आपसी भाई चारे और अमन चैन के बिना विकास संभव नहीं
आज हम गणतंत्र दिवस की 66 वीं सालगिरह मनाने जा रहें है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। आज जो हिन्दुस्तान,पाकिस्तान और बंगला देश है वो पूरा भारत था। आजादी के पहले इस देश को विभाजन का दंश झेलना पड़ा था। आजाद भारत में कई जाति,धर्म और भाषा भाषी लोग निवास करते है। हमारे देश के महान नेताओं ने संविधान बनाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा था। इसीलिये संविधान में इस देश ने धर्म निरपेक्षता क ेसिद्धान्त को अंगीकार किया था। इसके अनुसार देश में रहने वाले हर नागरिक को अपना अपना धर्म मानने की आजादी दी गयी थी। आजादी के बाद से लेकर आज तक सबसे अधिक विवाद धर्मनिरपेक्षता को लेकर ही हो रहा है। धर्म निरपेक्षकता को मानने वाले अपने आप को सभी धर्मो का हित रक्षक होने का दावा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर यह कहने वालों की भी कमी नहीं है कि ये धर्मनिरपेक्ष ताकतें नहीं हैं वरन इसकी आड़ में तुष्टीकरण कर एक वर्ग विशेष को संरक्षण देकर देश के बहुसंख्यकों के हितो की अनदेंखी करती है। हमारे प्रजातांत्रिक देश में वोटों की राजनीति के चलते शुरू से ही धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति प्रारंभ हो गयी थी। दो समुदायों की धार्मिक कट्टरता के चलते देश में कई बार सांप्रदायिक दंगों का दंश भी झेलना पड़ा है। देश के बड़े शहरों से लेकर कस्बों तक में यह आग फैल गयी है। आज छोटी छोटी बातों पर या छोटी छोटी व्यक्तिगत घटनाओं को भी सांप्रदायिक रंग देकर फिजा बिगाड़ने की कोशिशें आपसी भाई चारे और गंगा जमुनी संस्कृति को कलंकित कर रहीं है। ऐसी घटनायें देश के विकास में बाधक बन रहीं है। इन घटनाओं के कारण सरकार की बहुत सारी ताकत इन्हें रोकने में बेकार हो जाती है। आज जरूरत इस बात की है कि हमारे देश के महान नेताओं ने संविधान में जो धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है उसे पूरी ईमानदारी से साकार करने के प्रयास करें। धार्मिक उन्माद फैला कर और वोटों का ध्रुवीकरण करके सरकार तो जरूर बनायी जा सकती है लेकिन बिना आपसी भाईचारे और अमन चैन के देश के विकास को गति दे पाना मुश्किल ही नहीं वरन नामुमकिन है। इसलिये सर्वधर्म समभाव और वसुदैव कुटुम्बकः की हमारी संस्कृति को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सच्चे मन से अपनाना पड़ेगा तभी हमारा देश विश्व गुरू बन पायेगा। तो आइये आज के इिन हम यह संकल्प लें कि हम आपसी भाई चारे को बनाये रखेंगें और इन्हें खंड़ित करने वाली सांप्रदायिक ताकतों का पूरी मुस्तैदी से सामना कर उन्हें सफल नहीं होने देंगें।
आशुतोष वर्मा
सिवनी
9425174640
आज हम गणतंत्र दिवस की 66 वीं सालगिरह मनाने जा रहें है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। आज जो हिन्दुस्तान,पाकिस्तान और बंगला देश है वो पूरा भारत था। आजादी के पहले इस देश को विभाजन का दंश झेलना पड़ा था। आजाद भारत में कई जाति,धर्म और भाषा भाषी लोग निवास करते है। हमारे देश के महान नेताओं ने संविधान बनाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा था। इसीलिये संविधान में इस देश ने धर्म निरपेक्षता क ेसिद्धान्त को अंगीकार किया था। इसके अनुसार देश में रहने वाले हर नागरिक को अपना अपना धर्म मानने की आजादी दी गयी थी। आजादी के बाद से लेकर आज तक सबसे अधिक विवाद धर्मनिरपेक्षता को लेकर ही हो रहा है। धर्म निरपेक्षकता को मानने वाले अपने आप को सभी धर्मो का हित रक्षक होने का दावा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर यह कहने वालों की भी कमी नहीं है कि ये धर्मनिरपेक्ष ताकतें नहीं हैं वरन इसकी आड़ में तुष्टीकरण कर एक वर्ग विशेष को संरक्षण देकर देश के बहुसंख्यकों के हितो की अनदेंखी करती है। हमारे प्रजातांत्रिक देश में वोटों की राजनीति के चलते शुरू से ही धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति प्रारंभ हो गयी थी। दो समुदायों की धार्मिक कट्टरता के चलते देश में कई बार सांप्रदायिक दंगों का दंश भी झेलना पड़ा है। देश के बड़े शहरों से लेकर कस्बों तक में यह आग फैल गयी है। आज छोटी छोटी बातों पर या छोटी छोटी व्यक्तिगत घटनाओं को भी सांप्रदायिक रंग देकर फिजा बिगाड़ने की कोशिशें आपसी भाई चारे और गंगा जमुनी संस्कृति को कलंकित कर रहीं है। ऐसी घटनायें देश के विकास में बाधक बन रहीं है। इन घटनाओं के कारण सरकार की बहुत सारी ताकत इन्हें रोकने में बेकार हो जाती है। आज जरूरत इस बात की है कि हमारे देश के महान नेताओं ने संविधान में जो धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है उसे पूरी ईमानदारी से साकार करने के प्रयास करें। धार्मिक उन्माद फैला कर और वोटों का ध्रुवीकरण करके सरकार तो जरूर बनायी जा सकती है लेकिन बिना आपसी भाईचारे और अमन चैन के देश के विकास को गति दे पाना मुश्किल ही नहीं वरन नामुमकिन है। इसलिये सर्वधर्म समभाव और वसुदैव कुटुम्बकः की हमारी संस्कृति को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सच्चे मन से अपनाना पड़ेगा तभी हमारा देश विश्व गुरू बन पायेगा। तो आइये आज के इिन हम यह संकल्प लें कि हम आपसी भाई चारे को बनाये रखेंगें और इन्हें खंड़ित करने वाली सांप्रदायिक ताकतों का पूरी मुस्तैदी से सामना कर उन्हें सफल नहीं होने देंगें।
आशुतोष वर्मा
सिवनी
9425174640