मोदी बनवा रहे राव का स्मारक लेकिन उनके सांसद रामटेक गोटेगांव रेल लाइन की राव की घोषणा से कर रहे परहेज
जबलपुर से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख समाचार पत्र में रामटेक से गोटेगांव व्हाया सिवनी रेल लाइन में मामले में प्रकाशित समाचार इन दिनों जिलें में चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। 1996 में देश के प्रधानमंत्री नरसिंहाराव ने इस परियोजना की घोषणा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की उपस्थिति में की थी। इस मांग को प्रधानमंत्री के सामने तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री और सिवनी की सांसद कु. विमला वर्मा ने रखी थी। जिले से चुने गये दोनों भाजपा सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते और बोधसिंह भगत ने इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया जबकि केन्द्र की मोदी सरकार ने दिल्ली में कांग्रेस के दिवंगत प्रधानमंत्री नरसिंहाराव का स्मारक बनाने का निर्णय लेकर सबको चौंका दिया है। जिपं में कांग्रेस के 11 और भाजपा के 6 और दोनो ही पार्टी के 1 1 बागी सदस्य चुन कर आये थे लेकिन अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी और भाजपा ने दोनों ही पद जीत लिये थे। इन चुनावों में जिले भर के सारे कांग्रेसी नेता लगे हुये थे और सदस्यों को मार्गदर्शन भी दे रहे थे। इस बार समितियों के चुनाव में ना तो जिले के किसी नेता ने मार्गदर्शन दियालेकिन समितियों में कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। जिले में इस बार कमल या शिशि ठाकुर को मिल लालबत्त्ी सकती है ।
क्या सांसद द्वय रामटेक गोंटेगांव रेल के लिये करेंगें प्रयास?-जबलपुर से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख समाचार पत्र में रामटेक से गोटेगांव व्हाया सिवनी रेल लाइन में मामले में प्रकाशित समाचार इन दिनों जिलें में चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। इस समाचार में उल्लेख किया गया है कि 1996 में देश के प्रधानमंत्री नरसिंहाराव ने इस परियोजना की घोषणा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की उपस्थिति में की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि इसमें रेल्वे को नफा नुकसान नहीं देखना चाहिये क्योंकि इसके बनने से आदिवासी क्षेत्रों को विकास का मौका मिलेगा। लेकिन बीस साल होने को आ गये हैं अब तक मामला सिर्फ सर्वे तक ही पहुंच पाया है। इस समाचार के प्रकाशित होने से जिले के राजनैतिक हल्कों में कुछ सवाल हवा में तैरने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि इस मांग को प्रधानमंत्री के सामने तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री और सिवनी की सांसद कु. विमला वर्मा ने रखी थी। 1996 में कांग्रेस सरकार के दौरान ही इसके ट्रेफिक सर्वे के आदेश हो गये थे लेकिन लोस चुनाव में कांग्रेस तथा सिवनी से विमला वर्मा चुनाव हार गयीं थीं। इसके बाद उनके सक्रिया राजनीति से स्वास्थ्य कारणों से हट जाने के बाद इस योजना के लिये भले ही इंका नेता आशुतोष वर्मा सहित कई नेताओं ने आंदोलन चलाये हों लेकिन यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस योजना को स्थानीय कांग्रेस की गुटबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ा। जबकि इसके लिये शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ने स्वयं भी दो बार पत्र लिख की आंदोलन को आर्शीवाद दिया था। इसके बाद लगातार अभी तक भाजपा के सांसद चुने जाते रहें लेकिन ना जाने किन राजनैतिक कारणों से उन्होंने ना केवल इस योजना के लिये कोई प्रयास किये वरन अव्यवहारिक नये नये सुझाव देकर जिले की आवाज को ही कमजोर किया । उनके पास एक बहाना भी था कि क्या करें केन्द्र में कांग्रेस की सरकार है और हमारी कोई सुनता ही नहीं हैं। लेकिन पिछले एक साल से राज्य के साथ साथ केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है लेकिन जिले से चुने गये दोनों भाजपा सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते और बोधसिंह भगत ने इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया जबकि केन्द्र की मोदी सरकार ने दिल्ली में कांग्रेस के दिवंगत प्रधानमंत्री नरसिंहाराव का स्मारक बनाने का निर्णय लेकर सबको चौंका दिया है। मोदी सरकार यदि सही में स्व. नरसिंहाराव के प्रति सम्मान प्रगट करना चाहती है तो उसे गोटेगांव सिवनी रामटेक नई रेल लाइन को मुजूरी देकर बनाना चाहिये क्योंकि यह प्रधानमंत्री के रूप में संभवतः उनकी अंतिम सार्वजनिक घोषणा थी जो अब चालू भी नहीं हो पायी है। जिले से निर्वाचित दोनों सांसद यदि इस बारे में प्रधानमंत्री से बात कर उनका ध्यानाकर्षित कराये तो तो शायद जिले को विकास के नये आयाम तक पहुचने का अवसर मिल सकता है।
जिपं समितियों के चुनाव में कांग्रेस का कब्जा-बीते दिनों जिला पंचायत की समितियों के चुनाव संपन्न हुये। उल्लेखनीय है कि जिपं में कांग्रेस के 11 और भाजपा के 6 और दोनो ही पार्टी के 1 1 बागी सदस्य चुन कर आये थे लेकिन अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी और भाजपा ने दोनों ही पद जीत लिये थे। इन चुनावों में जिले भर के सारे कांग्रेसी नेता लगे हुये थे और सदस्यों को मार्गदर्शन भी दे रहे थे लेकिन अंतिम समय में सदस्यों की राय के विपरीत उम्मीदवार थोपे जाने के कारण हार का सामना करना पड़ा था। इस समय भी कांग्रेस के कुछ नताओं की यह राय थी कि कांग्रेस के चुने हुये सदस्य काफी अनुभवी है इसीलिये पहला दौर इनके बीच ही होने दिया जाये और यदि सर्वसम्मति से ये प्रत्याशी चयन कर लेते है तो उसे मान लिया जाये लेकिन इस सलाह की अनदेखी कर दी गयी। इस बार समितियों के चुनाव में ना तो जिले के किसी नेता ने मार्गदर्शन दिया और ना ही जिला कांग्रेस ने कोई बैठक ही बुलायी फिर कांग्रेस के सदस्यों ने आपसी तालमेल से अधिकांश समितियों में अपना बहुमत बना लिया हैं और उनमें कांग्रेस का सभापति बनना तय है। जबसे जिला पंचायत का गठन हुआ है तबसे जिला पंचायत पर लगातार चार बार कांग्रेस का कब्जा रहा था लेकिन इस बार पहली बार खुद का स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस अपना अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष नहीं बना पायी लेकिन समितियों में कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहने से कुछ तो संतुलन बन ही जायेगा।
कमल या शशि को मिल सकती है लालबत्ती-प्रदेश में इन दिनों मंत्रीमंड़ल विस्तार और निगमों में नियुक्ति किये जाने की चर्चायें राजनैतिक हल्कों में जारी हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की आलाकमान से इस संबंध में चर्चा भी हो चुकी हैं। इसे लेकर जिले के भाजपायी नेताओं के बीच भी लालबत्ती पाने की होड़ लग गयी है। वैसे तो शिवराज सिंह ने अभी तक अपने मंत्रीमंड़ल में शिव की नगरी सिवनी की उपेक्षा ही की है। भाजपा के तीन तीन विधायक होने के बाद भी उन्होंने किसी को भी मंत्री नहीं बनाया था जबकि कांग्रेस के शासनकाल में हमेशा जिले से दो दो मंत्री रहें है। लेकिन इस चुनाव में भाजपा से जिले के एकमात्र विधायक कमल मर्सकोले ही है। यदि शिवराज ने शिव की नगरी सिवनी से परहेज नहीं रखा तो ऐसा माना जा रहा है कि कमल मर्सकोले का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। वैसे शिवराज सिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल में नदेश दिवाकर और डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को लाल बवैसे शिवराज सिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल में नरेश दिवाकर और डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को लालबत्ती से नवाजा था। यदि इस बार भी ऐसा ही करने की मुख्यमंत्री ने सोचा तो ऐसा माना जा रहा है कि लखनादौन क्षेत्र की दो बार विधायक रही और इस बार चुनाव हार जाने वाली आदिवासी महिला नेत्री शशि ठाकुर को किसी निगम में लालबत्ती दी जा सकती है। अब किसको क्या मिलेगा या दोनों खाली हाथ रह जायेंगें? यह तो शिवराज सिंह का पिटारा खुलने के बाद ही पता चल पायेगा। “मुसाफिर”
सा. दर्पण झूठ ना बोले सिवनी
09 जून 2015 से साभार
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