केवलारी के प्रभारी बनने के बाद दूसरे ही प्रवास में राजा भोज प्रतिमा अनावरण के मंच पर एक साथ दिखे गौरी और हरवंश
इस क्षेत्र के तीनों पार्षदों दलीय भावना से परे हटकर इस आन्दोलन को संचालित किया। इसमें सर्वाधिक चर्चित मामला क्षेत्र में सालों से बन रही पानी की टंकी हैं जिसमें ठेकेदार को बिना काम शुरू किये ही भारी धनराशि दे दी गई थी। केवलारी विधानसभाक्षेत्र के ग्राम मोहबर्रा में राजा भोज की प्रतिमा के अनावारण का कार्यक्रम सियासी हल्कों में चर्चित हैं। इस कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा द्वारा केवलारी क्षेत्र के प्रभारी बनाये गये मन्त्री गौरीशंकर बिसेन और क्षेत्रीय इंका विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सामाजिक आयोजन में हरवंश सिंह को बुलाने को लेकर भारी बवाल भी मचा था। पिछले बीसों सालों से मोहबर्रा गांव की पहचान वहां के वरिष्ठतम इंका नेता झुम्मक लाल बिसेन के कारण रही हैं। लेकिन इस कार्यक्रम में हरवंश सिंह के कारण उन्हें बहुत नीचा देखना पड़ा। अब इस सब के पीछे इंका और भाजपा के इन दो महारथियों की क्या रणनीति रहीर्षोर्षो इसके बाबद अभी कुछ भी कहना सम्भव नहीं हैं। एक तरफ बाबा के समर्थकों के साथ ही भाजपा के लोगों ने भी अनशन मेंं भागीदारी की हैं। जिलेके प्रमुख समाजवादर नेता वरिष्ठअधिवक्ता राजेन्द्र गुप्ता एवं नरेन्द्र अग्रवाल भी अपने साथियों के साथ धरने में शामिल हुये। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने भी बाबा को रामलीला मैदान में कार्यवाही के बाद समझाइश देने का खुलासा किया हैं।
भेरौगञ्ज में ग्यारह दिन चला धरना-नगरीय क्षेत्र की श्रीलंका मानी जाने वाली उप नगरी भेरौगञ्ज के नागरिकों ने एक समिति बना कर सोमवारी चौक में धरना दिया। समिति के अध्यक्ष महेश उर्फ मन्दरा डहेरिया बनाये गये थे। 11 दिनों तक चले इस धरने में पालिका के उपाध्यक्ष राजिक अकील ने सक्रिय भूमिका निभायी। इस क्षेत्र के तीनों पार्षदों दलीय भावना से परे हटकर इस आन्दोलन को संचालित किया। इसमें सर्वाधिक चर्चित मामला क्षेत्र में सालों से बन रही पानी की टंकी हैं जिसमें ठेकेदार को बिना काम शुरू किये ही भारी धनराशि दे दी गई थी। बताया जाता हैं कि यह ठेकेदार तत्कालीन सहायक ख्न्त्री डी. आदित्य कुमार का खास था जिसे सांठ गांठ और भारी लेन देन करके पैसा दे दिया गया। परिषद जिस ठेकेदार के कारण परेशानी में पड़ी हैं उसे पैसा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले आदित्य कुमार के खिलाफ ना जाने क्यों कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं र्षोर्षो इस परिषद के कार्यकाल में यह पहला जन आन्दोलन था। सिवनी की जनता आन्दोलित हो जाये तो इसे गम्भीरता से लेना चाहिये क्योंकि यहाँ के लोग बहुत अधिक सहनशील हैं। ऐसे लोग यदि सड़क पर उतर आयेेंं तो इसे नकारना घातक हो सकता हैं। वैसे पालिका प्रशासन ने 11 वें दिन अनशन को समाप्त कराने में तो सफलता हासिल कर ली हैं लेकिन यदि मांगों को पूरा करने की दिशा में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई तो यह लावा फिर कभी भी फूट सकता हैं।
राजा भोज की प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम में गौरी:हरवंश एक मंच पर दिखे-केवलारी विधानसभाक्षेत्र के ग्राम मोहबर्रा में राजा भोज की प्रतिमा के अनावारण का कार्यक्रम सियासी हल्कों में चर्चित हैं। इस कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा द्वारा केवलारी क्षेत्र के प्रभारी बनाये गये मन्त्री गौरीशंकर बिसेन और क्षेत्रीय इंका विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस आयोजन में सिर्फ हरवंश सिंह ही गैर पवार नेता थे अन्यथा सभी नेता समाज के ही थे। सामाजिक आयोजन में हरवंश सिंह को बुलाने को लेकर भारी बवाल भी मचा था। पिछले बीसों सालों से मोहबर्रा गांव की पहचान वहां के वरिष्ठतम इंका नेता झुम्मक लाल बिसेन के कारण रही हैं। वे लम्बे समय से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहें हैं और उन्हें बहुत सम्मान की नज़रों से देखा जाता हैं। वे पार्टी में भी कई पदों पर रहें हैं और केवलारी जनपद पंचायत के अध्यक्ष तथा पहली जिला पंचायत के उपाध्यक्ष भी रहें हैं। लेकिन इस कार्यक्रम में हरवंश सिंह के कारण उन्हें बहुत नीचा देखना पड़ा। बताया जाता हैं पैसा फेंक तमाशा देखने के आदी हरवंश सिंह ने झुम्मक भाऊके पास पचास हजार रूपये भेज दिये और कार्यक्रम में आने का आग्रह भी किया। भोले भाले झुम्मक भाऊ ने चाल समझी नहीं और उन्हें आमन्त्रित कर लिया। जब समाज में यह बात पता चली तो इसका भारी विरोध हुआ और निZविवादित रहने रहने वाले झुम्मक भाऊ विवाद में आ गये। बताया जाता हैं कि समाज के दवाब के चलते उन्हें ना केवल इस बात के लिये माफी मांगनी पड़ी वरन उन्होंने वे पैसे भी दे दिये कि आप लोगों को जैसा उचित लगे वैसा करें। समाज के एक बुजुर्ग का मान रखने के लिये लोग इस बात के लिये सहमत हो गये।राजनैतिक क्षेत्रों में ऐसा माना जा रहा था कि अपने कारण इतने बुजुर्ग कांग्रेसी के अपमान को देखते हुये हरवंश सिंह आयेंगें नहीं जेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि हरवंश सिंह ने यह सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया था। उनका ऐसा मानना था कि प्रदेश भाजपा द्वारा हाल ही में प्रभारी बनाये गये गौरीशंकर बिसेन के साथ एक ही मंच पर दिखकर वे यह राजनैतिक संकेत देना चाहते थे कि नूरा कुश्ती आगे भी जारी रहेगी। वैसे यह बात भी गौर करने लायक हैं कि एक ही मंच पर आने से ना तो गौरी भाऊ ने परहेज किया और ना ही हरवंश सिंह ने। लेकिन यह जरूर देखा गया कि केवलारी के भाजपा प्रत्याशी पूर्व मन्त्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन इस कार्यक्रम में शामिल नहीं थे। वैसे बताया तो यह गया कि वे अपनी अस्वस्थता के कारण शामिल नही हो पाये थे लेकिन उनका वहां ना रहना राजनैतिक हल्कों में चर्चित रहा।अब इस सब के पीछे इंका और भाजपा के इन दो महारथियों की क्या रणनीति रही? इसके बाबद अभी कुछ भी कहना सम्भव नहीं हैं। वैसे एक बात तो सर्वमान्य हैं कि ये दोनों ही नेता हरफन मौला खिलाड़ी हैं और कब किसको कौन दांव लगा कर चित कर दें ?इसकी भविष्यवाणी भी करना सम्भव नहीं हैं।
बाबा के अनशन के आस पास घूमती रही जिले की राजनीति-बाबा रामदेव के अनशन को लेकर राजनीति जिले भी गरमायी रही। एक तरफ बाबा के समर्थकों के साथ ही भाजपा के लोगों ने भी अनशन मेंं भागीदारी की हैं। भाजपा के सभी प्रमुख नेता अध्यक्ष सुजीत जैन,विधायक द्वय नीता पटेरिया और कमल मर्सकोले,पूर्व मन्त्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन, पूर्व विधायक नरेश दिवाकर, संगठन मन्त्री सन्तोष त्यागी सहित संघ के प्रमुख लोगों ने भी हिस्सा लिया।इनके अलावा जिलेके प्रमुख समाजवादर नेता वरिष्ठअधिवक्ता राजेन्द्र गुप्ता एवं नरेन्द्र अग्रवाल भी अपने साथियों के साथ धरने में शामिल हुये। बाबा के कार्यक्रम में प्रमुखता से मंच पर आसीन होने वाले विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने रामलीला मैदान में सरकार द्वारा की गई कार्यवाही के बाद एक विज्ञप्ति जारी कर यह खुलासा किया कि उन्होंने बाबा को सिवनी प्रवास के दौरान उनकी समर्थक आशा सनोड़िया के निवास पर यह समझाइश दी थी कि यदि वे योग ही कराते रहेंगें तो पूजे जायेंगें और यदि राजनीति में आयेंगें तो उनकी फजीहत हो जायेगी। उनकी यहसमझाइश की बात यदि बाबा के कार्यक्रम के तुरन्त बाद आती और बाबा के समर्थक यदि उन्हें हरवंश सिंह की समझाइश मान लेने के लिये मना लेते तो ना तो केन्द्र की कांग्रेस सरकार को इतनी मशकक्त करनी पड़ती और ना ही बाबा की इतनी फजीहत होती। हरवंश सिंह के इसखुलासे के बाद जिला कांग्रेस ने भी बाबा पर तीखे हमले किये हैं वरना इसके पहले कांग्रेस की चुप्पी राजनैतिक हल्कों में चर्चित रही हैं। बाबा के रामलीला मैदान में अनशन शुरू करने के साथ ही पूरे देश में बाबा ने अपने समर्थकों को अनशन शुरू करने का आव्हान किया था और दावा किया था कि पूरे देश के 624 जिलों में एक करोड़ लोग उनके साथ अनशन करेंगें। इस हिसाब से देश के हर जिले में 16026 आदमी धरने पर बैठना चाहिये थे। लेकिन देश के किसी भी जिले में इतने लोग धरने में बैठे नहीं दिखे। इससे एक बात तो साबित हो गई हैं कि बाबा के कार्यक्रमों में लोग योग के कारण ही आते थे और जब बिना योग के लोगों का बाबा ने अनशन के लिये आव्हान किया तो सारा आयोजन पिट गया। कुछ दिन बाद जब भाजपायी और अन्य नेता हट गये तो बमुश्किल अगुंलियों पर गिने जाने लायक लोगों ने बाबा के स्वस्थ्य होने वाले यज्ञ में हिस्सा लिया। बाबा रामदेव के मुद्दे सही होने के बावजूद भी ऐसे थे जिन पर तत्काल सब कुछ करना सम्भव नहीं था और बाबा समय देने को तैयार नहीं थे। इसी कारण मामला तूल पकड़ गया और योग गुरू बाबा अनशन के छठवें दिने से बीमार हो गये।
,गेहूँ खरीदी में किसानो का दस हजार िक्व.ज्यादा तौल कर एक करोड़ सत्ताइस लाख की रकम का हुआ गोलमाल
जांच कर दोषियों को दंड़ित करने और किसानो की रकम खाते में डलवाने की प्रशासन से अपेक्षा
सिवनी। समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी में किसानों का लगभग 10 हजार िक्वण्टल गेहूँ ज्यादा तौल कर उनका शोषण किया गया हैं। इस गेहूँ की कीमत 1 करोड़ 27 लाख रुपये होती हैं। प्रशासन से अपेक्षा है कि नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में रखी बोरियों को तौल कर इस घोटाले की जांच कर दोषियों को दंड़ित करें तथा किसानों को मिलने वाली यह रकम उनके खातों में जमा करायी जाये।
उल्लेखनीय हैं कि जिले में सहकारी समितियों के माध्यम से गेहूँ खरीदी का काम किया गया था शासन द्वारा निर्धारित 31 मई तक जिले में लगभग 10 लाख िक्वण्टल गेहूँ किसानों से खरीदा गया हैं।
लगभग सभी खरीदी केन्द्रों पर किसान के गेहूँ तोलने में गोल माल किया गया हैं। हर बोरी में पचास किलो के बजाय 51 किलो से लेकर 51 किलो 300 ग्राम तक गेहूँ तौला गया हैं। बताया जाता है कि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों का यह दवाब था कि 50 किलो की हर बोरी पर कम से कम आधा किलो की ज़िन्दा तौल कर ही लाया जाये। मानक आधार पर हर बोरी का वजन 650 ग्राम होना चाहिये था लेकिन घटिया खरीदी गई बोरियों का वजन 450 ग्राम से लेकर 500 ग्राम तक का ही था। इस तरह किसान से कम से कम 1 किलो प्रति िक्वण्टल गेहूँ अधिक तौल में लिया गया हैं। विरोध करने वाले किसानों का माल ही नहीं लिया जाता था।
जिले में हुयी 10 लाख िक्वण्टल की खरीदी में इस तरह किसान का 10 हजार िक्वण्टल ज्यादा तौला गया जिसकी कीमत 1270 रु. प्रति िक्वण्टल के हिसाब से 1 करोड़ 27 लाख रुपये होती हैं। केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित 1170 रु. पर राज्य सरकार द्वारा 100 रु. प्रति िक्वण्टल बोनस किसानो को दिया गया था। लेकिन इस लूट पाट के कारण किसान को हर िक्वण्टल पर कम से कम 12रु. 70 पैसे कम कीमत मिली हैं।
जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि करोड़ो के इस घोटाले की जांच की जाये। यह भी अपेक्षा है कि प्रशासन नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में बोरियों को तुलवा कर इससच का पता लगा सकते हैं जिसमें किसानो को मिलने वाली 1 करोड़ 27 लाख रुपये की राशि गोल हो गई हैं। प्रशासन से यह भी अपेक्षा हैं कि जिस किसान ने जितना गेहूँ बेचा है उसमें एक किलो गेहूँ का मूल्य जोड़ कर यह रकम उनके खातों में जमा करायी जाये और इस गोल माल करने के दोषियों के खिलाफ दंड़ात्मक कार्यवाही की जाये।