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Tuesday, September 17, 2013

प्रदेश में अरविंद मैनन के पर कतरे जाने से जिले की भाजपा राजनीति में भी चुनाव के समय भारी बदलाव आ सकते है
 सिवनी विस क्षेत्र में भाजपा की घमासान थमने का नाम नहींे ले रही है। नीता नरेश हटाओ भाजपा बचाओ के नारे जो सिवनी से लगना चालू हुये थे उनकी गूंज भोपाल तक पहुच गयी है। पर्दे के पीछे चल रही चर्चाओं के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा ने इस बार अरविंद मैनन के पर कतर दिये हैं। यदि यह सही है तो जिले की भाजपा की राजनीति में इसका असर होना स्वभाविक है। कांग्रेस में भी टिकिट आवंटन की प्रक्रिया तेज हो गयी है। पिछले दिनों दिल्ली में प्रदेश चुनाव समिति की एक बैठक भी संपन्न हो गयी है। वर्तमान विधायकों के अलाव पिछला चुनाव एक हजार से कम वोटों से हारने वाले नेताओं के साथ ही स्व. हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह का नाम भी आगे बढ़ा दिया गया है। भाजपा में सिवनी की टिकिट को लेकर मचे घमासानकी चर्चाओं के बीच जिले के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का सिवनी आगमन हुआ। उन्होंने श्रीवनी में कार्यकर्त्ताओं की एक बैठक भी ली और फिर पत्रकारों से भी रूबरू हुये। भाजपा सूत्रों का यह भी दावा है कि सिवनी की टिकिट तय हाने में अब प्रहलाद पटेल की भूमिका महत्व पूर्ण हो सकती है। छपारा में हुआ तेंदूपत्ता वितरण कार्यक्रम इन दिनों विवादों में छाया हुआ है। इस कार्यक्रम में जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री ठा. रजनीश सिंह मुख्य अतिथि थे। इसे लेकर भाजपा नेताओं में उबाल आया हुआ है।
भाजपा के असंतोष के पीछे कौन?-सिवनी विस क्षेत्र में भाजपा की घमासान थमने का नाम नहींे ले रही है। नीता नरेश हटाओ भाजपा बचाओ के नारे जो सिवनी से लगना चालू हुये थे उनकी गूंज भोपाल तक पहुच गयी है। बीते दिनों भोपाल में प्रदेश भाजपा नेताओं के सामने भी कार्यकर्त्ताओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और मांग उनके सामने रखी। पर्दे के पीछे चल रही चर्चाओं के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा ने इस बार अरविंद मैनन के पर कतर दिये हैं। बताया जा रहा है कि जबलपुर के एक सेक्स स्केंडल के कारण यह निर्णय लिया गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के पूर्व संगठन मंत्री कप्तान सिंह सौलंकी और भगवत शरण माथुर को आगे लाया गया हैै। यदि यह सही है तो जिले की भाजपा की राजनीति में इसका असर होना स्वभाविक है। जिला भाजपा के कई नेताओं से मैनन के प्रगाण संबंध थे। कई नेताओं को मैनन ने ही आश्वस्त किया था कि उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ना है। ऐसे में अब नये समीकरणों में क्या होगा? यह कहना अभी संभव नहीं रह गया है। भाजपा में जो हालात देखे जा रहें और जिस तरीकेे से कार्यकर्त्ताओं का असंतोष उभर कर सामने आ रहा है उससे भाजपा का पार्टी विथ डिफरेंस का दावा तार तार हो गया है। सिवनी विधानसभा में ब्राम्हणों और बनियों के विरोध में जो कार्यकर्त्ता लामबंद हो रहे है उन्हें किसकी शह है? यह तो उजागर नहीं हुआ है लेकिन जिस तरीके से विधायक नीता पटेरिया और पूर्व विधायक तथा जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर के विरोध में सिवनी से लेकर भोपाल तक नारेबाजी हुयी है उसे महज चंद कार्यकर्त्ताओं की ही आवाज ना मान कर इसके पीछे किसी बड़े नेता का हाथ होना माना जा रहा है।तीसरी पारी खेलने को बेताब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे कैसे संभालेंगें? इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहें हैं।वैसे तो भाजपा नेताओं का यह भी दावा है कि जिन भाजपा विधायकों की टिकिट पर तलवार लटक रही है उनमें नीता पटेरिया भी शामिल हैं। लेकिन उनका ब्राम्हण होने के साथ साथ महिला होना तथा केन्द्रीय भाजपा नेताओं के साथ उनके संपंर्कों को भी नकारा नहीं जा सकता। इसलिये अभी यह दावा करना कि कोई नया प्रत्याशी ही सामने आयेगा?यह कहना अभी संभव नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति ने चालू किया काम -कांग्रेस में भी टिकिट आवंटन की प्रक्रिया तेज हो गयी है। पिछले दिनों दिल्ली में प्रदेश चुनाव समिति की एक बैठक भी संपन्न हो गयी है। इस बैठक में समिति ने प्रदेश के कांग्रेस विधायकों सहित पिछला चुनाव एक हजार से कम वोटों से हारने वाले नेताओं का नाम भी आगे बढ़ा दिया है। इसमें जिले की केवलारी विधानसभा क्षेत्र से स्व. हरवंश सिंह के पुत्र ठा. रजनीश सिंह का नाम भी आगे बढ़ा दिया है। अब इन नामों पर प्रदेश की स्क्रीनिंग कमेटी और फिर केन्द्रीय संसदीय बोर्ड में विचार होगा जिसके बाद ही टिकिटों का अंतिम फैसला होगा। इसके अलावा अब प्रदेश की चुनाव समिति की अगली बैठक 17 सितम्बर को दिल्ली में होना है। जिसमें बाकी बची टिकटों के बारे में चर्चा होगी। इसमें या अगली बैठक में जिले की शेष तीन सीटों के बारे में विचार होना है। इनमें लखनादौन से हिमाचल की राज्यपाल उर्मिला सिंह के पुत्र योगेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक बेनी परते और जनपद अध्यक्ष राजेश्वरी उइके के बीच घमासान है। जिले की दूसरी आदिवासी सीट बरघाट में भी रोचक स्थिति बनी हुयी है जहां एक प्रत्याशी अर्जुनसिंह काकोड़िया के विरुद्ध बाकी 18 टिकटार्थी लामबंद हो गये है। यहां आदिवासियों में गौड़ और परघान का विवाद मचा हुआ है। जिले में सबसे अधिक घमासान जिला मुख्यालय की सिवनी सीट पर मचा हुआ है। इस बार यह मांग भी जबरदस्त रूप में उठी हुयी है कि जिले में एक सीट अल्प संख्यक वर्ग को दी जाये। यदि केवलारी से रजनीश सिंह का नाम फायनल हो जाता है तो यह दवाब सिवनी सीट पर ही बन जायेगा। पांच बार से हारने वाले इस क्षेत्र से 38 लोगों ने टिकिट मांगी है। इनमें से किसके नाम पर टिकिट आयेगी? यह कहना तो अभी संभव नहीं है। 
प्रहलाद पटेल का दौरा भाजपाइयों में हुआ चर्चित  -भाजपा में सिवनी की टिकिट को लेकर मचे घमासानकी चर्चाओं के बीच जिले के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का सिवनी आगमन हुआ। उन्होंने श्रीवनी में कार्यकर्त्ताओं की एक बैठक भी ली और फिर पत्रकारों से भी रूबरू हुये। सियासी हल्कों में जारी चर्चाओं के अनुसार वे भाजपा के असंतोष को दूर करने के लिये आये थे। भाजपा के सूत्रों का दावा है कि इस विवाद में चूंकि जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर खुद एक पार्टी बने हुये हैं इसीलिये प्रदेश नेतृत्व ने प्रहलाद पटेल को सुलझाने की जवाबदारी दी है। भाजपा सूत्रों का यह भी दावा है कि सिवनी की टिकिट तय हाने में अब प्रहलाद पटेल की भूमिका महत्व पूर्ण हो सकती है। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि प्रहलाद पटेल के सांसद रहते ही भाजपा ने पहली बार सिवनी सीट 1990 में कांग्रेस के स्व. हरवंश सिंह को हरा कर स्व. पं. महेश शुक्ला ने जीती थी और यह सिलसिला आज तक जारी है। 
बोनस वितरण कार्यक्रम के कांग्रेसीकरण पर बौखलाये भाजपायी-छपारा में हुआ तेंदूपत्ता वितरण कार्यक्रम इन दिनों विवादों में छाया हुआ है। इस कार्यक्रम में जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री ठा. रजनीश सिंह मुख्य अतिथि थे। इसे लेकर भाजपा नेताओं में उबाल आया हुआ है। सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र टांक ने इस मामले में विज्ञप्ति जारी कर विभागीय अधिकारियों में दोषारोपण किया। फिर भाजपा के छपारा मंड़ल के महामंत्री शाहिद पटेल ने भी इसी आशय की विज्ञप्ति जारी कर विरोध जताया। स्थानीय भाजपा नेताओं के इस विरोध ने कई सवाल खड़े कर दिये है। प्रदेश में सरकार भाजपा की है। मुख्यमंत्री से लेकर जिले के तीन विधायक भाजपा के है। उसके बाद भी यदि अधिकारी किसी शासकीय कार्यक्रम में किसी कांग्रेस नेता को मुख्य अतिथि बनाता है तो इसमें गलती किसकी है? यदि अधिकारियों की गलती है तो फिर विज्ञप्ति जारी करने के बजाय उसके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करते? या फिर स्थानीय भाजपा नेताओं इस बात से भयभीत है कि उनके चाहने के बाद भी वे अपनी सरकार से कार्यवाही नहीं करा सकते है इसलिये सिर्फ विज्ञप्ति जारी कर अपना असंतोष व्यक्त कर रहें है। बीते कई सालों से चल रहा भाजपा का नूरा कुश्ती का दौर अभी भी खत्म होगा या नहीं? इसे लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें होती रहती है। “मुसाफिर”
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
17 सितम्बर 2013 से साभार

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