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Tuesday, March 5, 2013


रेल बजट में जिले की अनदेखी के लिये के.डी. के  हास्यासप्रद    प्रस्ताव और बसोरी सिंह की चुप्पी बराबरी की जवाबदार है
प्रदेश भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत यह तय किया है कि जिन सीटों पर भाजपा हारी है उन सीटों को जीतने केे विशेष प्रयास किये जायेंगें।लेकिन जिला भाजपा की घोषित की गयी  कार्यकारिणी को देख कर ऐसा नहीं लग रहा हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जिले की चार विधानसभा सीटों में से एक मात्र केवलारी क्षेत्र ही ऐसा हैं जहां से भाजपा लगातार पिछले चार चुनाव से हार रही हैं। यदि चारों चुनावों के बाद भाजपा प्रत्याशियों द्वारा लगाये गये भीतरघाती नेताओं की सूची बनायी जाये तो शायद जिले का एक भी ऐसा नेता नहीं बचेगा जिस पर हरवंश सिंह से सांठ गांठ और नूरा कुश्ती के आरोप ना लगाये गयें हों। हमेशा की तरह इस बार भी जिले को विशेष सौगात नहीं मिली हैं। बजट में रामटेक सिवनी गोटेगांव रेल लाइन को सर्वे के लिये फिर शामिल कर लिया है। इसके साथ ही सिवनी छपारा लखनादौन एवं सिवनी बरघाट कटंगी नयी रेल लाइन को सर्वे के लिये शामिल किया गया हैं। इसके अलावा नरोगेज कनवर्शन के लिये दस करोड़ रुपये की राशि दी गयी हैं। जबकि छिंदवाड़ नागपुर के लिये 200 करोड़ रु. आवंटित किये गये हैं। ऐसा लगता है कि जिले के नेताओं चाहे वे भाजपा के हों या कांग्रेस के किसी की भी दिल्ली में कोई बकत नहीं हैं और केन्द्र सरकार पर दवाब बनाना तो दूर अनपे आला कमान ते भी सशक्त तरीके से अपनी बात कहने का साहस नहीं जुटा पा रहें हैं।
ऐसे कैसे जीतेगी भाजपा केवलारी से?-प्रदेश में तीसरी पारी खेलने के लिये बेताब भाजपा जी जान एक कर रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर नित नये प्रयोग कर रहें हैं और फैसले ले रहें हैं। भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत यह तय किया है कि जिन सीटों पर भाजपा हारी है उन सीटों को जीतने केे विशेष प्रयास किये जायेंगें।लेकिन जिला भाजपा की घोषित की गयी  कार्यकारिणी को देख कर ऐसा नहीं लग रहा हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जिले की चार विधानसभा सीटों में से एक मात्र केवलारी क्षेत्र ही ऐसा हैं जहां से भाजपा लगातार पिछले चार चुनाव से हार रही हैं। प्रदेश के कद्दावर कांग्रेस नेता एवं विस उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह इस क्षेत्र के एवं जिले के इकलौते कांग्रेस विधायक हैं। एक मजेदार बात यह रही हैं कि हर चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी बदलने के साथ ही भाीतरघात के आरोप लगने वाले नेताओं के नाम भी बदलते रहें हैं। यदि चारों चुनावों के बाद भाजपा प्रत्याशियों द्वारा लगाये गये भीतरघाती नेताओं की सूची बनायी जाये तो शायद जिले का एक भी ऐसा नेता नहीं बचेगा जिस पर हरवंश सिंह से सांठ गांठ और नूरा कुश्ती के आरोप ना लगाये गयें हों। ऐसे राजनैतिक हालात में नव नियुक्त जिला भाजपा अध्यक्ष नरेंश दिवाकर से यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बार वे संगठन में केवलारी क्षेत्र के नेताओं को विशेष महत्व देकर कुछ ऐसी रणनीति  बनायेंगें कि केवलारी में भाजपा को मात दी जा सके। लेकिन जब भाजपा की बहुप्रतीक्षित कार्यकारिणी की घोषणा हुयी तो ऐसा कुछ राजनैतिक रूप से दिखा नहीं। जिले के आठ उपाध्यक्षों में से एक मुकेश बघेल,धनोरा,तीन महामंत्रियों में एक श्रीराम ठाकुर कान्हीवाड़ा एवं आठ मंत्रियों में दो राकेश बैस तथा रधा साहू छपारा तथा कार्यकारिणी सदस्य 11 एवं विशेष आमंत्रित सदस्यों में 8 नेताओं को केवलारी क्षेत्र से लिया गया है जबकि अकेले सिवनी शहर से अध्यक्ष सहित आठ पदाधिकारी,12 कार्यकारिणी एवं 18 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाये गये हैं। इसके अलावा भी सिवनी विस क्षेत्र से पदाधिकारी एवं सदस्य बनाये गये हैं। इन हालातों में प्रदेश नेतृत्व की मंशानुसार भाजपा केवलारी विस क्षेत्र में कैसे जीत दर्ज करेगी? इसे लेकर भाजपायी हल्कों में ही अभी से तरह तरह की चर्चायें व्याप्त हैं। 
रेल बजट में जिले की फिर हुयी अनदेखी-हाल ही में केन्द्र सरकार के रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल बजट पेश किया हैं। हमेशा की तरह इस बार भी जिले को विशेष सौगात नहीं मिली हैं। बजट में रामटेक सिवनी गोटेगांव रेल लाइन को सर्वे के लिये फिर शामिल कर लिया है। इसके साथ ही सिवनी छपारा लखनादौन एवं सिवनी बरघाट कटंगी नयी रेल लाइन को सर्वे के लिये शामिल किया गया हैं। इसके अलावा नरोगेज कनवर्शन के लिये दस करोड़ रुपये की राशि दी गयी हैं। जबकि छिंदवाड़ नागपुर के लिये 200 करोड़ रु. आवंटित किये गये हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बालाघाट के भाजपा सांसद के.डी.देशमुख के द्वारा सिवनी लखनादौन और सिवनी कटंगी लाइन के प्रस्ताव दिये गये थे और पिछले वर्ष भी इन्हें बजट में सर्वे के लिये शामिल किया गया था। जबकि पिछले तीन चार रेल बजट से रामटेक गोटेगांव रेल लाइन के सिये सर्वे और सर्वे अपग्रेट करने के लिये बजट प्रावधान होते रहें हैं। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि यह नयी रेल लाइन भी जिले में धूमा,लखनादौन छपारा सिवनी होते हुये खवास रामटेक तक जायेगी। ऐसी परिथिति में सांसद देशमुख द्वारा प्रस्तावित की गयी सिवनी छपारा लखनादौन नयी रेल लाइन का प्रस्ताव करना समझ से परे हैं। जबकि रामटेक गोटेगांव नयी रेल लाइन के संबंध में बिलासपुर जोन के मुख्य अभियंता द्वारा इंका नेता आशुतोष वर्मा , जो कि इस लाइन के लिये विगत कई वर्षों से गांधीवादी तरीके  से आंदोलन चला रहें हैं, को 19 अक्टूबर 2012 को सूचित किया था कि रामटेक बरास्ता  सिवनी गोटेगांव रेल लाइन का अपडेटिंग सर्वे कार्य पूरा हो चुका हैं तथा इसकी लागत 1482.17 करोड़ रु. हैं एवं इसकी रिपोर्ट एवं एस्टीमेट रेल्वे बोर्ड को 8 फरवरी 2012 को भेज दिया हैं। इस आधार पर संेसद में यदि जिले के सांसद देशमुख और बसोरी सिंह मसराम संसद में बात उठाते तो शायद जिले को यह महत्वपूर्ण सौगात मिल सकती थी। लेकिन देशमुख ने सिवनी लखनादौन का नया हास्यासप्रद प्रस्ताव रख दिया। वाह के.डी. वाह क्या बात है। जबकि विपक्षी दल के सांसद होने के नाते वे इस मुद्दे को लेकर भी केन्द्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकते कि आखिर ऐसे क्या कारण है कि सरकार कांग्रेस के ही तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.नरसिंहारव द्वारा घोषित रामटेक गोटेगांव रेल लाइन के लिये 1996 से लेकर आज जक बजट आवंटित क्यों नहीं कर पा रही हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस लाइन की मांग तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस की सांसद कु. विमला वर्मा ने उठायी थी इसीलिये ये तमाम अड़गें डाले जा रहें हो कि यह मांग पूरी होने से उनके द्वारा जिले को दी गयी सौगातों की सूची में यह एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ जायेगी। इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि कांग्रेस सांसद बसोरी सिंह मसराम भी इसे लेकर सक्रिय नहीं हुये जबकि गोटेगांव से लेकर छपारा तक का मार्ग उनके मंड़ला संसदीय क्षेत्र में आता हैं। इसके बाद भी वे चुप ही रह गये। लेकिन इस बात के लिये क्यों रोना रोया जाय जबकि खुद सोनिया गांधी ने मंड़ला तक बड़ी लाइन की घोषणा चुनावी सभा में की थी और आज भी वह सर्वे के जंजाल में ही उलझी हुयी हैं। जब बसोरी सिंह जी इस बात की याद भी सोनिया गांधी या केन्द्र सरकार को दिला पाये तो उनसे भला और किसी बात की क्या उम्मीद की जा सकती है? इन तमाम बातों से ऐसा लगता है कि जिले के नेताओं चाहे वे भाजपा के हों या कांग्रेस के किसी की भी दिल्ली में कोई बकत नहीं हैं और केन्द्र सरकार पर दवाब बनाना तो दूर अनपे आला कमान ते भी सशक्त तरीके से अपनी बात कहने का साहस नहीं जुटा पा रहें हैं। 
शाबाश सुजीत?- जिला भाजपा की नव गठित कार्यकारिणी में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि निवर्तमान जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन को प्रथम उपाध्यक्ष बनाया गया हैं। हालांकि यह बात जरूर है कि कभी जब कोई अप्रत्याशित राजनैतिक परिस्थिति आती है तो प्रथम उपाध्यक्ष ही कार्यकारी अध्यक्ष बनता हैं। लेकिन ऐसे बिरले ही उदाहरण मिलेंगें कि कभी किसी पार्टी में निवर्तमान अध्यक्ष नयी कार्यसमिति में उपाध्यक्ष बना हो। वैसे तो भाजपा में सरकार में यह विपरीत चलन जरूर रहा हैं कि मुख्यमंत्री रहने के बाद भी कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर दूसरे के मंत्री मंड़ल में मंत्री बने लेकिन संगठन में ऐसी कोई परंपरा नहीं दिखी। सुजीत जैन के उपाध्यक्ष बनने को उनके समर्थक इसे पार्टी के प्रति उनका समर्पण मान रहें तो उनके विरोधी यह कहने से नहीं चूक रहें है कि सत्तारूढ़ पार्टी के किसली पद पर बने रहना उनकी मजबूरी है इसीलिये पुनः अध्यक्ष ना बन पाने के बाद भी वे उपाध्यक्ष बन गये। यह भी कहा जा रहा है कि आखिर इससे फर्क क्या पड़ रहा है पहले भी वे डी.एन. के समर्थक थे और आज भी उन्हें उनके ही नेतृत्व में तो उपाध्यक्ष रहना हैं। “मुसाफिर“              
दर्पण झूठ ना बोले
05 मार्च 2013 से साभार

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