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Sunday, December 12, 2010

जिले के विकास में पैसे की कमी नहीं जरूरत इसमें हो रहे भ्रष्टाचार में कमी लाने की जिसकी कोई सीमा नहीं है

जिले के पालनहार कों भला अब यह कौन बताये कि जिले के में वैसे भी पैसे की कोई कमी नहीं हैं। जरूरत हैं भ्रष्टाचार में कमी लाने की हैं जिसके लिये आपको ही सख्त कदम उठाने होगें। भाजपा का कुछ मिजाज ही ऐसा हैं कि इसमें दूसरे दलों से आये नेता खप नहीं पाते हैं। वास्तव में भाजपा तो मुखोटा हैं इसमें होता वही हैं जो कि संघ चाहता हैं। जिन क्षेत्रों या वर्गों में पकड़ नही रहती उन जगहों पर भले ही तव्वजो मिल जाये लेकिन पकड़ बनते ही संघीय प्ष्ठ भूमि के नेताओं से उन्हें विस्थापित कर दिया जाता हैं। ऐसा ही कुछ जिले में स्व. महेश शुक्ला के साथ प्रदेश में स्व. पोर्ते,नेताम और भूरिया के साथ हुआ। अब लगता हैं कांग्रेस से भाजपा मे आये जिलें के प्रभारी मन्त्री जगन्नाथ सिंह के खिलाफ भी घोषित एवं अघोषित भाजपाइयों ने मोर्चा खोल दिया हैं। अभी तक तो लोगों ने फिरकी याने िस्पन गेन्दबाजी का कमाल क्रिकेट की पिच पर ही देखा होगा लेकिन शहर के दर्शकों ने इसका मजा राजनीति की पिच पर भी बीते दिनों देख लिया। सड़कों पर विरोध में नारे और मंच पर माला से स्वागत है ना फिरकी गेन्दबाजी का कमाल। पिछले कुछ महीने पहले शहर के नये बस स्टेन्ड सहित जिले के कुछ स्थानों पर राष्ट्रीय राज मार्ग विकास प्राधिकरण द्वारा मन्त्री कमलनाथ के निर्देश पर आयोजन किये गये। उनमें प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह मुख्य अतिथि थे। आयोजनों से पहले उन्होनें मीडिया को कमलनाथ का पत्र एवं होने वाले कार्य के एस्टीमेट आदि की प्रति भी उपलब्ध करायी थी। लेकिन इस भव्य आयोजन के बाद थिगड़े भी ना लगने से हरवंश सिंह मजाक का विषय बन गयें हैं जिन्होंने इन कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था।

जरूरत हैं भ्रष्टाचार में कमी लाने की-

जिले के प्रभारी मन्त्री जगन्नाथ सिह ने जिला योजना समिति की बैठक में इस बात का विश्वास दिलाया हैं कि जिले के विकास में पैसे की कमी नहीं आने दी जायेगी। जिले के पालनहार कों भला अब यह कौन बताये कि जिले के विकास में वैसे भी पैसे की कोई कमी नहीं हैं। केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से इतना पैसा आ रहा हैं कि खर्च करते नहीं बन रहा हैं और जो खर्च हो रहा हैं उसमें भी इतना अधिक भ्रष्टाचार हैं कि काम की गुणवत्ता तो जैसे कहीे गुम ही गई हैं। तारीफ की बात तो यह हैं कि भ्रष्टाचार के जो मामले प्रमाणित भी हो रहें हैं उनके खिलाफ प्रदेश सरकार से कार्यवाही में इतनी अधिक हीला हवाली हो रही हैं कि आज तक ाकेई भी भ्रष्टाचारी दंड़ित नहीं हो पाये हैं। इसीलिये मन्त्री जी जरूरत हैं तो भ्रष्टाचार में मी लाने की पैसे की तो कोई कमी हैं ही नहीं। और भ्रष्टाचार में कमी लाने के लिये आपको ही सख्त कदम उठाने होंगें क्योंकि हर भ्रष्टाचारी को सत्ता शिखर के किसी ना किसी गुबन्द का संरक्षण प्राप्त हैं।

दूसरे दलों से आये नेता भाजपा में खप नहीं पाते हैं-

भाजपा का कुछ मिजाज ही ऐसा हैं कि इसमें दूसरे दलों से आये नेता खप नहीं पाते हैं। वास्तव में भाजपा तो मुखोटा हैं इसमें होता वही हैं जो कि संघ चाहता हैं। जिन क्षेत्रों में पकड़ नहीं रहती उन क्षेत्रों में पकड़ बनाने के लिये भाजपा में भले ही दूसरे दलों से आये नेताओं को तव्वजो मिल जाये और उन्हें मन्त्री तक बना दिया जाये लेकिन जैसे ही वे क्षेत्र भाजपा मय हो जाते हैं तो ऐसे नेताओं को दर किनार कर संघीय पृष्ठ भूमि को बिठाल दिया जाता हैं। इसका उदाहरण तो सिवनी जिले में ही मौजूद हैं। कांग्रेस से भाजपा में गये स्व. पं. महेश शुक्ला को ना केवल भसापा ने जिले का अध्यक्ष बनाया ब्लकि सिवनी विधानसभा से 90 में टिकिट भी दिया जहां उन्होंने कांग्रेस के हरवंश सिंह को हराया और मन्त्री भी बने। दूसरी बार फिर वे 93 में सिवनी से लड़े और कांग्रेस के आशुतोष वर्मा को हराकर विधायक बने। सन 1977 की जनता आंधी में इस क्षेत्र से कांग्रेस जीती थी। लेकिन जैसे ही भाजपा को लगा कि अब इस क्षेत्र में पकड़बन गई तो संघी पृष्ठभूमि के नेरश दिवाकर को टिकिट देकर उन्हें दरकिनार कर दिया गया। ऐसा ही कुछ हाल कांग्रेस से भाजपा में गये प्रमोद कुमार जैन कंवर साहब एवं आदिवासी नेता अशोक टेकाम और कमल मर्सकोले का हैं। वैसे तो अशोक टेकाम सहकारी बैंक के अध्यक्ष और कमल मर्सकोले आदिवासी क्षेत्र बनने के बाद बरघाट से पहले विधायक हैं। लेकिन वास्तविकता तो यही हैं कि इन दोनों आदिवासी नेताओं के खिलाफ पुराने भाजपायी ही खोले हुये हैं। ऐसा ही कुछ हाल जिले के प्रभारी मन्त्री जगन्नाथ सिंह का भी हैं। वे भी कांग्रेस में सांसद थे। कांग्रेस से भाजपा में आकर वे विधायक बने और उन्हें मन्त्री इसलिये बनाया गया हैं क्योंकि महाकौशल क्षेत्र में आदिवासी दिग्गज फग्गन सिंह कुलस्ते के कारण भाजपा के गिरते ग्राफ को आदिवासियों में थामना था। लेकिन उनके पिछले दौरे से ऐसा लगता हैं कि जिले में घोषित और अघोषित भाजपाइयों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं।अब यह आगे किस सीमा तक जायेगार्षोर्षो इस बारे में अभी कुछ भी कहना सम्भव नहीं हैं। वैसे भी कांग्रेस से भाजपा में गये आदिवासी नेताओं का हश्र अच्छा नहीं रहा हें चाहे वे स्व. भंवर सिंह पोर्ते रहें हो या अरविन्द नेताम हों या दिलीप सिंह भूरिया हों उन्हें कभी सत्ता के शीर्ष तक नहीं पहुचने दिया गया हैं।

क्रिकेट की पिच के साथ ही राजनीति में दिखा फिरकी गेन्दबाजी का कमाल -

अभी तक तो लोगों ने फिरकी याने िस्पन गेन्दबाजी का कमाल क्रिकेट की पिच पर ही देखा होगा लेकिन शहर के दर्शकों ने इसका मजा राजनीति की पिच पर भी बीते दिनों देख लिया। हुआ यूं कि नगर पालिका के कांग्रेसी उपाध्यक्ष राजिक अकील के खिलाफ राजनैतिक प्रतिशाोध के कारण फर्जी मुकदमें दर्ज करने का आरोप लगाते हुये पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और जिला एवं पुलिस प्रशासन के खिलाफ कांग्रेसी सड़को पर उतरे और सभी के खिलाफ जमकर नारे बाजी भी की थी। जिसमें महेश मालू,हीराआसवानी,आशुतोष वर्मा, राजकुमार पप्पू खुराना,प्रसन्न मालू,स हित कई कांग्रसी शामिल थे। लेकिन चन्द दिनों बाद ही संभागीय क्रिकेट प्रतियोगिता के फायनल मैंच के उदघाटन समारोह में मुख्य अतिथि राजेश त्रिवेदी और अध्यक्षता राजिक अकील तथा समापन समारोह में मुख्य अतिथि कलेक्टर मनोहर दुबे और अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार थे। जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्षके रूप में राजकुमार पप्पू खुराना के सभी अतिथियों का माला पहना कर स्वागत भी किया। धन्य हैं आमन्त्रण देने और स्वीकार करने वाले तथा धन्य हैं माला पहनाने और पहनने वाले। सड़कों पर विरोध में नारे और मंच पर माला से स्वागत है ना फिरकी गेन्दबाजी का कमाल।

भव्य थिगड़ोत्सव के बाद भी थिगड़े नहीं लगवा पाये हरवंश -

पिछले कुछ महीने पहले शहर के नये बस स्टेन्ड सहित जिले के कुछ स्थानों पर राष्ट्रीय राज मार्ग विकास प्राधिकरण द्वारा मन्त्री कमलनाथ के निर्देश पर आयोजन किये गये। उनमें प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह मुख्य अतिथि थे। आयोजनों से पहले उन्होनें मीडिया को कमलनाथ का पत्र एवं होने वाले कार्य के एस्टीमेट आदि की प्रति भी उपलब्ध करायी थी। इनमें सिवनी,बण्डोल,छपारा आदि बायपास रोउ़ बन जाने के बाद खराब हो चुके पराने मार्गों में थिगड़े लगाकर याने पेच वर्क के बाद सरफेस रिनीवल की बात कही गई थी जिसमें आधा पैसा ठेकेदार को भी लगाना था। सभी जगह आयोजन हुये और कांग्रेस नेताओं ने हरवंश सिंह और कमलनाथ का इस थिगड़ोत्सव में आभार व्यक्त किया। शहर वालों ने भी सोचा कि चलो फोर लेन का मामला जब तक कोर्ट में लटका हैं तब तक चलने में सुविधा तो रहेगी। वास्तविकता यह हैं कि लखनादौन से नागपुर तक जाने वाले फोरलेन मार्ग में जब से कानूनी विवाद छिड़ा हैं तब से ही इन सड़कों का रख रखाव विभाग ने बन्द कर दिया हैं। अब हालात यह हैं कि कोर्ट के आदेश के बिना भी काम तो पूरा रुक गया हैं लेकिन रखरखाव भी ना होने से सड़क में गìों के बजाय वाहन चालक गìों में सड़क ढूंढ़ते ढूंढ़ते परेशान हो रहे हैं। लेकिन इस भव्य आयोजन के बाद थिगड़े भी ना लगने से हरवंश सिंह मजाक का विषय बन गयें हैं जिन्होंने इन कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था। फोर लेन रोड़ में कोर्ट में नये नये अड़ंगें डलने के बाद थिगड़े भी ना लगने से लोग अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहें हैंऔर आभार व्यक्त करने वाले कांग्रसी बगले झांकते देखे जा सकते हैं।





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