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Sunday, October 23, 2011

editorial on dewali

सामाजिक मूल्य बदलें बिना क्या भ्रष्टाचार रूपी रावण का अंत हो सकता है?ै

बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का प्रतीक है दीपावली का त्यौहार। आततायी रावण का वध करके जब भगवान राम अयोध्या वापस आये थे तो अयोध्यावासियों ने घी के दिये जला कर भगवान राम का स्वागत किये थे। इसे ही दिवाली के रूप में मनाते हैं। आज देश में सबसे बड़ी बुराई भ्रष्टाचार रूपी रावण है। इस बात से किसी को इंकार नहीं हैं। इसे खत्म होना ही चाहिये।

इसे खत्म कर सकने का दावा कई लोग कर रहें हैं लेकिन हर एक का यह मानना हैं कि सिवाय मेरे तरीके के कोई और तरीका कारगर हो ही नहीं सकता। अन्ना हजारे जनलोकपाल बिल को,बाबा रामदेव विदेश से कालाधन वापस लाने को तो आडवानी रथ यात्रा और सरकार अपने तरीकों को इस रावण को मारने का सबसे का अचूक हथियार मान रही हैं। भ्रष्टाचार रूपी रावण को मारने के लिये राम बनने को तो कई लोग तैयार हैं लेकिन उसकी नाभि में अमृत है यह राज शायद कोई जानता ही नहीं हैं तो भला इसका अंत कैसे होगा?

भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कई कानून आज भी लागू हैं। कई राज्यों में लोकायुक्त भी नियुक्त किये गये हैं। इनका आलम यह है कि आज भी मध्यप्रदेश में लोकायुक्त द्वारा की गयी 170 सिफारिशें लंबित पड़ी हैं जिनमें से कुछ तो दस साल से लंबित हैं लेकिन सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की हैं। वास्तव में जरूरत हैं तो कानूनों को सख्ती से लागू करने की हैं।

समाज में होने वाल बदलावों का असर हर क्षेत्र में होता हैं चाहे वह प्रशासनिक क्षेत्र हो या राजनैति क्षेत्र हो या व्यापारिक क्षेत्र हो। भारतीय समाज में पहले गुणों पर आधारित मूल्य हुआ करते थे और ऐसे व्यक्ति ही समाज में सम्मान पाते थे। लेकिन अब पैसे और पावर पर आधारित मूल्य हो गये हैं और समाज सम्मान भी उन्हीं को दे रहा हैं और वह यह भी नहीं सोच रहा हैं कि ये पैसा और पावर कैसे प्राप्त किया गया है? समाज में रहने वाला हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसे भी सम्मान मिले और सम्मान पाने के लिये वह वो सब कुछ करने को तैयार रहता है जिससे उसे सम्मान मिले। इसलिये आज मूल आवश्यक्ता इस बात की हैं सामाजिक मूल्यों के आधार बदले जायें अन्यथा भ्रष्टाचार रूपी रावण का अंत कोई भी नहीं कर पायेगा क्योंकि यही उसकी नाभि का अमृत बना हुआ हैं। सामाजिक मूल्य बदले,भ्रष्टाचार रूपी रावण का अंत हो यही दीपावली पर हमारी शुभकामनायें हैं।

Tuesday, October 11, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

शिवराज से सांठ गांठ के आरोप के चलते पार्टी में अपने घटते राजनैतिक कद से परेशान हरवंश अब शासकीय समारोहों से भी कन्नी काटने लगें हैं

इस सप्ताह कई कारणों से सबसे अधिक चर्चित राजनैतिक व्यक्तित्व जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाधयक्ष हरवंश सिंह का रहा हैं। सड़कों के गड्डे में बेशर्म की झाड़ी रोपने वाले आंदोलन में प्रदेश कांग्रेस ने सभी बड़े नेताओं को अलग अलग शहरों में नेतृत्व करने भेजा उसमें हरवंश सिंह का नाम कहीं नहीं था। फिर अब प्रदेश इंका की जंबों जेट कार्यकारिणी में उनका नाम ही गोल हो गया। शिवराज से सांठगांठ के आरोपों के चलते हरवंश सिंह अब शासकीय समारोहों से भी किनारा काटने लगे हैं। इन सब वजहों से वे इतने परेशान हो गये हैं कि उन्होंने जिला इंका के कार्यालय के उदघाटन की प्रेस विज्ञप्ति तक जारी नहीं होने दी। जिले की महत्वाकांक्षी पेंच सिंचायी परियोजना को लेकर एक बार फिर किसानों की भावनाओं से खेलने का दौर चालू हो गया हैं। भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने शिवराज से बात करने और इसे तेजी से चालू रखने के निर्देश का हवालादिया तो इंका विधायक हरवंश सिंह ने इंका कार्यालय के उदघाटन के दौरान पेंच के लिये किये गये अपने प्रयासों का हवाला दिया और मुख्यमंत्री से बात करने की बात भी बतायी। अब एक किसान संघंर्ष समितिके नाम से आंदोलन चलाने की बात की जा रही हैं जो कहने को तो गैर राजनैतिक बतायी जा रही हैं लेकिन प्रकाशित नामों में अधिकांश नाम भाजपा नेताओं के ही हैं। जिले में बड़ी लाइन अभी आयी हो या ना आयी हो लेकिन रेल का खेल जारी हैं।

शिवराज से सांठ गांठ के आरोपो से इंका में कद गिर रहा है हरवंश का?-इस सप्ताह कई कारणों से सबसे अधिक चर्चित राजनैतिक व्यक्तित्व जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाधयक्ष हरवंश सिंह का रहा हैं। सड़कों के गड्डे में बेशर्म की झाड़ी रोपने वाले आंदोलन में प्रदेश कांग्रेस ने सभी बड़े नेताओं को अलग अलग शहरों में नेतृत्व करने भेजा उसमें हरवंश सिंह का नाम कहीं नहीं था। फिर अब प्रदेश इंका की जंबों जेट कार्यकारिणी में उनका नाम ही गोल हो गया। शिवराज से सांठगांठ के आरोपों के चलते हरवंश सिंह अब शासकीय समारोहों से भी किनारा काटने लगे हैं। इन सब वजहों से वे इतने परेशान हो गये हैं कि उन्होंने जिला इंका के कार्यालय के उदघाटन की प्रेस विज्ञप्ति तक जारी नहीं होने दी। कांतिलाल भूरिया के अध्यक्ष बनने के बाद अक्सर ऐसे समाचार छपा करते थे कि हरवंश सिंह अब रिमोट से प्रदेश में कांग्रेस चलायेंगें। उन्हें पहला झटका तब लगा जब प्रदेश इंकाध्यक्ष ने सड़कों के गड्डों में बेशर्म की झाड़ियां रोपने का प्रदेश स्तरीय आंदोलन में सभी बड़े नेताओं को बड़े शहरो में नेतृत्व करने के लिये नियुक्त किया। इसमें हरवंश का नाम कहीं नहीं था ब्लकि जबलपुर में भूरिया ने स्वयं कमान संभाल कर राजनैतिक संकेत दे दिये थे। इस बारें में इंका नेताओं में यह चर्चा रही कि या तो अब प्रदेश कांग्रेस हरवंश को बड़ा नेता नहीं मानती या फिर लालबत्ती बचाने के चक्कर में वे खुद इससे दूर रह क्योंकि यह आंदोलन प्रदेश सरकार और शिवराज सिंह के खिलाफ था।तब हरवंश समर्थकों ने यह तर्क दिया था कि वे चूंकि संवैधानिक पद पर है इसलिये आंदोलन से दूर रहे। लेकिन उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि जब मंत्री गौरीशंकर बिसेन के विरुद्ध आदिवासियों को अपमानित करने के लिये जब लखनादौन में आंदोलन किया गया था तब हरवंश सिंह उसमें क्यों शामिल हुये थे? और इस पर प्रदेश की भाजपा और शिवराज सरकार क्यों चुप रह गयी थी? इसके बाद अब जब भूरिया की टीम घोषित हुयी तो प्रदेश के 150 नेताओं में भी हरवंश सिंह का कहीं नाम नहीं था। ना तो वे कार्यकारी अध्यक्ष बने और ना ही प्रभारी महामंत्री बन पाये। इस तरह प्रदेश के संगठन में हरवंश सिंह की उपेक्षा एक बड़ी राजनैतिक घटना मानी जा रही हैं। प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने पूरे प्रदेश में बेटी बचाओ अभियान की शुरूआत धूम धाम से की हैं। इसमें सभी विधायकों को अपने अपने क्षेत्र में मुख्य अतिथि बनाया गया था। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को भी केवलारी में मुख्य अतिथि बनाया गया था। लेकिन पार्टी के अंदर शिवराज से सांठ गांठ के आरोपों के चलते उन्होंने अपने ही विस क्षेत्र में इस कार्यक्रम में सम्मलित होना उचित नहीं समझा। जबकि इस कार्यक्रम में हरवंश के खिलाफ भाजपा से चुनाव लड़ने वाले डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन और जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन शामिल हुये थे। इसी सप्ताह उन्होंने कांग्रेस के परिर्वतित कार्यालय का उदघाटन किया। मुख्य अतिथि रहते हुये भी हरवंश सिंह ने सबसे पहले अपना भाषण दिया और कांग्रेस भवन,पेंच योजना, फोर लेन और छिंदवाड़ा नैनपुर बड़ी रेल लाइन के आंदोलन के समर्थन में भी खुल कर भाषण दिया। इस कार्यक्रम में भी वरिष्ठ कांग्रसियों को अपमानित करने में कोई परहेज नहीं किया गया और उठाये जाने वाले सवालों के जवाबों से बचने के लिये हरवंश सिंह ने खुद ही पहले भाषण देकर पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद कई नेताओं ने भाषण देने से ही मना कर दिया और जिनने बोला उनने भी कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाये लेकिन उन्हें सवालों के कोई जवाब नहीं मिल पाये। कार्यक्रम स्थल के करीब और इंका नेता मो. समी अंसारी के घर पर भी पूर्व मंड़ी अध्यक्ष दिलीप बघेल और हरवंश के बीच हुयी झड़प भी कांग्रेसियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इन सब बातों का खुलासा ना हो कि हरवंश सिंह ने क्या क्या अपने भाषण में कहा इसलिये जिला इंका ने प्रेस विज्ञप्ति भी बहुत लेट और सोच विचार कर जारी की जिसमें विवादास्पद हो सकने वाले मुद्दों को छुपा लिया गया हैं। कुल मिलाकर पार्टी में भाजपा से सांठ गांठ के आरोपों में चलते कांग्रेस में अपने गिरते हुये कद से परेशान हरवंश अब इस आरोप से मुक्ति पाने की कोशिशों में लगे हुये हैं ताकि और अधिक राजनैतिक नुकसान ना हो सके।

पेंच के पेंच उलझाते ही जा रहे हैं इंका और भाजपा नेता-जिले की महत्वाकांक्षी पेंच सिंचायी परियोजना को लेकर एक बार फिर किसानों की भावनाओं से खेलने का दौर चालू हो गया हैं। भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने शिवराज से बात करने और इसे तेजी से चालू रखने के निर्देश का हवालादिया तो इंका विधायक हरवंश सिंह ने इंका कार्यालय के उदघाटन के दौरान पेंच के लिये किये गये अपने प्रयासों का हवाला दिया और मुख्यमंत्री से बात करने की बात भी बतायी। किसानों की एक समिति पहले ही ज्ञापन सौंप कर सरकार से इसे चालू रखने की मांग कर चुकी हैं। अब एक किसान संघंर्ष समितिके नाम से आंदोलन चलाने की बात की जा रही हैं जो कहने को तो गैर राजनैतिक बतायी जा रही हैं लेकिन प्रकाशित नामों में अधिकांश नाम भाजपा नेताओं के ही हैं। इस पूरे मामले में सबसें हास्यासपद बात तो यह हैं कि नीता पटेरिया और हरवंश सिंह ने शिवराज से बात करने और पेंच योजना को चालू रखने की चर्चा की बात कही हैं उससे ऐसा प्रतीत होता हैं कि मानो मुख्यमंत्री को यह मालूम ही नहीं हैं कि उनकी सरकार ने पेंच योजना को बंद करने का प्रस्ताव अपनी अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को भेज दिया हैं। विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया अपनी वीडियों कान्फ्रेन्स में इसका खुलासा भी कर चुके हैं जिसके समाचार अखबारों में छप चुके हैं। इस योजना को लेकर लंबे समय तक इंका नेता हरवंश सिंह राजनैतिक रोटी सेंक चुके हैं अब भाजपा की विधायक नीता पटेरिया और अन्य नेता भी ऐसा ही कुछ करना चाह रहें हैं। यदि भाजपा नेता ईमानदारी से यह चाहते हैं कि पेंच योजना बंद ना हो तो वे अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री पर दवाब बनायें कि प्रदेश सरकार इस योजना को बंद करने के प्रस्ताव को वापस ले। इसके लिये उन्हें किसानों के आंदोलन करने की क्या आवयक्ता हैं?और यदि उनकी ही पार्टी उनकी बात नहीं सुनती हैं और वे सही में किसानों का भला चाहते हैं तो इसके लिये उन्हें शिवराज और उनकी सरकार को कठघरें में खड़ा करना पड़ेगा जो कि भाजपा में रहते संभव नहीं हो पायेगा।इंका और भाजपा तथा सभी नेताओं से इस परिस्थिति में यह अनुरोध तो किया ही जा सकता हैं कि वे किसानों के जख्मों पर यदि मरहम नहीं लगा सकते हों तो तो ना लगायें कम से कम नमक तो ना छिड़के।

जिले मे रेल का खेल भी जारी है-जिले में बड़ी लाइन को लेकर भी खेल जारी हैं। छिंदवाड़ा नैनपुर का शिलान्यास कमलनाथ कर चुके हैं। तीस करोड़की राशि भी मिल गयी हैं। लेकिन संघर्ष जारी हैं और हरवंश सिंह ने अपने भाषण में खुमान सिंह के संघर्ष का ना केवल समर्थन किया वरन सभी को साथ देने का आव्हान भी किया। इसी तरह रामटेक गोटेगांव नई लाइन की रेल अभी पटरी पर तो ठीक से चढ़ी नहीं हैं लेकिन अगर इस बजट में चढ़ गयी तो हम नीचे ना रह जायें की इसी तर्ज पर इसमें भी खेल शुरू हो गये हैं। मुसाफिर तो यही चाहता हैं कि भले ही सारे नेता ए.सी.कोच में चढ़ जायें लेकिन कम से कम इस लाइन को बनवा तो दें।

Monday, October 3, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

फोर लेन की तरह पेंच में भी यदि शिवराज ने खेल खेला और नीता भी जनमंच के नेताओं की तरह चुप रहीं तो जनता कभी माफ नहीं करेगी

एक ही गाड़ी पर सवार होकर नरेश और राजेश जबलपुर में आयोंजित अरविंद मैनन की बैठक में शामिल होने गये। बाहुबली वाली रोड़ के लिये नरेश ने 40 लाख रुपये तो दिये लेकिन यह पैसा नपा के बजाय लोनिवि को देने की सिफारिश की है लेकिन पिछली दुगनी लागत में बनी घटिया सड़क बनाने वाले ठेकेदारों को भी संरक्षण भी तो नरेश का ही था। मैनन जी यदि आपको के.डी. भाऊ के गांव की मिट्टी देखने से कोई राज पता चले तो कम से कम क्षेत्र के मतदाताओं को जरूर बता देना। मैनन ने श्रीमती बिसेन को क्या समझाइश दी और उसका कितना असर गौरी भाऊ पर दिखेगा? इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में तरह तरह के कयास लगाये जा रहे है। भाजपा द्वारा मंड़ला में आयोजित की गयी आक्रोश रैली पर सवाल उठाते हुये राकपा के महासचिव भारत प्रेमचंदानी ने कहा है कि इससें यह साबित हो गया है कि भाजपा को न्यायापालिका में कोई विश्वास नहीं हैं। यदि पेंच के मामले में शिवराज ने प्रमुख सचिव को जो निर्देश दिये उस पर पालन शुरू हो जाता हैं तो वास्तव में शिवराज और नीता पटेरिया बधायी के पात्र हैं। लेकिन यदि कुछ नहीं होता हें तो जनमंच के बचेखुचे नेताओं की तरह यदि नीता भी चुप्पी साधे रहतीं हैं तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।

नरेश और राजेश एक साथ गये बैठक में -देखने वालों के लिये यह एक सुखद क्षण था जब एक ही पार्टी के दो धुर विराधी नेता एक ही गाड़ी में सवार होकर पार्टी की मीटिंग में शामिल होने जबलपुर के लिये रवाना हुये। जी हां यह नजारा लोगों ने देखा अब्बास भाई के प्रट्रोल पंप पर जहां मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एक ही गाड़ी पर सवार थे और जा रहे थे संगठन मंत्री अरविंद मैनन की बैठक में जो जबलपुर में थी। इसके बाद ही यह पता चला कि नरेश दिवाकर ने महाकौशल विकास प्राधिकरण से पेट्रोल पंप से एस.पी. बंगले की रोड़ बनवाने के लिये 40 लाख रुपये की राशि भी दे दी हैं। लेकिन उन्होंने नगरीय क्षेत्र में रोड़ बनाने के लिये नगर पालिका के बजाय लोक निर्माण विभाग को ऐजेन्सी बनाने का सुझाव दिया हैं। इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चायें शुरू हो गयीं है। यह बात सही है कि नपा ने यह सड़क इतनी घटिया बनायी थी कि भाजपा सरकार को अपनी ही पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष पार्वती जंघेला को ना केवल चुनाव लड़ने के लिये अपात्र घोषित करना पड़ा था ब्लकि तीन लाख रुपये की रिकवरी भी निकाली थी जिस पर पालिका ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं शुरू की हैं। लेकिन यह भी एक उजागर बात है कि इस सड़क को बनाने वाले भाजपायी बेनामी ठेकेदारों को तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर का ही खुला संरक्षण प्राप्त था। अब नरेश जी को यह भी ध्यान रखनाहोगा कि लोनिवि विभाग द्वारा जिसे ठेकेदार नियुक्त किया जायेगा वह भी पहले जैसा ही कोई ना बन जाये वरना ये 40 लाख रुपये भी बेकार ही चले जायेंगें और नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ही निकलेगा। बात जो कुछ भी हो लेकिन एक बात तो साफ हो गयी है कि मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर भाजपा के नेतृत्व वाली नपा को भ्रष्ट मानने लगे हैं। सच को स्वीकार करना भी एक प्रशंसनीय कार्य माना जा रहा हैं। ं

के.डी. के गांव की मिट्टी देखना चाहते है मैनन-पिछले दिनों एक रोचक समाचार छपा जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मैनन ने बालाघाट सिवनी के भाजपा सांसद के.डी.देशमुख के गांव की मिट्टी देखने की इच्छा जाहिर की हैं। यह प्रसंग कैसे और क्यों आया?यह तो समाचार में खुलासा नही किया गयाहैं लेकिन इसने लोगों में उत्सुकता पैदा कर दी हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा? अब भला मैनन जी को यह कौन बताये कि क्षेत्र के मतदाता भी उन्हें वोट देकर पछता रहें और यह जानना चाह रहें हैं कि के.डी. भाऊ आखिर किस मिट्टी के बने हैं? जीतने के बाद क्षेत्र के हर मुद्दे पर चुप्पी साधे रहते हैं। मैनन जी यदि आपको के.डी. भाऊ के गांव की मिट्टी देखने से कोई राज पता चले तो कम से कम क्षेत्र के मतदाताओं को जरूर बता देना।

गौरी को छोड़ उनके घर पहुंचे मैनन- केवलारी विस क्षेत्र के भाजपा प्रभारी मंत्री गौरीशंकर बिसेन को बालाघाट के भाजपा कार्यालय में ही छोड़कर अरविंद मैनन उनके घर चले गये और वहां उन्होंने श्रीमती रेखा बिसेन से चर्चा की जिसकी सुर्खी भी अखबारों में बनी और यह आशंका व्यक्त की गयी है कि मैनन ने हाल ही के गौरी भाऊ के विवादों के बारे में चर्चा की हैं। मैनन ने श्रीमती बिसेन को क्या समझाइश दी और उसका कितना असर गौरी भाऊ पर दिखेगा? इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में तरह तरह के कयास लगाये जा रहे है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मैनन द्वारा के.डी. के गांव की मिट्टी देखनेकी बात भी कही थी तो कहीं इसी को लेकर श्रीमती बिसेन को उन्होंने कोई भविष्य का राजनैतिक इशारा तो नहीं किया है? सच क्या है? यह तो वक्त आने पर ही पता लगेगा।

क्या भाजपा को न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है?- फग्गन सिंह कुलस्ते के प्रकरण में भाजपा द्वारा मंड़ला में आयोजित की गयी आक्रोश रैली पर सवाल उठाते हुये राकपा के महासचिव भारत प्रेमचंदानी ने कहा है कि इससें यह साबित हो गया है कि भाजपा को न्यायापालिका में कोई विश्वास नहीं हें। पैसा लेकर सवाल पूछने के आरोपी रहे कुलस्ते को संप्रग सरकार ने नहीं वरन न्यायपालिका ने जेल भेजा हैं। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि तीन करोड़ रुपये में सेकुलस्ते ने सदन में सिर्फ एक करोड़ ही दिखाये थे शेष दो करोड़ रुपये कहां गये? वैसे तो राकपा नेता द्वारा उठाये गये दोनो सवाल सही हैं लेकिन क्या भाजपा इन सवालों का जवाब देगी? वास्तविकता तो यह हैं कि भाजपा को भी कुलस्ते से कोई लेना देना नहीं हैं। तभी तो उन्हें कभी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं बनने दिया गया। वास्तव में इंका में भूरिया की ताजपोशी के बाद भाजपा आदिवासी वोट बेंक में लग सकने वाली सेंध से परेशान थी इसलिये उसनें कुलस्ते मुद्दे की आड़ में आदिवासियों में एक बार फिर पैठ बनाने का प्रयास किया है।

पेंच में भी यदि खेल हुआ तो जनता माफ नहीं करेगी- प्रदेश सरकार के पेच योजना के बंद करने के प्रस्ताव से हल चल मची हुयी हैं। अंत्योदय मेले में जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने इस मामले को उठाया था लेकिन मुख्य अतिथि अजक मंत्री विजयशाह ने इस पर कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा। लेकिन इस मेले के दो दिन बाद ही भाजपा विधायक नीता पटेरिया के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मिलने का समाचार प्रमुखता से छपा और उसमें यह उल्लेख भी किया गया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर हाल में पेंच का पानी किसानों के खेत तक पहुंचेगा। इसमें यह भी उल्लेख था कि शिवराज ने प्रमुख सचिव जुलानिया को तेजी काम चालू रखने के निर्देश दिये हैं। इस समाचार की कतरन संलग्न करते हुये इंका नेता आशुतोष वर्मा ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री पवन बंसल को पत्र लिखकर कहा है कि जब प्रदेश के मुखिया ने ही सचिव को तेजी से काम चालू रखने के निर्देश दे दियेहैं तो फिर प्रदेश सरकार द्वारा इस योजना को बंद करने के लिये केन्द्र को भेजा गया प्रस्ताव ही औचित्यहीन हों गया हैं। अतः इसे मंजूर ना किया जाये। इंका नेता ने अपने पत्र में यह भी बताया हैं कि वास्तव में केन्द्र से मंजूरी मिलने के पहले ही इस योजना को प्रदेश सरकार ने बंद कर दिया हैं और दूसरी तिमाही के लिये आवंटित राशि में से शेष बचे 112 लाख रुपये सरेन्डर करने का प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया गया हैं। मुख्यमंत्री ने तो सिवनी की सभा में यह दहाड़ भी लगायी थी कि सूर्य चाहे पूर्व की जगह पश्चिम से निकल जाये लेकिन फोरलेन सिवनी से ही जायेगी। उन्होंने तो जनमंच के नेताओं को भी दो बार आश्वस्त किया था कि वे उन्हें साथ ले जाकर प्रधानमंत्री से मिलवायेंगें। लेकिन आज तक नतीजा सिफर ही हैं। यह बात अलग है कि इस बात पर जनमंच के नेता भी मौन साधे हुये हैं। कहीं इसी तर्ज पर तो पेंच का पानी किसानों के ख्ेातों तक नहीं पहुचने वाला है?यदि ऐसा हुआ तो फिर भगवान ही मालिक है।लेकिन यदि शिवराज ने प्रमुख सचिव को जो निर्देश दिये उस पर पालन शुरू हो जाता हैं तो वास्तव में शिवराज और नीता पटेरिया बधायी के पात्र हैं। लेकिन यदि कुछ नहीं होता हें तो जनमंच के बचेखुचे नेताओं की तरह यदि नीता भी चुप्पी साधे रहतीं हैं तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।