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Monday, October 16, 2017

अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है दीपावली। इस दिन भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। अमावस्या की काली रात के अंधेरे को दिये जलाकर दूर करते है। आज कल झालरों से भी रोशनी की जाती है। इन दिनों देश मे यह अभियान भी चलाया जा रहा है कि चीन की झालरों और फाटकों का बहिष्कार करो और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करो। क्योंकि चीन का इतिहास देश के साथ धोखा देने का रहा है। हमारे नेता तो चीन जाकर निवेश करने और उद्योग लगाने की बात करते है लेकिन जनता से इन छोटी छोटी चीजों के बहिष्कार करने का आव्हान करते है। इसका वास्तविक कारण हमें तलाशना पड़ेगा। वास्तव में देखा जाये तो चीन हमारा पाकिस्तान की तरह शत्रु देश तो है ही लेकिन हर मामले में हमारा प्रतिद्वंद्वी देश भी है। आर्थिक रूप से हमें उसकी चुनोतियो का सामना करना चाहिए। आज देश नोटबंदी और जी एस टी के आर्थिक प्रयोग के दौर से गुजर रहा है। सत्ता दल का कहना है कि आगे अच्छे दिन आयेंगे जबकि विपक्ष का मानना है कि इन कदमों से देश में आर्थिक अंधकार छा गया है और देश के विकास की दर गिर गई है। सत्ता दल और विपक्ष भले ही कुछ भी कहें लेकिन एक बात तो सच है कि आज बाज़ार में चीजें तो ढेर सारी है लेकिन लोगों की जेबों में जरूरत की चीजों के लिये भी पैसे की कमी है। इस कारण लोगों के मन में भी अंधकार छा गया है। जब वर्तमान में ही कुछ सूझ ना रहा हो तो भविष्य में तो अंधकार छटने की उम्मीद करना बेमानी ही है। आज जरूरत इस बात की भी है कि हमारे उद्योग लागत मूल्य और बिक्री मूल्य में अंतर को कम करें और लिये जाने वाले भारी मुनाफे में भी कमी करें। तभी हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतियोगिता में टिक पायेंगे। सरकार को भी मूल्य निर्धारण में अपना ऐसा नियंत्रण रखना चाहिये कि सिर्फ उद्योगपति और कारपोरेट जगत को ही नही वरन आम आदमी को भी राहत मिल सके। आज देश में दीवाली की अमावस्या की काली रात का अंधकार ही दियों से दूर नही करना है वरन आर्थिक अंधकार को दूर करने के कारगर उपाय भी ढूढऩे है। तभी लोगों के मन का अंधकार भी दूर हो पायेगा और आम आदमी भी खुश रह पायेगा। तो आइये आज हम अपने सीमित आर्थिक साधनों से अपनी जरूरतों को पूरी करने का संकल्प ले ताकि हम भी खुश रह सकें और देश को भी खुशहाल बना सकें।