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Monday, November 14, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

वन मंत्री सरदार सरताज सिंह को जिले में सरदार,सरताज और असरदार कोई भाजपा नेता नहीं ब्लकि इंका विधायक हरवंश सिंह ही दिखे

तेदूं पत्ता बोनस कार्यक्रम के लिये आये प्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह का दौरा भी राजनैतिक क्षेत्रों में विवादित होकर रह गया हैं। विस उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश के बर्रा स्थित निवास में सरताज सिंह का भोजन कार्यक्रम विवाद में रहा। नीता पटेरिया को छोड़कर भाजपा के सभी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने कार्यक्रम का अघोषित बहिष्कार कर दिया था। सरदार सरताज सिंह को जिले में सरदार,सरताज और असरदार भी किसी भाजपा नेता के बजाय सिर्फ हरवंश सिंह ही दिखे और कांई नहीं। ऐसे में यदि नूरा कुश्ती के चर्चे आम तो भला क्या गलत है? जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह का जन्म दिन भी 11 11 11 के विशेष दिन पड़ा तो इसका आयोजन भी विशेष रहा। शासन द्वारा दी जाने वाली विधायक निधि से हरवंश सिंह ने अपने केवलारी क्षेत्र में पड़ने वाली 21 पंचायतों को टेंकर दिये। यह सही है कि राजशाही के दौरान राजा अपना या अपने बच्चों का जन्म दिन मनाते थे औा अपने खजाने से अपनी जनता को खैरात बांटा करते थे। लेकिन लोक शाही में एक लोक सेवक द्वारा शासकीय आयोजन कर सरकारी पैसे से टेंकर बांटना कतई उचित नहीं कहा जा सकता हैं।

क्षेत्रीय भाजपा विधायक शशि ठाकुर भी बोनस वितरण कार्यक्रम में रहीं अनुपस्थित-तेदूं पत्ता बोनस कार्यक्रम के लिये आये प्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह का दौरा भी राजनैतिक क्षेत्रों में विवादित होकर रह गया हैं। विस उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश के बर्रा स्थित निवास में सरताज सिंह का भोजन कार्यक्रम विवाद में रहा। हालांकि हरवेश सिंह ने इंकाइयों के साथ साथ भाजपाइयों को भी भेाज में आमंत्रित किया था लेकिन अधिकांश भाजपाइयों ने इसमें शरीक होना उचित नहीं समझा। जिले के भाजपा नेताओं का आरोप हैं कि वन मंत्री ने भाजपा के नेताओं और जन प्रतिनिधियों को कोई तव्वजोनहीं दी। जिला भाजपा के संगठन के साथ ही जन प्रतिनिधियों को भी उचित महत्व नहीं दिया गया। क्षेत्रीय भाजपा विधायक शशि ठाकुर के स्थान पर विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह से अध्यक्षता कराना उन्हें रास नहीं आया और लखनादौन में रहते हुये भी उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होना उचित नहीं समझा। इसी तरह महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर जिन्हें कि कबीना मंत्री का दर्जा प्राप्त हैं उन्हें विशिष्ट अतिथिबनाना और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त हरवंश सिंह से अध्यक्षता कराना भी उनके समर्थकों को रास नहीं आया और वे लखनादौन ना रुक कर सीधे जबलपुर चले गये। क्षेत्रीय सांसद रहते हुये भी इंका के बसोरी सिंह मरकाम एवं भाजपा के के.डी.देशमुख का तो नाम ही कार्ड से गोल कर दिया गया था। भाजपा विधायक कमल मर्सकोले एवं भाजपा के ही नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने भी कार्यक्रम किनारा कर लिया था। पूर्व वन मंत्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसन, जिन्होंने नई तेदूं पत्ता नीति बनायी थी जिसे लेंकर भाजपा कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुये अपने आपको आदिवासियों का बड़ा हितैषी बताती हैं उन्हें भी कारर्यक्रम में दर किनार कर दिया गयश। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि बिसेन ही हरवंश सिंह के खिलाफ भाजपा की ओर से केवलारी से चुनाव लड़े थे। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन सहित संगठन के सभी पदाधिकारियों ने कार्यक्रम का अघोषित बहिष्कार कर दिया। प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष एवं सिवनी की विधायक नीता पटेंरिया जरूर कार्यक्रम में सम्मलित हुयी जिस पर मीडिया ने 63 और 36 के आंकड़े का सवाल उठाते हुये समाचार भी प्रकाशित हुये जिसका प्रतिवाद करते हुये नीता पटेरिया ने यह सफाई भी दी कि उनके हरवंश सिंह से संबंध 36 के थे, हैं और रहेंगें। ऐसा नहीं हैं कि भाजपा के सात साल के कार्यक्रम में यह कोई पहला मौका हें जब भाजपाइयों को यह लगा हो कि आज भी उनकी सरकार नहीं हैं। पहले भी कई बार ऐसे अघोषित बहिष्कार भाजपाई कर चुके हें लेकिन बार बार इसकी पुनरावृत्ति होने से सियासी हल्कों में तरह तरह के सवाल उठना स्वभाविक हैं। वैसे भी इंका विधायक हरवंश और भाजपा के बीच नूरा कुश्ती के समाचार कोई नये हें। गोदे में इंका की ओर से तो एक ही पहलवान हरवंश सिंह रहते लेकिल समय समय पर भाजपा की ओर के पहलवान बदलते रहतें हैं। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि सरताज सिंह जब नरसिंहपुर होशंगाबाद लोस क्षेत्र से चुनाव लड़ा करते थे तब इंका प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा और स्व. अर्जुन सिंह के चुनाव संचालकों ने कई इंका नेताओं पर चुनाव में भीतरघात करने के आरोप लगाये थे। भीतरघात करने के माहिर नेता पार्टी में इन आरोपों से बच भले ही गयें हों लेकिन जीतने वाला तो उनका एहसान मानता ही हैं। सरताज सिंह के इस कार्यक्रम के बारे में अब यह बात लोगो की समझ से परे है कि भाजपा और इंका के आदिवासी नेताओं की अनुपस्थिति के बाद भी प्रदेश की शिवराज सरकार अपने आप को आदिवासियों का शुभचिंतक भला कैसे बता पायेगी? जबकि उनके वन मंत्री सरदार सरताज सिंह को जिले में सरदार,सरताज और असरदार भी किसी भाजपा नेता के बजाय सिर्फ हरवंश सिंह ही दिखे और कांई नहीं। ऐसे में यदि नूरा कुश्ती के चर्चे आम तो भला क्या गलत है? भाजपायी हल्कों में यह भी चर्चा है कि जिला संगठन और अन्य जन प्रतिनिधियों ने भी तत्काल ही सारी जानकारी प्रदेश के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी हैं। अब देखना यह है कि प्रदेश भाजपा का आलकमान इस मामले में वन मंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही करता हैं या फिर चुप रह कर हरवंश और भाजपाइयों की नूरा कुश्ती जारी रहने के पुख्ता होने का प्रमाण देता हैं।

जन्मदिन पर विधायक निधि से बंटे टेंकर-जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह का जन्म दिन भी 11 11 11 के विशेष दिन पड़ा तो इसका आयोजन भी विशेष रहा। शासन द्वारा दी जाने वाली विधायक निधि से हरवंश सिंह ने अपने केवलारी क्षेत्र में पड़ने वाली 21 पंचायतों को 65 हजार रु. की लागत वाले 4 हजार लीटर की क्षमता वाले टेंकरों की चाबी सौंपी। उनकी योजना है कि अपने क्षेत्र की हर ग्राम पंचायत को सांसद एवं विधायक निधि से चुनाव के पहले टेंकरों से लैस कर दिया जाये। विकास कार्यों के लिये विधायक निधि से पैसा देना कोई गलत बात नहीं हैं। लेकिन राजा महाराजाओं जैसे अपने जन्म दिन पर आयोजन कर शासकीय राशिसे खैरात की भांति टेंकर बांटने को लेकर विवाद चल पड़ा हैं। यह सही है कि राजशाही के दौरान राजा अपना या अपने बच्चों का जन्म दिन मनाते थे औा अपने खजाने से अपनी जनता को खैरात बांटा करते थे। लेकिन लोक शाही में एक लोक सेवक द्वारा शासकीय आयोजन कर सरकारी पैसे से टेंकर बांटना कतई उचित नहीं कहा जा सकता हैं। इस मामले में मीडिया में हल चल मची और इसे विधायक निधि का दुरुपयोग बताया गया लेकिन भाजपा सहित अन्य दलों की इस मामले में चुप्पी सियासी हल्कों में चर्चित हैं। जरा जरा सी बात गज गज भर की विज्ञप्तियां जारी करने वाले प्रवक्तागण ना जाने क्यों चुप बैठे हैं? इस मामले को कहीं किसी लेबल पर उठाया जायेगा या नहीं ? इस पर कुछ भी कहना संभव नहीं हैं। छपारा ब्लाक का एक बड़ा हिस्सा सिवनी विस क्षेत्र में भी आता हैं जिसकी विधायक प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष नीता पटेरिया हैं वे इस मामले को उठाती हैं या नहीं? इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में उत्सुकता हैं क्योंकि सरताज सिंह के कार्यक्रम में उनकी अकेली उपस्थिति को लेकर सवाल उठाये गये थे जिनके जवाब देने का यह एक अवसर हैं।













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