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Sunday, September 2, 2012


राघव जी ने साबित कर दिया कि नये सतपुड़ा संभाग का मुख्यालय सिवनी में होना  ही कम खर्चीला होगा
हाल ही में विक्रयकर विभाग द्वारा भामाशाह पुरुस्कार वितरण का समारोह सिवनी जिले में आयोजित किया गया। इस समारोह में बालाघाट,छिंदवाड़ा और सिवनी जिले के लोगों को पुरुसक्ृत् किया जाना था। बड़ी होशियारी से वित्त मंत्री राधव जी ने एक हाथ से खजाने से निकाल कर दूसरे हाथ से इनाम की अधिकांश खजाने में ही जमा कर लेने का कमाल कर दिखाया। होने वाले सरकारी खर्च में मितव्ययतिा बरतने के लिये े इन तीन जिलों का कार्यक्रम बीच में स्थित सिवनी जिले में आयोजित कर राघव जी ने लोगों पर एक बहुत बड़ा उपकार भी किया है। वित्त मंत्री के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि सिवनी का दावा उचित हैं इसीलिये अब जिले के तमाम जन प्रतिनिधियाों का यह दायित्व बन जाता है कि वे इस आधार पर जिले को जायज हक  दिलायें। मिशन 2013 और 2014 की कांग्रेा की जिले में कोई तैयारी नहीं दिख रही हैं। ना तो कमेटियों में प्रभारी महामंत्री नियुक्त हो पाये हैं और ना ही ध्वजवाहिनी समिति की कोई हलचल ही दिख रही हैं। पूरे प्रदेश में संभाग स्तर पर भाजयुमो द्वारा विवेकानंद संदेश यात्रा के नाम पर मोटर सायकिल रैली आयोजित की गयी हैं। युवा मोर्चे के नाम पर निकाली जाने वाली रैली का भार अपने वजनदार नेताओं के कंधों पर डाल दिया हैं। भाजपायियों में चल रही चर्चा के अनुसार भाजपा ने विधायक पद के जीते हारे प्रत्याशियों के साथ ही संभावित प्रत्याशियों को भी अभी से बोझ लाद दिया हैं।
संभाग की मांग को जायज ठहरा गये राघव जी-वित्त मंत्री मितव्ययिता ध्यान नहीं रखेगा तो भला कौन रखेगा? और ऐसा ही किया वित्तमंत्री राघव जी ने। हाल ही में विक्रयकर विभाग द्वारा भामाशाह पुरुस्कार वितरण का समारोह सिवनी जिले में आयोजित किया गया। इस समारोह में बालाघाट,छिंदवाड़ा और सिवनी जिले के लोगों को पुरुसक्ृत् किया जाना था। जिसके मुख्य अतिथि वित्तमंत्री राघव जी और अध्यक्षता विस उपाध्यक्ष एवं इंका विधायक हरवंश सिंह ने की थी। इसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रभारी मंत्री नाना भाऊ,सांसद द्वय के.डी. देशमुख एवं बसोरी सिंह,विधायक नीता पटेरिया,शशि ठाकुर एवं कमलमर्सकोले, केबिनेट मंत्री के दर्जा प्राप्त वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन और मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर थे। इस समारोह में ना जाने क्यों राज्यसभा सदस्य फग्गनसिंह कुलस्ते को आतंत्रित नहीं किया गया।इसमें हर जिले में सर्वाधिक टेक्स देने वालों को पुरुस्कृत किया जिसमें प्रथम इनाम एक लाख रु. द्वितीय इनाम 50 हजार रु. एवं तृतीय इनाम 25 हजार रु. का दिया गया। तीनों जिलों में प्रथम एवं द्वितीय पुरुस्कार तो शासकीय विभागों को ही मिले। इसमें बड़ी होशियारी से वित्त मंत्री राधव जी ने एक हाथ से खजाने से निकाल कर दूसरे हाथ से इनाम की अधिकांश खजाने में ही जमा कर लेने का कमाल कर दिखाया। होने वाले सरकारी खर्च में मितव्ययतिा बरतने के लिये े इन तीन जिलों का कार्यक्रम बीच में स्थित सिवनी जिले में आयोजित कर राघव जी ने लोगों पर एक बहुत बड़ा उपकार भी किया है। प्रस्तावित नये सतपुड़ा संभाग का मुख्यालय सिवनी को बनायश जाने की मांग लंबे समय से चल रही हैं। इसका प्रमुख कारण भी यही बताया गया था कि छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले के बीच में सिवनी स्थित है इसलिये प्रशासनिक एवं आर्थिक रूप से इसे ही मुख्यालय बनाया जाना चाहिये। लेकिन छिंदवाड़ा को मुूख्यालय बनाने की अपनी घोषणा के कारण मुख्यमंत्री जिले की इस जायज मांग को नहीं मान रहें हैं और मामले को लंबित रखे हुये हैं।वित्त मंत्री के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि सिवनी का दावा उचित हैं इसीलिये अब जिले के तमाम जन प्रतिनिधियाों का यह दायित्व बन जाता है कि वे इस आधार पर जिले को जायज हक विस औा लोस चुनाव के पहले दिलायें वरना मामला फिर लटक जायेगा।
जिले में ना प्रभारी महामंत्री और ना ध्वज दिख रहा है  ना ही वाहिनी -राजनैतिक हल्कों में चर्चित है कि मिशन 2013 एवं 2014 का कांग्रेस का कार्यक्रम काफी शिथिल चल रहा हैं। राजनैतिक सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक जिला एवं ब्लाक कांग्रेस कमेटियों में प्रभारी महामंत्री की नियुक्ति तक नहीं हो पारयी हैं। कांग्रेसजनों में व्याप्त चर्चा के अनुसार कांग्रेस के जिले के पट्टेदार एवं इकलौते विधायक हरवंश सिंह ने अपने ही गुट के उप गुटों में तालमेल बिठाने चक्कर में इन पदों के लिये कई कई नेताओं को आश्वासन दे दिया था। लेकिन बनना तो एक ही को था इसलिये अब वे यह तय नहीं कर पा रहें हैं कि चुनाव के समय नेताओं की नाराजगी मोल ली जाये या फिर बिना प्रभारी महामंत्री के ही काम चलने दिया जाये। जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी की भी मजबूरी यह है कि बिना हरवंश सिंह की अनुमति के वे कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस ने मिशन 2013 एवं 2014 के लिये केन्द्र की ध्वजवाहिनी योजनाओं की निगरानी एवं प्रचार प्रसार के लिये ध्वज वाहिनी समितियों का जिला स्तर पर गठन किया हैं। लेकिन जिले में यह पद भी अपने ही उप गुटों में संतुलन बिठाने की भेंट चढ़ गया है। इस पद पर मां. असलम खॉन की नियुक्ति की गयी हैं। वे जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के दावेदार थे लेकिन इस पद पर हीरा आसवानी बैठ गये है। इसके बाद जिला इंका में उन्हें कोई पर ना दिया जाय ऐसा दवाब हरवंश समर्थक 14 नेताओं ने बनाया था। इसमें कुछ नेता ऐसे भी थे जिनका हरवंश सिंह के केवलारी क्षेत्र में प्रभाव था। वैसे असलम भाई को जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल का खुला समर्थ था लेकिन उसके बावजूद भी असलम भाई को जिला कांग्रेस में कोई सम्मानजनक पद नहीं मिल पाया था। इसीलिये मौका हाथ लगते ही हरवंश सिंह ने उन्हें ध्वज वाहिनी योजनाओं की समिति का जिले का अध्यक्ष बना दिया। लेकिन उनके द्वारा काम नहीं करने की बात जब केई बार हुयी तो उनके समर्थक यह तक कहते देखे गये कि असलम भाई ने तो स्तीफा दे दिया हैं। इसमें सच्चायी क्या है? यह तो असलम भाई या हरवंश सिंह ही बता सकते हैं लेकिन यह जरूर है कि जिलें ना तो ध्वज दिख रहा है और ना ही वाहिनी,ऐसे में कांग्रेस चुनावी मिशन में कैसे कामयाब होगी? यह चर्चा का विषय बना हुआ हैं। 
हर्रा लगे ना फिटकरी,रंग चोखा के चोखा-पूरे प्रदेश में संभाग स्तर पर भाजयुमो द्वारा विवेकानंद संदेश यात्रा के नाम पर मोटर सायकिल रैली आयोजित की गयी हैं। इंदौर और उज्जैन संभाग की रैली फेल हो जाने कारण जबलपुर संभाग की रैली पर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने विशेष ध्यान दिया और युवा मोर्चे के नाम पर निकाली जाने वाली रैली का भार अपने वजनदार नेताओं के कंधों पर डाल दिया हैं। भाजपायियों में चल रही चर्चा के अनुसार भाजपा ने विधायक पद के जीते हारे प्रत्याशियों के साथ ही संभावित प्रत्याशियों को भी अभी से बोझ लाद दिया हैं। जिले के भाजयुमो अध्यक्ष ठा. नवनीत सिंह और जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के नेतृत्व में भारी संख्या में जिले से कार्यकर्त्ता रैली में भाग लेने जबलपुर गये। इस आयोजन में कुछ ऐसा ही हुआ कि हर्रा लगे ना फिटकरी रंग चोखा के चोखा। भाजपा के किस बड़े नेता पर कितना आर्थिक बोझ पड़ा और कैसे और किससे इसकी व्यवस्था की गयी?इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिले के 17 मंड़लों में हर मंड़ल से पचास पचास मोटर साइकिल भेजने का लक्ष्य रखा गया था। नाम तो इा आयोजन का विवेकानंद संदेश यात्रा रखा गया था लेकिन वास्तव में शिवराज विवेकानंद जी पर भारी पड़े और हर जगह उनका ही गुणगान किया जाता रहा।“मुसाफिर“       


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