क्या भाजपा द्वारा बाकोवर देने वाली तीस विधानसभा सीटों में हरवंश सिंह की केवलारी भी शामिल है?
जिला भाजयुमो द्वारा शहीद दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम की जिला भाजपा द्वारा जारी एवं अखबारों में प्रकाशित विज्ञप्ति को पढ़ कर ऐसा लगा कि मानो शहीदों की याद कराना और शहीद दिवस मनाना तो एक रस्म अदायगी थी। इस मौके का लाभ लेते हुये तमाम भाजपा नेताओं ने ना सिर्फ कांग्रस पर राजनैतिक हमला बोला वरन अधिकांश समय भाजपा नेता भ्रष्टाचार पर भाषण झाड़ते रहे। सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह हैं कि भ्रष्टाचार पर सबसे ज्यादा प्रवचन विधायक नीता पटेरिया और पूर्व विधायक नरेश दिवाकर ने दिये। जिसे पढ़कर पठकों ने ना केवल मजा लिया वरन कुछ तो यह कहने से भी नहीं चुके कि सूपा बोले तो बोले छलनी भी बोल रही हैं। मुख्यमन्त्री और प्रदेश भाजपा ने पहले कांग्रेस से हारी हुयी सीटों को चििन्हत कर उन्हें जीतने के लिये पर्यवेक्षक नियुक्त किये लेकिन उज्जैन में हुयी कार्यकारिणी की बैठक में दो सौ सीटें जीतने का लक्ष्य बना बनाया और तीस सीटें अभी से छोड़ दी हैं। भाजपा द्वारा छोड़ी गई इन सीटों को लेकर कांग्रेसी हल्कों में तरह तरह के कयास लगाये जा रहें है।समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिये जारी किये गये निर्देशों को लेकर राजनीति शुरू हो गई हैं।सबसे पहले जिला पंचायत उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया और फिर हरवंश सिंह ने मामला उठाया लेकिन इस पूरे मामले में जिला भाजपा की चुप्पी किसान पुत्र मुख्यमन्त्री को ही कठघरे में खड़ा कर देती हैं।
शहीद दिवस पर भ्रष्टाचार के खिलाफ खूब बोले नीता और नरेश-बीते दिनों जिला भाजयुमो ने शहीद दिवस पर श्रृद्धाञ्जली कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें शहीदों को याद कर उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लेना था। जिला भाजपा कार्यालय में जिला भाजपाध्यक्ष सुजीत जैन,विधायकनीतापटेरिया,पूर्व विधायक नरेशदिवाकर,जिला भाजयुमो के नवनियुक्त अध्यक्ष नवनीत सिंह की उपस्थिति में शहीद दिवस मनाया गया।इस कार्यक्रम में उपस्थित कार्यकत्ताZओं को सभी वरिष्ठ नेताओ ने सम्बोधित किया। इस कार्यक्रम की जिला भाजपा द्वारा जारी एवं अखबारों में प्रकाशित विज्ञप्ति को पढ़ कर ऐसा लगा कि मानो शहीदों की याद कराना और शहीद दिवस मनाना तो एक रस्म अदायगी थी। इस मौके का लाभ लेते हुये तमाम भाजपा नेताओं ने ना सिर्फ कांग्रस पर राजनैतिक हमला बोला वरन अधिकांश समय भाजपा नेता भ्रष्टाचार पर भाषण झाड़ते रहे। सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह हैं कि भ्रष्टाचार पर सबसे ज्यादा प्रवचन विधायक नीता पटेरिया और पूर्व विधायक नरेश दिवाकर ने दिये। जिसे पढ़कर पठकों ने ना केवल मजा लिया वरन कुछ तो यह कहने से भी नहीं चुके कि सूपा बोले तो बोले छलनी भी बोल रही हैं। अपने ही कार्यकत्ताZओं के सामने ऐसे नेताओं को ऐसे उपदेश देना शोभा नहीं देता क्योंकि आम आदमी से ज्यादा तो कार्यकत्ताZ अपने नेता के बारे में जानता है। शहीदों को कांग्रेस द्वारा आतंकवादी बनाने की बात भी कही गई। जिला भाजपा को ऐसे आरोप लगाने से कोई रोक तो नहीं सकता लेकिन ऐसेमहान क्रान्तिकारियों के शहीद दिवस पर ऐसे राजनैतिक आरोप लगाकर जिला भाजपा और उसके नेता उससे भी बड़ा पाप कर रहें हैं। शहीद दिवस पर कांगेस कार्यालय में भी श्रृद्धाञ्जली कार्यक्रम आयोजित हुआ लेकिन उसमें ना तो भाजपा पर कोई रानजैतिक आरोप लगाये गये और ना ही प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार और उसके लगभग एक दर्जन मन्त्रियों पर लोकायुक्त में चल रहे भ्रष्टाचार के मामलो की चर्चा की गई थी। मुसाफिर तो यही सलाह मुफ्त में देनाचाहता हैं कि कांच के घर में रहने वालों को दूसरों के घरों में पत्थर नही फेंकने चाहिये। अब यह तो जिला भाजपा पर निर्भर करता हें कि वे इस सलाह को माने या ना मानें।
प्रदेश भाजपा द्वारा छोड़ी गई तीस सीटों को लेकर चर्चायें जारी हैं-मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा पिछले कई महीनों से हेट्रिक बनाने की योजना बनाने और उस पर अमल करने में जुटे हुये हैं। इस सिलसिले में आज से कुछ महीने पहले यह तय किया था कि भाजपा उन सभी सीटों को जीतने की रणनीति बनायेगी जो सीटें वो इस चुनाव में कांग्रेस से हारी थी। इसके लिये उसने विधानसभावार प्रभारी भी नियुक्त किये थे। प्रभारियोंकी जो सूची जारी हुयी थी उसे लेकर भी राजनैतिक क्षेत्रों में आश्चर्य व्यक्त किया गया था। कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं के क्षेत्रों में जो पर्यवेक्षक नियुक्त किये थे उनका राजनैतिक कद बहुत बौना था। उदाहरण के लिये विधानसभा उपध्यक्ष हरवंश सिंह के केवलारी विधानसभा क्षेत्र में विधायक जयसिंह मरावी को प्रभारी बनाया गया था। प्रभारी बनने के बाद से वे आज तक केवलारी क्षेत्र में नहीं आये हैं। इसे लेकर मुख्यमन्त्री के सुकतरा प्रवास के दौरान क्षेत्र के भाजपाइयों ने शिकायत भी की थी जिसे मुख्यमन्त्री ने यह कह कर टाल दिया था कि यदि आप चुनाव में भाजपा को जिता देते तो यह नौबत ही नहीं आती। यह तो रहा प्रभारियों का आलम। अब हाल ही में उज्जैन में आयोजित प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी में भाजपा ने यह तय किया हैं कि वो 200 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चलेगी। वैसे तो यह बात सही हैं कि कोई भी राजनैतिक दल प्रदेश की सभी सीटें नहीं जीतती लेकिन दो साल पहले से ऐसा भी नहीं किया जाता कि कई सीटे छोड़ देने की मांसकिता बनायी जाये। प््राद्रेश भाजपा के इस निर्णय से यह बात साफ हो जाती हैं कि भाजपा ने अभी से तीस सीटें छोड़ देने का मन बना लिया हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का ऐसा मानना हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं हैं कि प्रदेश के कांग्रेस के दिग्गजों के चुनिन्दा समर्थक विधायकों के लिये अभी से वाकोवर देने की रणनीति बना ली हैं ताकि आसानी से तीसरी पारी खेली जा सके। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि परदे के पीछे खेले जा रहे इस खेल में कुछ भाजपायी लोकसभा सीटों की भी सौदेबजी करने की योजना हो। वैसे भी प्रदेश में यह कोई नई बातनहीं हैं जब भाजपा और कांग्रेस के चुनिन्दा नेताओं के बीच ऐसे राजनैतिक सौदे ना हुये हों। अब तो सभी को इस बात की उत्सुकता हैं कि वे कौन सी तीस सीटें हैं जिन्हें भाजपा ने अभी से छोड़ दिया हैं। भाजपा को चाहिये कि वो इस बात का खुलासा करें। राजनैतिक क्षेत्रों में यह भी चर्चा हैं कि ऐसी सौदेबाजी करने में माहिर नेताओं ने अपनी जुगाड़ जरूर जमा ली होगी।सियासी हल्कों में यह भी चर्चा जोरों पर हैं कि कहीं इन तीस सीटों में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की केवलारी सीट भी तो शामिल नहीं हैंर्षोर्षोइसका खुलासा तो दो साल बाद टिकिट बटने पर ही होगा तब तक लोग शायद यह भूल भी जायेंगें कि कभी ऐसा कुछ लिखा गया था।
गेहूं खरीदी का मामला उठाने में अनिल के फालोअर बन गये हरवंश -समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिये जारी किये गये निर्देशों को लेकर राजनीति शुरू हो गई हैं। सबसे पहले जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया ने बयान जारी करे इस बात पर आपत्ति उठायी कि सिंचित और जमीन के लिये गेहूं की उपज लेने की जो सीमायें निर्धारित की गईं हैं वे कम हैं। निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक उपज किसान पैदा करता हें। इसके बाद जिले के इकलौते कांग्रेस विधायक हरवंश सिंह ने भी एक पत्र कलेक्टर को लिख कर इसे निरस्त करने की मांग की। इस पत्र को उन्होंने अखबारों में भी भेजा। कांग्रेस ने तो इस सम्बन्ध में पहल की लेकिन किसान पुत्र मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान की अपनी पार्टी भाजपा की जिला शाखा ने इस सम्बन्ध में कोई बयान भी जाराी करना उचित नहीं समझा जबकि छोटे से छोटे मामले में जिला भाजपा का बयान जारी होना आम बात हो गई हैं। सिर्फ राजनैतिक बयान जारी करने और अपने ही मुंह से अपने आप को किसानों का हितैषी बताने से कोई किसानों का हित चिन्तक नही हो जाता हैं वरन उसे उनके हितों की चिन्ता भी करनी पड़ती हैं। ऐसा पता चला हैं कि ये निर्देश निरस्त तो नहीं होंगें लेकिन इनमें संशोधन होकर सिंचित जमीन की निर्धारित मात्रा बढ़ा दी जायेगी। जिससे उचित मात्रा में किसानो की उपज खरीदी जा सके।