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Monday, July 4, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

क्या राहुल और भूरिया की धार बोथली साबित करने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत जबेरा में हराया गया कांग्रेस को?

विधायक नीता पटेरिया पर भाजपा के ही अन्य जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा करने के आरोप पार्टी में ही चस्पा हो रहें हैं। बीते दिनों जनपद पंचायत सिवनी की अध्यक्ष किरण अवधिया ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके नीता पटेरिया को कठघरे में खड़ा कर भाजपा से त्यागपत्र दे दिया हैं। उनका आरोप हैं कि नीता की ही शह पर सी.ओ.उन्हें ना केवल नकार रहीं हैं वरन अपमानित भी कर रहीं हैं। जबेरा में इंका की हार के बारे में राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि अजय सिंह और भूरिया को बोथला साबित करने के लिए तथा इंका महासचिव दिग्विजय सिंह पर वार करने के लिए प्रदेश के क्षत्रपों को हथियार मुहैया कराने के लिए यह सब एक सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा हैं।पिछले लंबे समय से इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह स्वयं प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष बनने की जुगाड़ में लगे थे। लेकिन उनके दागदार इतिहास के चलते उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी।केवलारी विस क्षेत्र के भाजपा के प्रभारी बनने के बाद प्रदेश के मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने अपने अंदाज में दौरे चालू कर दिए हैं। अपने कार्यक्रमों में वे ना केवल अधिकारियों को चमका रहें हैं वरन इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के समाने यह कहने से भी नहीं चूक रहें हैं कि यदि ठीक से काम नहीं करोगे तो तुम्हें कोई बचा भी नहीं पाएगा।

नीता पर उपेक्षा का आरोप लगा भाजपा छोड़ी जनपद अध्यक्ष किरण ने -विधायक नीता पटेरिया पर भाजपा के ही अन्य जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा करने के आरोप पार्टी में ही चस्पा हो रहें हैं। बीते दिनों जनपद पंचायत सिवनी की अध्यक्ष किरण अवधिया ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके नीता पटेरिया को कठघरे में खड़ा कर दिया हैं। उनका आरोप हैं कि नीता की ही शह पर सी.ओ.उन्हें ना केवल नकार रहीं हैं वरन अपमानित भी कर रहीं है और उनके द्वारा शिकायत करने के बाद भी भाजपा की ही सरकार में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। जनपद अध्यक्ष ने अपने पति वरिष्ठ भाजपा नेता किशोरी लाल अवधिया ने भाजपा की सदस्यता से स्तीफा देने की घोषणा कर दी हैं। यहां यह उल्लेखनीय है केवलारी विस क्षेत्र के गा्रम कान्हीवाड़ा की रहने वाली किरण अवधिया की मारक क्षमता सिवनी विसक्षेत्र में नहीं हें इसलिए ही शायद वे विधायक नीता पटेरिया द्वारा उपेक्षित की जा रहीं थीं। हालांकि अभी उन्होंने किसी पार्टी की सदस्यता नहीं ली हैं लेकिन ऐसे कयास लगाए जा रहें हैं कि अब शायद वे हरवंश सिंह के प्रयासों से इंका की सदस्यता ले लेंगी।यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं जनपद चुनाव के दौरान किरण ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी और इंका के कुछ हरवंश विरोधियों ने उन्हें जिता दिया था। वे तत्कालीन प्रदेश इंका अध्यक्ष सुरेश पचौरी के कार्यक्रम में शामिल भी हुयीं थीं लेकिन ना तो उन्हें कांग्रेस में तव्वजो मिली और ना ही उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ा था। उनके पति किशोरीलाल अवधिया क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपायी नेता माने जाते हैं। उसके बाद भी उनकी पत्नी की उपेक्षा ने उन्हें भी इतना प्रताड़ित किया कि उन्होंने भी भाजपा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया हैं। भाजपा विधायक नीता पटेरिया पर इस आरोप के बाद छपारा क्षेत्र के दो जनप्रतिनिधियों ने भी उपेक्षा का आरोप चस्पा कर दिया हैं। नप अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के समर्थक भी उनके हो रहे विरोध के पीछे विधायक नीता पटेरिया की भूमिका ही बताते हैं। इस सबको देखकर यही कहा जा सकता हैं किम यह कहावत सौ फीसदी सही हैं कि राज के साथ राजरोग आते ही हैं।

जबेरा में इंका की हार क्या सोची समझी रणनीति थी?-इंका विधायक रत्नेश सालोमन के निधन से रिक्त हुयी जबेरा विधानसभा सीट से उनकी बेटी डॉ. तान्या सालोमन की उप चुनाव में भारी हार से इंका की राजनीति में बवाल आ गया हैं। जहां एक ओर प्रदेश स्तर पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और चुनाव संचालक हरवंश को घेरने के प्रयास किए जा रहें हैं तो वहीं दूसरी ओर इस हार को इस रूप में भी देखा जा रहा हैं कुछ अति महत्वाकांक्षी इंका नेताओं ने सोची समझी रणनीति के तहत इंका की नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की धार कमजोर करने के लिए यह षड़यंत्र रच कर सफलता हासिल कर ली हैं। पिछले लंबे समय से इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह स्वयं प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष बनने की जुगाड़ में लगे थे। लेकिन उनके दागदार इतिहास के चलते उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी। भूरिया और अजय सिंह के समय भी ये दौड़ में थे और कुछ पाना तो दूर जो विस उपाध्यक्ष का पद उनके पास हैं वह भी दांव में लग गया था। अजय सिंह की नियुक्ति और प्रियव्रत सिंह के प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए जाने के बाद हरवंश सिंह का पद दांव में लगा हुआ हैं। अपने लाभ के लिए पार्टी से गद्दारी और भाजपा से सांठ गांठ करना उनका शगल बन चुका हैं। अतीत के ऐसे कई उदाहरणों की समय समयपर इंका नेताओं ने आला कमान को शिकायतें भी भेजी थीं लेकिन इनके प्रभाव के चलते वे सब ठंड़े बस्ते में चली जाती हैं। प्रदेश का कोई ना कोई बड़ा इंका नेता उन्हें बचा लेता हैं। हरवंश के इन्हीं कारनामों के चलते उनके गृह जिले सिवनी में लोकसभा दो बार से,सिवनी और बरघाट विस पिछले पांच चुनावों से, लखनादौन दो चुनावों से और सिवनी नगर पालिका अध्यक्ष दो चुनावों स कांग्रेस हारती जा रही हैं। जिले की एक मात्र केवलारी विस क्षेत्र से हरवंश सिंह तो पिछले चार चुनावों से विधायक बनते आ रहें हैं लेकिन उनके क्षेत्र से चंद महीनों बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हर बार हार जाती हैं। इंका नेता आशुतोष वर्मा ने इस बारे में प्रमाणों के साथ कई बार आलाकमान के सामने अपना रोना रोया लेकिन हरवंश सिंह कुछ भुगतने बजाय हर बार कुछ ना कुछ पाते ही रहे। जबेरा चुनाव में कांग्रेस की हार से हरवंश सिंह के राजदार कांग्रेसी नेता बहुत खुश दिखायी दे रहे हैं और यह कहने से भी नहीं चूक रहें हैं कि यदि हरवंश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाता तो कांग्रेस को ये दिन नहीं देखने पड़ते। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि अजय सिंह और भूरिया को बोथला साबित करने के लिए तथा इंका महासचिव दिग्विजय सिंह पर वार करने के लिए प्रदेश के क्षत्रपों को हथियार मुहैया कराने के लिए यह सब एक सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा हैं। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि अजय सिंह ने साफ शब्दों में भोपाल की स्वागत रैली में मंच से यह तक कह दिया था कि हम प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तो बना लेंगें अगर हरवंश सिह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मदद करना बंद कर दें। कुछ इंकाइयों का तो यह भी मानना हैं कि हरवंश सिंह ने अपना पद बचाने लिए जानबूझ कर कांग्रेस को हार के गर्त में गिराया हैं ताकि अजय सिंह और भूरिया उन पर स्तीफा देने के लिए कुछ कहने के लायक ही ना रह जाए और उनका पद बच जाए। हरवंश सिंह को चुनाव संचालक बनाने के फैसले को कुछ विश्लेषक आत्मघाती निर्णय मान रहें हैं। दिग्गी राजा से हरवंश सिंह की पिछली निकटता को आधार बनाकर प्रदेश के कुछ इंकाई क्षत्रप दिग्गी राजा पर आक्रमण करने की रणनीति बनाने में भी जुट गए हैं। वैसे पिछले दिनों कांग्रेस आला कमान द्वारा बनायी गईं तीन महत्वपूर्ण समितियोंमें हरवंश सिंह को शामिल ना किए जाने को लेकर भी तरह तरह की अटकलें जारी हैं जबकि उनसे कद में बौने कई इंका नेताओं को इनमें शामिल किया गया हैं।

गौरी ने कमाल दिखाना शुरू किया केवलारी में-केवलारी विस क्षेत्र के भाजपा के प्रभारी बनने के बाद प्रदेश के मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने अपने अंदाज में दौरे चालू कर दिए हैं। अपने कार्यक्रमों में वे ना केवल अधिकारियों को चमका रहें हैं वरन इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के समाने यह कहने से भी नहीं चूक रहें हैं कि यदि ठीक से काम नहीं करोगे तो तुम्हें कोई बचा भी नहीं पाएगा। मंच से हरवंश सिंह पर तीखे प्रहार करके भाजपा कार्यकत्ताZओं की तालियां बटोरने में भी कामयाब रहें हैं। हरवंश सिंह और और गौरीशंकर बिसेन की राजनैतिक शैली एक जैसी हैं। राजनैतिक क्षेत्रों में यह चर्चा व्याप्त हैं कि इन दोनों हरफन मौला नेताओं के बीच हाने वाली पेंतरें बाजी ना केवल रोचक होगी वरन किस अंजाम पर पहुचेंगीर्षोर्षो इस पर कुछ भी कहना संभव नहीं हैं। ये दोनों ही नेता यह मानकर चलते हैं कि राजनीति में ना तो हमेश कोई दुश्मन होता है औ ना ही दोस्त। इसलिए कब कौन किस पर दवाब बना कर अपना उल्लू सीधा कर लेर्षोर्षो यह देखने योग्य दृश्य होगा।

















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