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Tuesday, October 11, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

शिवराज से सांठ गांठ के आरोप के चलते पार्टी में अपने घटते राजनैतिक कद से परेशान हरवंश अब शासकीय समारोहों से भी कन्नी काटने लगें हैं

इस सप्ताह कई कारणों से सबसे अधिक चर्चित राजनैतिक व्यक्तित्व जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाधयक्ष हरवंश सिंह का रहा हैं। सड़कों के गड्डे में बेशर्म की झाड़ी रोपने वाले आंदोलन में प्रदेश कांग्रेस ने सभी बड़े नेताओं को अलग अलग शहरों में नेतृत्व करने भेजा उसमें हरवंश सिंह का नाम कहीं नहीं था। फिर अब प्रदेश इंका की जंबों जेट कार्यकारिणी में उनका नाम ही गोल हो गया। शिवराज से सांठगांठ के आरोपों के चलते हरवंश सिंह अब शासकीय समारोहों से भी किनारा काटने लगे हैं। इन सब वजहों से वे इतने परेशान हो गये हैं कि उन्होंने जिला इंका के कार्यालय के उदघाटन की प्रेस विज्ञप्ति तक जारी नहीं होने दी। जिले की महत्वाकांक्षी पेंच सिंचायी परियोजना को लेकर एक बार फिर किसानों की भावनाओं से खेलने का दौर चालू हो गया हैं। भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने शिवराज से बात करने और इसे तेजी से चालू रखने के निर्देश का हवालादिया तो इंका विधायक हरवंश सिंह ने इंका कार्यालय के उदघाटन के दौरान पेंच के लिये किये गये अपने प्रयासों का हवाला दिया और मुख्यमंत्री से बात करने की बात भी बतायी। अब एक किसान संघंर्ष समितिके नाम से आंदोलन चलाने की बात की जा रही हैं जो कहने को तो गैर राजनैतिक बतायी जा रही हैं लेकिन प्रकाशित नामों में अधिकांश नाम भाजपा नेताओं के ही हैं। जिले में बड़ी लाइन अभी आयी हो या ना आयी हो लेकिन रेल का खेल जारी हैं।

शिवराज से सांठ गांठ के आरोपो से इंका में कद गिर रहा है हरवंश का?-इस सप्ताह कई कारणों से सबसे अधिक चर्चित राजनैतिक व्यक्तित्व जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाधयक्ष हरवंश सिंह का रहा हैं। सड़कों के गड्डे में बेशर्म की झाड़ी रोपने वाले आंदोलन में प्रदेश कांग्रेस ने सभी बड़े नेताओं को अलग अलग शहरों में नेतृत्व करने भेजा उसमें हरवंश सिंह का नाम कहीं नहीं था। फिर अब प्रदेश इंका की जंबों जेट कार्यकारिणी में उनका नाम ही गोल हो गया। शिवराज से सांठगांठ के आरोपों के चलते हरवंश सिंह अब शासकीय समारोहों से भी किनारा काटने लगे हैं। इन सब वजहों से वे इतने परेशान हो गये हैं कि उन्होंने जिला इंका के कार्यालय के उदघाटन की प्रेस विज्ञप्ति तक जारी नहीं होने दी। कांतिलाल भूरिया के अध्यक्ष बनने के बाद अक्सर ऐसे समाचार छपा करते थे कि हरवंश सिंह अब रिमोट से प्रदेश में कांग्रेस चलायेंगें। उन्हें पहला झटका तब लगा जब प्रदेश इंकाध्यक्ष ने सड़कों के गड्डों में बेशर्म की झाड़ियां रोपने का प्रदेश स्तरीय आंदोलन में सभी बड़े नेताओं को बड़े शहरो में नेतृत्व करने के लिये नियुक्त किया। इसमें हरवंश का नाम कहीं नहीं था ब्लकि जबलपुर में भूरिया ने स्वयं कमान संभाल कर राजनैतिक संकेत दे दिये थे। इस बारें में इंका नेताओं में यह चर्चा रही कि या तो अब प्रदेश कांग्रेस हरवंश को बड़ा नेता नहीं मानती या फिर लालबत्ती बचाने के चक्कर में वे खुद इससे दूर रह क्योंकि यह आंदोलन प्रदेश सरकार और शिवराज सिंह के खिलाफ था।तब हरवंश समर्थकों ने यह तर्क दिया था कि वे चूंकि संवैधानिक पद पर है इसलिये आंदोलन से दूर रहे। लेकिन उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि जब मंत्री गौरीशंकर बिसेन के विरुद्ध आदिवासियों को अपमानित करने के लिये जब लखनादौन में आंदोलन किया गया था तब हरवंश सिंह उसमें क्यों शामिल हुये थे? और इस पर प्रदेश की भाजपा और शिवराज सरकार क्यों चुप रह गयी थी? इसके बाद अब जब भूरिया की टीम घोषित हुयी तो प्रदेश के 150 नेताओं में भी हरवंश सिंह का कहीं नाम नहीं था। ना तो वे कार्यकारी अध्यक्ष बने और ना ही प्रभारी महामंत्री बन पाये। इस तरह प्रदेश के संगठन में हरवंश सिंह की उपेक्षा एक बड़ी राजनैतिक घटना मानी जा रही हैं। प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने पूरे प्रदेश में बेटी बचाओ अभियान की शुरूआत धूम धाम से की हैं। इसमें सभी विधायकों को अपने अपने क्षेत्र में मुख्य अतिथि बनाया गया था। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को भी केवलारी में मुख्य अतिथि बनाया गया था। लेकिन पार्टी के अंदर शिवराज से सांठ गांठ के आरोपों के चलते उन्होंने अपने ही विस क्षेत्र में इस कार्यक्रम में सम्मलित होना उचित नहीं समझा। जबकि इस कार्यक्रम में हरवंश के खिलाफ भाजपा से चुनाव लड़ने वाले डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन और जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन शामिल हुये थे। इसी सप्ताह उन्होंने कांग्रेस के परिर्वतित कार्यालय का उदघाटन किया। मुख्य अतिथि रहते हुये भी हरवंश सिंह ने सबसे पहले अपना भाषण दिया और कांग्रेस भवन,पेंच योजना, फोर लेन और छिंदवाड़ा नैनपुर बड़ी रेल लाइन के आंदोलन के समर्थन में भी खुल कर भाषण दिया। इस कार्यक्रम में भी वरिष्ठ कांग्रसियों को अपमानित करने में कोई परहेज नहीं किया गया और उठाये जाने वाले सवालों के जवाबों से बचने के लिये हरवंश सिंह ने खुद ही पहले भाषण देकर पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद कई नेताओं ने भाषण देने से ही मना कर दिया और जिनने बोला उनने भी कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाये लेकिन उन्हें सवालों के कोई जवाब नहीं मिल पाये। कार्यक्रम स्थल के करीब और इंका नेता मो. समी अंसारी के घर पर भी पूर्व मंड़ी अध्यक्ष दिलीप बघेल और हरवंश के बीच हुयी झड़प भी कांग्रेसियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इन सब बातों का खुलासा ना हो कि हरवंश सिंह ने क्या क्या अपने भाषण में कहा इसलिये जिला इंका ने प्रेस विज्ञप्ति भी बहुत लेट और सोच विचार कर जारी की जिसमें विवादास्पद हो सकने वाले मुद्दों को छुपा लिया गया हैं। कुल मिलाकर पार्टी में भाजपा से सांठ गांठ के आरोपों में चलते कांग्रेस में अपने गिरते हुये कद से परेशान हरवंश अब इस आरोप से मुक्ति पाने की कोशिशों में लगे हुये हैं ताकि और अधिक राजनैतिक नुकसान ना हो सके।

पेंच के पेंच उलझाते ही जा रहे हैं इंका और भाजपा नेता-जिले की महत्वाकांक्षी पेंच सिंचायी परियोजना को लेकर एक बार फिर किसानों की भावनाओं से खेलने का दौर चालू हो गया हैं। भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने शिवराज से बात करने और इसे तेजी से चालू रखने के निर्देश का हवालादिया तो इंका विधायक हरवंश सिंह ने इंका कार्यालय के उदघाटन के दौरान पेंच के लिये किये गये अपने प्रयासों का हवाला दिया और मुख्यमंत्री से बात करने की बात भी बतायी। किसानों की एक समिति पहले ही ज्ञापन सौंप कर सरकार से इसे चालू रखने की मांग कर चुकी हैं। अब एक किसान संघंर्ष समितिके नाम से आंदोलन चलाने की बात की जा रही हैं जो कहने को तो गैर राजनैतिक बतायी जा रही हैं लेकिन प्रकाशित नामों में अधिकांश नाम भाजपा नेताओं के ही हैं। इस पूरे मामले में सबसें हास्यासपद बात तो यह हैं कि नीता पटेरिया और हरवंश सिंह ने शिवराज से बात करने और पेंच योजना को चालू रखने की चर्चा की बात कही हैं उससे ऐसा प्रतीत होता हैं कि मानो मुख्यमंत्री को यह मालूम ही नहीं हैं कि उनकी सरकार ने पेंच योजना को बंद करने का प्रस्ताव अपनी अनुशंसा के साथ केन्द्र सरकार को भेज दिया हैं। विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया अपनी वीडियों कान्फ्रेन्स में इसका खुलासा भी कर चुके हैं जिसके समाचार अखबारों में छप चुके हैं। इस योजना को लेकर लंबे समय तक इंका नेता हरवंश सिंह राजनैतिक रोटी सेंक चुके हैं अब भाजपा की विधायक नीता पटेरिया और अन्य नेता भी ऐसा ही कुछ करना चाह रहें हैं। यदि भाजपा नेता ईमानदारी से यह चाहते हैं कि पेंच योजना बंद ना हो तो वे अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री पर दवाब बनायें कि प्रदेश सरकार इस योजना को बंद करने के प्रस्ताव को वापस ले। इसके लिये उन्हें किसानों के आंदोलन करने की क्या आवयक्ता हैं?और यदि उनकी ही पार्टी उनकी बात नहीं सुनती हैं और वे सही में किसानों का भला चाहते हैं तो इसके लिये उन्हें शिवराज और उनकी सरकार को कठघरें में खड़ा करना पड़ेगा जो कि भाजपा में रहते संभव नहीं हो पायेगा।इंका और भाजपा तथा सभी नेताओं से इस परिस्थिति में यह अनुरोध तो किया ही जा सकता हैं कि वे किसानों के जख्मों पर यदि मरहम नहीं लगा सकते हों तो तो ना लगायें कम से कम नमक तो ना छिड़के।

जिले मे रेल का खेल भी जारी है-जिले में बड़ी लाइन को लेकर भी खेल जारी हैं। छिंदवाड़ा नैनपुर का शिलान्यास कमलनाथ कर चुके हैं। तीस करोड़की राशि भी मिल गयी हैं। लेकिन संघर्ष जारी हैं और हरवंश सिंह ने अपने भाषण में खुमान सिंह के संघर्ष का ना केवल समर्थन किया वरन सभी को साथ देने का आव्हान भी किया। इसी तरह रामटेक गोटेगांव नई लाइन की रेल अभी पटरी पर तो ठीक से चढ़ी नहीं हैं लेकिन अगर इस बजट में चढ़ गयी तो हम नीचे ना रह जायें की इसी तर्ज पर इसमें भी खेल शुरू हो गये हैं। मुसाफिर तो यही चाहता हैं कि भले ही सारे नेता ए.सी.कोच में चढ़ जायें लेकिन कम से कम इस लाइन को बनवा तो दें।

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