क्या बिल्डर माफिया तय करायेगा केवलारी की भाजपा टिकिट?
1977 मे राजेन्द्र अग्रवाल,1985 और 2003 में वेदसिंह ठाकुर को स्थानीय प्रत्याशी के रूप में टिकिट दी गयी थी: 62 और 90 में बाहरी गैर कांग्रेसी ही जीते थे चुनावं
सिवनी। जिले की सर्वाधिक महत्वपूर्ण केवलारी विस क्षेत्र से कांग्रेस और भाजपा से कौन चुनाव लड़ेगा? इसे लेकर उत्सुकता बनी हुयी है। इंका विधायक हरवंश सिंह की मृत्यु के बाद भाजपा में टिकिट के लिये घमासान मचा है। कुछ भाजपायी स्थानीय और बाहरी उम्मीदवार की लड़ाई लड़ रहें तो कुछ दबी जुबान से यह कहने से नहीं चूक रहें हैं कि इस सीट का फैसला प्रदेश के बिल्डर माफिया करायेगें।
इस क्षेत्र से लगातार चार बासर चुनाव जीतने वाले इंका नेता हरवंश सिंह की मृत्यु के बाद ऐसा माना जा रहा है कि उनके पुत्र रजनीश सिंह ही कांग्रेस के उम्मीदवार होंगें। वैसे डॉ. वसंत तिवारी,कु. शक्ति सिंह और जकी अनवर जैसे नाम भी चर्चित है लेकिन अधिकांश कांग्रेसी यह मान कर चल रहें हैं कि रजनीश सिंह ही प्रत्याशी होंगें।
टिकिट को लेकर इस बार भाजपा में ज्यादा घमासान मचा हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछला चुनाव भाजपा के पूर्व मंत्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन ने लड़ा था और स्व. हरवंश सिंह बमुश्किल लगभग 59 सौ वोटों से ही जीत पाये थे। इस बार हरवंश सिंह के ना रहने से बहुत से समीकरणों के बदलने के आसार भी दिखायी दे रहें है।
केवलारी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति शुरू से ऐसी रही है कि पूरे विस क्षेत्र में प्रभाव बना सकने वाले स्थानीय नेता बहुत कम ही रहते है। इसीलिये ज्यादातर चुनाव जिला स्तरीय बाहरी नेता ही इस क्षेत्र से जीतते आये हैं चाहे वे कांग्रेस के हों या गैर कांग्रेस दल के हों। सन 1957 में कांग्रेस के एम.पी.जठार, 62 में राम राज्य परिषद के दादू योगेन्द्रनाथ सिंह,67 से 85 तक कांग्रेस की कु. विमला वर्मा,93 से 2008 तक कांग्रेस के हरवंश सिंह चुनाव जीते थे जो कि सभी केवलारी क्षेत्र के बाहर के निवासी थी। 2008 के चुनाव में नये परिसीमन के बाद छपारा क्षेत्र जुड़ जाने के कारण हरवंश सिंह जरूर स्थानीय उम्मीदवार हो गये थे।
सन 1977 में जनता पार्टी ने पलारी निवासी राजेन्द्र अग्रवाल को और 1985 तथा 2003 में भाजपा ने वेदसिंह ठाकुर के रूप में स्थानीय उम्मीदवार को टिकिट जरूर दी थी लेकिन वे जीत नहीं पाये थे। जबकि 1977 में जनता पार्टी की तथा 2003 में उमा भारती की लहर चल रही थी।
अब एक बार फिर भाजपा में स्थानीय उम्मीदवार को टिकिट देने की भाजपा में मांग उठ रही है। कई नेताओं का ऐसा मानना है कि हरवंश सिंह के निधन के कारण अब कोई भी चुनाव जीत सकता है।
वहीं दूसरी ओर भाजपा में यह चर्चा भी जोरों से चल रही है कि स्थानीय प्रत्याशी के नाम पर बीसावाड़ी निवासी और लंबे समय से भोपाल में रह रहे डॉ. सुनील राय को टिकिट दिलाने की योजना बनायी गयी। प्रशासनिक अमले द्वारा उन्हें दिये जाने वाले महत्व ने इन हवाओं को और पुख्ता करने का काम किया है। भाजपायी हल्कों में चल रही चर्चाओं के अनुसार डॉ. राय दिलीप बिल्डिकॉन के मालिक दिलीप सूर्यवंशी के रिश्तेदार है। बताया तो यह भी जा रहा है कि डॉ. राय और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी बहुत पुरानी एवं घनिष्ठ सहेलियां हैं। राजनैतिक क्षेत्रों में यह दावा करने वालों की भी कोई कमी नहीं है कि शिवराज केवलारी में कमजोर प्रत्याशी देकर स्व. हरवंश सिंह का राजनैतिक कर्ज उतारने के लिये ऐसा कर भी सकते हैं। हालाकि यह भी बताया जा रहा है कि रायशुमारी के दौरान डॉ. राय का नाम किसी भी मंड़ल से तीसरे नंबंर पर भी नहीं गया है। प्रदेश में तीसरी पारी खेलने को बेताब भाजपा इस क्षेत्र में किसे चुनाव लड़ायेगी? इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहें हैं।
सा. दर्पण झूठ ना बोले सिवनी
17 सितम्बर 2013
No comments:
Post a Comment