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Wednesday, October 13, 2010

जो जितना बड़ा हैं उस पर उतना बडा़ थू

ऐसा क्या हो गया जिस पर पूरे जिले में बवाल मच गया हैं। एक समारोह हुआ जैसे कई होते हैं। उस समारोह के मुख्य अतिथि विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह थे। समारोह था केन्द्रीय भू तल परिवहन मन्त्रालय के अंर्तगत बनने वाली फोर लेन, जिसका काम दो साल से रुका पड़ा हैं,के जिला मुख्यालय सहित कुछ कस्बों के बाय पास बन जाने से जर्जर हो चुके पुराने मार्ग के सतही नवीनीकरण का। याने इन स्थानों के बड़े बड़े गïे़े भरना और सतह का नवीनीकरण करना।

कार्यक्रम क्या हुआ कि राजनीति के क्षेत्र में श्रेय लेने की ओछी राजनीति का खेल शुरू हो गया। समारोह के मुख्य अतिथि हरवंश सिंह ने श्रेय लिया कि यह काम कमलनाथ ने उनके पत्र के आधार पर किया हैं। भाजपा ने कहा कि कांग्रेस श्रेय लेने की झूठी राजनीति कर रही हैं। जिला कार्यसमिति के सदस्य भोजराज मदने की उच्च न्यायालय में लगायी गई याचिका के कारण यह राशि केन्द्र ने मंजूर की हैं। फोर लेन बचाने के लिये गठित गैर राजनैतिक जनमंच ने कहा कि उनके सदस्य भोजराज मदने की याचिका के कारण यह राशि मिली हैं।

फोर लेन मामले के सुप्रीम कोर्ट में जाने और अटकने को लेकर कांग्रेस वैसे ही कटघरे में खड़ी हैं। कोर्ट में भू तल परिवहन मन्त्रालय और वन एवं पर्यावरण मन्त्रालय एक राय नहीं दे पा रहे हैं। यदि जिले के कांग्रेस के नेतृत्व में इतना दम हैं तो इस मामले में भी पत्र लिखकर मामले को सुलझवादे तो सारी जनता उन्हें सर आंखों पर बैठाने के लिये तैयार बैठी हैं। यही कारण हैं कि राहुल गांधी के सिवनी दौरे में पूरे समय फोर लेन का मामला ही छाया रहा जिसे सुलझाने के लिये वे कुछ ही दिनों पहले जिले की जनता को आश्वस्त करके गये हैं। लेकिन ऐसे चौचलों से तो कांग्रेस की भद्द ही पिट रही हैं।

अब सवाल उठता हैं भाजपा का। श्रेय लेने में वो पीछे नहीं हैं। अब भोजराज मदने उसे अपने कार्यकत्ताZ दिखने लगे हैं जबकि कुछ ही महीनों पहले जिला भाजपा ने उन्हें अनुशासनहीनता के लिये नोटिस थमाया था। जिसके जवाब पर भाजपा अभी तक कोई निर्णय नहीं कर पायी हैं। भाजपा में गुटबन्दी ऐसी हावी हैं कि उसने अपने ही नपा अध्यक्ष का उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा जो कि एक प्रतिनिधि मंड़ल के साथ कमलनाथ से दिल्ली में मिले थे और शहर के अन्दर के रोड़ आदि का प्राकल्लन सौंप कर आये थे और राशि स्वीकृत करने की मांग की थी। जबकि कमलनाथ ने अपने हरवंश सिंह को लिखे पत्र में यह उल्लेख किया हैं कि अन्य जन प्रतिनिधियों ने भी उनसे यह मांग की थी। आज भी एन.एच.ए.आई. की फाइल में फोर लेन के काम रुकने को कोई आधार हैं तो वह हैं जिला कलेक्टर का वह पत्र जिसमें उन्होंने पेड़ कटाई की दी गई अनुमति निरस्त कर दी थी। भाजपा आपनी प्रदेश सरकार से आज तक यह पत्र निरस्त नहीं करा पायी हैं। उनका तर्क हैं कि यदि यह पत्र निरस्त भी हो जायेगा तो काम शुरू नहीं हो पायेगा क्योंकि फाइल केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मन्त्री के यहां अनुमति के लिये लंबित हैं। तो क्या यह मान लिया जाये कि नाम में राम जुड़े रहने के कारण भाजपा जयराम रमेश पर मेहरबान हैं।

श्रेय लेने की होड़ में जनमंच का भी आना सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक हैं। यह बात सही हैं कि श्री मदने जनमंच के ना केवल एक आधार स्तंभ हें वरन कोषाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने जबलपुर नागपुर रोड़ की जर्जर हालत को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज की हैं और मांग की हैं कि इसे सरकार तत्काल सुधारे। उनकी याचिका पर सुनवायी अभी जारी हैं। पक्षकारों को नोटिस भी कोर्ट ने जारी कर दिये हैं। ऐसे में फेसला आने पर जब कोर्ट यदि मांग किये गये पूरे मार्ग को सुधारने के निर्देश सरकार को देती तो कुछ कहना ठीक था। क्योंकि जन मंच तो फोर लेन बचाने के लिये नागरिकों द्वारा गठित एक गैर दलीय और गैर राजनैतिक मंच हैं जिसे श्रेय लेने की तो जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि पूरी जनता यह जानती हें कि आज यदि फोर लेन बचने की संभावना जो पुर्नजीवित हुयी हैं वह जनमंच के कारण ही हुयी हैं।

जहां तक आवागमन में असुविधा का सवाल हैं तो यह बात जरूर हैं कि सिवनी से जबलपुर या नागपुर जाना दूभर हो गया हैं। यह पूरा का पूरा मार्ग पहले एन.एच. 7 कहलाता था। लेकिन इस रोड का लखनादौन से नागपुर तक का हिस्सा नार्थ साउथ कॉरीडोर में चला गया हैं जिसमे फोर लेन निर्माण का कार्य एन.एच.ए.आई. करा रही हैं तथा लखनादौन से जबलपुर तक का मार्ग नेशनल हाई वे तहत हैं। दोनों ही भूतल परिवहन मन्त्रालय के अंर्तगत आते हैं। कोई भी सूरमा यदि इस पूरी सड़क के गïे भराने के लिये ही कमलनाथ से पैसे ले आते तो नागरिक खुद ही सिर पर साफा पहना कर और एक बोथरी तलवार देकर उनका नागरिक अभिनन्दन कर देते। लेंकिन क्या कहा जाये इस श्रेय लेने की राजनीति का? जब लोगों ने हरवंश सिंह पर यह आरोप लगाना शुरू किया कि वे खुद इस छोटे से कार्य की शुरूआत कराने के लिये दवाब बना रहें हैं तो हरवंश सिंह ने खुद कमलनाथ का वह पत्र प्रेस कांफें्रस में बांट दिया जिसमे उन्होंने लिखा था कि हरवंश सिंह जाकर काम की शुरुआत करें।

इस काम के हो जाने से यदि जन सुविधा की बात देखी जाये तो सिवनी से नागपुर या जबलपुर जाने वाले किसी भी यात्री को गïे में गाड़ी कूदने से लगने वाले एक भी दचके में कमी नहीं आयेगी। क्योंकि जहां जहां ये काम होना हैं वहां के बाय पास मार्ग शुरू हो चुके हैं। जिनका उपयोग लोग कर रहें हैं। हां शहर और उन गांवाके कुछ लोगों को जरूर यह सुविधा मिलेगी कि वे अपने पुराने मार्ग पर भी कुछ दिनों तक सतही नवीनीकरण होने के कारण अच्छे से चल सकेंगें।

अब ऐसे छोटे छोटे कामों के लिये भी बड़ों बड़ों में भी ऐसी श्रेय लेने की राजनैतिक होड़ लग जाये तो इसे बस यही कह सकते हैं कि जो जितना बड़ा हैं उस पर उतना बडा़ थू।

Monday, October 11, 2010

प्रदेश महिला मोर्चे में रानी बघेल की नियुक्ति मचायेगी भाजपायी राजनीति में बवाल

प्रदेशाध्यक्ष नीता पटेरिया ने की कार्यकारिणी की घोषणा : मुख्यमन्त्री की पत्नी सहित कई दिग्गजों के परिजन शामिल

सिवनी। प्रदेश भाजपा की महिला मोर्चे की कार्यकारिणी की धोषणा जिले की भाजपायी राजनीति में बवाल खड़ा कर सकती हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में जाने वाली तथा बाद में भाजपा से निष्कासित नेत्री रानी बघेल के प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किये जाने से भाजपायी भौंचक हैं। जिस समिति में मुख्यमन्त्री की पत्नी साधना सिंह प्रदेश के कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं के परिजनों के साथ यह नियुक्ति उचित नहीं ठहरायी जा रही हैं। प्रदेश की अध्यक्ष नीता पटेरिया केे सिवनी जिले से होने कारण इस नियुक्ति से उनके विरोधियों के हाथ में एक अच्छा मसाला लग गया हैं। जिला भाजपा के अध्यक्ष सुजीत जैन ने भी इस बात की पुष्टि की हैं कि रानी बघेल को अभी वापस नहीं लिया गया हैं।

प्रदेश भाजपा के महिला मोर्चे की अध्यक्ष नीता पटेरिया ने प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी हैं। इसमें जिले की वरिष्ठ महिला नेत्री सुशीला चौरसिया के साथ ही युवा महिला नेत्री रानी बघेल को भी शामिल किया गया हैं।इस नियुक्ति को जिले के भाजपाइयों ने आश्चर्य के साथ देखा हैं।

उल्लेखनीय हैं कि रानी बघेल ने कांग्रेस से पहला जनपद चुनाव जीता था। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान केवलारी क्षेत्र के पलारी कस्बे में मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली थी। इसके जब भाजपा ने उन्हें जनपद चुनाव में अधिकृत प्रत्याशी नहीं बनाया तो वे बागी होकर चुनाव लड़ ली थीं। इस कारण जिला भाजपा ने रानी बघेल को निष्कासित कर दिया था। उसके बाद भी उनकी नियुक्ति अनुशासित कहलाने वाली भाजपा के लिये विचारणीय प्रश्न हैं। भले ही प्रदेश में दूसरी पार्टियों से भाजपा में आकर काम और पदों के इन्तजार में बड़े बड़े नेता रास्ता देख रहें हों लेकिन सिवनी जिले में ऐसा नहीं हैं। ब्लकि यहान्तो निष्कासित नेताओं को भी पदों से नवाजा जा रहा हैं।

प्रदेश महिला मोर्चे की कार्यकारिणी में मुख्यमन्त्री शिवराजसिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के अलावा सहकारिता मन्त्री गौरी शंकर बिसेन की पत्नी रेखा बिसेन सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं के परिजन शामिल हैं ऐसी परिस्थिति में एक निष्कासित भाजप नेत्री का उनके साथ बैठकों में बैठना कैसा लगेगार्षोर्षो यह एक विचारणीय प्रश्न हैं। महिला मोर्चे केी प्रदेश अध्यक्ष चूंकि जिले की विधायक नीता पटेरिया हें इसलिये इस नियुक्ति को भाजपायी गुटबन्दी से जोड़कर देखा जा रहा हैं। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन ने भी इस बात की पुष्टि की हैं कि रानी बघेल को अभी तक भाजपा में वापस नहीं लिया गया हैं।



राहुल गांधी की मंड़ली के युवा नेताओं में अपनी पैठ बनाना तो दूर उन्हें पहचानते तक नहीं हैं हरवंश सिंह

राहुल का दौरा क्यों? सियासी हल्कों में चर्चा-बीते दिनों कांग्रेस के भावी कर्णधार राहुल गांधी का ना सिर्फ सिवनी का दौरा हुआ वरन काफी प्रयासों के बाद भी उनका रात्रि विश्राम का कार्यक्रम भी नहीं बदल पाया। जिले के आला नेतृत्व के लिये यह दौरा काफी चौंकाने वाला था। पहले तो प्रदेश में सिवनी जिले का चयन और फिर उसमें लखनादौन में कार्यक्रम और जिला मुख्यालय में रात्रि विश्राम क्यों हुआर्षोर्षो इसे लेकर जिले के कांग्रेंसी हल्कों सहित विपक्ष में चर्चायें जारी हैं। सियासी हल्कों में जारी चर्चाओं को यदि सही माना जाये तो इस तथ्य पर विश्वास करना पड़ेगा कि पिछले लंबे असेZ से कभी कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले जिले में पिछले 15.20 सालों से कांग्रेस की दुर्गति क्यों हो रही है? वे यह जानना चाहते थे। लंबे समय से इस बाबत शिकायतें प्रप्त हो रहीं थीं। प्रदेश के इस दौरे ज्यादातर वे ही जिले शामिल किये गये थे जहां से कांग्रेस लंबे समय से हार रही हैं। गांधी परिवार के लिये सिवनी जिले का एक विशेष महत्व हैं। इन्दिरा गांधी 1977 एवं 1979 में सिवनी आयीं थीं। 1980 की लोकसभा और विधानसभा की पाचों सीटें कांग्रेस जीती थी। फिर देश के प्रधानमन्त्री बनने के बाद 1985 के विस चुनाव में जब स्व. राजीव जी ने जब कांग्रेस के वोट बैंक आदिवासी वर्ग पर पकड़ बनाये रखने के प्रयास किये थे तब भी उन्होंने लखनादौन को ही चुना था। इस चुनाव में भी कांग्रेस ने जिले की पाचों सीटें जीती थीं। इसके बाद दिसम्बर 2002 में श्रीमती सोनया गांधी लखनादौन आयीं थीं लेकिन 2003 के विस चुनाव में ना केवल जिले की दोनों आदिवासी सीटें, लखनादौन और घंसौर कांग्रेस हार गई थी वरन दो सामान्य सीटें बरघाट एवं सिवनी भी हार गये थे। जिले में सिर्फ हरवंश सिंह की केवलारी सीट भर जीते थे। अगले 2008 के चुनाव में भी हरवंश सिंह चुनाव जीते थे लेकिन 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवलारी से हार गई थी। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि राहुल गांधी ने भी लखनादौन का चयन इसलिये किया था क्योंकि 77 की जनता लहर और 90 की राम लहर में भी कांग्रेस का अजेय गढ़ रहने वाली कांग्रेस पिछले दो चुनावों से क्यों हार रही हैं र्षोर्षो राहुल गांधी, गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं जिन्होंने कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिये जिले का दौरा किया हैं।

क्या राहुल की मण्डली के नेताओं को पहचानते भी नहीं हैं हरवंश?जिले के एकमात्र कांग्रेस विधायक और विस उपध्यक्ष हरवंश सिंह राहुल गांधी के कार्यक्रम में कटे कटे से रहे। उन्हें वो तव्वजो नहीं मिली जिसके वे आदी हो चुके थे। राहुल गांधी की तो छोड़ो उनकी अन्तरंग मंड़ली में भी हरवंश सिंह की धुसपैठ तो दूर उन्हें वे पहचानते तक नहीं हैं। कोई यदि इस बात को बताता तो शायद ही जिले का कोई कांग्रेसी इस बात पर विश्वास करता। लेकिन लखनादौन हेलीपेड पर इसे कई लोगों ने साक्षात देखा हैं। एक प्रत्यक्षदशीZ के अनुसार हेलीकाफ्टर से उतर कर जब राहुल गांधी पब्लिक में मिलने लगे थे तब कुर्ते पाजामा पहने राहुल के साथ आये एक युवा नेता एक कोने में जब गुफ्तगू कर रहे थे तो हरवंश सिंह भी तपाक से उनकी ओर लपके और उन्हें कनिष्क जी कनिष्क जी कहकर बुलाने लगे। तीन चार बुलाने पर भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्हें यह बताया गया कि ये कनिष्क जी ब्लकि जितेन्द्र सिंह जी हैं जो कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं और राहुल जी से संबन्द्ध हैं। इतना ही नहीं वरन जितेन्द्र सिंह जी राजस्थान से निर्वाचित लोक सभा सदस्य भी हैं जिन्होंने हरवंश सिंह की इस हरकत के बाद उनसे बात करना भी उचित नहीं समझा। गांधी परिवार में अपनी पैठ का रुतबा बताकर अपने विरोधियों को चमकाते रहने वाले हरवंश की यह गत देखकर कांग्रेसियों के अलावा युवक इंकाइयों में तो चटखारे लेकर तरह तरह की चर्चायें होते देखीं जा सकतीं हैं।

कांग्रेसियों के ही षड़यन्त्र का शिकार होते रहें हैं महाकौशल के आदिवासी इंका नेता -लखनादौन के वन विद्यालय में राहुल गांधी विशेष तौर पर 18 से 35 आयु वर्ग के आदिवासी युवकों से मिलना चाहते थे। वे यह भी जानना चाहते थे कि आदिवासी वर्ग क्यों कांग्रेस से कट कर गौंड़वाना गणतन्त्र पार्टी की ओर आकषिZत हुआ। हरवंश सिंह उनके परिजन यह बात भली भान्ति समझते थे कि कहीं आदिवासी युवकों ने उनके द्वारा आदिवासी नेताओं का उपयोग कर कैसे दर किनार किया जाता थार्षोर्षो इसकी पोल ना खोल दें। वरन इस सूची में स्व. वसन्तराव उइके से लेकर मेहतलाल बरकड़े तक के नाम शामिल हैं। जिले की कांग्रेसी राजनीति में हरवंश सिंह का कोई विकल्प ना होने के कारण शोषण होने के बावजूद भी इनकी यह मजबूरी हैं कि वे इनके साथ ही बनें रहें। फिर भी कोई पोल ना खोल दे इस डर से राहुल गांधी के आनें से पहले तक रजनीश सिंह इसी पण्डाल में बने रहे तथा युवकों को समझाते रहें कि खिलाफ में कुछ नहीं बोलना हैं। इसी बीच पंड़ाल में किसी युवक ने जोर से चिल्ला कर कहा कि रजनीश मरावी को तो बाहर करो। तब कहीं जाकर कार्यक्रम के युवा इंका के प्रभारी ने उन्हें पंड़ाल से बाहर करवाया। महाकौशल अंचल के कई वरिष्ठ आदिवासी कांग्रेसी नेता हरवंश सिंह से प्रताड़ित होकर चुनाव हार चुके हैं। इनमें श्रीमती उर्मिला सिंह,जो कि आज हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल हैं, प्रेम नारायण ठाकुर,जो आज छिन्दवाड़ा जिले में भाजपा से विधायक हैं,बालाघाट जिले के स्व. गनपत सिंह उइके, मंड़ला जिले के स्व. छोटेलाल उइके, दयाल सिंह तुमराची आदि कई नेता शामिल हैंजो कि इनके षड़यन्त्र का शिकार हाकर काल के गाल में समा गयें हैं। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं सन 1996 के लोक सभा चुनाव में सिवनी लोकसयभा क्षेत्र से केन्द्रीय मन्त्री कु. विमला वर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले आदिवासी नेता शोभाराम भलावी ने 45 हजार वोट लेकर कांग्रेस को हरवा दिया था। इस चुनाव में हरवंश सिंह पर भलावी को मदद करने के आरोप लगे थे जो बाद मे भलावी को पुरुस्कृत कराने से प्रमाणित भी हो गये थे। पुरुस्कृत कराने का कारण यह था कि भलावी ने इस चुनाव में हरवंश सिंह के विधानसभा क्षेत्र केवलारी से 12 हजार वोट ले लिये थे। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि इसी चुनावके बाद यह आभास हुआ कि आदिवासी यदि लामबन्द हो जायें तो कांग्रेस को हराया जा सकता हैं। इसी आधार पर गौंड़वाना गणतन्त्र पार्टी ने समूचे महाकौशल क्षेत्र में कांग्रेस को भारी चुनौती दी और कांग्रेसी क्षत्रपों ने ही अपनी ही पार्टी के आदिवासी नेताओं को निपटाने के लिये उन्हें रसद भी उपलब्ध करायी इसीलिये 2003 के विस चुनाव में जबलपुर संभाग में गौगपा तीन सीटें जीत गईं थी और कई सीटों पर कांग्रेस की हार का कारण बन गई थी। अब जब राहुल गांधी इसी बात का पतालगाने आ रहें तो भला रसद पहुचाने वाले इंका नेता तो हलाकान होंगें ही।



Thursday, October 7, 2010

कुंभलकर से लेकर राहुल तक ने नज़र अन्दाज किया हरवंश को?


सिवनी। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी का दौरा हरवंश सिंह की गांधी परिवार में पैठ के बारे में बहुत कुछ कह गया हैं। राष्ट्रीय युवा इंका द्वारा लखनादौन कार्यक्रम के लिये नियुक्त प्रभारी नितिन कुंभलकर ने बुलाने पर बैठक में आने से मना कर दिया। राहुल के लखनादौन कार्यक्रम के दौरान हरवंश सिंह को रेस्ट हाउस में समय काटना पड़ा। वन विद्यालय में छिपा कर रखे गये सेवादल के कार्यकत्ताZओं को रजनीश के सामने बेइज्जत करके निकाला गया और वे बेचारे राहुल को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दे पाये। कई सालों बाद सिर्कट हाउस के बाहर के बन्द गेट पर हरवंश को खड़ा रहना पड़ गया। जिला इंका प्रवक्ता हरवंश सिंह की भाट गिरी छोड़कर कांग्रेस की सेवा करें तो राहुल गांधी के प्रवास के बाद कांग्रेस मजबूत हो सकती हैं वरना नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात सरीखा ही निकलेगा।

कई बार अपमानित हुये हरवंश

जिले के कांग्रेस के महाबली माने जाने वाले नेता हरवंश सिंह ने यह मायाजाल फैला रखा था कि गांधी परिवार में उनकी किचिन तक पहुंच हैं। इसके प्रमाण में अक्सर वे इस बात की दुहाई देते थे कि जिले के कई नेताओं ने प्रमाण सहित उनकी शिकायतें की फिर भी इसी कारण कोई भी उनका बाल तक बांका नहीं कर पाया। जिले में कांग्रेस लगातार रसातल में जाती रही लेकिन किसी ने भी महाबली से कुछ नहीं पूछा।लेकिन राहुल गांधी के जिले के इस दौरे ने इस माया जाल को तहस नहस कर दिया हैं। राहुल के दो दिवसीय प्रवास में कई ऐसे अवसर आये जब उन्हें अपमानित होना पड़ा वरना अभी तक तो वे ही अपने विरोधी कांग्रेस नेताओं को अपमानित करते रहें हैं।

बुलाने पर भी नहीं आये कुंभलकर

चैन्नई से लौटते ही हरवंश सिंह ने यह दिखाने के प्रयास प्रारंभ कर दिये थे कि राहुल गांधी के सारे कार्यक्रम का भार उनके ही कंधों पर हैं। लेकिन राहुल का यह दौरा युवक कांग्रेस के चुनाव को लेकर था जिसे वे अपने ही तरीके से आयोजित कराते हैं। युवा इंका ने नितिन कुंभलकर को लखनादौन कार्यक्रम का प्रभारी बनाया था। जिस दिन जिले के कांग्रेसियो की बैठक हरवंश ने लखनादौन में रखी उसी दिन से ग्रहण लगना शुरू हो गया था। उनके बुलाने और राजा बघेल के अनुरोध के बाद भी श्री कुंभलकर ने बैठक में आने से इंकार कर दिया और यह खबर भेज दी कि वे उन्हें प्राप्त निर्देशों के अनुसार ही कार्यक्रम करेंगें।

राहुल के साथ कार्यक्रम में जा नहीं पाये हरवंश

लखनादौन हेलीपेड पर काफी समय इन्तजार कर बमुश्किल एस.पी.जी. द्वारा प्रवेश दिये जाने के बाद हरवंश सिंह फिर यह हिम्मत नहीं जुटा पाये कि वन विद्यालय में हो रहे राहुल गांधी के कार्यक्रम में प्रवेश पाने की कोशिश करें। हेलीपेड से लौट कर वे सीधे रेस्ट हाउस पहुचें और वहीं उन्होंने लगभग दो घंटे का समय का काटा। जितनी देर राहुल गांधी युवकों से मिलते रहे उतनी देर 35 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी नेता को प्रवेश नहीं दिया गया। इस दौरान उनके चेहरे पर दिख रहा खिंचाव उनकी दास्तान खुद ही कह रहा था।

अनधिकृत प्रवेश :बेइज्जती से निकाले गये सेवादल कार्यकत्ताZ

पिछले दो दिनों से हरवंश सिंह इस बात के प्रयास में लगे थे कि सेवादल प्रमुख उनके पुत्र रजनीश सिंह के नेतृत्व में राहुल गांधी को सेवादल से गार्ड आफ आनर दिलाया जाये जैसा कि मन्त्री रहते हुये उन्होंने सिवनी और मंड़ला में सोनिया गांधी को दिलवाया था। उसी की एलबम आाज तक नेताओं को दिखायी जाती हैं। वैसे 2003 के विस चुनाव के पहले लगे सेवादल के शिवरों के बाद रजनीश के नेतृत्व कांग्रेस सेवा दल ने कांग्रेस की कोई सेवा नहीं की हैं सिवाय गार्ड आफ देने के। बताया जाता हैं कि हरवंश सिंह ने स्थानीय प्रशासनिक अमले से भी इस बाबद मदद की गुहार लगायी थी लेकिन उन्होंने भी एस.पी.जी. की बात कह कर मामले को टाल दिया था। फिर भी इस बात की दाद देनी पड़ेगी कि सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुये तीस चालीस सेवादल के कार्यकत्ताZओं को यूनीफार्म में एक गोदाम में छिपा कर रख दिया गया था। जैसे ही एस.पी.जी. को इस बात का पता लगा कि कुछ अनधिकृत लोग परिसर में हैं तो उन्हें कालर पकड़ कर बाहर निकाला गया और रजनीश सिंह को उन्हें बाहर छोड़कर आने की नसीहत बहुत सख्ती के साथ दी गई। इससे मायूस होकर दूसरे दिन राहुल को भी वही गार्ड आफ आनर देने वाले एलबम को दिखाने का प्रयास किया गया जिसमें उन्होंने कोई रुचि नही दिखायी।

सिर्कट हाउस के गेट के बाहर खड़े रहे हरवंश

कई सालों से सिर्कट हाउस में गार्ड आफ आनर लेने के आदी हो चुके हरवंश सिंह ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें सिर्कट हाउस के बाहर वाले बन्द गेट पर खड़े रहकर इन्तजार करना पड़ेगा। गांधी परिवार के राजनैतिक उत्तराधिकारी राहुल गांधी के कार्यक्रम में उन्हें यह दिन भी देखना पड़ गया। दूसरे दिन सुबह जब हरवंशसिंह के आग्रह पर प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी की पहल पर जिला इंका का प्रतिनिधि मंड़ल राहुल से मिलने वाला था तब श्री सिंह को बाहर इन्तजार करना पड़ा। कांग्रेस के इस पन्द्रह सदस्यीय डेलीगेशन में वैसे तो पप्पू खुराना,,प्रसन्न मालू,संजय भारद्वाज और जकी अनवर को शामिल कर लिया गया था लेकिन हरंवश सिंह ने इस डेलीगेशन में वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा का नाम नहीं जुड़ने दिया। जिले की प्रमुख समस्या फोर लेन के सम्बंध में हरवंश सिंह ने राहुल गांधी को विस्तार से जानकारी दी कि क्यों यह काम अटका पड़ा हैं।

भाटगिरी के बजाय कांग्रेस हित देखें प्रवक्ता

इतना सब कुछ सबके द्वारा देखने के बाद भी जिला इंका प्रवक्ता ओमप्रकाश तिवारी द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में हरवंश सिंह को महिमा मंड़ित किये जाने की तो दाद ही देना पड़ेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने इस कार्यक्रम के प्रभारी के रूप में जबलपुर के इंका नेता आलोक मिश्रा को भेजा था जो कि तीन दिन तक सिवनी में रहे। पचौरी के निर्देश पर उन्होंने सभी में समन्वय बनाने का प्रयास किया। इसके बाद भी सब कुछ के लिये हरवंश सिंह को श्रेय देना और समन्वय बनाने के प्रदेश अध्यक्ष पचौरी और आलोक मिश्रा के प्रयासों का उल्लेख तक ना करना भाटगिरी नहीं तो भला और क्या कही जा सकती हैं? बेंहतर होगा कि प्रवक्ता यह सब करने के बजाय कांग्रेस के गुणगान गायें तो राहुल के दौरे का कुछ लाभ भी जिले में मिल सकता हैं वरना नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ही निकलेगा।

दैनिक यशोन्नति सिवनी

8 अक्टूबर 2010