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Monday, October 3, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

फोर लेन की तरह पेंच में भी यदि शिवराज ने खेल खेला और नीता भी जनमंच के नेताओं की तरह चुप रहीं तो जनता कभी माफ नहीं करेगी

एक ही गाड़ी पर सवार होकर नरेश और राजेश जबलपुर में आयोंजित अरविंद मैनन की बैठक में शामिल होने गये। बाहुबली वाली रोड़ के लिये नरेश ने 40 लाख रुपये तो दिये लेकिन यह पैसा नपा के बजाय लोनिवि को देने की सिफारिश की है लेकिन पिछली दुगनी लागत में बनी घटिया सड़क बनाने वाले ठेकेदारों को भी संरक्षण भी तो नरेश का ही था। मैनन जी यदि आपको के.डी. भाऊ के गांव की मिट्टी देखने से कोई राज पता चले तो कम से कम क्षेत्र के मतदाताओं को जरूर बता देना। मैनन ने श्रीमती बिसेन को क्या समझाइश दी और उसका कितना असर गौरी भाऊ पर दिखेगा? इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में तरह तरह के कयास लगाये जा रहे है। भाजपा द्वारा मंड़ला में आयोजित की गयी आक्रोश रैली पर सवाल उठाते हुये राकपा के महासचिव भारत प्रेमचंदानी ने कहा है कि इससें यह साबित हो गया है कि भाजपा को न्यायापालिका में कोई विश्वास नहीं हैं। यदि पेंच के मामले में शिवराज ने प्रमुख सचिव को जो निर्देश दिये उस पर पालन शुरू हो जाता हैं तो वास्तव में शिवराज और नीता पटेरिया बधायी के पात्र हैं। लेकिन यदि कुछ नहीं होता हें तो जनमंच के बचेखुचे नेताओं की तरह यदि नीता भी चुप्पी साधे रहतीं हैं तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।

नरेश और राजेश एक साथ गये बैठक में -देखने वालों के लिये यह एक सुखद क्षण था जब एक ही पार्टी के दो धुर विराधी नेता एक ही गाड़ी में सवार होकर पार्टी की मीटिंग में शामिल होने जबलपुर के लिये रवाना हुये। जी हां यह नजारा लोगों ने देखा अब्बास भाई के प्रट्रोल पंप पर जहां मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एक ही गाड़ी पर सवार थे और जा रहे थे संगठन मंत्री अरविंद मैनन की बैठक में जो जबलपुर में थी। इसके बाद ही यह पता चला कि नरेश दिवाकर ने महाकौशल विकास प्राधिकरण से पेट्रोल पंप से एस.पी. बंगले की रोड़ बनवाने के लिये 40 लाख रुपये की राशि भी दे दी हैं। लेकिन उन्होंने नगरीय क्षेत्र में रोड़ बनाने के लिये नगर पालिका के बजाय लोक निर्माण विभाग को ऐजेन्सी बनाने का सुझाव दिया हैं। इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चायें शुरू हो गयीं है। यह बात सही है कि नपा ने यह सड़क इतनी घटिया बनायी थी कि भाजपा सरकार को अपनी ही पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष पार्वती जंघेला को ना केवल चुनाव लड़ने के लिये अपात्र घोषित करना पड़ा था ब्लकि तीन लाख रुपये की रिकवरी भी निकाली थी जिस पर पालिका ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं शुरू की हैं। लेकिन यह भी एक उजागर बात है कि इस सड़क को बनाने वाले भाजपायी बेनामी ठेकेदारों को तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर का ही खुला संरक्षण प्राप्त था। अब नरेश जी को यह भी ध्यान रखनाहोगा कि लोनिवि विभाग द्वारा जिसे ठेकेदार नियुक्त किया जायेगा वह भी पहले जैसा ही कोई ना बन जाये वरना ये 40 लाख रुपये भी बेकार ही चले जायेंगें और नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ही निकलेगा। बात जो कुछ भी हो लेकिन एक बात तो साफ हो गयी है कि मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर भाजपा के नेतृत्व वाली नपा को भ्रष्ट मानने लगे हैं। सच को स्वीकार करना भी एक प्रशंसनीय कार्य माना जा रहा हैं। ं

के.डी. के गांव की मिट्टी देखना चाहते है मैनन-पिछले दिनों एक रोचक समाचार छपा जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मैनन ने बालाघाट सिवनी के भाजपा सांसद के.डी.देशमुख के गांव की मिट्टी देखने की इच्छा जाहिर की हैं। यह प्रसंग कैसे और क्यों आया?यह तो समाचार में खुलासा नही किया गयाहैं लेकिन इसने लोगों में उत्सुकता पैदा कर दी हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा? अब भला मैनन जी को यह कौन बताये कि क्षेत्र के मतदाता भी उन्हें वोट देकर पछता रहें और यह जानना चाह रहें हैं कि के.डी. भाऊ आखिर किस मिट्टी के बने हैं? जीतने के बाद क्षेत्र के हर मुद्दे पर चुप्पी साधे रहते हैं। मैनन जी यदि आपको के.डी. भाऊ के गांव की मिट्टी देखने से कोई राज पता चले तो कम से कम क्षेत्र के मतदाताओं को जरूर बता देना।

गौरी को छोड़ उनके घर पहुंचे मैनन- केवलारी विस क्षेत्र के भाजपा प्रभारी मंत्री गौरीशंकर बिसेन को बालाघाट के भाजपा कार्यालय में ही छोड़कर अरविंद मैनन उनके घर चले गये और वहां उन्होंने श्रीमती रेखा बिसेन से चर्चा की जिसकी सुर्खी भी अखबारों में बनी और यह आशंका व्यक्त की गयी है कि मैनन ने हाल ही के गौरी भाऊ के विवादों के बारे में चर्चा की हैं। मैनन ने श्रीमती बिसेन को क्या समझाइश दी और उसका कितना असर गौरी भाऊ पर दिखेगा? इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में तरह तरह के कयास लगाये जा रहे है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मैनन द्वारा के.डी. के गांव की मिट्टी देखनेकी बात भी कही थी तो कहीं इसी को लेकर श्रीमती बिसेन को उन्होंने कोई भविष्य का राजनैतिक इशारा तो नहीं किया है? सच क्या है? यह तो वक्त आने पर ही पता लगेगा।

क्या भाजपा को न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है?- फग्गन सिंह कुलस्ते के प्रकरण में भाजपा द्वारा मंड़ला में आयोजित की गयी आक्रोश रैली पर सवाल उठाते हुये राकपा के महासचिव भारत प्रेमचंदानी ने कहा है कि इससें यह साबित हो गया है कि भाजपा को न्यायापालिका में कोई विश्वास नहीं हें। पैसा लेकर सवाल पूछने के आरोपी रहे कुलस्ते को संप्रग सरकार ने नहीं वरन न्यायपालिका ने जेल भेजा हैं। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि तीन करोड़ रुपये में सेकुलस्ते ने सदन में सिर्फ एक करोड़ ही दिखाये थे शेष दो करोड़ रुपये कहां गये? वैसे तो राकपा नेता द्वारा उठाये गये दोनो सवाल सही हैं लेकिन क्या भाजपा इन सवालों का जवाब देगी? वास्तविकता तो यह हैं कि भाजपा को भी कुलस्ते से कोई लेना देना नहीं हैं। तभी तो उन्हें कभी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं बनने दिया गया। वास्तव में इंका में भूरिया की ताजपोशी के बाद भाजपा आदिवासी वोट बेंक में लग सकने वाली सेंध से परेशान थी इसलिये उसनें कुलस्ते मुद्दे की आड़ में आदिवासियों में एक बार फिर पैठ बनाने का प्रयास किया है।

पेंच में भी यदि खेल हुआ तो जनता माफ नहीं करेगी- प्रदेश सरकार के पेच योजना के बंद करने के प्रस्ताव से हल चल मची हुयी हैं। अंत्योदय मेले में जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने इस मामले को उठाया था लेकिन मुख्य अतिथि अजक मंत्री विजयशाह ने इस पर कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा। लेकिन इस मेले के दो दिन बाद ही भाजपा विधायक नीता पटेरिया के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मिलने का समाचार प्रमुखता से छपा और उसमें यह उल्लेख भी किया गया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर हाल में पेंच का पानी किसानों के खेत तक पहुंचेगा। इसमें यह भी उल्लेख था कि शिवराज ने प्रमुख सचिव जुलानिया को तेजी काम चालू रखने के निर्देश दिये हैं। इस समाचार की कतरन संलग्न करते हुये इंका नेता आशुतोष वर्मा ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री पवन बंसल को पत्र लिखकर कहा है कि जब प्रदेश के मुखिया ने ही सचिव को तेजी से काम चालू रखने के निर्देश दे दियेहैं तो फिर प्रदेश सरकार द्वारा इस योजना को बंद करने के लिये केन्द्र को भेजा गया प्रस्ताव ही औचित्यहीन हों गया हैं। अतः इसे मंजूर ना किया जाये। इंका नेता ने अपने पत्र में यह भी बताया हैं कि वास्तव में केन्द्र से मंजूरी मिलने के पहले ही इस योजना को प्रदेश सरकार ने बंद कर दिया हैं और दूसरी तिमाही के लिये आवंटित राशि में से शेष बचे 112 लाख रुपये सरेन्डर करने का प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया गया हैं। मुख्यमंत्री ने तो सिवनी की सभा में यह दहाड़ भी लगायी थी कि सूर्य चाहे पूर्व की जगह पश्चिम से निकल जाये लेकिन फोरलेन सिवनी से ही जायेगी। उन्होंने तो जनमंच के नेताओं को भी दो बार आश्वस्त किया था कि वे उन्हें साथ ले जाकर प्रधानमंत्री से मिलवायेंगें। लेकिन आज तक नतीजा सिफर ही हैं। यह बात अलग है कि इस बात पर जनमंच के नेता भी मौन साधे हुये हैं। कहीं इसी तर्ज पर तो पेंच का पानी किसानों के ख्ेातों तक नहीं पहुचने वाला है?यदि ऐसा हुआ तो फिर भगवान ही मालिक है।लेकिन यदि शिवराज ने प्रमुख सचिव को जो निर्देश दिये उस पर पालन शुरू हो जाता हैं तो वास्तव में शिवराज और नीता पटेरिया बधायी के पात्र हैं। लेकिन यदि कुछ नहीं होता हें तो जनमंच के बचेखुचे नेताओं की तरह यदि नीता भी चुप्पी साधे रहतीं हैं तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।



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