Thursday, November 12, 2009
नीता के विरोध के बाद भी बाघ पन्ना भेजा गया-आखिर पेंच का बाघ पन्ना चला ही गया। इसे पन्ना ना ले जाने का व्यापक स्तर पर स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया लेकिन किसी के कान में जूंं तक नहीं रेंगी। कई स्थानीय संस्थाओं ने भी पेंच का बाघ पन्ना भेजने का विरोध किया था। और तो और सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया ने भी पत्र लिखकर विरोध जाहिर किया था परंतु सत्तादल के विधायक को भी दरनिार कर दिया गया। इस काम को इतने गुपचुप तरीके और लापरवाही के साथ किया गया हैं कि इसके अंजाम को अच्छा मान लेना भारी भूल होगी। यह भी पता चला है कि बाघ जल्दी ही होश में आ गया था इसलिये उसे रेडियों कॉलर भी नहीं लगाया जा सका जिससे अब उसकी निगरानी कैसे रखी जायेगीर्षोर्षो यह वन विभाग के लिये एक चिंता का कारण बन गया हैं। पेंच नेशनल पार्क के बाघ प्रमियों ने इन बाघों की चिंता में पूरे देश में इतनी अधिक चिंता व्यक्त की थी कि राष्ट्रीय स्तर पर चल रही प्रधानमंत्री एक्सप्रेस हाईवे की योजना के तहत बनने वाला नार्थ साउथ कॉरीडोर,जो कि पेंंच नेशनल पार्क के समीप से गुजरता है, भी फिलहाल खटायी में पड़ गया हैं और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंड़िया नामक एक एन.जी.ओ. की याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। जिस पन्ना नेशनल पार्क में सुरक्षा प्रबंधों के आभाव में एक भी बाध ना बचा हो वहां बिना सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किये अन्य नेशनल पार्कों से बाघ और बाघिनी भेजना समझ से परे हैं।लेकिन इस मामले में वन्यप्राणी प्रेमियो की चुप्पी समझ से परे हैं।मंहगायी की अर्थी निकालने वाले भाजपायियों की भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुप्पी चर्चित-नगर भाजपा ने अध्यक्ष एवं पार्षद सुजीत जैन के नेतृत्व में मंहगाई की शवयात्रा निकाल कर विरोध प्रर्दशन किया। इस अवसर पर विधायक नीता पटेरिया,पालिकाध्यक्ष पार्वती जंघेला,जिला भाजपा अध्यक्ष सुर्दशन बाझल सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित थे।नगर पालिका चुनावों की पूर्व संध्या पर ऐसे प्रदर्शन और आंदोलन होना कोई नयी बात नहीं हैं। यह तथ्य भी सही है कि इन दिनों आम आदमी भीषण महंगायी से त्रस्त हैं और रोजमर्रा की चीजें महंगी होने से अपने आप को ढ़गा सा महसूस कर रहा हैं। चुनावों के पहले नेताओं के लुभावने नारे और वायदे आम आदमी के वोट तो कबाड़ लेते हैं लेकिन उसके बाद उसे निरीह बना छोड़ ेते हैं और तमाम नेता सत्ता सुख भोगने में इतने मशगूल हो जाते है कि मुल्क के मालिको की उन्हें याद ही नहीं रहती हैं। ऐसा ही कुछ पिछले नपा चुनाव के दौरान हुआ था और मतदाताओं ने अत्याचार ना भ्रष्टाचार हम देगें अच्छी सरकार के नारे से प्रभावित होकर नागरिकों ने नगर पालिका की बागडोर भाजपा को सौंप दी थी। लेकिन वर्तमान पालिका का कार्यकाल भ्रष्टाचार के मामले में इतना अधिक चर्चित रहा हैं कि उसने पिछले तमाम रिकार्ड धराशायी कर दिये हैं। और तो और प्रदेश सरकार के ही निर्देश पर पालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष, मु.नपा अधिकारी सहित परिषद के सत्रह पार्षदों को पर से पृथक करने और चुनाव लड़ने के लिये क्यों ना अयोग्य कर दिया जायेर्षोर्षो के कारण बताओ नोटिस दिये गये हें जिन पर फैसला होना अभी शेष हैं। महंगायी के विरोध में शवयात्रा निकालने वाले भाजपा नेता यदि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कुछ कारगरा कार्यवाही करने की मांग करते तो बात कुछ और होती अन्यथा चुनाव के समय यह सब कुछ तमाशा देखने के तो लोग आदी हो चुके हैं।
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