दिग्विजय के खुले विरोध और कमलनाथ के समर्थन के बीच बाबा रामदेव के कार्यक्रम में हरवंश का आना सियासी हल्कों में चर्चित
जिला भाजपा में इन दिनों गुटबाजी का खुला खेल दिखायी दे रहा है।नन्दकिशोर सोनकेशरिया के फैसले को प्रदेश के महामन्त्री चौहान ने गलत निर्णय करार देते हुये ना केवल निरस्त कर दिया वरन उनकी बहाली महामन्त्री के पर कर दी गई। अनुसूचित जाति की महिला पार्षद की पार्टी सदस्यता को जिला भाजपा ने ही बहाल कर दिया। योग गुरू बाबा रामदेव का कार्यक्रम राजनैतिक हल्कों में काफी चर्चित रहा। प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री ओर इंका के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह से बाबा रामदेव के खुले विरोध के चलते उनके मन्त्रीमंड़ल के सबसे ताकतवर मन्त्री रहे हरवंश सिंह का इस आयोजन में शामिल होना राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा आश्चर्यजनक माना जा रहा हैं। अब यह तो हरवंश सिंह ही जानते होंगें कि वे बाबा के आयोजन में क्यों गये थे और क्या वे किसी को कोई राजनैतिक संकेत देना चाहते थेर्षोर्षो संसद में एक भी शब्द ना बोलने वाले तथा सबसे ज्यादा गैर हाजिर रहने वाले चन्द सांसदों में जिले के दोनों सांसद शामिल है। इन सांसदों ने अपनी संसदीय भूमिका से अपने मतदाताओं को निराश ही किया हैं। पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के आग्रह पर कन्या महाविद्यालय में जोकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और सन्त विनोबा की प्रतिमाओं पर माला पहनायी। भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ देश भर में अलख जगाने निकले बाबा रामदेव ने जिन शहीदों की मूर्तियों पर माला पहनायी वह मूर्तियां किस विभाग ने किस मद से बनवायीं थी इसका खुलासा राज्य सरकार विधानसभा में भी नहीं कर पायी थी।
खुल कर दिखने लगी भाजपा में भी गुटबाजी-जिला भाजपा में इन दिनों गुटबाजी का खुला खेल दिखायी दे रहा है।पहले जिला भाजप के महामन्त्री पद से नन्दकिशोर सोनकेशरिया की छुट्टी हुयी फिर टेगौर वार्ड की पार्षद श्रीमती लीला डागोरिया को पार्टी सदस्यता से निलम्बित कर दिया गया। इस निर्णय पर जमकर अखबारबाजी हुयी। नन्दकिशोर सोनकेशरिया के फैसले को प्रदेश के महामन्त्री चौहान ने गलत निर्णय करार देते हुये ना केवल निरस्त कर दिया वरन उनकी बहाली महामन्त्री के पर कर दी गई। अनुसूचित जाति की महिला पार्षद की पार्टी सदस्यता को जिला भाजपा ने ही बहाल कर दिया। इसमें यह बताया गया कि उनके स्पष्टीकरणसे सन्तुष्ट होकर बहाली की गई हैं। इसमें यह सवाल उठ खड़ा होता है कि निलम्बन के पूर्व कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं जारी किया गयार्षोर्षो भाजपायी हल्कों में यह माना जा रहा हैं कि ये सब गुटबाजी के कारण किया जा रहा हैं। गुटबाजी का राजरोग भाजपा में भी अब खुल कर दिखायी देने लगा हैं।
दिग्गी के विरोध के बाद भी हरवंश का बाबा रामदेव के शिविर में आना चर्चित-योग गुरू बाबा रामदेव का कार्यक्रम राजनैतिक हल्कों में काफी चर्चित रहा। बीते दिनों हुये इस कार्यक्रम में जहा। भाजपा के सभी प्रमुख नेता जिला अध्यक्ष सुजीत जैन, विधायकद्वय नीता पटेरिया एवं कमल मर्सकोले, पूर्व मन्त्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन, पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी,पूर्व विधायक नरेश दिवाकर आदि शामिल थे तो दूसरी ओर जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह और जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चन्देल शामिल थे। प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री ओर इंका के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह से बाबा रामदेव के खुले विरोध के चलते उनके मन्त्रीमंड़ल के सबसे ताकतवर मन्त्री रहे हरवंश सिंह का इस आयोजन में शामिल होना राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा आश्चर्यजनक माना जा रहा हैं। हालांकि केन्द्रीय मन्त्री कमलनाथ भी बाबा के कार्यक्रम में छिन्दवाड़ा में शामिल हुये थे और उन्होंने खुले आम बाबा के अभियान का समर्थन भी किया था। लेकिन सिवनी मेंहरवंश सिंह के शामिल होने को लेकर तरह तरह की चर्चायें हैं। कुछ लोगों का मानना हैं कि हरवंश सिंह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष बनना चाह रहें थे। लेकिन इन दोनों ही पदों पर दिग्गी राजा ने ऐसी रणनीति बनायी कि हरवंश सिंह का कुछ बन पाना तो दूर जो आज उनके पास हैं उसके भी जाने की तलवार उनके सिर पर लटकी हुयी हैं। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि कान्तिलाल भूरिया प्रदेश अध्यक्ष और अजय सिंह नेता प्रतिपक्ष बन चुके हैं जो कि दिग्गी खेमे के ही माने जा रहें हें। दिग्गी खेमे के ही प्रियव्रत सिंह युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद काचुनाव जीत चुके हैं। राजनैतिक हल्कों में चर्चा हैं कि ऐसी परिस्थिति में ठाकुर हरवंश सिंह की विधानसभा उपाध्यक्ष पद से बिदायी निश्चित मानी जा रही हैं। हरवंश समर्थकों का मानना हैं कि दिग्गी राजा की सोची समझी रणनीति के कारण ही हरवंश सिंह से लालबत्ती छिनने की नौबत आ गई हैं। लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोगों का यह भी मानना हैं कि कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले बाबा रामदेव के आयोजन में हरवंश सिंह इसलिये शामिल हुये कि कहीं उनकी गैरहाजरी में बाबा सिवनी में उनके खिलाफ ही कुछ ना बोल दे। हरवंश सिंह की यह आशंका सही भी साबित हुयी। उनके जाने के बाद पत्रकार वार्ता में एक पत्रकार ने यह सवाल कर ही दिया कि बैतूल में शिवााज सिंह चौान जिन पर डम्पर कांड़ का आरोप हैं,छिदवाड़ा में कमलनाथ जिस सरकार को भ्रष्ट कह रहें हैं और सिवनी में हरवंश सिंह जिन पर भ्रष्टाचार केकई आरोप हैं इन्हें सामने रखकर आप कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे लड़ाई लडेंगेंर्षोर्षो बाबा इस प्रश्न से असहज हो उठे थे। हालांकि उन्होंने यह जवाब देकर मामले को टाल दिया कि मैं उन्हें जन प्रतिनिधि के रूप में तो जानता हूं लेकिन किसी को काई प्रमाणपत्र नहीं दे रहा हूं। लेकिन इसके पूर्व में बाबा ने यह भी कहा था कि जब हरवंश सिंह वन मन्त्री थे मैं उन्हें तब से जानता हूं और उनके यहां रुका भी हूंं। अब यह तो हरवंश सिंह ही जानते होंगें कि वे बाबा के आयोजन में क्यों गये थे और क्या वे किसी को कोई राजनैतिक संकेत देना चाहते थेर्षोर्षो
नरेश के आग्रह पर बाबा द्वारा शहीदों को माला पहनना हुआ चर्चित -संसद में एक भी शब्द ना बोलने वाले तथा सबसे ज्यादा गैर हाजिर रहने वाले चन्द सांसदों में जिले के दोनों सांसद शामिल है। इंका सांसद बसोरीसिंह मरकाम जहां एक भी शब्द संसद में ना बोलने वाले में शामिल है तो वहीं भाजपा सांसद के.डी.देशमुख सबसे ज्यादा गैर हाजिर रहने वाले सांसदों में शामिल हैं। जिले के दोनों सांसदों के इस व्यवहार से तो संसद में ऐसा सन्देश गया होगा कि इनके क्षेत्र देश के ऐसे विकसित क्षेत्र हैं जहां कोई समस्या नहीं हैं। जबकि प्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े हुये इन क्षेत्रों में कई ऐसी ज्वलन्त समस्यायें हैं जिनके लिये संसद में लड़ना जरूरी हैं। चाहे वह छिन्दवाड़ा से नैनपुर छोटी रेल लाइन को बकड़ी रेल लाइन में बदलने की हो हो या रामटेक गोटेगांव नई रेल लाइन की हो या उत्तर दक्षिण गलियारे के तहत बनने वाली फोर लेन सड़क ीक की अनुमति की हो। लेकिन इन सांसदों ने अपनी संसदीय भूमिका से अपने मतदाताओं को निराश ही किया हैं।
सांसद मरकाम,देशमुख की संसदीय भूमिका से निराशा -पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के आग्रह पर अपने एक दिवसीय प्रवास में बाबा रामदेव ने शासकीय सुधारालय के एक हिस्से में लग रहे कन्या महाविद्यालय में जोकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और सन्त विनोबा की प्रतिमाओं पर माला पहनायी। भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ देश भर में अलख जगाने निकले बाबा रामदेव ने जिन शहीदों की मूर्तियों पर माला पहनायी वह मूर्तियां किस विभाग ने किस मद से बनवायीं थी इसका खुलासा राज्य सरकार विधानसभा में भी नहीं कर पायी थी। कन्या महाविद्यालय के सुधार कार्य के दौरान इन मूर्तियों को बनवाया गया था जिसमें भारी भ्रष्टाचार होने की खबरें सुर्खियों में रहीं थी। उस दौरान यह भी कहा गया था कि ऐसे पैसे से शहीदों की मूर्तियां बनवा कर उनका अपमान किया गया हैं। जांच की मांग होने के बाद भी आज तक प्रदेश सरकार ने ना तो जांच की और ना ही दोषियों को दंड़ित ही किया। नरेश दिवाकर के कार्यकाल में गुरु गोलवलकर, नेताजी और सन्त विनोबा की ये मूर्तियां बनवायी गईं थी जिनका अनावरण संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में किया था। अपनी भारत स्वाभिमान यात्रा पर निकले बाबा रामदेव का पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के आग्रह पर वहां जाना और माल्यार्पण करना जन चर्चाओं में आ गया हैं। पहले से ही यह चर्चा थी कि प्रथम पंक्ति में बैठ कर योग करने, माला पहनाने, मंच पर बाबा से आशीZवाद लेने और मंच पर आसीन होने के लिये ग्यारह हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का पैकेज था। ऐसे मंच से और ऐसे कार्यक्रमों में बाबा के जाने से उनके अभियान को सिवनी में तो निश्चित रूप से ठेस ही पहुंची हैं।