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Monday, November 16, 2009

हरवंश के बयान से विधानसभा के उपाध्यक्ष पद की संवैधानिकता को लेकर जारी है बहस-विधानसभा का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद क्या संवैधानिक पद हैर्षोर्षो इस पद पर रहते हुते क्या किसी पार्टी की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष रहा जा सकता हैर्षोर्षो क्या इस पद पर रहते हुये अपनी पार्टी द्वारा आयोजित किसी आंदोलन में शामिल हुआ जा सकता हैर्षोर्षो क्या इस पद पर रहते हुये लोकसभा, विधानसभा या नगरीय निकायों के चुनावों में प्रचार प्रसार या उनकी तैयारियों के लिये की जाने वाली पार्टी की बैठकों में सम्मलित हुआ जा सकता हैर्षोर्षो ये तमाम सवाल इन दिनों राजनैतिक गलियारों में चर्चित हैं। नगरीय निकायों के चुनावों की तैयारियों के लिये आयोजित हुयी एक बैठक में मुख्य अतिथि की आसंदी से मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह ने यह कहा है कि वे एक संवैधानिक पद पर हैं इसलिये झंडा़ उठाकर वे नहीं चल सकते और ना ही प्रचार प्रसार कर सकते हैं। उनका यह कथन प्रमुखता के साथ सभी अखबारों की सुखीZ भी बना। बस तभी से राजनैतिक हल्कों में इस बयान को देने के कारण तलाशे जा रहें हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान इसी पद रहते हुये हरवंश सिंह ने खुले आम ना केवल चुनाव प्रचार किया हैं वरन बाकायदा इंका विधायक के रूप में उनके फोटो भी छपे हैं। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी भी इस चुनाव के दौरान सक्रिय रहे थे। और तो और पलारी गोली कांड़ के बाद जब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जबलपुर आये थे तो विस उपाध्यक्ष रहते हुये भी श्री रोहाणी ने आंदोलन का नेतृत्व किया था जिसमे कार्यकत्ताZ Þहरवंश सिंह हत्यारा हैß की तिख्तयां लेकर कार्यकत्ताZ खड़े थे जिनके रंगीन फोटो भास्कर जबलपुर और नवभारत जबलपुर में 8 और 6 फरवरी 2001 को प्रकाशित हुये थे। यदि श्री रोहाणी का उक्त कृत्य पद की मर्यादा और संविधान के विपरीत था तो तत्कालीन ताकतवर मंत्री रहते हुये भी हरवंश सिंह ने कोई विरोध या आवश्यक कार्यवाही क्यों नहीं की थीर्षोर्षो इतना ही नहीं वरन उक्त मीटिंग के चंद दिनों बाद ही वारासिवनी के इंका विधायक प्रदीप जैसवाल के खिलाफ पुलिस द्वारा बिना जांच किये गैरजमानती आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के विरोध में आयोजित प्रतिकार रैली मेें हरवंश सिंह के नेतृत्व में कार्यक्रम संपन्न हुआ। विश्लेषकों का तो यह भी मानना हैं कि अपनी राजनैतिक सुविधा के अनुसार कभी संवैधानिक तो कभी राजनैतिक पद मानकर काम निकाल लेते हैं ये राजनेता। यदि ऐसा ही होता रहा तो क्या यह संवैधानिक पद का अवमूल्यन नहीं हैंर्षोर्षोआशुतोष वर्मा सिवनीपप्पू खुराना का छिंदवाड़ा नपा का पर्यवेक्षक बनना सियासी हल्कों में चर्चित-नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी हैं। इस सूची में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा में मुख्यालय की नगर पालिका में जिले के इंका नेता राजकुमार पप्पू खुराना को पर्यवेक्षक बनाया गया हैं। जिले की इंकाई राजनीति में इस नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। पप्पू खुराना कमलनाथ खेमें के माने जाते हें लेकिन जबलपुर संभाग के एक प्रमुख इंका विधायक के विरोध के चलते समय समय पर उनके बारे में तरह तरह की चर्चायें होती रहती थीं। लेकिन इस नियुक्ति से राजनैतिक गलियारों में यह संकेत भी गया हैं कि कमलनाथ अब एक इंका नेता के अलावा अन्य नेताओं को भी तव्वजो देकर उन्हें सचेत कर रहें हैं। अभी तक समूचे संभाग में यह माना जाता था कि इंका विधायक हरवंश सिंह की सलाह से ही कमलनाथ हर फैसला लेते हैं जिससे संभाग के उनके कई निष्ठावान कार्यकत्ताZओं में इसे लेकर असंतोष रहता था। कमलनाथ के छिंदवाड़ा उप चुनाव हारने के बाद एक बार यह लावा जम कर फूटा भी था लेकिन बाद में राजनैतिक समीकरण फिर ऐसे बन गये थे कि समर्पित कार्यकत्ताZ मन मसोस कर रह गये थे। अब यह तो भविष्य ही बतायेगा कि यह राजनैतिक संकेत भी लंबे समय तक बरकरार रहेगा या नहीं या सभी को साधने में माहिर इंका नेता एक बार फिर अपना खेल जमा लेंगें।आशुतोष वर्मासिवनीपालिका अध्यक्ष पद के दावेदारों कीसंख्या से भाजपा में घमासान -नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर राजनैतिक दलों में भी हलचल शुरू हो गयी हैं। भाजपा और इंका के अध्यक्ष पद के दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं। भाजपा में तो अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में जिला भाजपा अध्यक्ष सुदर्शन बाझल के अलावा नगर भाजपाप अध्यक्ष एवं पार्षद सुजीत जैन के नाम भी शामिल हैं। इसलिये भाजपा के प्रत्याशी चयन के दो चरण निरर्थक हो गये हैं। अन्यथा सबसे पहले नगर मंड़ल में प्रत्याशियों पर विचार होता और फिर जिला भाजपा से होता हुआ पैनल अंतिम निर्णय के लिये भेज दिया जाता। ऐसी परिस्थिति में दोनों दावेदारों के सामने भी एक मुश्किल हो गयी हैं। वे बाकायदा आवेदन कर टिकिट मांगनें में भी एक संकोच की स्थिति में रहेंगें। भाजपा के सामने सबसे बड़ा संकंट यह है कि भाजपा की वर्तमान नपा अध्यक्ष पावर्ती जंघेला ने भ्रष्टाचार के सभी रिकाडोZं को ध्वस्त करते हुये ऐसी परिस्थिति बना दी हैं कि बहुत ही अच्छी छवि का प्रत्याशी ही भाजपा की वैतरणी पार करा सकता हैं अन्यथा इस बार भाजपा का बेड़ागर्क होने से कोई नहीं रोक सकता हैं। वैसे भी परिषद के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित 17 पार्षदों के खिलाफ धारा 40 की कार्यवाही लंबित हैं।भाजपा में उपरोक्त दो दावेदारों के अलावा वर्तमान अध्यक्ष पार्वती जंघेला,नरेन्द्र टांक,संतोष अग्रवाल, राजेश त्रिवेदी,प्रमोद कुमार जैन,नंदकिशोर सोनकेशरिया,राजेश उपाध्याय,आरती शुक्ला सहित कई दावेदार अपना अपना दावा कर रहें हैं। प्रत्याशी चयन का कार्य भाजपा के लिये आसान नहीं होगा। ऐसी परिस्थितियों में सांसद के.डी.देशमुख और विधायक नीता पटेरिया की भूमिका ही निर्णायक होगी। इसके अलावा पूर्व विधायक नरेश दिवाकर भी मंत्री गौरीशंकर बिसेन के माध्यम से प्रयास कर पालिका पर अपना कब्जा बनाने की कोशिश भी करेंगें।आशुतोष वर्मा सिवनीटिकटि के लिये गणेश परिक्रमा करने के आदी हो गये हैं कांग्रेसी -इंका का हाल भी भाजपा से कुछ अलग नहीं हैं। अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों में उपाध्यक्ष संतोष उर्फ नान्हू पंजवानी के अलावा पार्षद संजय भरद्वाज,पूर्व युवा इंकाध्यक्ष राजा बघेल, पूर्व पालिका अध्यक्ष विजय चौरसिया,संजय चौरसिया, असलम खॉन, हाजी सुहैल पाशा, एड. जकी अनवर,पार्षद शफीक खॉन, जयकिशोर वर्मा सहिीत अन्य कई नाम भी चर्चाओं में तैर रहेंं हैं। वैसे भी पिछले दस सालों से इंकाई राजनीति में अधिकांश नेता जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह की गणेश परिक्रमा करके सब कुछ पाने के आदी हो चुके हैं। जिला इंका सहित सभी मोर्चा संगठनों की स्थिति उनके ड्राइंग रूम में सजे हुये गुलदस्तों से अधिक कुछ और नहीं हैं। बीते पांच विधानसभा चुनावों से सिवनी विधानसभा में कांग्रेस हार रही हैं। कांग्रेस की इस हार के सफर की शुरूआत हरवंश सिंह ने ही सन 90 में की थी। इसके वे 93 में तत्कालीन सांद कु. विमला वर्मा के परंपरागत क्षेत्र केवलारी से चुनाव लड़कर जीते और मंत्री बन गये। लगतार चुनावों में हो रही हार से अब तो कांग्रेसी मजाक में यह कहने से नहीं चूकते हैं कि सिवनी के अगले चुनाव में हारने के लिये हरवंश सिंह किसे चुनते हैं। कांग्रेस के एक कौने में हो रही लामबंदी कुछ गुल खिला पायेगी या नहींर्षोर्षो इसे लेकर इंकाइयों में उत्सुकता हैं।आशुतोष वर्मा सिवनी

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