Thursday, August 12, 2021
स्वतंत्रता दिवस पर संपादकीय
Saturday, July 3, 2021
प्रेस विज्ञप्ति
सिवनी। जिले ने कोविड 19 की दूसरी लहर में बहुत कुछ खोया है। इसकी संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिये तैयारियां जारी है जिसका बच्चों पर अधिक प्रभाव पड़ने की बात कही जा रही है। पूरे जिले में 11 बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद स्वीकृत है जो सभी रिक्त पड़े है और कई विकास खंडों में पद ही स्वीकृत नहीं है। जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को पहल कर शासन से इन पदों पर शीघ्र डॉक्टरों को भेजने का आग्रह किया जाना आवश्यक है। उक्ताशय की बात प्रेस को जारी विज्ञप्ति में वरिष्ठ कांग्रेस नेता आशुतोष वर्मा ने कही है।
अपनी विज्ञप्ति में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने कहा है कि कोविड 19 की दूसरी लहर जिले के लिये बहुत विनाशकारी रही है। चिकित्सकीय कमियों का खामियाजा जिले के लोगों को भुगतना पड़ा है। कई लोग असमय ही काल के गाल में समा गए थे। जिले के जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इन कमियों को दूर करने के अथक प्रयास किये गये लेकिन ये सुविधाएं जब प्राप्त हुयीं तब कोविड 19 की दूसरी लहर काफी हद तक नियंत्रित हो गयी थी। लेकिन फिर भी इन सेवाओं का उपयोग किया गया और मरीजों को उसका लाभ भी मिला।
कांग्रेस नेता आशुतोष वर्मा ने आगे यह भी उल्लेख किया है कि दूसरी लहर के दौरान हुये विलम्ब से सबक लेकर संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। बैठकों के दौर और निर्देश जारी करने का सिलसिला भी जारी
है। कोविड 19 के विशेषज्ञ डॉक्टर यह मानते है कि इस लहर का असर बच्चों पर ज्यादा होगा।इस लिहाज से हमारे जिले की हालत अत्यंत चिंताजनक है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में 7,लखनादौन में 2 तथा घंसौर और केवलारी में 1-1 कुल 11 बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के पद स्वीकृत है जो सभी रिक्त पड़े हुये है। जबकि कि छपारा, कुरई, बरघाट,धनोरा विकास खंड मुख्यालयों में बाल रोग विशेषज्ञ के पद स्वीकृत ही नहीं है। इसिलए सबसे पहले जिले के सभी जनप्रतिनिधियों सांसद द्वय डॉ ढाल सिंह बिसेन और फग्गनसिंह कुलस्ते एवं विधायक गण दिनेश मुनमुन राय, राकेशपाल सिंह, योगेंद्र सिंह और अर्जुन काकोडिया को सयुक्त रूप से सरकार पर दवाब बनाकर बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के रिक्त पदों को भरने और जहाँ पद स्वीकृत नहीं है वहां पद स्वीकृत कराने की दिशा में कारगर प्रयास करना जनहित में है। जिले में बिना बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के तीसरी सम्भावित लहर को रोकने की कल्पना करना भी बेमानी होगी।
अपनी विज्ञप्ति में कांग्रेस नेता आशुतोष वर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी से आग्रह किया है कि वे तत्काल ही बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों रिक्त पदों को भरने तथा शेष चार विकास खण्डों में 1-1 पद भी स्वीकृत कर वहां भी पद स्थापना करने के आदेश जारी करने का कष्ट करें ताकि जिले के नोनिहालों को कोविड 19 की संभावित तीसरी लहर से कारगर तरीके से बचाने के प्रयास किये जा सकें।
सधन्यवाद।
सादर प्रकाशनार्थ।
भवदीय,
आशुतोष वर्मा,
प्रदेश प्रतिनिधि,
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी
मो 9425174640
प्रति,
श्री ,पत्रकार,
सिवनी
Tuesday, September 8, 2020
राष्ट्रीय प्रतीक है कमल भाजपा के चुनाव चिन्ह के रूप नहीं हो सकता उपयोग : आशुतोष वर्मा
Tuesday, August 13, 2019
स्वतंत्रता दिवस 2019 के लिये आलेख
धारा 370 हटने के बाद दुनिया से गुहार लगाने से पहले भारत पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे
आज पूरा देश आजादी की 72 वीं सालगिरह मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था और डिवाइड एंड रूल नीति के तहत जाते जाते भी अंग्रेजों ने भारत के दो टुकड़े कर एक नये राष्ट्र पाकिस्तान को बनवा दिया था। आजादी के इतने साल भी विभाजन को लेकर आरोपों का राजनैतिक दौर चालू रहता है। इसके साथ ही यह जुमला भी अक्सर सुनने को मिलता रहता है कि इन 72 सालों में हुआ क्या? आजादी के इन 72 सालों में कांग्रेस के साथ साथ विपक्ष की सरकारें भी रहीं है। इन सरकारों का नेतृत्व मोरारजी देसाई, चरण सिंह, वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, एच्.डी.देवगौड़ा,आई.के. गुजराल, अटलबिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने किया है। आज भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है जिहोंने अपना दूसरा कार्यकाल प्रारंभ किया है। यह भी सही है कि इतने सालों में देश ने कितना विकास किया? इसका मूल्यांकन होना चाहिये। ना तो यह कहना सही है कि देश में कुछ भी विकास नही हुआ और ना ही यह कहना सही है कि हमने विकास की सारी मंजिलें पार कर ली है। सही तो यह है कि हमने बहुत कुछ पा लिया है और अभी बहुत कुछ पाना शेष है। आज हम विकास की ऊचाइयों को छूकर विश्व में जो कीर्तमान स्थापित कर रहे वो सारे संसाधन देश ने आजादी के बाद देश में ही विकसित किये है।
आजादी की 72 वीं सालगिरह के 10 दिन पहले 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने एक विधेयक पेश कर कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य का विभाजन कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रावधान रखा गया था जिसमे जम्मू कश्मीर में तो विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा । राष्ट्रपति शासन लागू रहने और विधानसभा भंग होने के कारण राष्ट्रपति जी ने अपने ही प्रतिनिधि राज्यपाल की सलाह पर यह आदेश जारी किया था। आजादी के वक्त जम्मू कश्मीर रियासत बिना शर्त भारत मे शामिल होने को तैयार नहीं थी। वहाँ के राजा हरिसिह ने कुछ शर्तों के साथ शामिल होना स्वीकार किया था। ये तमाम शर्ते ही धारा 370 के रूप में संविधान में शामिल की गयीं जिसमे यह भी प्रावधान था कि जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की अनुशंसा पर विशेष दर्जा दिए जाने के इस अस्थायी प्रावधान को समाप्त भी किया जा सकता है। लेकिन 1956 में जम्मू कश्मीर की संविधान सभा समाप्त हो गयी थी और अब इस विधेयक को पारित करते समय मेहबूबा मुफ़्ती तथा भाजपा की संयुक्त सरकार के भंग हो जाने के बाद वहाँ विधानसभा भी नही थी। धारा 370 को समाप्त करने को लेकर इस समय समर्थन और विरोध का दौर जारी है। दोनों के ही अपने अपने तर्क है। धारा 370 समाप्त करने वाले समर्थकों का यह कहना है कि ये एक देश, एक विधान और एक निशान के सिद्धांत के विपरीत था तो विरोधी उन्हें नागालैंड का उदाहरण देकर उनकी करनी की याद दिलाने के साथ साथ यह भी सवाल दाग रहें है कि ऐसे में मोदी जी का सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा कैसे सही साबित होगा? वैसे अभी भी देश मे धारा 371 A से लेकर धारा 371 J तक के प्रावधानों के तहत देश के कई राज्यों को कुछ मामलों में विशेषाधिकार प्राप्त है जिनमे कुछ राज्यों में आम भारतीय नागरिक को वहाँ की जमीन नहीं खरीद सकने के प्रावधान भी शामिल है। इन राज्यों में नागालैंड, सिक्किम, मिजोरम, गोवा, हिमाचल प्रदेश,अरुणांचल प्रदेश, आसाम,मणिपुर के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, हैदराबाद और कर्नाटक के कुछ हिस्से भी शामिल है। वैसे जनसंघ से लेकर भाजपा तक हमेशा उनके घोषणा पत्र में धारा 370 हटाने का वायदा शामिल रहता था जिसे पूरा करने का मोदी सरकार दावा कर रही है। धारा 370 हटाने की प्रक्रिया में संवैधानिक रूप से कोई भूल चूक हुई है या नही? इसका फैसला तो सर्वोच्च न्यायालय ही कर सकता है।
सरकार का यह भी मानना है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 के कारण ही यहाँ का विकास अवरुद्ध हुआ है और आतंकवाद को बढ़ावा मिला है। वैसे विकास की दृष्टि से जम्मू कश्मीर देश के किन अन्य राज्यों से पिछड़ा है? इसका मूल्यांकन करना भी जरूरी है। हां यह सही है कि पिछले कई वर्षों से सीमापार आतंकवादी गतिविधियों पर जरूर अंकुश नही लग पा रहा है और आये दिन सीमा पार या आतंकवादी हमलों में हमारे सुरक्षा बलों के जवान जरूर शहीद हो रहे है। इस बात को लेकर भारत पूरी दुनिया से पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग भी कर रहा है। अब जब धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान भारत से व्यापारिक और राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा कर चुका है तो भारत को भी अब उसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने में देरी नही करनी चाहिए।
सरकार का यह दावा है कि उसके इस कदम से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होगा, सीमापार से घुसपैठ रुकेगी, अमन चैन कायम होगा और विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। सरकार का यह दावा कितना सही और कितना गलत साबित होगा यह तथ्य तो भविष्य की गर्त में छिपा है। लेकिन स्वतंत्रता दिवस की 72 वीं वर्षगांठ पर हमारी यही अपेक्षायें और शुभकामनाएं है कि जम्मू कश्मीर सहित पूरा देश आतंकवाद और सीमापार की घुसपैठ के चुंगल से मुक्त होकर दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करें।
आशुतोष वर्मा,
16 शास्त्री वार्ड, बारा पत्थर,
सिवनी मध्यप्रदेश 480661
मो 9425174640
Sunday, August 11, 2019
स्वतंत्रता दिवस 2019 पर आलेख
धारा 370 हटने के बाद दुनिया से गुहार लगाने से पहले भारत पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे
आज पूरा देश आजादी की 72 वीं सालगिरह मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था और डिवाइड एंड रूल नीति के तहत जाते जाते भी अंग्रेजों ने भारत के दो टुकड़े कर एक नये राष्ट्र पाकिस्तान को बनवा दिया था। आजादी के इतने साल भी विभाजन को लेकर आरोपों का राजनैतिक दौर चालू रहता है। इसके साथ ही यह जुमला भी अक्सर सुनने को मिलता रहता है कि इन 72 सालों में हुआ क्या? आजादी के इन 72 सालों में कांग्रेस के साथ साथ विपक्ष की सरकारें भी रहीं है। इन सरकारों का नेतृत्व मोरारजी देसाई, चरण सिंह, वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, एच्.डी.देवगौड़ा,आई.के. गुजराल, अटलबिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने किया है। आज भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है जिहोंने अपना दूसरा कार्यकाल प्रारंभ किया है। यह भी सही है कि इतने सालों में देश ने कितना विकास किया? इसका मूल्यांकन होना चाहिये। ना तो यह कहना सही है कि देश में कुछ भी विकास नही हुआ और ना ही यह कहना सही है कि हमने विकास की सारी मंजिलें पार कर ली है। सही तो यह है कि हमने बहुत कुछ पा लिया है और अभी बहुत कुछ पाना शेष है। आज हम विकास की ऊचाइयों को छूकर विश्व में जो कीर्तमान स्थापित कर रहे वो सारे संसाधन देश ने आजादी के बाद देश में ही विकसित किये है।
आजादी की 72 वीं सालगिरह के 10 दिन पहले 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने एक विधेयक पेश कर कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य का विभाजन कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रावधान रखा गया था जिसमे जम्मू कश्मीर में तो विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा । राष्ट्रपति शासन लागू रहने और विधानसभा भंग होने के कारण राष्ट्रपति जी ने अपने ही प्रतिनिधि राज्यपाल की सलाह पर यह आदेश जारी किया था। आजादी के वक्त जम्मू कश्मीर रियासत बिना शर्त भारत मे शामिल होने को तैयार नहीं थी। वहाँ के राजा हरिसिह ने कुछ शर्तों के साथ शामिल होना स्वीकार किया था। ये तमाम शर्ते ही धारा 370 के रूप में संविधान में शामिल की गयीं जिसमे यह भी प्रावधान था कि जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की अनुशंसा पर विशेष दर्जा दिए जाने के इस अस्थायी प्रावधान को समाप्त भी किया जा सकता है। लेकिन 1956 में जम्मू कश्मीर की संविधान सभा समाप्त हो गयी थी और अब इस विधेयक को पारित करते समय मेहबूबा मुफ़्ती तथा भाजपा की संयुक्त सरकार के भंग हो जाने के बाद वहाँ विधानसभा भी नही थी। धारा 370 को समाप्त करने को लेकर इस समय समर्थन और विरोध का दौर जारी है। दोनों के ही अपने अपने तर्क है। धारा 370 समाप्त करने वाले समर्थकों का यह कहना है कि ये एक देश, एक विधान और एक निशान के सिद्धांत के विपरीत था तो विरोधी उन्हें नागालैंड का उदाहरण देकर उनकी करनी की याद दिलाने के साथ साथ यह भी सवाल दाग रहें है कि ऐसे में मोदी जी का सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा कैसे सही साबित होगा? वैसे अभी भी देश मे धारा 371 A से लेकर धारा 371 J तक के प्रावधानों के तहत देश के कई राज्यों को कुछ मामलों में विशेषाधिकार प्राप्त है जिनमे कुछ राज्यों में आम भारतीय नागरिक को वहाँ की जमीन नहीं खरीद सकने के प्रावधान भी शामिल है। इन राज्यों में नागालैंड, सिक्किम, मिजोरम, गोवा, हिमाचल प्रदेश,अरुणांचल प्रदेश, आसाम,मणिपुर के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, हैदराबाद और कर्नाटक के कुछ हिस्से भी शामिल है। वैसे जनसंघ से लेकर भाजपा तक हमेशा उनके घोषणा पत्र में धारा 370 हटाने का वायदा शामिल रहता था जिसे पूरा करने का मोदी सरकार दावा कर रही है। धारा 370 हटाने की प्रक्रिया में संवैधानिक रूप से कोई भूल चूक हुई है या नही? इसका फैसला तो सर्वोच्च न्यायालय ही कर सकता है।
सरकार का यह भी मानना है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 के कारण ही यहाँ का विकास अवरुद्ध हुआ है और आतंकवाद को बढ़ावा मिला है। वैसे विकास की दृष्टि से जम्मू कश्मीर देश के किन अन्य राज्यों से पिछड़ा है? इसका मूल्यांकन करना भी जरूरी है। हां यह सही है कि पिछले कई वर्षों से सीमापार आतंकवादी गतिविधियों पर जरूर अंकुश नही लग पा रहा है और आये दिन सीमा पार या आतंकवादी हमलों में हमारे सुरक्षा बलों के जवान जरूर शहीद हो रहे है। इस बात को लेकर भारत पूरी दुनिया से पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग भी कर रहा है। अब जब धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान भारत से व्यापारिक और राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा कर चुका है तो भारत को भी अब उसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने में देरी नही करनी चाहिए।
सरकार का यह दावा है कि उसके इस कदम से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होगा, सीमापार से घुसपैठ रुकेगी, अमन चैन कायम होगा और विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। सरकार का यह दावा कितना सही और कितना गलत साबित होगा यह तथ्य तो भविष्य की गर्त में छिपा है। लेकिन स्वतंत्रता दिवस की 72 वीं वर्षगांठ पर हमारी यही अपेक्षायें और शुभकामनाएं है कि जम्मू कश्मीर सहित पूरा देश आतंकवाद और सीमापार की घुसपैठ के चुंगल से मुक्त होकर दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करें।
आशुतोष वर्मा,
16 शास्त्री वार्ड,
सिवनी मध्यप्रदेश 480661
मो 9425174640
Tuesday, January 23, 2018
Gantantra divas
संवैधानिक और प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लें ताकि आजादी को ग्रहण ना लगे