युवक कांग्रेस वातावरण बनाने का काम सिवनीके साथ अन्य विस क्षेत्रों में भी करे तो कांग्रेस को लाभ हो सकता है
भाजपा में भी कई मोर्चा संगठन हैं जिनमें युवा मोंर्चा और महिला मोर्चा प्रमुख हैं। बीते दिनों इन संगठनों की कमान ठा. नवनीत सिंह और पार्वती जंघेला के हाथों में थी। इन दोनों ही संगठनों की भूमिका विशेष उल्लेखनीय नहीं रही।अब देखना यह है कि नव नियुक्त भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर चुनावी साल में इन संगठनों की जवाबदारी किसे सौंपते है? कांग्रेस में चार मोर्चा संगठन,युवक कांग्रेस,महिला कांग्रेस, सेवादल और एन.एस.यू.आई. है। वर्तमान में शिव सनोड़िया,हेमलता जैन,ठा. रजनीश सिंह और प्रवेश भालोटिया इनके अध्यक्ष हैं। विपक्ष में रहते हुये यदि मोर्चा संगठन वातावरण बनाने का काम बिना ये सोचे करें कि किस विस क्षेत्र से कौन चुनाव लड़ेगा तो यह कांग्रेस के लिये लोस और विस चुनाव में लाभकारी हो सकता हैं। लेकिन आजकल कांग्रेस में यह संस्कृति बची ही नहीं हैं कि नेता के बजाय कांग्रेस की सोचे। नरेश दिवाकर ने सिवनी छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले के कॉलेजों के लिये अलग विश्वविद्यालय खोलने की मांग की हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि इस विश्वविद्यालय का मुख्यालय सिवनी में ही रखा जाये। भैगोलिक,आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टि से इसका मुख्यालय सिवनी बनना चाहिये था लेकिन जिले के भाजपा के नेता और जनप्रतिनिधि अपने ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह सौगात जिले को नहीं दिला पाये।
भाजपा में मोर्चा संगठन चर्चित नहीं रहे-किसी भी राजनैतिक संगठन में मोर्चा संगठनों की अपनी एक अलग ही अहमियत होती हैं। पार्टी की राजनैतिक विचारधारा के अनुसार अपनी अपनी गतिविधियां चलाकर ये मोर्चा संगठन ऐसा माहौल बनाते है जो समय समय पर पार्टी के लिये लाभदायक रहता हैं। भाजपा में भी कई मोर्चा संगठन हैं जिनमें युवा मोंर्चा और महिला मोर्चा प्रमुख हैं। बीते दिनों इन संगठनों की कमान ठा. नवनीत सिंह और पार्वती जंघेला के हाथों में थी। इन दोनों ही संगठनों की भूमिका विशेष उल्लेखनीय नहीं रही। येन केन प्रकारेण निर्देशों का पालन करने की औपचारिकता निभाते ही ये देखे गये। जहां तक पार्वती जंघेला का संबंध है उन पर पालिका अध्यक्ष रहते हुये भ्रष्टाचार का आरोप प्रमाणित हो गया था और उन पर तीन लाख रुपये की रिकवरी भी प्रदेश सरकार द्वारा निकाली गयी थी जो कि पालिका द्वारा अभी तक वसूल नहीं की गयी है।रहा सवाल युवा मोर्चे का तो ठा. नवनीत का कार्यकाल भी कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं रहा हैं। छपारा के रहने वाले नवनीत सिंह पर भाजपायी ही स्वजातीय जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह से सांठ गांठ के आरोप लगाते देखे गये हैं। ऐसे में भला युवा मोर्चे की आक्रमक गतिविधियों की उम्मीद कैसे की जा सकती थी? अब देखना यह है कि नव नियुक्त भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर चुनावी साल में इन संगठनों की जवाबदारी किसे सौंपते है?
कांग्रेस में भी खस्ता हाल हैं मोर्चा संगठनों के-जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस में चार मोर्चा संगठन,युवक कांग्रेस,महिला कांग्रेस, सेवादल और एन.एस.यू.आई. है। वर्तमान में शिव सनोड़िया,हेमलता जैन,ठा. रजनीश सिंह और प्रवेश भालोटिया इनके अध्यक्ष हैं। सेवादल के अध्यक्ष ठा. रजनीश सिंह के नेतृत्व में जिले में 1998 से 2003 के कार्यकाल में बड़े बड़े सेवादल के कैम्प लगे थे जिनमें हजारों की संख्या में कार्यकर्त्ताओं ने प्रशिक्षण लिया था। उस वक्त रजनीश सिंह के पिता ठा. हरवंश सिंह प्रदेश सरकार के तीन तीन विभागों के कद्दावर मंत्री थे। लेकिन 2003 के बाद से सेवादल की गतिविधियां जिले में नहीं के बराबर हैं। वर्तमान में रजनीश सिंह जिला इंका के महामंत्री भी हैं। सुश्री हेमलता जैन पिछले लगभग 18 सालों से महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष हैं। काफी लंबे अर्से से महिला कांग्रेस की उपलब्धि भी नहीं दिखायी दी हैं। युवक कांग्रेस में संगठन अब जिला और ब्लाक स्तर पर ना होकर विधानसभा और लोकसभा के आधार पर बनाया गया हैं। सिवनी विस क्षेत्र में इसकी कमान शिव सनोड़िया के हाथों में हैं। उल्लेखनीय है कि सनोड़िया भी लंबे समय तक छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष रहें हैं और फिर युवक कांग्रेस का दायित्प संभाला हैं। पिछले कुछ महीनों से सिवनी विस क्षेत्र में वातावरण बनाने का काम युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल के नेतृत्व में किया जा रहा हैं। लेकिन सिवनी विस क्षेत्र के अलावा जिले के अन्य विस क्षेत्रों में युवक कांग्रेस की गतिविधियां भी शून्य ही हैं। एन.एस.यू.आई. के अध्यक्ष प्रवेश भालोटिया की कांग्रेस के कार्यक्रमों में तो उपस्थिति दिखायी देती हैं लेकिन संगठन के स्तर पर उनके खाते में भी कोई विशेष उपलब्धि नहीं हैं। विपक्ष में रहते हुये यदि मोर्चा संगठन वातावरण बनाने का काम बिना ये सोचे करें कि किस विस क्षेत्र से कौन चुनाव लड़ेगा तो यह कांग्रेस के लिये लोस और विस चुनाव में लाभकारी हो सकता हैं लेकिन आजकल कांग्रेस में यह संस्कृति बची ही नहीं हैं कि नेता के बजाय कांग्रेस की सोचे। नेता हित देखना ही चलन हो गया है क्योंकि उससे ही तो खुद का हित भी सधता हैं। यदि चुनावी साल में भी ऐसा ही सब कुछ चलता रहा तो जिले में कांग्रेस का भगवान ही मालिक है।
अब सिवनी में यूनिवरसिटी की बात-महाकौशल विकास प्राधिकरण एवं जिला भाजपा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने सिवनी छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले के कॉलेजों के लिये अलग विश्वविद्यालय खोलने की मांग की हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि इस विश्वविद्यालय का मुख्यालय सिवनी में ही रखा जाये।यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सन 1996 में सिवनी सहित नरसिंहपुर,मंड़ला एवं बालाघाट जिले को सागर विश्वविद्यालय से प्रथक करके जबलपुर विश्वविद्यालय में शामिल कर दिया था जबकि छिंदवाड़ा जिले को सागर विश्वविद्यालय में यथावत रहने दिया गया था। सागर विश्वविद्यालय का स्थान देश के ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालयों में शामिल था लेकिन जब सिवनी जिले को इससे अलग कर जबलपुर विश्वविद्यालय में शामिल किया गया तो यहां के जनप्रतिनिधि मौन ही रहे। सन 1998 में छात्र राजनीति से राजनीति में आये नरेश दिवाकर पहली बार विधायक चुने गये। लेकिन उन्होंने भी इस दिशा में कोई प्रयास करना उचित नहीं समझा। वैसे एक नये विश्वविद्यालय को खोलने का प्रस्ताव स्वागत योग्य हैं। लेकिन यदि ऐसा हो भी गया तो उसका मुख्यालय सिवनी ही रहेगा छिंदवाड़ा नहीं इस बात की गारंटी कोई नहीं दे सकता। वैसे भी भाजपा के शासन काल में ही प्रदेश सरकार ने नया सतपुड़ा संभाग बनाने की घोषणा की थी। छिंदवाड़ा,सिवनी और बालाघाट जिले को मिलाकर यह संभाग बनना था। भैगोलिक,आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टि से इसका मुख्यालय सिवनी बनना चाहिये था लेकिन जिले के भाजपा के नेता और जनप्रतिनिधि अपने ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह सौगात जिले को नहीं दिला पाये। हां यह कह कर भाजपा नेता अपनी पीठ खुद थपथपा सकते हैं कि केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ के भारी दवाब के बाद भी अभी तक संभाग का गठन रुकवाने में वे सफल रहें हैं। फिर ऐसे में यह मानना तो गलत ही होगा कि यदि खुदा ना खास्ता यह विश्वविद्यालय खुला भी तो नरेश दिवाकर इसका मुख्यालय सिवनी में ही बनवा पायेंगें। वैसे उन्होंने खुद अपने पत्र में सिवनी,छिंदवाडा़ और बालाघाट जिले का जिक्र किया हैं ना कि छिंदवाड़ा,सिवनी और बालाघाट का। बात चाहे जो भी हो और चाहे विश्वविद्यालय खुले या ना खुले चुनावी साल में नरेश दिवाकर छात्रों को यह संदेश देने में तो सफल हो गयें है कि वे उनके हितों के वर्तमान से अच्छे रक्षक और शुभचिंतक हैं। वैसे यदि चलते चलते यह उपलब्धि ही जिले को मिल जाये तो बहुत हैं वरन जिले के खाते में आश्वासनों और घोषणाओं के अलावा और कुछ तो आया नहीं हैं।“मुसाफिर”
सा.दर्पण झूठ ना बोले 19 मार्च 2013 से साभार