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Monday, April 27, 2015

प्रदेश में दो दर्जन जिलों के कांग्रेस अध्यक्ष बदलने के समाचार से रैली के लिये जिले के कांग्रेसियों में हुआ उर्जा का संचार
   चुनाव के बाद कांग्रेस की ना तो चुनाव के बाद कोई समीक्षा बैठक हुयी और ना ही अपने कहने के बाद प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजा बघेल इसे आयोजित करा पाये। इतना ही नहीं जिला कांग्रेस ने चुनाव परिणामों के विपरीत होने पर भी कोई जांच समिति तक गठित नहीं की है? सदस्यों के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनावों की कमान केवलारी के विधायक रजनीश हरवंश सिंह ने संभाल ली थी। जिला पंचायत के चुनावों के बाद समितियों के चुनावों के लिये बुलायी गयी पहली बैठक ही अध्यक्ष मीना बिसेन सहित अन्य सदस्यों के साथ बहिष्कार के कारण पूरी नहीं हो सकी। फिलहाल तो आगाज अच्छा नहीं माना जा सकता अब अंजाम क्या होगा? इसके लिये तो समय का इंतजार करना पड़ेगा। बीते दिनो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की वापसी के बाद दिल्ली में आयोजित किसान रैली में जिले से भी अलग अलग गुटों में लोग गये। वैसे इस रैली में जाने और ले जाने के लिये जिले में कुछ ज्यादा ही सक्रियता दिखायी दी। राहुल गांधी की किसान रैली में अपने आप राहुल का खास बताने वाले प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजा बघेल की इस रैली में शामिल होने के लिये की गयी हवाई यात्रा मीडिया में सुर्खी बन गयी। रैली में शामिल होने के लिये राजा बघेल के साथ जिला कांग्रेस के महामंत्रीगण शिव सनोड़िया और संतोष नान्हू पंजवानी ने नागपुर से दिल्ली का सफर हवायी जहाज से तय किया गया। 
आखिर जयचंदों को दंड़ित नही कर पायी कांग्रेस-जिला पंचायत चुनावों के जयचंदों को आखिर दंड़ित नहीं कर पायी कांग्रेस। और आखिर करती भी कैसे? ना तो चुनाव के बाद कोई समीक्षा बैठक हुयी और ना ही अपने कहने के बाद प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजा बघेल इसे आयोजित करा पाये। इतना ही नहीं जिला कांग्रेस ने चुनाव परिणामों के विपरीत होने पर भी कोई जांच समिति तक गठित नहीं की है? उल्लेखनीय है कि जिला कांग्रेस द्वारा घोषित समर्थित प्रत्याशियों में सये 11 तक तथा एक कांग्रेस की बागी सहित कुल 12 सदस्य जीते थे लेकिन फिर भी 19 सदस्यीय जिला पंचायत में कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव हार गयी थी। सदस्यों के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनावों की कमान केवलारी के विधायक रजनीश हरवंश सिंह ने संभाल ली थी। जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी ने सदस्यों की बैठक रजनीश के गृह ग्राम बर्रा में ही आयोजित की थी। हालांकि इस बैठक में रजनीश हरवंश सिंह ने जिले के तमाम वरिष्ठ कांग्रेसियों को बैठक में आमंत्रित किया था लेकिन चुनाव हारने के बाद किसी से भी ना तो उन्होंने विचार विमर्श कर हार के कारणों को जानने की कोशिश की और ना ही बागियों को दंड़ित करने के संबंध में ही कोई चर्चा की गयी। वैसे भी कांग्रेस में पिछले कई से यह परंपरा सी बन गयी है कि एक चुनाव में भीतरघात करो तो अगले चुनाव में इनाम पाओ। इसी के कारण आज कांग्रेस में अनुशासन नाम की चीज ही नहीं रह गयी है क्योंकि यदि कोई अनुशासन का पाठ पढ़ाता है तो उसे तपाक से जवाब मिल जाता है कि क्यों फलां चुनाव में आपने क्या किया था? भूल गये क्या?या ये तक कहने में नहीं चूकते कि सूपा बोले तो बोले अब तो छलनी भी बोंल रही है। इन हालातों में कांग्रेस में कभी अनुशासन बन पायेगा या नहीं? इस बारे में कुछ भी कहना संभव ही नहीं है।
जिला पंचायत का आगाज अच्छा नहीं हुआ-जिला पंचायत के चुनावों के बाद समितियों के चुनावों के लिये बुलायी गयी पहली बैठक ही अध्यक्ष मीना बिसेन सहित अन्य सदस्यों के साथ बहिष्कार के कारण पूरी नहीं हो सकी। उस दिन कमिश्नर द्वारा अधिकृत्त प्राधिकारी भी चुनाव कराने के लिये उपस्थित थे। बताया जाता है कि कांग्रेस के अशोक सिरसाम ने प्रस्ताव रखा था कि प्रत्येक समिति में सदस्यों की संख्या पांच रखी जाये। लेकिन अध्यक्ष श्रीमती मीना बिसेन सदस्य संख्या दस रखना चाहतीं थीं। बजाय कोई समन्वय बनाने के जब अध्यक्ष अपनी बात पर अड़ीं रहीं तो कांग्रेस के 11 सदस्य भी अड़ गये। बीच का कोई रास्ता निकालने के बजाय अध्यक्ष ने अन्य सदस्यों के साथ बैठक का ही बहिष्कार कर दिया जिससे चुनाव हीं नहीं हो पाये। भाजपा के बड़े बड़े रणनीतिकारों द्वारा कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी अपना अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष बनवाने का दावा किया था उन भाजपा नेताओं को अब इस बात पर भी ध्यान देना चाहिये कि जिला पंचायत का संचालन सही तरीके से हो और जिले के विकास में कोई अवरोध पैदा ना हो। फिलहाल तो आलम यह है कि अभी समितियों के चुनाव ही नहीं हुये हैं तो भला काम प्रारंभ होने की तो बात ही दूर की है। भाजपा के उन वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों और नेताओं को अब मार्गदर्शन देने के लिये आगे आना चाहिये जिन्होंने जिताने का श्रेय लिया था। फिलहाल तो आगाज अच्छा नहीं माना जा सकता अब अंजाम क्या होगा? इसके लिये तो समय का इंतजार करना पड़ेगा।  
एक समाचार से आयी कांग्रेस में सक्रियता-बीते दिनो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की वापसी के बाद दिल्ली में आयोजित किसान रैली में जिले से भी अलग अलग गुटों में लोग गये। वैसे इस रैली में जाने और ले जाने के लिये जिले में कुछ ज्यादा ही सक्रियता दिखायी दी। इस रैली में हवाई जहाज से लेकर ट्रेन और बस से भी लोग दिल्ली पहुचें। इस सक्रियता के पीछे का रहस्य जानने वालों का दावा है कि ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि चंद दिनों पहल ही अखबारों में एक समाचार प्रमुखता से छपा था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और प्रभारी मोहन प्रकाश के बीच दो दर्जन जिला अध्यक्षों और 50 ब्लाक अध्यक्ष बदलने की सहमति बन गयी हैं और दिल्ली में आयोजित होने वाली किसान रैली के बाद यह बदलाव किया जायेगा। राजनैतिक विश्लेष्कों का मानना है कि इस समाचार ने जिले में कांग्रेसियों में उर्जा का संचार कर दिया और जिला अध्यक्ष बनने के हर दावेदार यह मानने लगे कि इन दो दर्जन बदले जाने अध्यक्षों में सिवनी तो शामिल हैं ही। इसी आशा और विश्वास ने मृतप्राय कांग्रेस में जान डाल दी। सांशल मीडिया में चर्चित फोटो और समाचारों के अनुसार जिले के केवलारी विधायक रजनीश सिह एक प्रतिनिधि मंडल उनके क्ष्ेात्र का गया था जिसमें शामिल होकर ही प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजा बघेल और उनके साथियों ने कांग्रेस के नेताओं से भेंट की। दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधि राजकुमार पप्पू खुराना के नेतृत्व में एक गुट भी शामिल हुआ जिसने रैली में भाग लेने के अलावा कांग्रेस सांसद कमलनाथ से भी भेंट की थी। अब जिले के कांग्रेस नेताओं की मनोकामना पूरी होगी या यह समाचार भीड़ बढ़ाने के लिये प्रायोजित समाचार था? यह तो समय आने पर ही साफ हो पायेगा।
राजा की हवाई यात्रा बनी मीडिया की सुर्खी-राहुल गांधी की किसान रैली में अपने आप राहुल का खास बताने वाले प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजा बघेल की इस रैली में शामिल होने के लिये की गयी हवाई यात्रा मीडिया में सुर्खी बन गयी। रैली में शामिल होने के लिये राजा बघेल के साथ जिला कांग्रेस के महामंत्रीगण शिव सनोड़िया और संतोष नान्हू पंजवानी ने नागपुर से दिल्ली का सफर हवायी जहाज से तय किया गया। स्वयं के द्वारा व्हाटस अप पर अप लोड की गयी फोटो ना केवल चर्चित हुयीं वरन जिला भाजपा के महामंत्री संतोष नगपुरे इस पर टिप्पणी भी कर डाली कि मोदी के राज में किसान इतने संपन्न हो गये हैं कि हवाई यात्रा करके रैली में शामिल हो रहें हैं। इसके जवाब में कांग्रेस के लोगों  ने भी टिप्पणी और विषय चर्चा में आ गया। इसके बाद इस यात्रा को लेकर स्थानीय समाचार पत्रों ने भी प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किये। हालांकि हवाई जहाज से यात्रा करना कोई ऐसा मुद्दा भी नहीं था जिस पर इतनी चर्चा हो लेकिन खुद की अपलोड की गयी फोटो ही इस मुसीबत का कारण बन गयीं अब भला इसे क्या कहा जाये?“मुसाफिर“
साभार 
दर्पण झूठ ना बोले सिवनी
28 अप्रेल 2015