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Tuesday, August 13, 2019

स्वतंत्रता दिवस 2019 के लिये आलेख



धारा 370 हटने के बाद दुनिया से गुहार लगाने से पहले भारत पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे
आज पूरा देश आजादी की 72 वीं सालगिरह मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था और डिवाइड एंड रूल नीति के तहत जाते जाते भी अंग्रेजों ने भारत के दो टुकड़े कर एक नये राष्ट्र पाकिस्तान को बनवा दिया था। आजादी के इतने साल भी विभाजन को लेकर आरोपों का राजनैतिक दौर चालू रहता है। इसके साथ ही यह जुमला भी अक्सर सुनने को मिलता रहता है कि इन 72 सालों में हुआ क्या? आजादी के इन 72 सालों में कांग्रेस के साथ साथ विपक्ष की सरकारें भी रहीं है। इन सरकारों का नेतृत्व मोरारजी देसाई, चरण सिंह, वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, एच्.डी.देवगौड़ा,आई.के. गुजराल, अटलबिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने किया है। आज भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है जिहोंने अपना दूसरा कार्यकाल प्रारंभ किया है। यह भी सही है कि इतने सालों में देश ने कितना विकास किया? इसका मूल्यांकन होना चाहिये। ना तो यह कहना सही है कि देश में कुछ भी विकास नही हुआ और ना ही यह कहना सही है कि हमने विकास की सारी मंजिलें पार कर ली है। सही तो यह है कि हमने बहुत कुछ पा लिया है और अभी बहुत कुछ पाना शेष है। आज हम विकास की ऊचाइयों को छूकर विश्व में जो कीर्तमान स्थापित कर रहे वो सारे संसाधन देश ने आजादी के बाद देश में ही विकसित किये है।
         आजादी की 72 वीं सालगिरह के 10 दिन पहले 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने एक विधेयक पेश कर कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य का विभाजन कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रावधान रखा गया था जिसमे जम्मू कश्मीर में तो विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा । राष्ट्रपति शासन लागू रहने और विधानसभा भंग होने के कारण राष्ट्रपति जी ने अपने ही प्रतिनिधि राज्यपाल की सलाह पर यह आदेश जारी किया था। आजादी के वक्त जम्मू कश्मीर रियासत बिना शर्त भारत मे शामिल होने को तैयार नहीं थी। वहाँ के राजा हरिसिह ने कुछ शर्तों के साथ शामिल होना स्वीकार किया था। ये तमाम शर्ते ही धारा 370 के रूप में संविधान में शामिल की गयीं जिसमे यह भी प्रावधान था कि जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की अनुशंसा पर विशेष दर्जा दिए जाने के इस अस्थायी प्रावधान को समाप्त भी किया जा सकता है। लेकिन 1956 में जम्मू कश्मीर की संविधान सभा समाप्त हो गयी थी और अब इस विधेयक को पारित करते समय मेहबूबा मुफ़्ती तथा भाजपा की संयुक्त सरकार के भंग हो जाने के बाद वहाँ विधानसभा भी नही थी। धारा 370 को समाप्त करने को लेकर इस समय समर्थन और विरोध का दौर जारी है। दोनों के ही अपने अपने तर्क है। धारा 370  समाप्त करने वाले समर्थकों का यह कहना है कि ये एक देश, एक विधान और एक निशान के सिद्धांत के विपरीत था तो विरोधी उन्हें नागालैंड का उदाहरण देकर उनकी करनी की याद दिलाने के साथ साथ यह भी सवाल दाग रहें है कि ऐसे में मोदी जी का सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा कैसे सही साबित होगा? वैसे अभी भी देश मे धारा 371 A से लेकर धारा 371 J तक के प्रावधानों के तहत देश के कई राज्यों को कुछ मामलों में विशेषाधिकार प्राप्त है जिनमे  कुछ राज्यों में आम भारतीय नागरिक को वहाँ की जमीन  नहीं खरीद सकने के प्रावधान भी शामिल है। इन राज्यों में नागालैंड, सिक्किम, मिजोरम, गोवा, हिमाचल प्रदेश,अरुणांचल प्रदेश, आसाम,मणिपुर के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, हैदराबाद और कर्नाटक के कुछ हिस्से भी शामिल है। वैसे जनसंघ से लेकर भाजपा तक हमेशा उनके घोषणा पत्र में धारा 370 हटाने का वायदा शामिल रहता था जिसे पूरा करने का मोदी सरकार दावा कर रही है। धारा 370 हटाने की प्रक्रिया में संवैधानिक रूप से कोई भूल चूक हुई है या नही? इसका फैसला तो सर्वोच्च न्यायालय ही कर सकता है।
  सरकार का यह भी मानना है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 के कारण ही यहाँ का विकास अवरुद्ध हुआ है और आतंकवाद को बढ़ावा मिला है। वैसे विकास की दृष्टि से जम्मू कश्मीर देश के किन अन्य राज्यों से पिछड़ा है? इसका मूल्यांकन करना भी जरूरी है। हां यह सही है कि पिछले कई वर्षों से सीमापार आतंकवादी गतिविधियों पर जरूर अंकुश नही लग पा रहा है और आये दिन सीमा पार या आतंकवादी हमलों में हमारे सुरक्षा बलों के जवान जरूर शहीद हो रहे है। इस बात को लेकर भारत पूरी दुनिया से पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग भी कर रहा है। अब जब धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान भारत से व्यापारिक और राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा कर चुका है तो भारत को भी अब उसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने में देरी नही करनी चाहिए।
     सरकार का यह दावा है कि उसके इस कदम से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होगा, सीमापार से घुसपैठ रुकेगी, अमन चैन कायम होगा और विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। सरकार का यह दावा कितना सही और कितना गलत साबित होगा यह तथ्य तो भविष्य की गर्त में छिपा है। लेकिन स्वतंत्रता दिवस की 72 वीं वर्षगांठ पर हमारी यही अपेक्षायें और शुभकामनाएं है कि जम्मू कश्मीर सहित पूरा देश आतंकवाद और सीमापार की घुसपैठ के चुंगल से मुक्त होकर दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करें।

आशुतोष वर्मा,
16 शास्त्री वार्ड, बारा पत्थर,
सिवनी मध्यप्रदेश 480661
मो 9425174640

Sunday, August 11, 2019

स्वतंत्रता दिवस 2019 पर आलेख



धारा 370 हटने के बाद दुनिया से गुहार लगाने से पहले भारत पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे
आज पूरा देश आजादी की 72 वीं सालगिरह मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था और डिवाइड एंड रूल नीति के तहत जाते जाते भी अंग्रेजों ने भारत के दो टुकड़े कर एक नये राष्ट्र पाकिस्तान को बनवा दिया था। आजादी के इतने साल भी विभाजन को लेकर आरोपों का राजनैतिक दौर चालू रहता है। इसके साथ ही यह जुमला भी अक्सर सुनने को मिलता रहता है कि इन 72 सालों में हुआ क्या? आजादी के इन 72 सालों में कांग्रेस के साथ साथ विपक्ष की सरकारें भी रहीं है। इन सरकारों का नेतृत्व मोरारजी देसाई, चरण सिंह, वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, एच्.डी.देवगौड़ा,आई.के. गुजराल, अटलबिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने किया है। आज भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है जिहोंने अपना दूसरा कार्यकाल प्रारंभ किया है। यह भी सही है कि इतने सालों में देश ने कितना विकास किया? इसका मूल्यांकन होना चाहिये। ना तो यह कहना सही है कि देश में कुछ भी विकास नही हुआ और ना ही यह कहना सही है कि हमने विकास की सारी मंजिलें पार कर ली है। सही तो यह है कि हमने बहुत कुछ पा लिया है और अभी बहुत कुछ पाना शेष है। आज हम विकास की ऊचाइयों को छूकर विश्व में जो कीर्तमान स्थापित कर रहे वो सारे संसाधन देश ने आजादी के बाद देश में ही विकसित किये है।
         आजादी की 72 वीं सालगिरह के 10 दिन पहले 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने एक विधेयक पेश कर कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य का विभाजन कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रावधान रखा गया था जिसमे जम्मू कश्मीर में तो विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा । राष्ट्रपति शासन लागू रहने और विधानसभा भंग होने के कारण राष्ट्रपति जी ने अपने ही प्रतिनिधि राज्यपाल की सलाह पर यह आदेश जारी किया था। आजादी के वक्त जम्मू कश्मीर रियासत बिना शर्त भारत मे शामिल होने को तैयार नहीं थी। वहाँ के राजा हरिसिह ने कुछ शर्तों के साथ शामिल होना स्वीकार किया था। ये तमाम शर्ते ही धारा 370 के रूप में संविधान में शामिल की गयीं जिसमे यह भी प्रावधान था कि जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की अनुशंसा पर विशेष दर्जा दिए जाने के इस अस्थायी प्रावधान को समाप्त भी किया जा सकता है। लेकिन 1956 में जम्मू कश्मीर की संविधान सभा समाप्त हो गयी थी और अब इस विधेयक को पारित करते समय मेहबूबा मुफ़्ती तथा भाजपा की संयुक्त सरकार के भंग हो जाने के बाद वहाँ विधानसभा भी नही थी। धारा 370 को समाप्त करने को लेकर इस समय समर्थन और विरोध का दौर जारी है। दोनों के ही अपने अपने तर्क है। धारा 370  समाप्त करने वाले समर्थकों का यह कहना है कि ये एक देश, एक विधान और एक निशान के सिद्धांत के विपरीत था तो विरोधी उन्हें नागालैंड का उदाहरण देकर उनकी करनी की याद दिलाने के साथ साथ यह भी सवाल दाग रहें है कि ऐसे में मोदी जी का सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा कैसे सही साबित होगा? वैसे अभी भी देश मे धारा 371 A से लेकर धारा 371 J तक के प्रावधानों के तहत देश के कई राज्यों को कुछ मामलों में विशेषाधिकार प्राप्त है जिनमे  कुछ राज्यों में आम भारतीय नागरिक को वहाँ की जमीन  नहीं खरीद सकने के प्रावधान भी शामिल है। इन राज्यों में नागालैंड, सिक्किम, मिजोरम, गोवा, हिमाचल प्रदेश,अरुणांचल प्रदेश, आसाम,मणिपुर के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, हैदराबाद और कर्नाटक के कुछ हिस्से भी शामिल है। वैसे जनसंघ से लेकर भाजपा तक हमेशा उनके घोषणा पत्र में धारा 370 हटाने का वायदा शामिल रहता था जिसे पूरा करने का मोदी सरकार दावा कर रही है। धारा 370 हटाने की प्रक्रिया में संवैधानिक रूप से कोई भूल चूक हुई है या नही? इसका फैसला तो सर्वोच्च न्यायालय ही कर सकता है।
  सरकार का यह भी मानना है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 के कारण ही यहाँ का विकास अवरुद्ध हुआ है और आतंकवाद को बढ़ावा मिला है। वैसे विकास की दृष्टि से जम्मू कश्मीर देश के किन अन्य राज्यों से पिछड़ा है? इसका मूल्यांकन करना भी जरूरी है। हां यह सही है कि पिछले कई वर्षों से सीमापार आतंकवादी गतिविधियों पर जरूर अंकुश नही लग पा रहा है और आये दिन सीमा पार या आतंकवादी हमलों में हमारे सुरक्षा बलों के जवान जरूर शहीद हो रहे है। इस बात को लेकर भारत पूरी दुनिया से पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग भी कर रहा है। अब जब धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान भारत से व्यापारिक और राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा कर चुका है तो भारत को भी अब उसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने में देरी नही करनी चाहिए।
     सरकार का यह दावा है कि उसके इस कदम से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होगा, सीमापार से घुसपैठ रुकेगी, अमन चैन कायम होगा और विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। सरकार का यह दावा कितना सही और कितना गलत साबित होगा यह तथ्य तो भविष्य की गर्त में छिपा है। लेकिन स्वतंत्रता दिवस की 72 वीं वर्षगांठ पर हमारी यही अपेक्षायें और शुभकामनाएं है कि जम्मू कश्मीर सहित पूरा देश आतंकवाद और सीमापार की घुसपैठ के चुंगल से मुक्त होकर दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करें।

आशुतोष वर्मा,
16 शास्त्री वार्ड,
सिवनी मध्यप्रदेश 480661
मो 9425174640