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Monday, September 29, 2014

पल्लू कांड़ को  राजनैतिक चश्मों से क्यों ना देखा जाये लेकिन सामाजिक रूप से उचित ठहराना संभव दिखायी नहीं देता 
विगत दिनों 17 सितम्बर को स्थानीय पॉलेटेक्निक कालेज के मैदान में कृषि महोत्सव का शासकीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री गौरीशंकर बिसेन सहित कई जनप्रतिनिधि,भाजपा नेता और प्रशासकीय अधिकारी मंच पर मौजूद थे। यह भी एक संयोग ही था कि इसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन भी था। मंच पर मौजूद सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश मुनमुन राय ने अपने हाथों में लगी कालिख पौंछने के लिये उनके बाजू में खड़ी भाजपा की पूर्व सांसद,विधायक एवं प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष और प्रदेश भाजपा की मंत्री नीता पटेरिया की साड़ी के पल्लू का चुपके से उपयोग कर लिया।  भाजपा ने इस घटना की निंदा करके चुप्पी साध ली जबकि कांग्रेस ने निंदा करने के साथ ही कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। इस घटना की तीखी निंदा करने के साथ ही जिला ब्राम्हण समाज ने धरना का आयोजन किया। इसमें उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया। जब वे अपने लाये हुये लोगों के सामने सफायी दे रहे थे तब ये तमाम लोग उत्साहित होकर नारे लगा रहे थे कि मुनमुन भैया संघंर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। वैसे तो यह भी नहीं कहा जा सकता है कि उनमें से भला कितने लोगों को यह पता था कि मुनमुन  भैया तो मंच पर अपने हाथों में लगी कालिख को पौंछने के लिये नीता जी के पल्लू से संघर्ष कर रहे थे 
मोदी के जन्म दिन पर सार्वजनिक मंच पर हुआ भाजपा नेत्री का अपमान:-विगत दिनों 17 सितम्बर को स्थानीय पॉलेटेक्निक कालेज के मैदान में कृषि महोत्सव का शासकीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री गौरीशंकर बिसेन सहित कई जनप्रतिनिधि,भाजपा नेता और प्रशासकीय अधिकारी मंच पर मौजूद थे। यह भी एक संयोग ही था कि इसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन भी था। इसी कार्यक्रम को कवर करने के लिये लगे वीडियो कैमरों में मंच की एक अशोभनीय घटना भी कैद हो गयी। मंच पर मौजूद सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश मुनमुन राय ने अपने हाथों में लगी कालिख पौंछने के लिये उनके बाजू में खड़ी भाजपा की पूर्व सांसद,विधायक एवं प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष और प्रदेश भाजपा की मंत्री नीता पटेरिया की साड़ी के पल्लू का चुपके से उपयोग कर लिया। चुपके से ऐसा करने के बाद जब उन्होंने पलट कर बाजू में देखा तो उनके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान सी दिख रही थी और उन्होंने चेहरे पर एक ऐसी हरकत करके सिर हिलाया जिसे समाज में अच्छा नहीं माना जाता है। सोशल मीडिया पर इस घटना के दो वीडियो ने चंद घंटों में ही हड़कंप मचा दिया। इसे सार्वजनिक शासकीय मंच पर एक महिला के साथ हुये अपमान से जोड़कर देखा गया और निंदा तथा आलोचना का दौर शुरू हो गया। नीता पटेरिया ने कहा कि उन्हें वाडियो देखने के बाद घटना का पता चला तो दूसरी तरफ मुनमुन राय ने कहा कि वे नीता पटेरिया को मां,बहन और भाभी मानते हैं और मंच पर हुआ वो हास्य विनोद के क्षण थे। फिर भी यदि बुरा लगा हो तो वे माफी मांगते है। दूसरे दिन नपा के सामने मुनमुन राय का भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने पुतला जलाया और पुलिस में घटना की कंपलेंट की लेकिन नीता पटेरिया ने रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी। इस घटना के समाचार राष्ट्रीय और प्रादेशिक चैनलों के साथ ही अखबारों की भी सुर्खी बनी और राजनैतिक हल्कों में एक भूचाल सा आ गया। 
कांग्रेस ने सौंपा ज्ञापन तो भाजपा ने की निंदा:- इस घटना को लेकर कांग्रेस और भाजपा ने विज्ञप्ति जारी कर घटना की निंदा की और इसे महिला अपमान के साथ के साथ जनादेश का अपमान भी निरूपित किया। लेकिन इसके बाद भाजपा ने चुप्पी साघ ली। कहा जाता है दूसरे वीडियों में जिला भाजपा अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर भी विवाद में आ गये थे। कांग्रेस नेताओं ने बाद में कलेंक्टर से मुलाकत कर ज्ञापन भी सौंपा और प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी कटघरें में खड़ा किया कि एक वरिष्ठ महिला नेत्री के साथ हुये अपमान पर सरकार और प्रशासन चुप्पी साधे हुये है। इसके अलावा भ कई संगठनों और दलों ने भी घटना की निंदा की और इसे महिला का अपमान निरूपित किया।
ब्राम्हण समाज ने दिश धरनाः- इस घटना की तीखी निंदा करने के साथ ही जिला ब्राम्हण समाज ने धरने का आयोजन किया। इसमें उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया। इसमें पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेत्री नेहा सिंह और विस प्रत्याशी राजकुमार पप्पू खुराना सहिीत कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने हिस्सा लेकर धटना की निंदा कर कार्यवाही की मांग भी की। धरने के बाद नीता पटेरिया ने एस.पी. से भेंट करके एक ज्ञापन भी सौंपा और इस बात पर अपनी नाराजगी भी जताई कि मेरे बयान होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। हालांकि यहां यह उल्लेखनीय है कि पुलिस थाने में स्वयं नीता पटेरिश ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी है। उन्होंने राज्य महिला आयोग में जरूर अपनी शिकायत दी है। 
मुनमुन ने भी किया शक्ति प्रदर्शन:- जिस दिन ब्राम्हण समाज के बैनर पर महिला अपमान के विरोध में धरना प्रदर्शन हो रहा था तो वहीं दूसरी तरफ चंद कदमों दूर विधायक मुनमुन राय अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे। जिले भर से आयी सैकड़ों गाड़िया ओर में लाये गये हजारों लोगों का उत्साह देखने लायक था। राजनैतिक विश्लेषकों की आंखों के सामने वह दिन आ गया जब तत्कालीन भाजपा सांसद नीता पटेरिया की रिपोर्ट पर तत्कालीन कांग्रेस विधायक स्व. हरवंश सिंह के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला धारा 307 के तहत कायम हुआ था तो उन्होंने न्याय रैली आयोजित की थी जिसमें ऐसी ही भीड़ जुटायी गयी थी। स्व. हरवंश सिंह ने न्याय रैली की थी तो अभी मुनमुन जनता से न्याय मांग रहे थे। अभी यदि रिपोर्ट पर पुलिस मामला कायम करती है तो वो भी धारा 354 का होता। जनता के सामने मुनमुन ने अपनी पुरानी मां,बहन और भाभी वाली सफायी देते हुये कांग्रेस और भाजपा नेताओं पर आरोप भी लगा डाला कि वे उनकी जीत  और लोकप्रियता से जलते है इसलिये धज्जी का सांप बना रहें हैं। जब वे अपने लाये हुये लोगों के सामने सफायी दे रहे थे तब ये तमाम लोग उत्साहित होकर नारे लगा रहे थे कि मुनमुन भैया संघंर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। वैसे तो यह भी नहीं कहा जा सकता है कि उनमें से भला कितने लोगों को यह पता था कि मुनमुन  भैया तो मंच पर अपने हाथों में लगी कालिख को पौंछने के लिये नीता जी के पल्लू से संघर्ष कर रहे थे और इस मामले में घिर जाने पर ही उन्हें यहां गाड़ियां भेज कर बुलाया गया था। कुछ लोग इस बात को लेकर भी लेकर आश्चर्यचकित है कि एक ही दिन लगभग एक ही जगह एक ही मुद्दे पर आयोजित होने वाले दो विपरीत आंदोलनों के लिये अनुमति कैसे दे दी गयी? यह भी बताया गया कि शक्ति प्रदर्शन के दूसरे ही दिन वे विदेश यात्रा पर चले गये हैं। बहरहाल उस दिन मंच पर घटित पल्लू कांड़ को कितने ही राजनैतिक चश्मों से क्यों ना देखा जाये?लेकिन सामाजिक रूप से इसे उचित ठहराना तो संभव दिखायी नहीं देता है। “मुसाफिर
 sABHAR Darpan Jhoot Na Bole
Seoni 
30 Sep 2014




















   



Monday, September 15, 2014

मान ना मान मैं तेरा मेहमान की तर्ज पर समन्वयक बने मुनमुन की बैठक में पार्षदों का ना आना सियासी हल्कों में हुआ चर्चित 
इन दिनों चाहे सोशल मीडिया की हो या मीडिया दोनों पर ही नगरपालिका की राजनीति गर्मायी हुयी है। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के बीच नवीन जलावर्धन योजना को लेकर द्वंद छिड़ा हुआ है। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने अपने सिवनी प्रवास के दौरान जिले की नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिये सौ करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। पालिका के इस विवाद में “मान ना मान,मैं तेरा मेहमान ”की तर्ज में सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने इस विवाद को सुलझाने और नगर विकास को लेकर पार्षदों की एक बैठक बुला ली। लेकिन इस बैठक में पार्षद आये ही नहीं। घटिया निर्माण कार्य के कारण चालू होते ही शहर की वर्तमान भीमगढ़ जलावर्धन योजना विवादों के घेरे में रही है। यह योजना शुरू से ही दुगनी बिजली खपत के बाद भी आधा पानी देती रही है जिसके कारण पालिका पर अक्सर ही करोड़ों रुपयों का बिजली बिल बकाया रहता रहा है। शहर में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी प्रतिदिन दिया जायेगा जिसमें 85 लीटर प्रति व्यक्ति नयी योजना से और 50 नीटर प्रति व्यक्ति पुरानी विवादित सफेद हाथी साबित हो चुकी योजना से प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे हालात में नगरपालिका को इस योजना के भारी भरकम बिल के अलावा नयी जलावर्धन योजना का बिजली का बिल भी भरना होगा।
मुनमुन की बैठक में नहीं आये पार्षदंः-इन दिनों चाहे सोशल मीडिया की हो या मीडिया दोनों पर ही नगरपालिका की राजनीति गर्मायी हुयी है। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के बीच नवीन जलावर्धन योजना को लेकर द्वंद छिड़ा हुआ है। यहां यह विशेष् रूप से उल्लेखनीय है कि तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने अपने सिवनी प्रवास के दौरान जिले की नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिये सौ करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। इस संबंध में मुख्यनगरपालिका अधिकारी द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि केन्द्रसरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय के द्वारा दिये जाने वाले अंशदान से कुलराशि 47 करोड़ 36 लाख रु. की राशि इस हेतु स्वीकृत की गयी है। साथ ही यह भी बताया गया है कि राज्य तकनीकी समिति द्वारा 62 करोड़ 55 लाख रु. की निविदा लागत स्वीकृत की गयी है। इसमें वर्तमान तथा नवीन जलावर्धन योजना के पांच साल के रख रखाव और संचालित करने का व्यय भी ठेकेदार द्वारा किया जाना प्रसतवित है। इस योजना हेतु स्वीकृत राशि और निविदा की राशि को लेकर ही विवाद प्रारंभ हुआ है। इससे यह सवाल उठना स्वभाविक ही है कि आखिर 15 करोड़ 19 लाख रु. की अतिरिक्त राशि निविदा में कैसे आयी और अंतर की यह राशि पालिका को मिलगी कहां से? आम तौर पर यह माना जा रहा है कि ये अंतर की राशि की बंदर बांट करनंे के लिये ही बढ़ायी गयी है। इसे लेकर पालिका के कांग्रेसी पार्षद लामबंद हो गयें हैं वहीं पालिका के भाजपा पार्षदों का भी अपने अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को समर्थन नहीं है। बीते कई दिनों से दोनों पक्षों का यह विवाद सुर्खियों में बना हुआ है। यह भी सही है कि जब किन्हीं दो पक्षों के बीच विवाद हो जाता है तो उसे सुलझाने के लिये दोनों ही पक्ष अपने किसी विश्वास प्राप्त व्यक्ति को पंच बनाकर उसे सुलझाने का काम करते है। लेकिन पालिका के इस विवाद में “मान ना मान,मैं तेरा मेहमान  ”की तर्ज में सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने इस विवाद को सुलझाने और नगर विकास को लेकर पार्षदों की एक बैठक बुला ली। लेकिन इस बैठक में पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के अलावा भाजपा पार्षद श्याम शोले के अलावा कोई भी पार्षद उसमें नहीं आया। कुछ अखबारों में यह भी छपा कि कांग्रेस पार्षद दल के नेता शफीक पार्षद भी उसमें उपस्थित थे। इसके बावजूद भी विधायक मुनमुन राय ने अपनी निधि से नगर विकास के लिये 25 लाख रु. की राशि देने की घोषणा की जो कि शायद इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था। हालांकि यह कहना भी गलत होगा कि मुनमुन को नपा के मामलो से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि यह उनके विस क्षेत्र के मुख्यालय की पालिका है लेकिन नपा चुनाव के दो तीन महीने पहले ही नगर की सुध लेना कुछ और ही कहानी कहती नजर आ रही है। राजनैतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि नपा में चुनावों में भाजपा की जीत हार में मुनमुन की भूमिका ही निर्णायक रहने वाली है। इसमें उन्हें अपने चुनाव में नगर में मिली भारी बढ़त और मुस्लिम वार्डों में मिले वोटों को कारण बताया जा रहा है। इसमें उनकी क्या रणनीति होगी? यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा।
भाजपा राज में वेदसिंह और इंका राज में आशुतोष भी नही करा पाये थे जांचः- घटिया निर्माण कार्य के कारण चालू होते ही शहर की वर्तमान भीमगढ़ जलावर्धन योजना विवादों के घेरे में रही है। यह योजना शुरू से ही दुगनी बिजली खपत के बाद भी आधा पानी देती रही है जिसके कारण पालिका पर अक्सर ही करोड़ों रुपयों का बिजली बिल बकाया रहता रहा है।शहर के लिये सफेद हाथी साबित हो चुकी इस योजना की जांच के लिये कांग्रेस शासनकाल में सिवनी विस के इंका प्रत्याशी रहे आशुतोष वर्मा ने इस मुद्दे पर जांच की मांग तो कांग्रेस शासनकाल में जरूर उठायी लेकिन कोई कारगर जांच नहीं हो पायी। इसके बाद जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उमा भारती के शासनकाल में जिला भाजपा अध्यक्ष रहे वेदसिंह ठाकुर ने फिर एक बार इस मामले में शिकायत की लेकिन इस परियोजना की फिर भी जांच नहीं हो पायी। इसमें घपले करने वाले हाथ काफी ताकतवर थे। इस योजना के क्रियान्वयन के दौरान सिवनी में पदस्थ पी.एच.ई. के कार्यपालन यंत्री जोशी जबलपुर संभाग के संघ के प्रमुख स्तंभ रहे स्व. बाबूराव जी परांजपे के निकट रिश्तेदार थे और उस विभाग के मंत्री उस दौरान स्व. हरवंश सिंह थे। उस वक्त इस योजना के घटिया काम को लेकर एक दुर्गा मंड़प में झांकी भी लगायी गयी थी। तकनीकी लोगों का यह मानना है कि इस योजना में निर्धारिम मानदंड़ों के पाइप नहीं लगे है। जितनी रफ्तार और मात्रा में पानी फेंकने के लिये मोटर पंप लगाये लगाये हैं उसकी लगभग आधी क्षमता के पाइप का उपयोग किया गया है। इसीलिये टेस्टिंग के समय जब पूरी रफ्तार से पानी छोड़ा गया था तो छोटे मिशन स्कूल के पास एक जमीन से उखड़कर लगभग खड़ा हो गया था और एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गयी थी क्योंकि कुछ समय पहले ही स्कूल की छुट्ठी हो चुकी थी। उसके बाद से मोटर पंपों से लगभग आधी मात्रा ममें नियंत्रित करके पानी छोड़ा जाता है जिसके कारण पंप अपनी क्षमता से दुगने समय तक चलने के बाद भी शहर की स्ीाी टंकियशें को दिन में एक बार भी पूरा नहीं भर पाते थे जबकि तकनीकी स्वीकृति के अनुसार दिन में दो बार में 12 एमएलडी पानी टंकियों में भरा जाना चाहिये था। दुगने समय तक पंपों को चलाने कारण प्राकल्लन में किया गया विद्युत खपत का आकलन फेल हो गया और लगभग दुगनी बिजली की खपत होने लगी जिसका बोझ नगरपालिका आज भी नहीं झेल पा रही है। हाल ही में जो प्रस्ताव जलावर्धन योजना को लेकर सामने आयें हैं उसके अनुसार शहर में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी प्रतिदिन दिया जायेगा जिसमें 85 लीटर प्रति व्यक्ति नयी योजना से और 50 नीटर प्रति व्यक्ति पुरानी विवादित सफेद हाथी साबित हो चुकी योजना से प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे हालात में नगरपालिका को इस योजना के भारी भरकम बिल के अलावा नयी जलावर्धन योजना का बिजली का बिल भी भरना होगा। ये कैसे संभव होगा? इसे लेकर नगर के सभी कर्णधार फिलहाल तो मौन ही है। “मुसाफिर”
साप्ता. दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
16 सितम्बर 2014 से साभार 

Wednesday, September 3, 2014

विधान सभा में मुनमुन ने बागरी जाति का मामला तो उठाया लेकिन उससे बागरी समाज के हित पूरे होते नहीं दिख रहें है
हाल ही में हुये विस सत्र में जिले के बागरी समाज के लोगों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र मिलना बंद हो जाने का मामला सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने उठाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जवाब देकर मामले को समाप्त कर दिया कि केन्द्र सरकार की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रमाण प. देना बंद किये गये हैं। बागरी समाज का यह विवाद  1998 के विस चुनाव के पहले से चल रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में प्रमाण पत्र जारी नही होंगें इसकी भनक जैसे ही समाज के लोगों को लगी वैसे ही पूरी समाज में हड़कंप मच गया। बागरी समाज के तत्कालीन अध्यक्ष स्व. हिम्मत सिंह बघेल के नेतृत्व में जिला मुख्यालय में एक विशाल जुलूस निकाला गया था। किसी पार्टी में की गयी कोई शिकायत पर भी नौ महीन बाद कार्यवाही होेती है यह पहली बार ही देखने सुनने को मिला है। जी हां प्रदेश भाजपा कार्यालय ने नवम्बर 2013 में की गयी किसी शिकायत पर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक टेकाम और सिवनी के पूर्व पार्षद अजय डागोरिया सहित चार नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। लोग तो यह कहते भी देखे जा रहें है कि कांग्रेस में बहोरीबंद का बंद खुलता ही नजर नहीं आ रहा है कि जीत कैसे हुयी।
सवाल तो विस में उठा लेकिन बागरी समाज को मिला कुछ नहींः-हाल ही में हुये विस सत्र में जिले के बागरी समाज के लोगों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र मिलना बंद हो जाने का मामला सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने उठाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जवाब देकर मामले को समाप्त कर दिया कि केन्द्र सरकार की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रमाण प. देना बंद किये गये हैं। बागरी समाज का यह विवाद  1998 के विस चुनाव के पहले से चल रहा है। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि 1978 में केन्द्र की जनता पार्टी सरकार ने जिले की बागरी समाज को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया था। उसके बाद इस जाति के लोगों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र मिलना चालू हो गये थे जो कि बिना किसी बाधा के 1997 तक जारी रहे। इस दौन शिकायत होने पर प्रदेश सरकार द्वारा इस जाति की जांच के लिये वैष्ठव समिति का गठन किया था कि इस जाति के लोग अनुसूचित जाति के हैं या नहीं? जिला कलेक्टर मो. सुलेमान के कार्यकाल में वैष्ठव समिति ने  जांच हेतु बागरी बाहुल्य क्षेत्रों का भ्रमण किया था। इस कमेटी ने आपनी रिपोर्ट में इस जाति के लोगों को अनुसूचित जाति में शामिल करने योग्य नहीं माना था तथा इस आशय की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में प्रमाण पत्र जारी नही होंगें इसकी भनक जैसे ही समाज के लोगों को लगी वैसे ही पूरी समाज में हड़कंप मच गया। बागरी समाज के तत्कालीन अध्यक्ष स्व. हिम्मत सिंह बघेल के नेतृत्व में जिला मुख्यालय में एक विशाल जुलूस निकाला गया तथा समाज का पूरा आक्रोश केवलारी क्षेत्र के तत्कालीन विधायक एवं राज्य सरकार के ताकतवर मंत्री स्व. हरवंश सिंह के खिलाफ फूट पड़ा। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि केवलारी विस क्षेकत्र में सिवनी और केवलारी ब्लाक का बहुत बड़ा ऐसा इलाका शामिल था जिसमें बागरी समाज का बाहुल्य था। ऐन चुनाव के समय बागरी समाज के इस आक्रोश का थामना स्व. हरवंश सिंह के लिये राजनैतिक रूप से बहुत जरूरी था। वे प्रदेश सरकार की राजनैतिक मामलों की समिति के भी सदस्य थे। उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुये इस रिपोर्ट पर पुर्नविचार करने का प्रस्ताव लेकर उसे लंबित करा दिया था। इसके बाद उसी बागरी समाज के उनका ग्राम भोंगाखेड़ा में पगड़ी और शाल पहना कर सम्मान भी किया था। 1998 का चुनाव निपटने के बाद कब वैष्ठव समिति की रिपोर्ट अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को भेज दी गयी और कब केन्द्र की एन.डी.ए. सरकार ने उसे मंजूर कर लिया? इसकी भनक तक किसी को नहीं लगी। जब प्रमाण पत्र मिलना फिर से बंद हो गये तब पता चला कि खेल खत्म हो गया है। तब से लेकर अब तक चाहे कांग्रेस हो या भाजपा उसके नेता इस सामज के लोगों को दिलाया ही देते आये हैं लेकिन किसी ने भी ऐसी पहल नहीं कह है जिससे उसे पुनः वो लाभ मिल सके। अब विधायक बनने के बाद मुनमुन ने यह मामला विधानसभा में उठाकर अखबारों की सुर्ख्राी तो बटोर ली लेकिन नतीजा सिफर ही निकला है। आज तक किसी ने भी यह मांग नहीं उठायी कि वैष्ठन समिति की रिपोर्ट पर आपत्तियों के कारण एक नयी जांच समिति बनायी जाये और उस जांच समिति के आधार पर प्रदेश सरकार अपनी नवीन अनुशंसा केन्द्र सरकार को भेजे ताकि बागरी समाज को एक बार फिर से अन.जाति के प्रमाण पत्र मिलना प्रारंभी हो सके।
विस चुनाव में भीतरघात करने का नोटिस मिला अशोक टेकाम को:-यह ताक शाष्वत सत्य है कि मां के गर्भ मे नौ महीने रहने के बाद ही शिशु का जन्म होता है। लेकिन किसी पार्टी में की गयी कोई शिकायत पर भी नौ महीन बाद कार्यवाही होेती है यह पहली बार ही देखने सुनने को मिला है। जी हां प्रदेश भाजपा कार्यालय ने नवम्बर 2013 में की गयी किसी शिकायत पर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक टेकाम और सिवनी के पूर्व पार्षद अजय डागोरिया सहित चार नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया है कि क्यों ना आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये? आरोप है कि उन्होंने विस चुनाव में भीतरघात किया है। हालांकि नोटिस में यह भी स्पष्ट नहीं है कि शिकायत किसने की है और किस विस क्षेत्र में इन नेताओं ने भीतरघात किया है या पूरे जिले में भाजपा की इस दुर्गति के लिये भी ये ही जवाबदार हैं?जिले के राजनैतिक क्षेत्रों में इन नोटिसों को आगामी सहकारी बैंक के चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। 
बहोरीबंद के बंद ही नहीं खुल पा रहें हैं कांग्रेस में:-वैसे तो विधानसभा के उप चुनावों के परिणाम देश में कांग्रेस के लिये संजीवनी का काम कर गये है।बिहार और पंजाब के साथ ही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में भी एक सीट पर जीत दर्ज की हैं। कांग्रेस ने भाजपा से बहोरीबंद सीट छीन कर जीत दर्ज की है। बहोरीबंद सीट की जीत को लेकर प्रदेश के स्टार प्रचारक एवं पूर्व मंत्री स्व. हरवंश सिंह के पहली बार विधायक बने रजनीश सिंह की प्रशंसा में एक समाचार प्रकाशित हुआ जिसमे युवा रजनीश को जीत का पूरा श्रेय देते हुये बताया गया कि कैसे उन्होंने वहां प्रयास कियें जो सफल हुये। जिले के कांग्रेस के दूसरे युवा विधायक योगेन्द्र सिंह बाबा, जो कि हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह के बेटे हैं, ने विज्ञप्ति जारी कर बहोरीबंद सीट पद कांग्रेस की जीत को जनता की जीत बताया और कहा कि कांग्रेस की एकता और क्षेंत्रीय कार्यकर्त्ताओं की मेहनत से यह जीत पार्टी को मिली है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जिस हिस्से का उन्हें प्रभारी बनाया गया था वहां से पार्टी को भारी जीत हासिल हुयी है।वहीं दूसरी ओर जिला कांग्रेस कमेटी ने इस जीत पर कोई बयान भी जारी नहीं किया है। अब ऐसे हालात में लोग तो यह कहते भी देखे जा रहें है कि कांग्रेस में बहोरीबंद का बंद खुलता ही नजर नहीं आ रहा है कि जीत कैसे हुयी। “मुसाफिर”
Sabhar Darpan Jhoot Na Baole Seoni
02 Sep 2014

लखनादौन नपं के चुनाव में किस पार्टी के किस बड़े नेता का हाथ किसकी पीठ पर आर्शीवाद देता दिख जाये? 
तमाम पार्टियों और नेताओं के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके लखनादौन नगर पंचायत चुनाव में कई ऐसे राजनैतिक कारनामे हो चुके हैं जिनकी आशंका हम अपने इसी कालम में व्यक्त कर चुके थे। बड़े ही नाटकीय ढंग से इस चुनाव में अध्यक्ष पद के कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव मैदान से बाहर हो गये हैं। जिले के चुनावी इतिहास में शायद यह पहला अवसर हैं जब देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी चुनावी मैदान से बाहर हैं। जिले के इकलौते कांग्रेस विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह इस मामले में चुप्पी    साधे हुये हैं। कांग्रेस द्वारा किये गये इस चमत्कार से भाजपा भी भौंचक रह गयी हैं। मुनमुन समर्थक उनके समर्थन में कई दलों के नेताओं का गुप्त समर्थन हासिल होने का दावा भी कर रहें हैं। ऐसे राजनैतिक हालात में लखनादौन नपं के चुनाव में किस पार्टी के किस बड़े नेता का हाथ किसकी पीठ पर आर्शीवाद देता दिख जाये? इसकी कल्पना करना भी मुश्किल हैं। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने प्रदेश के ऐसे एक दर्जन से अधिक चुनाव क्षेत्र चिन्हित किये हैं जहां से कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही हैं और ऐसे क्षेत्रों से युवा नेताओं को चुनाव लड़ने के लिये हरी झंड़ी दे दी गयी हैं और उन्हें तैयारी चालू करने के निर्देश दे दिये गये हैं। ऐसे चिन्हित क्षेत्रों में सिवनी विस क्षेत्र भी शामिल हैं जहां से युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल को हरी झंड़ी दी गयी हैं।
कांग्रेस के नाम रचा गया नया इतिहास-मुसाफिर पिछले पंद्रह दिनों से सियासी सफर से अलग रहा। अब एक बार फिर सियासी चर्चा करने जा रहा हैं। लेकिन अब तक बैनगंगा नदी से काफी पानी बह चुका है। तमाम पार्टियों और नेताओं के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके लखनादौन नगर पंचायत चुनाव में कई ऐसे राजनैतिक कारनामे हो चुके हैं जिनकी आशंका हम अपने इसी कालम में व्यक्त कर चुके थे। बड़े ही नाटकीय ढंग से इस चुनाव में अध्यक्ष पद के कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव मैदान से बाहर हो गये हैं। जिले के चुनावी इतिहास में शायद यह पहला अवसर हैं जब देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी चुनावी मैदान से बाहर हैं। जिले के इकलौते कांग्रेस विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह इस मामले में चुप्पी साधे हुये हैं। जबकि शुरू से ही यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि पूर्व अध्यक्ष दिनेश मुनमुन राय से अपनी राजनैतिक सांठ गांठ के चलते इस चुनाव में भी हरवंश सिंह उनके सहयोगी और संरक्षक की भूमिका में दिखेंगें लेकिन किसी को भी यह विश्वास नहीं था कि कांग्रेस चुनाव मैदान से ही बाहर हो जायेगी। हालांकि जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी ने कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी को नाम वापस लेने के कारण पार्टी से छः साल के लिये निष्कासित कर दिया हैं और कहा हैं कि मामले की जांच की जायेगी और फिर आगे कार्यवाही की जायेगी। लेकिन कौन और कब जांच करेगा? इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ हैं जबकि 5 जुलाई को चुनाव भी हो जायेंगें। मीडिया में यह भी प्रकाशित हुआ कि प्रदेश इंकाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह खुद लखनादौन दौरे पर इन चुनावों के लिये आये थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष पद एक प्रत्याशी भी नहीं खड़ा कर पायी। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि उक्त दोनों नेताओं के दौरे के समय भी इंका विधायक हरवंश सिंह मौजूद नहीं थे। पूरे प्रदेश में ऐसा कारनामा सिर्फ सिवनी जिले में ही हुआ हैं जहां की कमान पिछले पंद्रह सालों से इंका विधायक हरवंश सिंह के हाथों में हैं जो कि प्रदेश के एक कद्दावर नेता माने जाते हैं। अब इस कारनामें के बारे में प्रदेश नेतृत्व या आलाकमान उनसे कोई सवाल जवाब भी करेगा या नहीं? इसे लेकर इंकाई हल्कों में चर्चा जारी हैं क्योंकि हरवंश सिंह ने जब जब पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुचाया हैं तब तब वे और भी अधिक ताकतवर होकर उभरे हैं। इसलिये यह कयास लगाये जा रहें हैं कि मिशन 2013 और 2014 को लक्ष्य बनाकर चल रही कांग्रेस क्या इस बार चुनावी मैदान से कांग्रेस के बाहर हो जाने का इतिहास बनाने पर उन्हें दंड़ित किया जायेगा या एक बार फिर पुरुस्कृत किया जायेगा?
भाजपा के नेताओं ने कसी कमर-कांग्रेस द्वारा किये गये इस चमत्कार से भाजपा भी भौंचक रह गयी हैं।जिला भाजपा ने अपने उम्मीदवार तो तय कर ही लिये थे लेकिन बहुत पहले से ही जिले के कई वरिष्ठ नेताओं सहित जनप्रतिनिधियों को भी प्रभार सौंप दिया हैं।सांसद फगग्नसिंह कुलस्ते, प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री अरविंद मैनन और अध्यक्ष प्रभात झा भी दौरा कर चुके हैं। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दौरा यहां नहीं हो रहा हैं। पूर्व नपं अध्यक्ष मुनमुन राय अपनी माताजी के पक्ष में अपने समय में किये गये विकास कार्यों को मुद्दा बना रहें हैं। इसके अलावा उनके समर्थन में कई दलों के नेताओं का गुप्त समर्थन हासिल होने का दावा भी उनके समर्थक कर रहें हैं। राजनैतिक हल्कों में जारी चर्चाओं के अनुसार इसका प्रमुख कारण सिवनी विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुनमुन राय का चुनाव लड़ते समय की राजनैतिक परिस्थितियां बतायी जा रहीं हैं। उल्लेखनीय हैं कि 2008 के विस चुनाव में भाजपा ने अपने दो बार के विधायक रहने वाले सिटिंग विधायक नरेश दिवाकर की टिकिट काट कर सांसद नीता पटेरिया को उम्मीदवार बनाया था। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी कई दावेदारों के दावों को खारिज कर प्रसन्न मालू को अंतिम समय में अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। ऐसे हालात में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले मुनमुन राय को दोनों ही पार्टियों के असंतुष्टों का सहयोग मिला था और कई नामधारी छोटे और बड़े इंका तथा भाजपा के नेताओं ने अपने हाथों में अपनी अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह छोड़कर कप बसी थाम ली थी जो कि मुनमुन राय का चुनाव चिन्ह थी। ऐसे राजनैतिक हालात में लखनादौन नपं के चुनाव में किस पार्टी के किस बड़े नेता का हाथ किसकी पीठ पर आर्शीवाद देता दिख जाये? इसकी कल्पना करना भी मुश्किल हैं। जहां तक पार्टियों के समर्पित कार्यकर्त्ताओं का सवाल हैं  तो कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्त्ताओं में तो इस बात का आक्रोश हैं कि एक राजनैतिक नूरा कुश्ती के चलते अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ही मैदान से हट गये हैं। भाजपा का समर्पित कार्यकर्त्ता तो जिताने में लगा हुआ हैं लेकिन उसके मन में भी यही आशंका है कि मिशन 2013 के विस चुनावों को लेकर अभी से कोई फिक्सिंग जिले के बड़े नेताओं की ना हो जाये। रहा सवाल क्षेत्रीय भाजपा विधायक शशि ठाकुर का तो उनके लिये यह चुनाव जीतना अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र से भाजपा करीब 23 हजार वोटों से हार गयी थी। वैसे यह बात भी बिल्कुल सही हैं कि यदि भाजपा जीतती हैं तो सेहरा बांधने के लिये कई सिर हाजिर हैं और यदि हार जाती हैं तो ठीकरा फोड़ने कि लिये शशि ठाकुर का सिर तो हाजिर ही हैं।
राहुल गांधी ने हरी झंड़ी दी राजा बघेल को?- स्थानीय अखबारों में प्रकाशित समाचार के अनुसार कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने ऐसे 12 चुनाव क्षेत्र चिन्हित किये हैं जहां से कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही हैं और ऐसे क्षेत्रों से युवा नेताओं को चुनाव लड़ने के लिये हरी झंड़ी दे दी गयी हैं और उन्हें तैयारी चालू करने के निर्देश दे दिये गये हैं। समाचार में उल्लेख किया गया हैं कि ऐसे चिन्हित क्षेत्रों में सिवनी विस क्षेत्र भी शामिल हैं जहां से युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल को हरी झंड़ी दी गयी हैं। इस समाचार में राहुल गांधी के साथ एक फोटो भी प्रकाशित हुआ है जिसमें राजा बघेल भी दिखायी दे रहें हैं। यह समाचार प्रदेश के एक प्रतिष्ठित अखबार के हवाले से प्रकाशि किया गया हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले पांच चुनावों से बरघाट एवं सिवनी विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस चुनाव हार रही हैं। सन 1977 में भी सिवनी विस क्षेत्र से जीतने वाली कांग्रेस की हार की शुरुआत 1990 में हुयी थी जब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हरवंश सिंह चुनाव हारे थे। इसके बाद 93 और 98 के चुनाव में आशुतोष वर्मा, 2003 में राजकुमार पप्पू खुराना और 2008 के चुनाव में प्रसन्न मालू कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव हारे थे। मिशन 2013 में ऐसे क्षेत्रों को फतह करने की कांग्रेस की रणनीति और उन पर युवा प्रत्याशी को हरी झंड़ी देने की योजना पर इंकाइयों में अलग अलग किस्म की चर्चायें चल रही हैं।
 “मुसाफिर”      
दर्पण झूठ ना बोले से साभार