विस चुनाव के इस दौर में जिले में अभी से टिकिट के बजाय के बजाय मंत्री बनने का ताना बाना बुन रहे हैं भाजपा के शीर्ष नेता
इन दिनों नगरपालिका की लीज को लेकर समाचार पत्रों में तरह तरह के समाचार प्रकाशित हो रहें हैं। बताया जा रहा है कि गंज क्षेत्र के कुछ व्यापारियों की लीज का नवीनीकरण होना हैं। इसमें अधिकांश व्यापारी संघ एवं भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। पालिका अध्यक्ष एवं भाजपा नेता राजेश त्रिवेदी का सहयोग ना मिलने पर इन व्यापारियों ने युवा इंका नेता राजा बघेल एवं जिला इंका के महामंत्री चीकू सक्सेना से संपंर्क साधा । कांग्रेस पार्षदों के सहयोग से परिषद में प्रस्ताव भी पारित कर दिया और नियमानुसार कार्यवाही करने के लिये मुनपा अधिकारी को अधिकृत कर दिया गया। कांग्रेस में पर्यवेक्षकों के दौरों के बाद टिकिट मांगने वाले नेताओं ने प्रादेशिक नेताओं से मेल मुलाकात का दौर चालू कर दिया है। मोहन समर्थकों में चल रही चर्चा के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष होने के नाते मोहन चंदेल अपने आप को महिमा मंड़ित कर स्वयमेव नेता दिखने के राजनैतिक संदेश देने में सफल रहें हैं। जिला भाजपा में चल रही नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के तार विधानसभा चुनाव से जुड़े बताये जा रहें है। दरअसल में इस स्थानीय समीकरण के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार बनने पर मंत्री बनने की जुगाड़ हैं। यह तो समय आने पर ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है?
संघ और भाजपा में सेंध लगायी इंकाइयो ने?-इन दिनों नगरपालिका की लीज को लेकर समाचार पत्रों में तरह तरह के समाचार प्रकाशित हो रहें हैं। बताया जा रहा है कि गंज क्षेत्र के कुछ व्यापारियों की लीज का नवीनीकरण होना हैं। इसमें अधिकांश व्यापारी संघ एवं भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। इन समाचारों में यह भी उल्लेख किया गया है कि पालिका अध्यक्ष एवं भाजपा नेता राजेश त्रिवेदी का सहयोग ना मिलने पर इन व्यापारियों ने युवा इंका नेता राजा बघेल एवं जिला इंका के महामंत्री चीकू सक्सेना से संपंर्क साधा और कांग्रेस पार्षदों के सहयोग से परिषद में प्रस्ताव भी पारित कर दिया और नियमानुसार कार्यवाही करने के लिये मुनपा अधिकारी को अधिकृत कर दिया गया। प्रकाशित समाचारों में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारी लेन देन के बाद भी मामला अटकाया जा रहा हैं जिससे व्यापारियों में आक्रोश है। राजनैतिक हल्कों में चर्चा है कि चुनावी समय में इस तरीके से इंकाइयों द्वारा संघ और भाजपा में सेंध लगाने का काम किया गया है जो कि चुनाव में लाभ दायक होगा। भाजपा के पालिका अध्यक्ष होने के बाद भी संघ समर्थक व्यापारी इंका नेताओं के संपंर्क में आये और उनकी मदद से परिषद में प्रस्ताव होने और लीज का नवीनीकरण ना होने से भाजपा के प्रति आक्रोश पैदा हो गया है।बताया जा रहा है कि मुनपा अधिकारी का कहना है कि नियमानुसार परिषद तीन साल से अधिक की लीज नहीं दे सकती जबकि व्यापारियों का कहना है कि भाजपा की पिछली परिषद की तरह इस बार भी 30 साल के लिये नवीनीकरण किया जाय। लेकिन मुनपा अधिकारी अपने अभिमत पर अड़े हुये है कि तीन साल से अधिक की लीज के लिये प्रकरण राज्य शासन को भेजने होंगें। सियासी हल्कों में दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि मामला लेन देन के इर्द गिर्द ही घूम रहा है कि लेन देन कहां हुआ, किसके साथ हुआ और यदि नियम नहीं था तो भाजपा की पिछली परिषद ने तीस साल के लिये लीज कैसे दी? इन सारे सवालों के जवाब तो नगर पालिका परिषद के कर्त्ता धर्त्ता या पालिका के मामलों में विशेष योग्यता हासिल कर चुके नेता ही बता सकते हैं लेकिन इतना तो तय है कि या तो पिछली भाजपा की परिषद ने नियम के विपरीत जाकर तीस साल की लीज दी थी या भाजपा की ही वर्तमान परिषद नियम होने के बाद भी तीस साल की लीज नहीं दे रही है। पालिका परिषद और प्रशासन से इस बात की अपेक्षा करना कोई बेमानी नहीं होगी कि वें इस बात का खुलासा करें कि भाजपा की पिछली परिषद ने नियम विपरीत काम किया है या वर्तमान परिषद नियम विपरीत काम कर रही है?
प्रदेश के नेताओं के यहां दस्तक दी इंका टिकटार्थियों ने-कांग्रेस में पर्यवेक्षकों के दौरों के बाद टिकिट मांगने वाले नेताओं ने प्रादेशिक नेताओं से मेल मुलाकात का दौर चालू कर दिया है। जिले में पांच बार से हारने वाले सिवनी से 38 और आदिवासी क्षेत्र बरघाट से 19 नेताओं ने टिकिट के लिये आवेदन लगाये है। दोनों ही क्षत्रों क्रमशः 22 और 18 नेता लामबंद हो गये हैं। इन नेताओं ने बीते दिनों छिंदवाड़ा में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ से भेंट कर अपना पक्ष रखा था। पिछले दिनों सिवनी के 22 नेताओं के समूह ने भोपाल जाकर कांग्रेस नेताओं के यहां दस्तक दी है। इन नेताओं ने प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह,प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष से भेंट कर अपना पक्ष रखा और मांग की है कि इस बार प्रत्याशी ग्रामीण क्षेत्र से ही बनाया जाना चाहिये क्योंकि शहरी क्षत्र के नेता पिछले पांच बार से चुनाव हार रहें हैं। भोपाल गये लगभग 16 टिकटार्थियों में जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल और सिवनी के पूर्व विधायक रमेश जैन भी शामिल थे। मोहन समर्थकों में चल रही चर्चा के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष होने के नाते मोहन चंदेल अपने आप को महिमा मंड़ित कर स्वयमेव नेता दिखने के राजनैतिक संदेश देने में सफल रहें हैं।इस प्रतिनिधिमंड़ल द्वारा यह बताये जाने पर कि इस क्षेत्र से 38 नेताओं ने टिकिट के लिये आवेदन लगाया हैं तो कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि पांच बार से हारने वाले क्षेत्र से इतने आवेदक? कांग्रेसी हल्कों में चल रही चर्चाओं के अनुसार सिवनी और बरघाट से आवेदकों की संख्या बढ़ने का कारण यह बताया जा रहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस में बिलोरन होने की संभावना कम है और कांग्रेस जीत भी सकती हैं। हालांकि इस तर्क के आधार अलग अलग लोग अलग ही बता रहें हैं लेकिन इससे इस बात से भी इंकार नहीं सकता कि हो रहे इस बिखराव को रोकना आसान नहीं होगा।
भाजपा में मंत्री पद को लेकर बुने जा रहें हैं ताने बाने-जिला भाजपा में चल रही नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के तार विधानसभा चुनाव से जुड़े बताये जा रहें है। नेरश नीता गुट इस मामले में आमने सामने हैं। नरेश समर्थकों का मानना है कि सिवनी विस से नीता पटेरिया का जीतना संभव नहीं है। इसीलिये भाजपा को प्रत्याशी बदल कर नरेश को टिकिट देना चाहिये। केवलारी के इंका विधायक हरवंश सिंह के निधन के कारण आसान हो चुकी सीट को भाजपा को जीतने के लिये नीता पटेरिया को केवलारी से चुनाव लड़ाना चाहिये।वहीं केवलारी क्षेत्र के प्रबल दावेदार डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को बालाघाट संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाना चाहिये। दरअसल में इस स्थानीय समीकरण के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार बनने पर मंत्री बनने की जुगाड़ हैं। यदि नरेश चुनाव जीतते है तो वे तीसरी बार के विधायक होगें,नीता केवलारी से जीततीं है तो वे दूसरी बार की विधायक होंगी जबकि यदि केवलारी से चुनाव लड़कर डॉ. बिसेन चुनाव जीतते है तो वे जिले के पांचवी बार के विधायक होंगें और भाजपा की उमा और गौर सरकार में वे मंत्री भी रह चुके है। इस तरह यदि डॉ. बिसेन को लोकसभा चुनाव लड़ाने के लिये कहा जाता है तो नरेश और नीता के मंत्री बनने की होड़ में नरेश बाजी मार सकते है। वैसे वर्तग्मान में डॉ. बिसेन और नरेश दोनों ही केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता हैं। मंत्री पद को लेकर बुने जा रहे इस ताने बाने के लिये ही भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की बात चल रही है और नरेश अपने ही किसी समर्थक को जिला भाजपा का अध्यक्ष बनाकर बाजी अपने हाथ में रखना चाह रहें हैं। यह तो समय आने पर ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है? “ मुसाफिर “
सा. दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
06 अगस्त 2013
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