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Tuesday, September 15, 2015

कांग्रेस से गद्दारी कर पद पाने का सालों से चला आ रहा सिलसिला प्रदेश कांग्रेस के पुर्नगठन में बखूबी दिखायी दिया 
एक अर्से से लंबित रहा प्रदेश कांग्रेस का अंततः पुर्न गठन हो ही गया है। इस बार जिले के तीन नेताओं को इसमें स्थान दिया गया है। केवलारी के विधायक रजनीश हरवंश सिंह को महामंत्री एवं राजा बघेल और बरघाट के विनोद वासनिक को सचिव बनाया गया है। जहां एक ओर 40 सदस्यीय महामंत्रियों की सूची में रजनीश सिंह का नाम 31 वें नंबंर पर हैं तो 80 सदस्यीय सचिवों की सूची में राजा बघेल का नाम दूसरे नंबंर है। इसे भी राजनैतिक कद मापने के हिसाब से एक महत्वपूर्ण पहलू माना जा रहा है। लेकिन विनोद वासनिक की नियुक्ति ने इसमें भी एक पेंच फंसा दिया है कि प्रदेश स्तर पर कौन किससे भारी है? जिले में यह भी चर्चित है कि जिन 16 जिलों में नये कांग्रेस अध्यक्ष बनना है उनमें सिवनी जिला भी शामिल है। इसके प्रयास में लगे नेता यह मानकर चल रहें हैं कि ऐसा होना ही है।प्रदेश कांग्रेस में लिये गये तीनों ही नेता सिर्फ कमलनाथ के प्रति ही निष्ठावान नहीं हैं। इन सभी की निष्ठा प्रदेश के अन्य क्ष्त्रपों के लिये भी है। इसलिये राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिला कांग्रेस का अध्यक्ष पद उसी केा मिलेगा जिसकी निष्ठा सिर्फ कमलनाथ के प्रति हो। इसलिये परिवर्तन होने की स्थिति में राजकुमार पप्पू खुराना की ताजपोशी निश्चित मानी जा रही है। पालिका अध्यक्ष आरती शुक्ला ने प्रस्तावों को तय करने के पहले अनौपचारिक रूप से पार्टी के पार्षदों की बैठक करके विचार भी किया गया था। लेकिन भाजपा की गुटबाजी ने एक बार फिर पालिका में पूर्ण बहुमत होने के बाद भी आखिर फजीता ही कराया।
राजा दूसरे तो रजनीश का नाम 31 वें नंबंर पर -एक अर्से से लंबित रहा प्रदेश कांग्रेस का अंततः पुर्न गठन हो ही गया है। अभी तक प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चला रहे थे। इस बार जिले के तीन नेताओं को इसमें स्थान दिया गया है। केवलारी के विधायक रजनीश हरवंश सिंह को महामंत्री एवं राजा बघेल और बरघाट के विनोद वासनिक को सचिव बनाया गया है। अखबारों में प्रकाशित समाचारों के अनुसार विनोद वासनिक की नियुक्ति को लेकर विवाद सामने आया है। बताया गया है कि हाल ही में हुये बरघाट नगर पंचायत के चुनाव में उन पर अपने अनुज निर्दलीय रंजीत वासनिक के पक्ष में काम करने का आरोप लगा था जिसे लेकर जिला कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस की अनुशंसा पर 6 साल के लिये निष्कासित कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में कांग्रेस के अनिल ठाकुर मात्र 45 वोटों से रंजीत वासनिक से चुनाव हार गये थे। ऐसी स्थिति में वे प्रदेश कांग्रेस के सचिव कैसे बन गये? यह एक शोध का विषय बना हुआ है। वैसे जिले में यह कोई एकमात्र नया उदाहरण नहीं हैं। इसके पहले भी नगरपालिका सिवनी के 2009 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्शयशी संजय भारद्वाज की भीतरघात की शिकायत पर राजा बघेल के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी थी। लेकिन पिछली बार उन्हें भी प्रदेश कांग्रेस में सचिव बना दिया गया था। वैसे तो पिछले कई वर्षों से जिले में यह परंपरा सर चल रही है कि चुनाव में पार्टी की खिलाफत करो और बाद में पार्टी में बड़ा पद लेकर पुरुस्कृत हो जाओं। शायद जिले में कांग्रेस के पतन का यह भी एक बड़ा कारण रहा है जिससे पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्त्ता हतोत्साहित हो रहें है। पार्टी में पद देते समय पार्टी के प्रति निष्ठा के बजाय नेताओं प्रति निष्ठा भारी पड़ जाती हैं और पार्टी के लिये मरने मिटने वाले लोग मुंह ताकते रह जाते है। रालनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यदि सूची में क्रमांक देखा जाये तो एक बात और उभर कर सामने आती है कि जहां एक ओर 40 सदस्यीय महामंत्रियों की सूची में रजनीश सिंह का नाम 31 वें नंबंर पर हैं तो 80 सदस्यीय सचिवों की सूची में राजा बघेल का नाम दूसरे नंबंर है। इसे भी राजनैतिक कद मापने के हिसाब से एक महत्वपूर्ण पहलू माना जा रहा है। लेकिन विनोद वासनिक की नियुक्ति ने इसमें भी एक पेंच फंसा दिया है कि प्रदेश स्तर पर कौन किससे भारी है?
यदि बदलाव हुआ तो पप्पू होंगें कांग्रेस अध्यक्ष-प्रदेश कांग्रेस के पुर्नगठन के साथ ही जिले में यह भी चर्चित है कि जिन 16 जिलों में नये कांग्रेस अध्यक्ष बनना है उनमें सिवनी जिला भी शामिल है। इसके प्रयास में लगे नेता यह मानकर चल रहें हैं कि ऐसा होना ही है। जबकि अभी प्रदेश कांग्रेस ने उन जिलों के नाम घोषित नहीं किये हैं जिनके अध्यक्ष बदले जाने का प्रस्ताव आला कमान के पास लंबित है। वैसे भी महाकौशल क्षेत्र के क्षत्रप पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ माने जाते हैं। प्रदेश कांग्रेस में कांग्रेस के जिन तीन नेताओं रजनीश सिंह,राजा बघेल और विनोद वासनिक को लिया गया है उनके लिये कमलनाथ की सहमति तो जरूर होगी लेकिन सियासी हल्कों में यह भी चर्चा है कि ये तीनों ही नेता सिर्फ कमलनाथ के प्रति ही निष्ठावान   नहीं हैं। इन सभी की निष्ठा प्रदेश के अन्य क्ष्त्रपों के लिये भी है। इसलिये राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिला कांग्रेस का अध्यक्ष पद उसी केा मिलेगा जिसकी निष्ठा सिर्फ कमलनाथ के प्रति हो। वर्तमान जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी को बदलने का प्रस्ताव यदि विचाराधीन होगा तो ऐसी स्थिति में सिवनी विस के दो बार कांग्रेस प्रत्याशी रहें तथा दो बार नगरपालिका अध्यक्ष की टिकिट दिलाने वाले राजकुमार पप्पू खुराना का अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। वैसे जिले में अल्पसंख्यक नेता के रूप में असलम भाई का नाम भी चर्चा में है लेकिन तकनीकी रूप से पप्पू खुराना भी अल्पसंख्यक वर्ग में आतें हैं। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि जिले के कमलनथ खेमे से किसी और नेता का नाम चर्चा में नहीं हैं इसलिये परिवर्तन होने की स्थिति में राजकुमार पप्पू खुराना की ताजपोशी निश्चित मानी जा रही है।
गुटबाजी का खामियाजा भुंगता पालिका में भाजपा ने -नगर पालिका के सम्मेलन में विचारार्थ लाये जाने वाले तीस प्रस्तावों में से कुछ को लेकर बहुम कुछ राजनैतिक दांव पेंच खेले गये है। पालिका अध्यक्ष आरती शुक्ला ने प्रस्तावों को तय करने के पहले अनौपचारिक रूप से पार्टी के पार्षदों की बैठक करके विचार भी किया गया था। लेकिन भाजपा की गुटबाजी ने एक बार फिर पालिका में पूर्ण बहुमत होने के बाद भी आखिर फजीता ही कराया। ऐसा क्यों हो रहा है? इसे लेकर भाजपायी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें सुनायी देती रहतीं है। सिवनी विधानसभा क्षेत्र से आगामी चुनाव लड़ने के इच्दुक भाजपा नेताओं की यह इच्छा नहीं हैं आरती शुक्ला का कार्यकाल अच्छा रहें क्योंकि उनकी राजनैतिक पारिवारिक पृष्ठ भूमि है और उनके ससुर स्व.महेश शुक्ला  ना केवल सिवनी विधानसभा के पहले भाजपा विधायक थे वरन पटवा सरकार में मंत्री भी रहे थे। इसीलिये अंदरूनी तौर पर भाजपा नेताओं द्वारा ही समय समय पर दांव पेंच खेले जाते रहे हैं। वैसे भी पालिका में भाजपा की गुटबाजी खुल कर देखी जा सकती है। इस बार तीन सड़कों के प्रस्ताव को लेकर भी भारी राजनीति हुयी। एसपी बंगले अपर बैनगंगा कालोनी वाली रोड़ सर्वाधिक राजनीति में फंसी क्योंकि इस रोड़ पर सिवनी विधायक मुनमुन राय का घर है। विरोध के इस एक मात्र मुद्दे ने यह तक भुला दिया कि इस रोड़ से पूरे शहर के सैकड़ों बच्चे कोचिंग के लिये दो पहिया वाहनों से जाते हैं। क्योंकि शहर की सबसे अच्छी कोंचिंग इसी रोड़ पर है। समाज के जागरूक लोगों का मुनमुन विरोध इस कदर हावी रहा है कि इस संवेदनशील मुद्दे तक को दरकिनार दिया। जनसंपर्क कार्यालय से बबरिया स्कूल तथा बाहुबली से पालेटेक्निक कालेज वाली रोड़ पर भी रानजीति गयी जबकि इन्हीं सड़कों काी जर्जर हालत के समाचार सुर्खी बने रहते थे। समय के साथ सुविधानुसार राजनीति का यह सिलसिला ही जिले के विकास में बाधक साबित हो रहा है।“मुसाफिर”
साभार
दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
15 सितम्बर 15   





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