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Monday, May 21, 2012


एक ही मुद्दे के लिये चलाया गया आंदोलन इतने बार हाई जैक हुआ कि यह विश्व रिकार्ड जिले के नाम दर्ज हो सकता है
सदियों पहले से ही बुजुर्गों ने यह कह रखा हैं कि बहुत ही जतन,तप और तपस्या से यदि कोई चीज मिलती हैं तो नादानी में उसे हर जगह दांव पर नहीं लगाना चाहिये। इन सब हालातों को देखते हुये यही कहा जा सकता है कि बुर्जुगों की सीख ना मान कर बहुत जुगाड़ करके हासिल की गयी लालबत्ती को नादानी से दांव पर लगा देने वाले नरेश दिवाकर को उसे बचाने के लिये बहुत ही हास्यास्पद स्थिति से गुजरना पड़ा हैं। जनमंच कुरई के प्रवक्ता एडवोकेट सईद अहमद कुरैशी की अखबारों में प्रकाशित एक विज्ञप्ति भी राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इसमें उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के नेताओं से अनुरोध किया है कि वे हमारे मंच से एक दूसरे पर आरोप लगाना बंद करें। बड़े अखबारों में अक्सर प्लेन हाई जैक होने के समाचार आते रहतें हैं लेकिन ऐसे कोंई समाचार कभी अखबारों में नही आये कि कहीे कभी कोई आंदोलन  किसी ने हाई जैक कर लिया हो। लेकिन पिछले दिनों ये नया रिकार्ड अपने जिले के नाम दर्ज हो गया है। आप चौंकिये नही हम आपको बताते है कि यह कारनामा यहां कैसे हुआ? एक ही मुद्दे को लेकर चलाया गया एक ही आंदोलन कई बार हाई जैक हुआ। इस सबसे कुछ हासिल हो या ना हो इतना तो जरूर हो सकता कि यदि आंदोलन हाइ जैक करने का कीर्तिमान हम ग्रीनिज बुक आफ वल्ड रिकार्ड में भेज दे तो शायद वहां ही बेचारी शिव की नगरी सिवनी का नाम आ जाये।
लालबत्ती बचाने के लिये हास्यास्पद स्थिति में पहुंचे नरेश-सदियों पहले से ही बुजुर्गों ने यह कह रखा हैं कि बहुत ही जतन,तप और तपस्या से यदि कोई चीज मिलती हैं तो नादानी में उसे हर जगह दांव पर नहीं लगाना चाहिये। आजकल इन तीनों चीजों का स्थान जुगाड़ ने ले लिया हैं। ऐसी ही नादानी बीते दिनों मविप्रा के कबीना मंत्री का दर्जाप्राप्त पूर्व विधायक नरेश दिवाकर कर बैठे। फोर लेन के मरम्मत कार्य में विलंब को लेकर जब भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने अनशन की घोषणा की तो नरेश जी ने भी ना केवल इसमें शामिल होने की घोषणा की वरन वक्त आने पर अपना पद छोड़ने की भी घोषणा कर डाली। भाजपा का यह आंदोलन जब बिना आमरण अनशन प्रारंभ हुये समाप्त हो गया तो यह आरोप भी लगे कि नरेश की लाल बत्ती बचाने के लिये जिला भाजपा ने अपना आंदोलन समाप्त करा दिया। इस पर नरेश ने मीडिया में सफाई दी कि वह आंदोलन के सूत्रधार नहीं वरन सहभागी थे और विधायक कमल मर्सकोले यदि कल कुछ भी करेंगें तो मैं फिर उनका सहभागी बनूंगा। हाल ही मैं 16 मई को कुरई के जन आंदोलन में क्षेत्रीय विधायक कमल मर्सकोले के अलावा अध्यक्ष सुजीत जैन,विधायक नीता पटेरिया और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित कई भाजपा नेताओं ने ना केवल भाग लिया वरन अपनी गिरफ्तारी भी दी लेकिन उस समय नरेश दिवाकर मौजूद नहीं थे। लेकिन 17 और 18 मई के स्थानीय अखबारों में एक समाचार प्रकाशित हुआ कि नरेश दिवाकर 16,17 और 18 मई को छिंदवाड़ा एवं नरसिंहपुर जिले के तीन दिवसीय प्रवास पर हैं। यह भी शायद पहला ही अवसर होगा जब किसी मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता के प्रवास का कार्यक्रम प्रवास शुरू हो जाने के बाद प्रकाशित हुआ हो। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर जिले से भी ऐसे कोई ऐसे समाचार प्रकाशित हुये जिनमें इनकी उपस्थिति का उल्लेख रहा हो। ऐसे में यही माना जा सकता है कि 16 मई को फोरलेन के मामले में हुये आंदोलन, जिसमें विधायक द्वय कमल मर्सकोले और नीता पटेरिया सहित जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन, नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित कई भाजपा नेताओं ने अपनी गिरफ्तारी दी थी, में अपनी अनुपस्थिति की वजह बताने के लिये ही यह दौरा कार्यक्रम बताया गया हो। एक मजेदार बात यह भी बतायी गयी हैं कि जब गिरफ्तार किये गये सभी आंदोलनकारी नगझर जेल के परिसर में थे तब पानी के पाउच लेकर भी नरेश दिवाकर 16 मई को ही पहुंच गये थे। इन सब हालातों को देखते हुये यही कहा जा सकता है कि बुर्जुगों की सीख ना मान कर बहुत जुगाड़ करके हासिल की गयी लालबत्ती को नादानी से दांव पर लगा देने वाले नरेश दिवाकर को उसे बचाने के लिये बहुत ही हास्यास्पद स्थिति से गुजरना पड़ा हैं।
गिरफ्तारी की सूची में नाम लिखाने की सिवनी में मची होड़ चर्चित-जनमंच कुरई के प्रवक्ता एडवोकेट सईद अहमद कुरैशी की अखबारों में प्रकाशित एक विज्ञप्ति भी राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। इसमें उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के नेताओं से अनुरोध किया है कि वे हमारे मंच से एक दूसरे पर आरोप लगाना बंद करें। यदि यह सब कुछ करना हैं तो वे अपना आंदोलन करें और अपने राजनैतिक मंच से जो चाहें वो करें। इसमें एक और रोचक बात का खुलासा किया गया कि जब गिरफ्तार आंदोलनकारी नगझर जेल लाये गये तब आंदोलन में ना पहुचने वाले कांग्रेस एवं भाजपा के कई नेता गिरफ्तारी की सूची में अपना नाम लिखाते देखे गये। अब ऐसा किन किन नेताओं पे किया? और क्यों किया? इसे लेकर तरह तरह की चर्चायें सियासी हल्कों में हो रही हैं। कई लोग इसे 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहें हैं।वैसे भी इस हेतु गठित किये गये जनमंच को चंद लोगों द्वारा अपनी राजनैतिक भड़ास निकालने का मंच बनाने से ही वह आज इस गति को प्राप्त हो गया हैं।
प्लेन नहीं हैं तो क्या हुआ आंदोलन तो हैं हाई जैक करने के लिये-बड़े अखबारों में अक्सर प्लेन हाई जैक होने के समाचार आते रहतें हैं लेकिन ऐसे कोंई समाचार कभी अखबारों में नही आये कि कहीे कभी कोई आंदोलन  किसी ने हाई जैक कर लिया हो। लेकिन पिछले दिनों ये नया रिकार्ड अपने जिले के नाम दर्ज हो गया है। आप चौंकिये नही हम आपको बताते है कि यह कारनामा यहां कैसे हुआ? सबसे पहले विधायक कमल मर्सकोले ने फोर लेन और उसकी मरम्मत के काम के लिये क्रमिक तथा फिर आमरण अनशन की घोषणा की थी। इसे भाजपा में ही हाई जैक करने की कोशिश हुयी और सबसे पहले कबीना मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश दिवाकर ने इसे हाई जैक कर लिया। फिर इसे हाई जैक करने का काम किया जनमंच ने। एक बैठक बुलायी गयी जिसमें विधायक कमल मर्सकोले भी शामिल हुये उसमें सिवनी में क्रमिक भूख हड़ताल करने की घोषणा कर दी गयी। विधायक का आंदोलन जनमंच के पाले में ना चला जाये इसलिये फिर जिला भाजपा ने इसे हाई जैक कर लिया और भाजपा के बैनर पर आंदोलन शुरू हुआ तो जनमंच ने इससे किनारा कर लिया। इसी दौरान कुरई के महेश दीक्षित नामक वरिष्ठ नागरिक ने 16 मई को आत्मदाह करने की खुद से घोषणा कर डाली और कुरई ब्लाक के नागरिकों ने इस दिन आंदोलन करने की घोषणा की थी। तो एक बार चूक गये जनमंच ने इस आंदोलन को हाई जैक कर लिया और उस पर मेड बाय जनमंच का ठप्पा लगा दिया। जब महेश दीक्षित जी के आंदोलन को जनमंच ने हाई जैक कर लिया तो विधायक कमल मर्सकोले ने, जिनने इस दौर के आंदोलन की शुरुआत की थी, घोषणा कर दी कि वे भी इस आंदोलन में शामिल होंगें। जिला भाजपा और अन्य जनप्रतिनिधि भी इसमें कूद गये। ऐसा होते देख भला कांग्रेस कहां चुप रह सकती थी। कुरई ब्लाक के निवासी एवं जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने अपने साथियों के साथ इस आंदोलन को हाई जैक कर लिया।  लेकिन आंदोलन में साफ साफ तीन धड़े दिखने लगे एक जनमंच का तो दूसरा भाजपा का और तीसरा कांग्रेस का। जनमंच के मंच से विधायक कमल मर्सकोले तथा जिला पंचायत के अध्यक्ष सहित किसी भी नेता को बोलने नहीं दिया गया। जबकि चुनावी राजनीति के हिसाब से देखा जाये तो मंचासीन नेताओं में संजय तिवारी,श्री राजेन्द्र गुप्ता और नरेन्द्र अग्रवाल भी चुनाव लड़ चुके हैं। फिर ऐसा क्यों किया गया? यह समझ से परे हैं। तीन साल से घटिया सड़क का दंश भोग रहे कुरई विकास खंड़ के नागरिकों में भारी जनाक्रोश था।सभी ने अपने अपने हिसाब से नारे बाजी की और फोटो खिचवायी तथा आंदोलन समाप्त हो गया। शायद इसी कारण 18 मई को पार्क के गेट पर हुये आंदोलन में आम आदमी उतने नहीं आये जितने कुरई में आये थे। इस सबसे कुछ हासिल हो या ना हो इतना तो जरूर हो सकता कि यदि आंदोलन हाइ जैक करने का कीर्तिमान हम ग्रीनिज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भेज दे तो शायद वहां ही बेचारी शिव की नगरी सिवनी का नाम आ जाये।“मुसाफिर“      
सप्ता. दर्पण झेठ ना बोले सो साभार

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