Sunday, November 8, 2009
मुनमुन-हरवंश की दंगल उपस्थिति से इंकाई पहलवान चितिंत- आशुतोष वर्मा नगर पंचायत क्षेत्र लखनादौन में बीते दिनों हुआ एक दंगल राजनैतिक पहलवानों के बीच काफी चर्चित रहा हैं। इस दंगल में मुख्य अतिथि इंका विधायक हरवंश सिंह और अध्यक्षता नपं अध्यक्ष दिनेश मुनमुन राय ने की थी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये हरवंश सिंह ने मुनमुन की तारीफ के पुल बांधे और कहा कि दलीय भावना से परे हटकर वे ये तमाम बाते कह रहे हैं। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि नपं चुनाव में मुनमुन राय इंका की टिकिट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन जिला इंका द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक द्वय बलवंत सिंह और सेवकराम चंद्रवंशी में से किसी एक ने इस गुप्त निदेंZश को उजागर कर डाला था कि ठाकुर साहब ने कहा है कि मुनमुन का नाम किसी भी कीमत परं प्रस्तावित नही करना। इससे क्षुब्ध होकर मुनमुन ने कांग्रेस छोड़ दी थी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर भारी वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव आते तक परिसीमन के आंदोलन से उपजी परिस्थितियों को लेकर बहुत सा पानी बैनगंगा में बह चुका था और मुनमुन ने केवलारी के बजाय सिवनी से चुनाव लड़कर तीस हजार से अधिक वोट लेकर कांग्रेस को जमानत जप्त होने की स्थिति पर पहुचा दिया। चलते चुनाव में ही एक कार्यकत्ताZ ने सोनिया गांधी के नाम शपथपत्र देकर यह सनसनी खेज आरोप लगाया था कि हरवंश सिंह ने उसे मुनमुन का काम करने को कहा हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी पहले बरघाट का दंगल और लखनादौन के दंगल में हरवंश सिंह और मुनमुन की उपस्थिति को इंकाई राजनैतिक पहलवान चिंतित दिखायी दे रहें हैं कि यह मिली जुली कुश्ती ना जाने आने वाले समय में क्या गुल खिलायेगीर्षोर्षो आशुतोष वर्मा सिवनी मो.09425174640नरेगा की मलायी भाजपा को मिलने से चुनाव मंहगे हो सकते हैं- आशुतोष वर्मा नगरीय निकायों के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल अब तेज होती जा रहीं हैं। इस सिलसिले में जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के मुख्यआतिथ्य में प्रबंध समिति की बैठक हुईं। जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में सिवनी विस क्षेत्र के पूर्व इंका प्रत्याशी प्रसन्न मालू को बुलाया ही नहीं गया। परिणाम स्वरूप दो अन्य पूर्व प्रत्याशी राजकुमार पप्पू खुराना और आशुतोष वर्मा भी बैठक में नहीं गये। अपने भाषण में हरवंश सिंह ने साफ कर दिया कि वे विधानसभा उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद के बंधनों से बंधें हैं अत: आपके साथ झंड़ा उठाकर नहीं चल सकता हंं। उन्होंने यह भी कहा कि नरेगा की मलाई राज्य सरकार और उसके अनुयायी खा रहे हैं इसलिये चुनाव मंहगा भी हो सकता हैं। इस बैठक में हरवंश समर्थक नेताओं ने यह आरोप भी लगाये कि लोग टिकिट लाकर चुनाव तो लड़ लेते हैं लेकिन उसके बाद ना तो वे कांग्रेस की मीटिंगों में आते हैं और ना ही उन्हें कांग्रेस से कोई मतलब ही रहता हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि ऐसा आरोप लगाने वाले ये सभी नेता पिछले 2008 के विधानसभा चुनावों में अपने हाथ में कांग्रेस का हाथ थामने के बजाय निदग्Zलीय मुनमुन राय की कपप्लेट थामें हुये थे जो कि कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण बना था। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सन 1990 में सिवनी विस विस क्षेत्र से इंका प्रत्याशी के रूप में हरवंश सिंह ने जो हारने की शुरुआत की थी वह आज तक बदस्तूर जारी हैं और कांग्रेस इस क्षेत्र से लगातार पांच चुनाव हार चुकी हैं।इस बैठक में नगरीय निकायों के चुनावों के साथ साथ पंचायत चुनावों की रणनीति भी तय की गयी हैं। चुनावी रणनीति तय करने की शुरुआत ही गुटबाजी को बढ़ावा देने से हुयी हैं तो अंजाम भला और क्या होगार्षोर्षो यहां यह विशेष रूप से उललेखनीय है कि जिले की दो विस सीटों सिवनी और बरघाट में पिछले पांच चुनावों से कांग्रेस को हार का मुह देखना पड़ रहा हैं जिसका प्रमुख कारण आपसी गुटबाजी के अलावा और कुछ भी नहीं हैं।आशुतोष वर्मा सिवनीमो. 09425174640
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हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढ़े और टिप्पणी करें
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
ReplyDeleteमेरी शुभकामनाएं.
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महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!
narayan narayan
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