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Friday, August 13, 2010

इंका नेताओं द्वारा दिल्ली में आलाकमान को सप्रमाण दिये गये विवरण ने हरवंश सिंह के महाबली होने की छवि प्रभावित कर दी है
देश की आजादी के दिन के ध्वजारोहण को लेकर की गई इय तरह की बयान बाजी किसी भी कीमत पर उचित नहीं कही जा सकती। वैसे भी भाजपा को ऐसा बयान जारी करने का कोई नैतिक आधिकार इसलिये भी नहीं हैं क्योंकि जब कांग्रेस ने विस उपाध्यक्ष पद के लिये हरवंश सिंह का नाम प्रस्तावित किया था तब भी उनके खिलाफ धारा 307 का आपराधिक प्रकरण कायम था। भाजपा की सहमति के कारण ही वे सदन की सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष बने थे। उपाध्यक्ष पद पर उन्हे रखना या अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाना जब भाजपा के हाथ में हैं तो फिर वो मात्र दिखावे के लिये एक संवैधानिक पद के लिये ऐसी ओछी हरकतें क्यों करती हैंर्षोर्षो यह समझ से परे हैं। जिला कांग्रेस के चुनावों को लेकर इस बार तबेले में उठा तूफान थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। अपनी आदत के अनुसार उन्होंने सभी को दरकिनार कर दिया। इसका पता जब नेताओं को लगा तो असन्तोष की ज्वाला धधक उठी। जिसकी लपटें दिल्ली तक पहुंच गई। दिल्ली में यह धारणा बना दी गई थी कि सिवनी में हरवंश सिंह ही सब कुछ हैं और उनकी मर्जी ही चलती हैं। लेकिन इंका नेताओं के सप्रमाण दिये गये विवरण ने हरवंश सिंह के महाबली होने की छवि जरूर प्रभावित की हैं।इस सबके बावजूद भी हरवंश समर्थक आश्वस्त हैं कि इन सबसे कुछ होना जाना नहीं हैं और होगा वही जो हरवंश सिंह चाहेंगें क्योंकि प्रदेश का काई भी बड़ा नेता उनके खिलाफ नहीं हैं। विस उपाध्यक्ष के खिलाफ दिखावे की बयानबाजी करती हैं भाजपा-
भाजपा के नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी ने मुख्यमन्त्री को पत्र लिखकर आग्रह किया कि विस उपाध्यक्ष ठा. हरवंश से जिले में ध्वजारोहण ना कराया जाये क्योंकि उनके विरुद्ध हाल ही में चार सौ बीसी का मामला कोर्ट के निर्देश पर कायम हुआ हैं। बयान छपने के साथ दूसरे ही दिन सूची भी प्रकाशित हो गई कि प्रदेश के किस जिले में कौन ध्वजारोहण करेगा। इस सूची में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को बालाघाट जिला आवंटित किया गया था। इतना था नहीं कि प्रेम तिवारी ने जन भावनाओं का आदर रखने के लिये मुख्यमन्त्री का आभार भी बयान जारी कर व्यक्त कर डाला। प्रेम तिवारी के बयान और सूची के छपने के बाद नगर इंका के प्रवक्ता जे.पी.एस.तिवारी के हवाले से एक बयान छपा कि प्रेम तिवारी औकात से ज्यादा बात करते हैं और पालिका के पिछले भ्रष्टाचार के वे जनक रहें हैं। इस बयान में हरवंश सिंह के हवाले से यह भी छपा कि मुख्यमन्त्री के यहां से उनसे पूछा गया था कि वे कहां ध्वजारोहण करना चाहेंगें तो उन्होंने कह दिया था कि सिवनी में तो वे तीन चार बार ध्वजारोहण कर चुके हें और उनके लिये प्रदेश के सभी जिले बराबर हैं वे जहां चाहें आवंटित कर दें। नगर इंका के प्रवक्ता के बयान में मुख्यमन्त्री सहित 28 मन्त्रियों के भी आरोपी होने का उल्लेख किया गया हैं और कहा हैं कि यदि प्रेम तिवारी की बात मान ली जाये तो ये सभी झंड़ा नहीं फहरा सकेंगें। इस बयान में सबसे अधिक आश्चर्य केी बात तो यह हैं कि नगर इंका के प्रवक्ता मुख्यमन्त्री सचिवालय और विस उपाध्यक्ष की चर्चा तथ्यों सहित कर रहें हैं। इंकाई हल्कों में तो यह भी चर्चित हैं कि हैण्डिंग सहित बयान बर्रा से ही कम्प्यूटर पर बन के आते हैं और किसे जारी करना हैं यह भी हरवंश सिंह ही तय करते हैं। जिसका नाम नीवे लिखा आता हैं उसे अपने दस्तखत करके बयान को बटवाना भर पड़ता हैं। मीडिया में भी जिला इंका के घिसे पिटे टाइपराइटर के स्थान पर जब कम्प्यूटर से बनी विज्ञप्ति टेबिल पर आती हैं तो सभी समझ जाते हैं कि यह बयान कहां बना हैं और किसने बनवाया हैर्षोर्षो इसके बाद अचानक ही फिर फेरबदल होता हैं और प्रदेश सरकार विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के लिये फिर सिवनी जिला आवंटित कर देती हैं।इस घटनाक्रम ने इंका और भाजपा की बयान बाजी को खोखला साबित कर दिया हैं। यदि हरवंश सिंह के आग्रह पर ही शिवराज ने उन्हें बालाघाट जिला आंटित किया था तो फिर भाजपा की बयान बाजी के बाद ऐसे क्या कारण बन गये कि फिर से हरवंश सिंह को सिवनी जिला ही आवंटित कर दिया गया। और आखिर यह बदलाव भी हुआ तो होगा किसी की पहल पर हीर्षोर्षो यह पहल किसने की होगी इस पर अधिक कुछ सोचने की तो जरूरत ही नहीं हैं।देश की आजादी के दिन के ध्वजारोहण को लेकर की गई इय तरह की बयान बाजी किसी भी कीमत पर उचित नहीं कही जा सकती। वैसे भी भाजपा को ऐसा बयान जारी करने का कोई नैतिक आधिकार इसलिये भी नहीं हैं क्योंकि जब कांग्रेस ने विस उपाध्यक्ष पद के लिये हरवंश सिंह का नाम प्रस्तावित किया था तब भी उनके खिलाफ धारा 307 का आपराधिक प्रकरण कायम था। वे सदन की सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष बने थे जिसमें उन्हें वोट देने वालों में भाजपा भी शामिल थी। उपाध्यक्ष पद पर उन्हे रखना या अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाना जब भाजपा के हाथ में हैं तो फिर वो मात्र दिखावे के लिये ऐसी ओछी हरकतें क्यों करती हैंर्षोर्षो यह समझ से परे हैं।
कांग्रेस संगठन चुनाव के असन्तोष की आग दिल्ली पहुंची-
जिला कांग्रेस के चुनावों को लेकर इस बार तबेले में उठा तूफान थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। पहले तो जिले के इकलौते इंका विधायक और प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह ने इंका नेता आशुतोष वर्मा को छोड़कर अधिकांश इंका नेताओं को आश्वस्त कर दिया था कि वे सभी को साथ लेकर चलेंगें और कमेटियों में सभी का समावेश होगा। लेकिन अपनी आदत के अनुसार उन्होंने सभी को दरकिनार कर दिया। इसका पता जब नेताओं को लगा तो असन्तोष की ज्वाला धधक उठी। जिसकी लपटें दिल्ली तक पहुंच गई। दिल्ली में यह धारणा बना दी गई थी कि सिवनी में हरवंश सिंह ही सब कुछ हैं और उनकी मर्जी ही चलती हैं। संगठन चुनावों के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि चुनाव की धांधलियों की शिकायत दिल्ली आला कमान तक पहुचीं हैं। जिले से पहले जत्थे में आशुतोष वर्मा और प्रसन्न मालू के साथ आठ इंका नेता शामिल थे। इस जत्थे ने आस्कर फर्नाण्डीस,वी.के.हरिप्रसाद,दिग्विजय सिंह,मोतीलाल वोरा,कमलनाथ, मूलचन्द मीना, नरेन्द्र बुढ़ानिया,प्रदेश इंकाध्यक्ष सुरेश पचौरी के अलावा अन्य नेताओं से मिलकर अपनी बात रखी। चुनाव के नाम पर की गई औपचारिकताओं का विवरण दिया। चुनाव अधिकारियों के दौरों को गुप्त रखने सहित निष्ठावान कार्यकत्ताZओं की उपेक्षा एवं एक गुट विशेष को महत्व देने की बात भी रखी। इस प्रतिनिधि मंड़ल ने इस बात की ओर भी ध्यानाकषिZत कराया है कि जिले की दो विधानसभा सिवनी और बरघाट पांच बार से तथा एक लखनादौन विधानसभा दो बार से चुनाव कांग्रेस हार रही हैं। जिले में मात्र एक विधानसभा केवलारी चार बार से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हरवंश सिंह जीत रहें हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसी क्षेत्र से हार जाती हैं। कांग्रेस 1999,2003 एवं 2008 का लोकसभा चुनाव भी हार चुकी हैं।इसी तरह तीन नगरपालिका अध्यक्ष के चुनाव भी कांग्रेस सिवनी से हार चुकी हैं। इतना सब कुछ होने के बाद जिले के कांग्रेस नेतृत्व को अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस को मजबूत करने के प्रयास करने चाहिये थे जो कि नहीं किये गये हैं। संगठन चुनावों में केवलारी विस क्षेत्र को ही आधार मानकर ताना बाना बुना गया हैं।जिले के आठ राजस्व विकासखंड़ों में से चार विकास खंड़ों का कुछ कुछ हिस्सा केवलारी क्षेत्र में आता हैं। लेकिन केवलारी ब्लाक को छोड़कर शेष तीन का बहुत छोटा हिस्सा केवलारी क्षेत्र में आता हैं लेकिन चुनाव के नाम पर जिन नेताओं को इन चारों ब्लाकों से अध्यक्ष एवं प्रदेश प्रतिनिधि बनाया गया हैं वे सभी केवलारी क्षेत्र के निवासी हैं। जिला इंकाध्यक्ष पद के लिये भी केवलारी क्षेत्र के निवासी नेता की तलाश जारी हें। ऐसे में जिले को कांग्रेस को मजबूत करना असम्भव हैं। इसलिये इनकी सू़क्ष्म जांच की जाये और कांग्रेस हित में उचित निर्णय लिया जाये। इसके दो दिन बाद ही जिले के इंका नेता राजकुमार पप्पू खुराना के नेतृत्व में एक बीस सदस्यीय प्रतिनिधि मंड़ल ने भी दिल्ली जाकर इन अनियमितताओं के बारे में आलाकमान का ध्यानाकषिZत कराया हैेंं। इस सबके बावजूद भी हरवंश समर्थक आश्वस्त हैं कि इन सबसे कुछ होना जाना नहीं हैं और होगा वही जो हरवंश सिंह चाहेंगें क्योंकि प्रदेश का काई भी बड़ा नेता उनके खिलाफ नहीं हैं।अब देखना यह हैं कि हरवंश समर्थकों के दावे सही होंगें या महाबली की छवि पर कुछ आंच आयेगीर्षोर्षो ß

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