जिला मुख्यालय की सीट से टिकिट के लिये इंका और भाजपा में मची भारी घमासान से राजनैतिक हल्कों में सरगर्मी बढ़ी
जिला मुख्यालय की राजनैतिक रूप से सर्वाधिक मूहत्वपूर्ण सिवनी विधानसभा सीट के लिये टिकिट की मारामारी कांग्रेस और भाजपा में तेज हो गया हैं। पिछले पांच चुनावों से भाजपा इस सीट से जीत रही है। इसलिये भाजपा नेताओं का मानना है कि सिर्फ टिकिट मिल जाये जीतना तो सुनिश्चित है ही। जिले की कांग्रेसी राजनीति में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ का सीधा हस्तक्षेप बढ़ गया है इसीलिये राजनैतिक जानकारों का मानना है कि जिले में कांग्रेस की चुनावी रणनीति में होने ंवाला आमूल चूल परिवर्तन भाजपा की डगर आसान नहीं रहने देगा और जिले चारों विस क्षेत्रों में बिना कठिन परिश्रम किये जीतना संभव नहीं होगा। कांग्रेस भी टिकिट की लड़ायी में उलझी हुयी हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में टिकटार्थियों के लिये बनाये गये मानदंड़ और टिकिट का आवेदन लगाने वालों से मांगी गयी जानकारियों के कारण समीकरण काफी उलझ गये है। वैसे कांग्रेस इस द्वोत्र से 1990 से चुनाव हार रही हैं। लेकिन यह भी राजनैतिक रूप से कम महत्वपूर्ण बात नहीं है कि इस क्षेत्र से टिकिट मांगने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। इस बार कांग्रेस और भाजपा के आलाकमान ने टिकिट देने की प्रक्रिया निर्धारित की है उससे एक बात तो हुयी है कि चुनाव लड़नें इच्छुक नेता जो मंड़ल या ब्लाक के पदाधिकारियों को अपने आधीन समझते थे उन्हें अपनी ही टिकिट ले लिये उनके दर पर पहुंचना पड़ रहा है।
आयती जीत की संभावना नहीं फिर भी मची भाजपा में होड़ -जिला मुख्यालय की राजनैतिक रूप से सर्वाधिक मूहत्वपूर्ण सिवनी विधानसभा सीट के लिये टिकिट की मारामारी कांग्रेस और भाजपा में तेज हो गया हैं। पिछले पांच चुनावों से भाजपा इस सीट से जीत रही है। इसलिये भाजपा नेताओं का मानना है कि सिर्फ टिकिट मिल जाये जीतना तो सुनिश्चित है ही।इस क्षेत्र से दो बार स्व. महेश शुक्ला, दो बार नरेश दिवाकर चुने गये और वर्तमान में नीता पटेरिया भाजपा से विधायक है। भाजपा में टिकिट के लिये इस बार नीता और नरेश के अलावा पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी दावेदार के रूप में उभर कर सामने आयें है।लेकिन कार्यकर्त्ताओं एक वर्ग ने ब्राम्हण बनिया विरोधी मोर्चा खोल रखा है। क्षेत्र के कार्यकर्त्ता सम्मेलन में यह मुहिम जोरदार तरीके से चली भी थी। इसके बाद भाजपा में अब यह चर्चित हे गया है कि चौथा कौन? चौथा कौन की चर्चा चालू होते ही पूर्व मंत्री स्व. महेश शुक्ला कि पुत्र अखिलेश शुक्ला एवं पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष द्वय प्रमोद कुमार जैन कंवर साहब,सुदर्शन बाझल एवं सुजीत जैन के नामों की चर्चा भी चाले हो गयी हैं। लेकिन ये सभी संभावित नाम भी ब्राम्हण एवं बनिया वर्ग से ही हैं। इन वर्गों के विरोध में मुहिम चलाने वाला तबका अपनी ओर से किसी सशक्त दावेदार का नाम आम सहमति से सामने नहीं ला पाया है। वैसे राजेन्द्रसिंह बघेल,नरेन्द्र टांक, घासीराम सनोड़िया, राजेश उपाध्याय,ज्ञानचंद सनोड़िया आदि नेताओं के नाम भी दावेदारों के रूप में सामने आ रहें है। इनमें से कौन बाजी मार लेगा? इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन इस बार का चुनाव पिछले चुनावों जैसा नहीं होगा यह बात भाजपा आलाकमान भी जानता है कि सिवनी क्षेत्र में भाजपा को बिना कमर कस कर चुनाव लड़े आयती जीत नहीं मिलने वाली हैं। जिले के कांग्रेस के पुरोधा हरवंश सिंह के आकस्मिक निधन के बाद जिले की कांग्रेसी राजनीति में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ का सीधा हस्तक्षेप बढ़ गया है इसीलिये राजनैतिक जानकारों का मानना है कि जिले में कांग्रेस की चुनावी रणनीति में होने ंवाला आमूल चूल परिवर्तन भाजपा की डगर आसान नहीं रहने देगा और जिले चारों विस क्षेत्रों में बिना कठिन परिश्रम किये जीतना संभव नहीं होगा।
सिवनी क्षेत्र से कांग्रेस में भी मची है घमासान-कांग्रेस भी टिकिट की लड़ायी में उलझी हुयी हैं। एक तरफ तो राहुल गांधी के नाम पर राजा बघेल की टिकिट काफी पहले से सुनिश्चित मानी जा रही थी। लेकिन टिकिट की कवायत चालू होने के बाद बहुत सारा पानी बैनगंगा के पुल के नीचे से बह चुका है। राहुल गांधी के नेतृत्व में टिकटार्थियों के लिये बनाये गये मानदंड़ और टिकिट का आवेदन लगाने वालों से मांगी गयी जानकारियों के कारण समीकरण काफी उलझ गयें हैं। वैसंे तो कांग्रेस में 38 लोगों ने टिकिट मांगी थी लेकिन अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते जिले के उपाध्यक्ष खुमान सिंह के निष्कासन के बाद यह संख्या अब 37 रह गयी है। कांग्रेस के प्रमुख दावेदारों में राजकुमार खुराना,नेहा सिंह,दिलीप बघेल,रमेश जैन, मोहन चंदेल, चंद्रभान सिंह बघेल,ठा. धमेन्द्र सिंह के अलावा अल्पसंख्यक नेताओं में जकी अनवर, सुहेल पाशा, असलम भाई,आरिफ पटेल,साबिर अंसारी प्रमुख हैं। वैसे कांग्रेस इस द्वोत्र से 1990 से चुनाव हार रही हैं। लेकिन यह भी राजनैतिक रूप से कम महत्वपूर्ण बात नहीं है कि इस क्षेत्र से टिकिट मांगने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस के निर्देश पर इस क्षेत्र में कांग्रेस संदेश यात्रा भी प्रारंभ हो गयी हैं। 24 अगस्त से प्ररंभ यह यात्रा 30 अगस्त चलेगी। इस यात्रा में सभी संबंधित ब्लाक कांग्रेस के पदाधिकारी एवं टिकटार्थी शामिल हो रहें हैं। इस यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता एक फोल्डर के माध्यम से कांग्रेस की केन्द्र सरकार की उपलब्धि और भाजपा की प्रदेश सरकार की पोल भी खोल रहें है। कांग्रेस में एक यह मांग भी जबरदस्त तरीके से उठ रही है कि इस बार सिवनी या केवलारी क्षेत्र से मुस्लिम नेता को टिकिट दी जाये। राहुल गांधी की गाइड लाइन,कांग्रेस के पर्यवेक्षकों की कवायत एवं नव नियुक्त प्रदेश प्रभारी मोहनप्रकाश के सख्त निर्देशों के चलते किसे टिकिट मिली है यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि अच्छे उम्मीदवार को टिकिट और कांग्रेसी यदि एक रहे तो भाजपा के लियें सीट गंवाने का खतरा भी हो सकता है।
तो कांग्रेस और भाजपा में उत्साह का संचार तो हो ही जायेगा-इस बार कांग्रेस और भाजपा के आलाकमान ने टिकिट देने की प्रक्रिया निर्धारित की है उससे एक बात तो हुयी है कि चुनाव लड़नें इच्छुक नेता जो मंड़ल या ब्लाक के पदाधिकारियों को अपने आधीन समझते थे उन्हें अपनी ही टिकिट ले लिये उनके दर पर पहुंचना पड़ रहा है। राहुल गांधी के भोपाल प्रवास के दौरान अधिकांश पदाधिकारियों ने उन्हें महत्व ना मिलने की बात की थी। राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने इस बार ब्लाक कांग्रेस कमेटी से भी सुझाव मांगे तथा तीन तीन नाम प्रस्तावित करने को कहा। इससे यह हुआ कि अपने आप को बहुत बड़ा नेता मानकर टिकिट मांगने वालों को अपनी मनुहार लेकर उनके दर तक जाना पड़ा। इसी तरह भाजपा में भी रायशुमारी देने का जिन कार्यकर्त्ताओं को अधिकार दिये गये हैं उनके पास अपनी जुगाड़ जमाने के लिये वर्तमान और भावी विधायक पहुंच रहें हैं।दोनों ही पार्टियों द्वारा इस प्रक्रिया को अपनाने से पार्टी के कार्यकर्त्ताओं की प्रतिक्रिया संतोषजनक देखी जा रही हैं। यदि वास्तव में इसी के आधार पर टिकटें बंटतीं हैं तो इससे कार्यकर्त्ताओं में उत्साह का संचार तो हों ही जायेगा।
“मुसाफिर“
सा. दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी से साभार
27 अगस्त 2013