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Saturday, June 5, 2010

नाम ना आये पर काम हो जाये की तर्ज पर क्या कुछ भाजपा नेता संगठन मन्त्री पर साध रहें हैं निशाना
इंका में दावे के साथ यह कहा जा रहा हैं कि इस बार पार्टी जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में प्रदेश के बाहर के नेताओं को भेजेगी इस लिये कोई भेदभाव या मनमानी नहीं होगी। लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही हैं पिछले बार भी दिल्ली के श्री मित्तल चुनाव अधिकारी थे और उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिये इंका नेता आशुतोष वर्मा को नामांकन पत्र भी नहीं दिया था। नगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष जकी अनवर ने सिंचाई विभाग के फर्जी ड्राफ्ट कांड़ को उठाकर एक हलचल पैदा कर दी हैैं।जिले में कांग्रेस की नकेल हरवंश सियंह के हाथों में आयी हें तब से कोई भी पदाधिकारी भ्रष्टाचार के मामले नहीं उठाता था। कांग्रेस में यह डर बना रहता था कि कहीं पलट वार में जिला इंका के सर्वे सर्वा पर खुद ही पलटवार ना किये जाने लगे। भाजपा संगठन और उसके संविधान के जानकारों के अनुसार संगठन के अध्यक्ष को अपने निर्वाचन के तीस दिन के अन्दर अपनी कार्यकारिणी की घोषणा करना आवश्यक होता हैं अन्यथा उनके निर्वाचन पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता हैं। कुछ भाजपा नेता तो इसे मुद्दा बना कर नव निर्वाचित भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन की ही छुट्टी कराने की योजना बनाने में जुट गये हैं।वैसे तो इस मामले में यह प्रचारित हैं कि ये मुस्लिम भाजपा नेता तो मोहरा बना दिया गया हैं। असली निशाना तो जिला संगठन मन्त्री सन्तोष त्यागी पर साधने की चर्चायें हैं। बाजार में आयी एक फोन वार्ता की आडियों सी.डी. भी इन दिनों बाजार में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इस सी.डी. में जिला संगठन मन्त्री के उल्लेख होने का दावा भी भाजपा नेताओं का ही एक वर्ग कर रहा हैं।
इंका में वर्तमान से बड़े की तलाश जारी है-
जिला भाजपा के चुनाव होने के बाद इन दिनों कार्यकारिणियों के गठन का काम चल रहा हैं। जिला कार्यकारिणी अभी भी नहीं बन पायी हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस में चुनाव की हलचलें सुनायी दे रहीं हैं। दावे के साथ यह कहा जा रहा हैं कि इस बार पार्टी जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में प्रदेश के बाहर के नेताओं को भेजेगी इस लिये कोई भेदभाव या मनमानी नहीं होगी। लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही हैं पिछले बार भी दिल्ली के श्री मित्तल चुनाव अधिकारी थे और उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिये इंका नेता आशुतोष वर्मा को नामांकन पत्र भी नहीं दिया था और जब प्रेस ने पूछा था तो कह दिया कि वे चुनाव लड़ने के पात्र नहीं थे इसलिये फार्म नहीं दिया था। जब प्रेस ने पूछा कि यह तो स्क्रूटनी का मामला था तो वह कुछ भी नहीं कह पाये थे। अब फिर यही कहा जा रहा हें कि अन्य प्रदेश के नेता यहां आयेंगें तो सब ठीक ठाक रहेगा। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा कि क्या कितना ठीक रहता हैंर्षोर्षो वैसे भी अखबारों अब यह भी आने लगा हैं कि जिले के अध्यक्ष क्या सब कुछ डुबोकर ही जायेंगें। वैसे यदि देखा जाये तो डुबाने को अब बचा ही क्या हैंर्षोर्षो लोकसभा,विधानसभा और नपा सभी में तो लुटिया डूब ही चुकी हैं बमुश्किल जिला पंचायत हाथ में बची हें वो भी विद्रोही अनिल चोरसिया से गल बहियां करके जिनने स्वयं हरवंश सिंह के खिलाफ 2003 में चुनाव लड़ा था और जो उन्हें कुनैन की गोली की तरह लगते थे लेकिन जिला पंचायत चुनाव में तो हरवंश सिंह के लिये इस बार वे ही सबसे स्वादिष्ट स्वीट डिश बन गये थे। वैसे मंड़ी को डुबोने का पूरा मौका हाथ में था लेकिन सरकार ने चुनाव आगे बढ़ाकर यह ख्वाब अधूरा ही रह जाने दिया हैं। इसके बाद भी हरवंश सिंह की कार्यप्रणाली को जानने वालों का दावा हैं कि जब तक वर्तमान से बड़े की तलाश पूरी नहीं हो जायेगी तब तक वर्तमान ही भविष्य बना रहेगा। भले ही पार्टी का कुछ भी क्यों ना हो जाये
इंका नेता जकी अनवर की पहल प्रशंसनीय:सिविनी पुलिस सुस्त-
नगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष जकी अनवर ने सिंचाई विभाग के फर्जी ड्राफ्ट कांड़ को उठाकर एक हलचल पैदा कर दी हैं। वैसे जबसे कांग्रेस की नकेल हरवंश सियंह के हाथों में आयी हें तब से कोई भी पदाधिकारी भ्रष्टाचार के मामले नहीं उठाता था। कांग्रेस में यह डर बना रहता था कि कहीं पलट वार में जिला इंका के सर्वे सर्वा पर खुद ही पलटवार ना किये जाने लगे। लेकिन यह बहुत ही प्रशंसनीय कार्य जकी अनवर ने किया हैं। यह मामला सिर्फ सिवनी तक ही सीमित नहीं होगा। इस मामले के प्रमुख आरोपी ठेकेदार जैन प्रदेश के ताकतवर मन्त्री अनूप मिश्रा के चहेते ठेकेदार थे। अनूप मिश्रा पूर्व प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी के भांजे हैं। सिंचाई विभाग के जानकारो ं का मानना हैं कि समूचे प्रदेश में जैन के ऐसे कई घपले मिलेंगें क्योंकि किसी जमाने में सिंचाई विभाग का दफ्तर ही उनके घर से चलता था। एडवोकेट जकी अनवर ने शिकायत भेजने के साथ ही सिवनी पुलिस थाने में रपट भी लिखायी हैं। लेकिन अभी तक जो भी कार्यवाहियां हुयीं हें उनमें सिवनी पुलिस ने कोई भी कार्यवाही नहीं की हैं। वैसे भी जकी साहब यह तो जानते ही हैं कि सिवनी पुलिस बिना कोर्ट के निर्देश के कार्यवाही करने की आदी ही नहीं रह गई हैं। चाहे मामला लड़की की गुमशुदगी पर पिता की रपट का हो या फिर किसी अल्पसंख्यक को धमकी देने का हो। एक मामले में हाईकोर्ट के तो दूसरे माले में लखनादौन कोर्ट के निर्देश पर ही सिवनी जिले की पुलिस ने कार्यवाही की हैं। इसलिये यदि सिचाई विभाग के मामले में भी जकी अनवर साहब कुछ पुलिसिया कार्यवाही कराना चाहते हैं तो कोई ऐसी हिकमत निकालें कि कोर्ट में मामला पेश हो और कोर्ट निर्देश करे तभी तो कुछ कार्यवाही होगी वरना नतीजा वही ढाक के तीन पात के समान होगा।
जिला भाजपा की कार्यकारिणी ना बनना क्या मुद्दा बनेगा-
भाजपा संगठन और उसके संविधान के जानकारों के अनुसार संगठन के अध्यक्ष को अपने निर्वाचन के तीस दिन के अन्दर अपनी कार्यकारिणी की घोषणा करना आवश्यक होता हैं अन्यथा उनके निर्वाचन पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी जी भी ठीक तीसवें दिन ही अपनी कार्यकारिणी की घोषणा कर पाये थे। प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा भी 8 मई को निर्वाचित हुये थे। 8 जून तक उनकी कार्यकारिणी की भी घोषणा होने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। लेकिन जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन भी अभी तक अपनी कार्यकारिणी की घोषणा नहीं कर पाये हैं जबकि उनका निर्वाचन अप्रेल के तीसरे सप्ताह में ही हो गया था। यह इस बात का प्रमाण हैं कि भाजपा में गुटबाजी इतनी अधिक हैं कि उस पर किसी का भी काबू नहीं रह गया हैं। हर नेता अपने समर्थकों को जिले में पदाधिकारी बनाने के लिये अड़ा हुआ हैं। कुछ भाजपा नेता तो इसे मुद्दा बना कर नव निर्वाचित भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन की ही छुट्टी कराने की योजना बनाने में जुट गये हैं।
क्या त्यागी पर सध रहा है निशाना-
नाम ना आये पर काम हो जाये की तर्ज पर कुछ भाजपा नेता इन दिनों काम कर रहें हैंं।जिला भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के विरुद्ध नौकरी दिलाने के नाम पर पैसा लेने का मामला दर्ज हो गया था। उन्होंने कुछ कांग्रेस नेताओं पर उन्हें फंसाने का आरोप भी लगाया था। वैसे तो इस मामले में यह प्रचारित हैं कि ये मुस्लिम भाजपा नेता तो मोहरा बना दिया गया हैं। असली निशाना तो जिला संगठन मन्त्री सन्तोष त्यागी पर साधने की चर्चायें हैं। बाजार में आयी एक फोन वार्ता की आडियों सी.डी. भी इन दिनों बाजार में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इस सी.डी. में जिला संगठन मन्त्री के उल्लेख होने का दावा भी भाजपा नेताओं का ही एक वर्ग कर रहा हैं। कुछ भाजपा नेता तो इस निशाने को साधने के लिये बाकायदा योजना बना कर अमल कर रहें हैं। कई नेताओं की यह शिकायत भी कोई गोपनीय रह गई हैं कि श्री त्यागी ने कभी भी सभी को साथ लेकर चलने के बजाय एक गुट विशेष का ही साथ दिया हैं। इस स्थानीय राजनीति के चलते उनके दुश्मनों की भी कमी नहीं हैं। कुछ भाजपा नेता तो यह भी दावा कर रहें हैं कि पूर्व भाजपा अध्यक्ष सुदर्शन बाझल भी इन्हीं आरोपों के चलते दोबारा जिला भाजपा के अध्यक्ष नहीं बन पाये वरना उनकी एक बार तो ताजपोशी हो ही सकती थी। जिला भाजपा की यह गुटबन्दी अब इतनी अधिक घातक हो चुकी हैं कि पार्टी के अपने दुश्मन को निपटाने के लिये भाजपायी कांग्रेसियों का सहारा लेने से भी नहीं चूक रहें हैं। वैसे जिले के लिये यह कोई नयी बात नहीं हैं। भाजपाइयों का ऐसा ही उपयोग जिले के इंकाई आका पिछल दस साल से करते आ रहें आ रहें हैं। लेकिन अब ऐसा भाजपा में भी होने लगना जरूर चर्चा का विषय बन गया हैं। अब इन सब बातों का क्या हश्र होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

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