिला इंका के इकलौते विधायक हरवंश सिंह जब किसी कार्यक्रम मेंआयें तो कोई भी पदाधिकारी या नेता ना आये। वैसे कई कांग्रेसी तो यह कहते भी देखे जाते हैं कि बहुत से पदाधिकारी तो ऐसे हैं जिनको कांग्रेस से कोई लेना देना ही नहीं हैं। उनकी निष्ठा तो सिर्फ हरवंश सिंह के प्रति है और उनके कारण ही वे पदाधिकारी बन पाये हैं। ऐसे में उनसे कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी की अपेक्षा करना ही बेमानी हैं। लेकिन इस बार यह बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की रपट पर यह तलब किया हैं कि इस धरने में कौन कौन नेता उपस्थित थे और कौन कौन नहीं? प्रदेश कांग्रेस की इस पहल का कोई असर होता हैं या नहीं? यह तो आने वाले समय में ही पता चल पायेगा।
संभागीय संगठन मंत्री ने की जमकर खिचायी -बीते दिनों जिला भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक हुयी। इस बैठक में संभागीय संगठन मंत्री ने सभी की जम कर क्लास ली हैं। बताया जाता हैं कि जहां एक तरफ संगठन के पदाधिकारियों को सीख दी गयी हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी सख्ती के साथ कहा गया हैं कि वे कार्यकर्त्ताओं को साथ लेकर चलें। संभागीय संगठन मंत्री ने कार्यकर्त्ताओं को भी हिदायत दी हैं कि वे आपसी मन मुटाव के चलते ऐसा कोई काम ना करें जिससे पार्टी को नुकसान हो। बताया जाता हैं कि संभागीय संगठन मंत्री ने अलग अलग कई दौर की बैठक कर सबसे हालात की जानकारी ली और जिस पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि की शिकायत मिली तो शिकायत करने वालों को अलग कर तुरंत ही संबधित को सख्ती से सीख दी गयी कि वे सबको साथ लेकर चलें।इस बैठक में जिले के सभी विधायक नीता पटेरिया,शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले तथा नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित सभी प्रमुख जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। इसके साथ ही संगठन के सभी पदाधिकारी भी मौजूद थे। इसके अलावा जिले के प्रभारी मंत्री नाना भाऊ और केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन और नरेश दिवाकर तो बैठक में उपस्थित थे लेकिन सांसद के.डी.देशमुख गैरहाजिर थे। राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त चर्चओं के अनुसार तीसरी पारी खेलने की तैयारी में भाजपा कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं और अब जब विधानसभा चुनाव में मात्र 18 महीने ही शेष बचें हैं तब सभी कार्यकर्त्ताओं के आक्रोश एवं असंतोष को कम करने के लिये जतन किये जा रहे हैं। जबकि कार्यकर्त्ताओं की आम    शिकायत यह हैं कि पिछले विस चुनाव के समय भी ऐसा ही किया गया था और जब चुनाव पार्टी तीज गयी थी तो उसके द्वारा जिताये गये नेता ही उनकी बात नहीं सुनते थे। अब फिर चुनाव आ रहा हैं तो मान सम्मान देने की बात कहीं जा रही हैं। लेकिन संभागीय संगठन मंत्री ने जिन तीखे तेवरों में सभी नेताओं की क्लास ली हैं उससे सभी भाजपा नेता भौंचक हैं और इसे लेकर तरह तरह के राजनैतिक कयास लगाये जा रहें हैं। कहीं जिले में नेतृत्व परिवर्तन के चर्चे चल रहें हें तो कहीं यह कहा जा रहा हैं कि अधिक शिकायतें आने वाले जनप्रतिनिधियों का भविष्य भी उज्जवल नहींे रहेगा। अनुशासनप्रिय मानी जाने वाली भाजपा में जिले में इस समय इसकी ही सबसे बड़ी कमी देखी जा रही है जिसके लिये भविष्य में कुछ सख्त कदम भी उठाये जा सकते हैं।
किसानपुत्र के क्षेत्र में पकडे गये गेहूं बेचते व्यापारी-गेहूं खरीदी में प्रदेश सरकार के दावे खोखले साबित हो रहें हैं। अपने आप को किसान पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज्य में किसानों को अपना गेहूं बेचने में पसीने छूट रहें हैं। दूसरी तरफ कुचिया व्यापारियों ने खरीदी केन्द्रों से तालमेल बिठाकर अपनी चांदी कर ली हैं। मनमानी तौल और अव्यवस्था के चलते दो जगहों पर दो किसान गोली का शिकार भी हो गये हैं। जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह भी आपने आप को किसान पुत्र कहलाना पसंद करते हैं। लेकिन कमाल की बात तो यह हैं कि किसानपुत्र मुख्यमंत्री के राज में किसानपुत्र विस उपाध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र में ही तीन स्थानों पर किसानों का शोषण करने वाले व्यापारियों को दंड़ित किया गया। जबकि इसके कुछ ही दिन पहले क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह ने खरीदी केन्द्रेां का दौरा किया था। केवलारी के एस.डी.एम. ने क्षेत्रीय व्यापारियों पर कार्यवाही कर भारी जुर्माना भी लगाया हैं। छपारा में तो हद ही हो गयी जहां यू.पी.,पंजाब और हरियाणा का पुराना गेहूं बेचते एक मामला रंगे हाथों पकड़ा गया। ऐसे कुछ मामले जो पकड़े गये वो तो ठीक है लेकिल राजनैतिक संरक्षण प्राप्त स्थानीय व्यापारियों ने किसानों का कितना शोषण किया होगा इसकी कल्पना तो की ही जा सकती हैं। जब राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यह आलम हैं तो अन्य स्थानों क्या ना हुआ होगा? समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की प्रक्रिया में इतनी अधिक खामियां है जिनके कारण भ्रष्टाचार करने वालों को खुला मौका हाथ लग गया था। इसीलिये परेशानियों से बचने के लिये कई किसानों ने तो अपना माल कुचिया व्यापासरियों के माध्यम से ही बिकयावा। इसमें या तो किसान ने कुछ कम पैसे में अपना माल बेच दिया या निर्धारित मात्रा से कम गेहूं होने के कारण किसान के गेहूं के साथ कुचिया व्यापारियों ने अपना गेहू भी समर्थन मूल्य पर बेच लिया जिसमें उसे 100 से 150 रु. प्रति क्विंटल तक का मुनाफा मिल गया। लेकिन अधिकांश केन्द्रों पर जिले के प्रशासनिक अमले ने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की हैं। इस पर यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानो का शोषण कभी भी रुकने वाला नहीं हैं। “मुसाफिर”          
साप्ताहिक दर्पण ढूठ ना बोले,सिवनी से साभार

Monday, May 21, 2012


एक ही मुद्दे के लिये चलाया गया आंदोलन इतने बार हाई जैक हुआ कि यह विश्व रिकार्ड जिले के नाम दर्ज हो सकता है
सदियों पहले से ही बुजुर्गों ने यह कह रखा हैं कि बहुत ही जतन,तप और तपस्या से यदि कोई चीज मिलती हैं तो नादानी में उसे हर जगह दांव पर नहीं लगाना चाहिये। इन सब हालातों को देखते हुये यही कहा जा सकता है कि बुर्जुगों की सीख ना मान कर बहुत जुगाड़ करके हासिल की गयी लालबत्ती को नादानी से दांव पर लगा देने वाले नरेश दिवाकर को उसे बचाने के लिये बहुत ही हास्यास्पद स्थिति से गुजरना पड़ा हैं। जनमंच कुरई के प्रवक्ता एडवोकेट सईद अहमद कुरैशी की अखबारों में प्रकाशित एक विज्ञप्ति भी राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इसमें उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के नेताओं से अनुरोध किया है कि वे हमारे मंच से एक दूसरे पर आरोप लगाना बंद करें। बड़े अखबारों में अक्सर प्लेन हाई जैक होने के समाचार आते रहतें हैं लेकिन ऐसे कोंई समाचार कभी अखबारों में नही आये कि कहीे कभी कोई आंदोलन  किसी ने हाई जैक कर लिया हो। लेकिन पिछले दिनों ये नया रिकार्ड अपने जिले के नाम दर्ज हो गया है। आप चौंकिये नही हम आपको बताते है कि यह कारनामा यहां कैसे हुआ? एक ही मुद्दे को लेकर चलाया गया एक ही आंदोलन कई बार हाई जैक हुआ। इस सबसे कुछ हासिल हो या ना हो इतना तो जरूर हो सकता कि यदि आंदोलन हाइ जैक करने का कीर्तिमान हम ग्रीनिज बुक आफ वल्ड रिकार्ड में भेज दे तो शायद वहां ही बेचारी शिव की नगरी सिवनी का नाम आ जाये।
लालबत्ती बचाने के लिये हास्यास्पद स्थिति में पहुंचे नरेश-सदियों पहले से ही बुजुर्गों ने यह कह रखा हैं कि बहुत ही जतन,तप और तपस्या से यदि कोई चीज मिलती हैं तो नादानी में उसे हर जगह दांव पर नहीं लगाना चाहिये। आजकल इन तीनों चीजों का स्थान जुगाड़ ने ले लिया हैं। ऐसी ही नादानी बीते दिनों मविप्रा के कबीना मंत्री का दर्जाप्राप्त पूर्व विधायक नरेश दिवाकर कर बैठे। फोर लेन के मरम्मत कार्य में विलंब को लेकर जब भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने अनशन की घोषणा की तो नरेश जी ने भी ना केवल इसमें शामिल होने की घोषणा की वरन वक्त आने पर अपना पद छोड़ने की भी घोषणा कर डाली। भाजपा का यह आंदोलन जब बिना आमरण अनशन प्रारंभ हुये समाप्त हो गया तो यह आरोप भी लगे कि नरेश की लाल बत्ती बचाने के लिये जिला भाजपा ने अपना आंदोलन समाप्त करा दिया। इस पर नरेश ने मीडिया में सफाई दी कि वह आंदोलन के सूत्रधार नहीं वरन सहभागी थे और विधायक कमल मर्सकोले यदि कल कुछ भी करेंगें तो मैं फिर उनका सहभागी बनूंगा। हाल ही मैं 16 मई को कुरई के जन आंदोलन में क्षेत्रीय विधायक कमल मर्सकोले के अलावा अध्यक्ष सुजीत जैन,विधायक नीता पटेरिया और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित कई भाजपा नेताओं ने ना केवल भाग लिया वरन अपनी गिरफ्तारी भी दी लेकिन उस समय नरेश दिवाकर मौजूद नहीं थे। लेकिन 17 और 18 मई के स्थानीय अखबारों में एक समाचार प्रकाशित हुआ कि नरेश दिवाकर 16,17 और 18 मई को छिंदवाड़ा एवं नरसिंहपुर जिले के तीन दिवसीय प्रवास पर हैं। यह भी शायद पहला ही अवसर होगा जब किसी मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता के प्रवास का कार्यक्रम प्रवास शुरू हो जाने के बाद प्रकाशित हुआ हो। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर जिले से भी ऐसे कोई ऐसे समाचार प्रकाशित हुये जिनमें इनकी उपस्थिति का उल्लेख रहा हो। ऐसे में यही माना जा सकता है कि 16 मई को फोरलेन के मामले में हुये आंदोलन, जिसमें विधायक द्वय कमल मर्सकोले और नीता पटेरिया सहित जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन, नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित कई भाजपा नेताओं ने अपनी गिरफ्तारी दी थी, में अपनी अनुपस्थिति की वजह बताने के लिये ही यह दौरा कार्यक्रम बताया गया हो। एक मजेदार बात यह भी बतायी गयी हैं कि जब गिरफ्तार किये गये सभी आंदोलनकारी नगझर जेल के परिसर में थे तब पानी के पाउच लेकर भी नरेश दिवाकर 16 मई को ही पहुंच गये थे। इन सब हालातों को देखते हुये यही कहा जा सकता है कि बुर्जुगों की सीख ना मान कर बहुत जुगाड़ करके हासिल की गयी लालबत्ती को नादानी से दांव पर लगा देने वाले नरेश दिवाकर को उसे बचाने के लिये बहुत ही हास्यास्पद स्थिति से गुजरना पड़ा हैं।
गिरफ्तारी की सूची में नाम लिखाने की सिवनी में मची होड़ चर्चित-जनमंच कुरई के प्रवक्ता एडवोकेट सईद अहमद कुरैशी की अखबारों में प्रकाशित एक विज्ञप्ति भी राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इसमें उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के नेताओं से अनुरोध किया है कि वे हमारे मंच से एक दूसरे पर आरोप लगाना बंद करें। यदि यह सब कुछ करना हैं तो वे अपना आंदोलन करें और अपने राजनैतिक मंच से जो चाहें वो करें। इसमें एक और रोचक बात का खुलासा किया गया कि जब गिरफ्तार आंदोलनकारी नगझर जेल लाये गये तब आंदोलन में ना पहुचने वाले कांग्रेस एवं भाजपा के कई नेता गिरफ्तारी की सूची में अपना नाम लिखाते देखे गये। अब ऐसा किन किन नेताओं पे किया? और क्यों किया? इसे लेकर तरह तरह की चर्चायें सियासी हल्कों में हो रही हैं। कई लोग इसे 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहें हैं।वैसे भी इस हेतु गठित किये गये जनमंच को चंद लोगों द्वारा अपनी राजनैतिक भड़ास निकालने का मंच बनाने से ही वह आज इस गति को प्राप्त हो गया हैं।
प्लेन नहीं हैं तो क्या हुआ आंदोलन तो हैं हाई जैक करने के लिये-बड़े अखबारों में अक्सर प्लेन हाई जैक होने के समाचार आते रहतें हैं लेकिन ऐसे कोंई समाचार कभी अखबारों में नही आये कि कहीे कभी कोई आंदोलन  किसी ने हाई जैक कर लिया हो। लेकिन पिछले दिनों ये नया रिकार्ड अपने जिले के नाम दर्ज हो गया है। आप चौंकिये नही हम आपको बताते है कि यह कारनामा यहां कैसे हुआ? सबसे पहले विधायक कमल मर्सकोले ने फोर लेन और उसकी मरम्मत के काम के लिये क्रमिक तथा फिर आमरण अनशन की घोषणा की थी। इसे भाजपा में ही हाई जैक करने की कोशिश हुयी और सबसे पहले कबीना मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर ने इसे हाई जैक कर लिया। फिर इसे हाई जैक करने का काम किया जनमंच ने। एक बैठक बुलायी गयी जिसमें विधायक कमल मर्सकोले भी शामिल हुये उसमें सिवनी में क्रमिक भूख हड़ताल करने की घोषणा कर दी गयी। विधायक का आंदोलन जनमंच के पाले में ना चला जाये इसलिये फिर जिला भाजपा ने इसे हाई जैक कर लिया और भाजपा के बैनर पर आंदोलन शुरू हुआ तो जनमंच ने इससे किनारा कर लिया। इसी दौरान कुरई के महेश दीक्षित नामक वरिष्ठ नागरिक ने 16 मई को आत्मदाह करने की खुद से घोषणा कर डाली और कुरई ब्लाक के नागरिकों ने इस दिन आंदोलन करने की घोषणा की थी। तो एक बार चूक गये जनमंच ने इस आंदोलन को हाई जैक कर लिया और उस पर मेड बाय जनमंच का ठप्पा लगा दिया। जब महेश दीक्षित जी के आंदोलन को जनमंच ने हाई जैक कर लिया तो विधायक कमल मर्सकोले ने, जिनने इस दौर के आंदोलन की शुरुआत की थी, घोषणा कर दी कि वे भी इस आंदोलन में शामिल होंगें। जिला भाजपा और अन्य जनप्रतिनिधि भी इसमें कूद गये। ऐसा होते देख भला कांग्रेस कहां चुप रह सकती थी। कुरई ब्लाक के निवासी एवं जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने अपने साथियों के साथ इस आंदोलन को हाई जैक कर लिया।  लेकिन आंदोलन में साफ साफ तीन धड़े दिखने लगे एक जनमंच का तो दूसरा भाजपा का और तीसरा कांग्रेस का। जनमंच के मंच से विधायक कमल मर्सकोले तथा जिला पंचायत के अध्यक्ष सहित किसी भी नेता को बोलने नहीं दिया गया। जबकि चुनावी राजनीति के हिसाब से देखा जाये तो मंचासीन नेताओं में संजय तिवारी,श्री राजेन्द्र गुप्ता और नरेन्द्र अग्रवाल भी चुनाव लड़ चुके हैं। फिर ऐसा क्यों किया गया? यह समझ से परे हैं। तीन साल से घटिया सड़क का दंश भोग रहे कुरई विकास खंड़ के नागरिकों में भारी जनाक्रोश था।सभी ने अपने अपने हिसाब से नारे बाजी की और फोटो खिचवायी तथा आंदोलन समाप्त हो गया। शायद इसी कारण 18 मई को पार्क के गेट पर हुये आंदोलन में आम आदमी उतने नहीं आये जितने कुरई में आये थे। इस सबसे कुछ हासिल हो या ना हो इतना तो जरूर हो सकता कि यदि आंदोलन हाइ जैक करने का कीर्तिमान हम ग्रीनिज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भेज दे तो शायद वहां ही बेचारी शिव की नगरी सिवनी का नाम आ जाये।“मुसाफिर“      
सप्ता. दर्पण झेठ ना बोले सो साभार

Tuesday, May 15, 2012


गेहूं खरीदी केन्द्रों का दौरा स्थगित कर आखिर क्यों दिल्ली गये हरवंश?
सिवनी । जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष ठा. हरवंश द्वारा गेहूं खरीदी केन्द्रों के दौरे के घोषित कार्यक्रम को छोड़ कर अचानक दिल्ली जाने से राजनैतिक हल्कों में तरह तरह की चर्चायें जारी हो गयीं हैं। नेता प्रतिपक्ष एवं प्रदेश इंकाध्यक्ष से सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद हरवंश के दिल्ली दौरे को लेकर कयासबाजी शुरू हो गयी हैं। इंकाइयों की ही चर्चा के अनुसार कुछ का मानना हैं कि वे अपनी सफाई देकर विस उपाध्यक्ष पद बचाने गये हैं तो दूसरी तरफ कुछ इंका नेता इससे इंकार करते हुये सन 2012 में उड़ीसा के राज्यपाल और दिल्ली के उप राज्यपाल की होने वाली नियुक्ति से जोड़ कर इस यात्रा को देख रहें हैं।
उल्लेखनीय हैं कि इसी महीने के पहले सप्ताह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लंबी मुलाकात कर उन्हें प्रदेश के राजनैतिक हालात से अवगत कराया तथा प्रदेश में चल रही कांग्रेस की गतिविधियों की भी जानकारी दी थी।
इसके तत्काल बाद ही अपने विस क्षेत्र केवलारी सहित अन्य गेहूं खरीदी केन्द्रों के अपने घाोषित दौरे को रद्द कर हरवंश सिंह अचानक पहले भोपाल और फिर वहां से प्लेन से दिल्ली कूच कर गये। उनकी अचानक हुयी इस यात्रा को लेकर तरह तरह की चर्चायें जारी हैं। 
राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त चर्चा के अनुसार यह माना जा रहा हैं कांग्रेस अध्यक्ष से हुयी प्रदेश के नेताओं की हुयी मुलाकात के बाद हरवंश सिंह सफाई देकर अपना विस उपाध्यक्ष पद बचाने की जुगाड़ में गयें हैं। लोक लेखा समिति से  महेन्द्र सिंह की बिदायी के बाद विस उपाध्यक्ष पद पर किसी ओ.बी.सी. के विधायक को बैठाने की चर्चा चल पड़ी हैं। प्रदेश से राज्यसभा में ब्राम्हण और राज्पाल के पद पर मुस्लिम नेता की ताजपोशी के बाद विस उपाध्यक्ष पद पर पिछड़े वर्ग के विधायक को बिठाना उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद जरूरी माना जा रहा हैं।
दूसरी तरफ हरवंश समर्थक इंका नेताओं का दावा हैं कि ऐसा कुछ नहीं है वरन 2012 में दिल्ली के उप राज्यपाल  एवं उड़ीसा के राज्यपाल का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा हैं। प्रदेश से हाल ही में राज्यपाल के रूप में अजीज कुरैशी की नियुक्ति और केन्द्र में ठाकुर नेता के रूप में स्थापित दिग्गी राजा के यू.पी.चुनाव के बाद के हालातों को देखते हुये हरवंश सिंह राज्यपाल पद की जुगाड़ बिठाने में लगे हैं।अब इसमें सच्चायी क्या हैं? यह तो समय आने पर ही पता चलेगा।    
       




क्या नरेश की लालबत्ती खतरे में पड़ते देख जिला भाजपा ने अपना फोर लेन का आंदोलन समाप्त कर दिया?
फोर लेन फोर लेन के भाजपायी खेल का बहुत ही नाटकीय समापन हुआ। पहले दिन कमल और नरेश के साथ अध्यक्ष सुजीत जैन के अलावा विधायक द्वय नीता पटेरिया और शशि ठाकुर सहित नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी शामिल हुये। लेकिन अचानक ही ऐसा कुछ हुआ कि आंदोलन समाप्ति की घोषणा कर दी गयी। बताया गया कि प्राधिकरण के एक प्रतिनिधि ने, जिसके नाम तक का खुलासा नहीं किया गया,सूचित किया कि काम चालू हो गया हैं इसलिये आंदोलन समाप्त कर दिया गया। चर्चा है कि नरेश ने जा पद छोड़ने की घोषणा की थी आमरण अनशन में बैठने पर वह पद वास्तव में खतरे में पड़ जाता इसलिये येन केन प्रकारेण आंदोलन समाप्त कराया गया। पिछले कई सालों से हर साल लोक कल्याण शिविर का आयोजन किया जा रहा हैं। वास्तव में जिले आम आदमी इस उम्मीद से इन शिवरों में आते थे कि उनकी समस्याओं का मौके पर ही निपटारा हो जायेगा।इन शिवरों में समस्यायें सुलझती ही नहीं हैं तो धीरे धीरे लोगों का रुझान कम होते गया और लोगों ने इन शिवरों में आना बंद कर दिया।लेकिन भाजपा नेता इसके कारण तलाश कर निदान करने के बजाय यह कहने से कोई परहेज नहीं कर रहें हैं अब जब समस्यायें ही नहीं बचीं तो भला लोग आयेंगें क्यो?  
बहुत ही नाटकीय और चौंकाने वाला रहा भाजपा का रवैया-फोर लेन फोर लेन के भाजपायी खेल का बहुत ही नाटकीय समापन हुआ। बरघाट विस क्षेत्र केभाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने खस्ताहाल सड़क की मरम्मत के लिये पहले क्रमिक और फिर 7 मई से आमरण अनशन की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद मविप्रा के कबीना मंत्री का दर्जा प्राप्त पूर्व विधायक नरेश दिवाकर ने अनशन में साथ देने की घोषणा के साथ ही एक कदम आगे बढ़कर जरूरत पड़ने पर पद छोड़ने तक की घोषणा कर दी थी। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन ने भी समूची भाजपा के साथ होने की घोषणा कर दी थी। पूरे ताम झाम से अनशन की शुरुआत भी हुयी। पहले दिन कमल और नरेश के साथ अध्यक्ष सुजीत जैन के अलावा विधायक द्वय नीता पटेरिया और शशि ठाकुर सहित नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी शामिल हुये। पहले ही दिन एन.एच.ए.आई के अधिकारी ने लिखित में ठेके की मंजूरी की सूचना देकर अनशन ना करने की गुहार लगायी थी। लेकिन क्रमिकभूख हड़ताल चालू रखी गयी। 5 मई को प्रोजेक्ट डायरेक्टर सिंधई,मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर और जिला भाजपा के अध्यक्ष सुजीत जैन की उपस्थिति में भी आमरण अनशन स्थगित करने की मांग ठुकरा दी गयी थी। अगले दिन विधायक कमल मर्सकोले पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अनशन पर बैठ गये थे और अगले दिन से उनके साथ ही पूर्व घोषणा के अनुसार केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर को भी आमरण अनशन पर बैठना था। लेकिन अचानक ही ऐसा कुछ हुआ कि आंदोलन समाप्ति की घोषणा कर दी गयी। बताया गया कि प्राधिकरण के एक प्रतिनिधि ने, जिसके नाम तक का खुलासा नहीं किया गया,सूचित किया कि काम चालू हो गया हैं इसलिये आंदोलन समाप्त कर दिया गया। वरिष्ठ अधिकारियों के आग्रह को ठुकराने वाले भाजपा नेताओं को प्राधिकरण के किस प्रतिनिधि ने कान में ऐसा क्या फूंक दिया कि आंदोलन समाप्त कर दिया गया? यह यक्ष प्रश्न आज भी चर्चित हैं। 
लालबत्ती बनाम फोरलेन- राजनैतिक क्षेत्रों में यह भी चर्चा है कि यदि आमरण अनशन प्रारंभ हो जाता तो अपनी घोषणा के अनुसार मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर को भी आमरण अनशन पर बैठना पड़ता या फिर अपनी घोषणा से पीछे हटना पड़ता।इस संर्दभ में नगर के बुद्धिजीवी रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी का बयशन बहुत ही रोचक और सही लगता हैं कि तीन लोगों नरेश,सिघई और सुजीत ने आदिवासी विधायक को छना पानी पिलाकर राजनैतिक मात दे दी। यह भी कहा जा रहा हैं कि जिस पद को जरूरत पड़ने पर छोड़ने की घोषणा नरेश दिवाकर ने की थी यदि वे आमरण अनशन पर बैठ जाते तो वह पद वास्तव में खतरे में पड़ सकता था। यदि नहीं बैठते तो राजनैतिक थू थू होना निश्चित था। इसीलिये येने केन प्रकारेण आंदलन को समाप्त करने का षडयंत्र किया जिससे ना केवल अपने क्षेत्र में कमल मर्सकोले की वरन पूरे जिले में भाजपा की स्थिति हास्यास्पद हो गयी क्योंकि सभी इस बात को जानते थे कि सड़क मरम्मत के लिये केन्द्र सरकार लगभग 17 करोड़ रुपये मंजूर कर चुकी हैं और उसके टेंड़र भी हो चुके हैं तथा अनुबंध होकर सिर्फ काम चालू होना ही शेष था। लोगों में यह भी चर्चा है कि बमुश्किल मिली लालबत्ती बचाने के लिये यह सब कुछ किया गया क्योंकि आज तक प्रदेश के इतिहास में शायद ऐसा कोई उदाहरण नहीं हैं कि कोई मंत्री या मंत्री का दर्जा प्राप्त कोई नेता आमरण अनशन में बैठा हो। लोग यह भी सवाल उठा रहें हैं कि क्या नरेश की लालबत्ती खतरे में पड़ते देख जिला भाजपा ने अपना फोर लेन का आंदोलन समाप्त कर दिया?
समस्यायें ही नहीं तो लोग शिविर में आयेंगें क्यों?- आम आदमियों की समस्याओं को सुलझाने के लिये प्रदेश सरकार जिला स्तर पर लोक कल्याण शिवरों का आयोजन करती हैं। पिछले कई सालों से हर साल यह आयोजन किया जा रहा हैं। कई बार कई जिलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इन शिवरों में शामिल हुये हैं। एक समय था जब जिले भर से भारी संख्या में लोग इन शिवरों में आते थे और समूचा वातावरण एक मेले के जैसा हो जाता था। लेकिन धीरे धीरे हालात बिगड़ते गये और अब आम आदमियों की उपस्थिति इन आयोजनों में ना के बराबर रहने लगी।हाल ही में जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर गोपालगंज में आयोजित किया गया। इसके मुख्य अतिथि सिवनी के पूर्व विधायक और मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर थे जबकि अध्यक्षता सिवनी की विधायक एवं महिला मोर्चे की अध्यक्ष नीता पटेरिया थीं। अखबारों में प्रकाशित समाचारों से इस बात का खुलासा हुआ कि इस शिविर में ना के बराबर लोग शामिल हुये। कम उपस्थिति पर अतिथियों की यह टीप भी समाचार पत्र में प्रकाशित हुयी कि अब लोगों की समस्यायें ही नहीं रह गयीं हैं इसलिये लोग कम आते हैं।भाजपा के इन वरिष्ठ नेताओं की इस टिप्पणी से शायद ही कोई इत्फाक रखता होगा। वास्तव में जिले आम आदमी इस उम्मीद से इन शिवरों में आते थे कि उनकी समस्याओं का मौके पर ही निपटारा हो जायेगा। लेकिन लोगों ने जब देखा कि इन शिवरों में समस्यायें सुलझती ही नहीं हैं तो धीरे धीरे लोगों का रुझान कम होते गया और लोगों ने आना बंद कर दिया। आम तौर पर यह देखा जा रहा था कि लगभग सभी विभाग मौके पर समस्यायें निपटाने के बजाय अगली तारीख देकर उसे डिस्पोज्ड मान लेते थे। सरकार और प्रशासन के इस रवैरूये से परेशान होकर लोगों ने आना बंद कर दिया लेकिन भाजपा नेता इसके कारण तलाश कर निदान करने के बजाय यह कहने से कोई परहेज नहीं कर रहें हैं अब जब समस्यायें ही नहीं बचीं तो भला लोग आयेंगें क्यो? प्रदेश के जिम्मेदार भाजपा नेताओं की ऐसी टिप्पणी के बाद तो अब सुधार की कोई संभावना भी शेष नहीं रह गयी हैं।
और अंत में- भाजपा के फोर लेन आंदोलन के बाद कांग्रेस के मुंगवानी रोड़ के आंदोलन के बारे में भी लोग यही चर्चा कर रहें हैं कि कांग्रेस भी उनसे पीछे नहीं रहना चाहती हैं। मुंगवानी रोड़ के धुर्रे भी लगभग तीन साल से उड़ चुके थे। लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा था।हालांकि यह बात भी सही है कि पुरोने ठेकेदार को ब्लेक लिस्टेड कर दिया गया था और नया टेंड़र भी हो गया था। परंतु ठेकेदार काम ही चालू ही नहीं कर रहा था। कांग्रेस ने इस दिशा में पहल की और आंदोलन की शुरुआत कर दी थी। काम चालू हो जाने के बाद ही कांग्रेस का यह आंदोलन समाप्त हुआ। लेकिन अभी भी इस बात की जरूरतम महसूस की जा रही हैं कि ठेकेदार लगातार तेजी से काम चालू रखे और कहीं ऐसा ना हो जाये कि आंदोलन समाप्त हो जाने के बाद ठेकेदार और विभाग फिर कुंभकरणीय नींद में सो जाये। “मुसाफिर“      
साप. दर्पण झूठ ना बोले ख् सिवनी से साभार

Sunday, May 6, 2012


और आखिर आमरण अनशन पर नहीं बैठे नरेश और कमल
सिवनी। जीवन रेखा कहलाने वाली सड़क जानलेवा बन गयी थी जिसके सुधार कार्य के प्रारंभ ना होने तक अनशन चलाने तथा 7 मई से आमरण अनशन की घोषणा करने वाले भाजपा नेताओं ने 6 मई को अनशन समाप्त कर दिया हैं। पिछले दिनों अनशन स्थल पर 2 और 5 मई को अधिकारियों के आग्रह को ठुकरा कर आमरण अनशन के लिये संकल्पित नेताओं द्वारा 24 घंटों के अंदर ही अनशन समाप्ति की घोषणा को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हैं। 
उल्लेखनीय है कि बरघाट क्षेत्र के भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने यह घोषणा की थी कि यदि दो मई के पहले एन.एच.ए.आई. सड़क सुधार का काम शुरू नहीं करती हैं तो वे पहले क्रमिक भूख हड़ताल और फिर सात मई से आमरण अनशन करेंगें। इसके अखबारों में प्रकाशित होते ही मविप्रा के कबीना मंत्री का दर्जा प्राप्त पूर्व विधायक नरेश दिवाकर ने भी सहभागी होने की घोषणा की वरन एक कदम आगे जाकर पद तक छोड़ देने की बात कही थी। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कमल मर्सकोले ने पार्टी से अनुमति ली है और पूरी भाजपा अनशन में साथ रहेगी। 
विगत दो मई को जब काम प्रारंभ ना होने पर भाजपा का यह अनशन चालू हुआ तो प्राधिकरण के प्रतिनिधि श्री पुरी ने बाकायदा लिखित पत्र देकर यह सूचित किया कि प्राधिकरण के दिल्ली कार्यालय से 30 अप्रेल को टेंड़र स्वीकृत हो गया है इसलिये अब आंदोलन वापस ले लिया जाये। लेकिन मौके पर मौजूद मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर,जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन एवं विधायक कमल मर्सकोले ने इस आग्रह को ठुकरा दिया और काम चालू ना होने तक अनशन चलने की बात कही थी।
सात मई से होने वाले आमरण अनशन में विधायक कमल मर्सकोले एवं मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर बैठने वाले थे। लेकिन 5 मई को प्राधिकरण के पी.डी. सिंघई,पुरी एवं ठेकेदार के अलावा मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर एवं पार्टी अध्यक्ष सुजीत जैन पहुंचे और आंदोलन स्थल पर पहुंचे और चर्चा हुयी कि जल्दी ही काम चालू हो जायेगा अतः आमरण अनशन ना किया जाये। तब भी काम चालू होने पर ही आंदोलन बंद करने की बात की गयी।
कुछ ही घंटों बाद चक्र कुछ ऐसी तेजी से घूमा कि अचानक ही 6 मई को यह कह कर भाजपा ने अपना आंदोलन आमरण अनशन चालू होने के पहले ही समाप्त घोषित कर दिया कि एन.एच.ए.आई. के एक प्रतिनिधि द्वारा काम शुरू करने की सूचना दी गयी हैं।
चौबीस घंटों के अंदर ही आनन फानन में जिला भाजपा के आंदोलन की समाप्ति की घोषणा को लेकर तरह तरह की अटकलें लगना चालू गयीं हैं। आम तौर पर यह भी चर्चा हो रही हैं तीन दिन के अंदर केन्द्र सरकार को झुका लेने का दावा करने वाली भाजपा के इस आंदोलन से आखिर जिले और फोर लेन को क्या मिला? यह भी चर्चा है कि जैसे आनन फानन में पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मिलने के बाद अपने अनशन की समाप्ति की घोषणा कर भाजपा को ही चौंका दिया था उसी तरह इस घोषणा को भी चौकाने वाली मानने वालों की कमी नहीं हैं।           

प्राधिकरण  द्वारा सड़क सुधारने का श्रेय लेने के चक्कर में  कमलनाथ और जोशी के साथ राहुल गांधी का भी आभार व्यक्त  कर दिया हरवंश ने
 इन दिनों जिले में टेंकरों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में विज्ञप्ति युद्ध छिड़ा हुआ हैं। हरवंश,बसोरी और नीता द्वारा जिले में टेंकर बांटे गयें हैं । जिसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में बयानबाजी जारी हैं। गंभीरता से जांच की मांग ना होने से यह बयानबाजी ना केवल राजनैतिक शिगूफा समझी जा रही है वरन इसे एक दूसरे को बचाने का एक खेल भी समझा जा सकता हैं। जिले की फोर लेन के मामले को लेकर इन दिनों राजनीति फिर गर्मायी हुयी है। जिले के सभी नेता फोर लेन फोर लेन खेल अपने अपने तरीके से खेल रहें हैं। अब सड़क के नवीनीकरण के लिये मंजूर की गयी राशि एवं जल्दी काम शुरू करने को लेकर नेताओं में होड़ मची हुयी हैं। प्राधिकरण का प्रस्ताव जिले में वन विभाग के पास लंबित रहा। लेकिन इस दौरान इसके स्वयंभू ब्रांड़ एम्बेसडर बने नेताओं के अलावा किसी ने भी इसे जिले से जल्दी भोपाल भेजने के लियें शहर के ही वन विभाग के आफिस में दस्तक तक नहीं दी।विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने राशि स्वीकृत कराने का श्रेय लेते हुये जो आभार व्यक्त किया वह भी राजनैतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया हैं। उन्होंने खुद श्रेय लेने के चक्कर में राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ और सी.पी.जोशी का भी आभार व्यक्त दिया हैं।                                                                
घटिया टेंकरों को लेकर इंका भाजपा में चल रही कोरी बयानबाजी -इन दिनों जिले में टेंकरों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में विज्ञप्ति युद्ध छिड़ा हुआ हैं।पहले केवलारी विधायक हरवंश सिंह और मेड़ला सांसद बसोरी सिंह द्वारा केवलारी क्षेत्र में बांटें गये घटिया टेंकरों पर भाजपा के नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी ने विज्ञप्ति जारी कर सवाल उठाया और कहा कि हरवंश सिंह के कमीशनखोरी में अब तो कबाड़ियों से संबंध उजागर हो गये हैं।इसी बीच सिवनी नपा को दिये टेंकर सुर्खियों में आये जो कि विधायक नीता पटेरिया ने अपनी विधायक निधि से दिये थे। एक टेंकर से बहते पानी की फोटो मीडिया में चर्चित रही। इस पर नगर इंकाध्यक्ष इमरान पटेल ने विज्ञप्ति जारी कर विधायक पर निधि के दुरुपयोग पर आपराधिक मामला दर्ज करने की बात कही। इसके जवाब में भाजपा ने उल्टे कांग्रेस पर आरोप लगाते हुये यह तक कह डाला कि यह कांग्रेसियों का षडयंत्र हैं विधायक को बदनाम करने का। नीता पटेरिया ने तो सारे सरकारी नियमों का पालन करते हुये टेंकरों की खरीदी की हैं जबकि इंका विधायक हरवंश सिंह ने सरकारी नियमों को बलाये ताक रख कर इसमें भ्रष्टाचार किया हैं। इस मामले में सवाल यह उठता हैं कि यदि कांग्रेस और भाजपा को यह लगता हैं कि टेंकरों की खरीदी में लापरवाही की गयी हैं या भ्रष्टाचार किया गया हैं तो बाकायदा शिकायत करके इन मामलों की जांच कराना चाहिये ताकि इसका खुलासा हो सके कि क्या टेंकरो के मामले में भ्रष्टाचार हुआ हैं या नहीं? इसका खुलासा जनता के सामने होना चाहिये। वरना यही समझा जायेगा कि यदि सामने वाले ने भ्रष्टाचार किया हैं तो अपना भ्रष्टाचार जायज हैं। इस खरीदी में यदि नियमों की अनदेखी हुयी हैं या घटिया टेंकर बांटें गये हैं तो इसकी जांच कराने की कार्यवाही करना चाहिये। वरना यह बयानबाजी ना केवल राजनैतिक शिगूफा समझी जायेगी वरन इसे एक दूसरे को बचाने का एक खेल भी समझा जा सकता हैं। 
सभी नेता खेल रहे हैं फोर लेन फोर लेन खेल-जिले की फोर लेन के मामले को लेकर इन दिनों राजनीति फिर गर्मायी हुयी है। जिले के सभी नेता फोर लेन फोर लेन खेल अपने अपने तरीके से खेल रहें हैं। जबकि वास्तविकता यह हैं कि मोहगांव से खवासा तक वर्तमान टू लेन रोड़ की मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिये केन्द्र सरकार के भू तल परिवहन विभाग ने इस साल जनवरी में लगभग 17 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 17 मार्च 2012 को इस काम के लिये टेंड़र भी लग गये थे। टेंड़र खुलने के बाद यह कार्य गुना की राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था। प्रंाधिकरण के भोपाल कार्यालय से यह टेंड़र मंजूरी के लिये दिल्ली गया हुआ था जहां से इसे 30 अप्रेल 2012 को स्वीकृति भी मिल गयी हैं। उत्तर दक्षिण गलियारे के तहत बनने वाले फोर लेन का प्रस्ताव भी वन विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को भेज दिया गया हैं। बताया जाता हैं कि प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार नवम्बर 2011 में मुख्य संरक्षक वन विभाग के कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया गया था जो कि अप्रेल के महीने में राज्य सरकार को भेज दिया गया हैं। प्रदेश सरकार से स्वीकृति के बाद यह केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। अब सड़क के नवीनीकरण के लिये मंजूर की गयी राशि एवं जल्दी काम शुरू करने को लेकर नेताओं में होड़ मची हुयी हैं। 
श्रेय लेने के लियेहुआ आभार व्यक्त करने का खेल-पिछले लगभग तीन सालों से जिले की जीवन रेखा मानी जाने वाली फोर लेन को लेकर सरगर्मी बनी रहती हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद लगभग छः महीने तक प्राधिकरण का प्रस्ताव जिले में वन विभाग के पास लंबित रहा। लेकिन इस दौरान इसके स्वयंभू ब्रांड़ एम्बेसडर बने नेताओं के अलावा किसी ने भी इसे जिले से जल्दी भोपाल भेजने के लियें शहर के ही वन विभाग के आफिस में दस्तक तक नहीं दी। ऐसा इसलिये भी कहा जा सकता हैं कि ऐसी कोई विज्ञप्ति भी किसी की अखबारों में प्रकाशित नहीं हुयी। मीडिया के कुछ साथी जरूर इस दिशा में प्रयासरत रहें और उन्होंने प्राधिकरण और वन विभाग के कार्यालयों में संपर्क साधे रखा। लेकिन जब अखबारों में यह खबर सुर्खियों में आयी कि बरसात में यह मार्ग बंद हो सकता हैंु तो कुछ लोगों ने इसे भी षड़यंत्र के रूप में प्रचारित तो किया लेकिन कोई कारगर पहल नहीं की। सड़क की मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिये राशि स्वीकृत हो चुकी है और इसके टेंड़र की मंजूरी की प्रक्रिया जारी थी। लेकिन प्राधिकरण की लापरवाही के कारण लोगों को विश्वास ही नहीं था कि काम जल्दी प्रारंभ हो जायेगा। इसके लिये पहल बरघाट के भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने की और कलेक्टर को पत्र लिखकर यह घोषणा कर दी कि वे 2 मई से क्रमिक एवं 7 मई से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ जायेंगें। मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने भी अपनी सहमति देते हुये एक कदम आगे बढ़कर यह घोषणा भी कर डाली कि यदि जरूरत पड़ी तो वे लालबत्ती को भी छोड़ देंगें। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के साथ ही विधायक नीता पटेरिया और शशि ठाकुर भी इसमें शामिल हो गये। हालांकि प्राधिकरण के अधिकारी दो बार अनशन स्थल पर जाकर आंदोलनकारियों को आंदोलन समाप्त करने का आग्रह कर चुके हैं लेकिनविधायक कमल मर्सकोले अपनी बात पर अडिगहैं और उन्होंने घोषणा की हैं कि यदि 7 मई तक काम चालू नहीं होता तो वे अपनी घोषणा के अनुसार आमरण अनशन पर बैठ जायेंगें।  इसी बीच टेंड़र स्वीकृति की खबर मिलते ही जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने राशि स्वीकृत कराने का श्रेय लेते हुये जो आभार व्यक्त किया वह भी राजनैतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया हैं। उन्होंने इंका के महासचिव राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ और सी.पी.जोशी तक का आभार व्यक्त कर दिया। लगभग 18 महीने पहले राहुल सिवनी आये थे और उन्होंने इस मामले में लोगों को आश्वस्त किया था कि शीघ्र ही यह मामला सुलझा दिया जायेगा। लेकिन हरवंश के आभार से ऐसा संदेश गया कि राहुल गांधी इतने दिनों में केवल मरम्मत के लिये ही राशि दिलवा पाये ।जबकि प्रशासनिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जबलपुर के एक वकील द्वारा हाई कोर्ट में लगायी गयी जनहित याचिका में प्राधिकरण ने कोर्ट में जो कहा था उसके ही परिपालन में यह राशि स्वीकृत हुयी हैं। इसी लिये राशि मांगने या स्वीकृति मिलने पर किसी ने भी किसी का आभार व्यक्त नहीं किया था। “मुसाफिर“

साप्ता. दर्पण झूठ ना बोले अखार से साभार