चलो बुलावा आया है की तर्ज पर शिवराज के बुलावे पर हरवंश का जाना इस बार महंगा साबित हुआ?
राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्र सरकार को कदम कदम पर घेरने का प्रयास कर रही भाजपा के साथ जिले में बिल्कुल उल्टा ही हो रहा हैं। केन्द्र सरकार के घोटालों और भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्वती जंघेला के नेतृत्व में चलाया जा रहा अभियान मजाक का पात्र बन कर रह गया हैं। चलो बुलावा आया है की तर्ज पर कहीं भी चले जाना कभी कभी बहुत महंगा पड़ जाता हैं। ऐसा ही कुछ बीते दिनों विधानसभा उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते विधायक हरवंश सिंह के साथ हुआ। राजा भेज की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस के विरोध के बावजूद भी हरवंश सिंह शिवराज के बुलावे पर चले गये थे जो अब उन्हें महंगा पड़ रहा हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने पिछले दिनों अपने विधानसभा क्षेत्र के उगली अंचल में कुछ कार्यक्रमों में सांसद बसोरी सिंह के साथ भाग लिया। पूर्वमें सांसद निधि से बने और बहे पुल पर हरवंश सिंह की टिप्पणियों से सवाल उठ खड़े हुये हैं। भाजपा के नेता जो निगम या मंड़ल के जरिये लाल बत्ती की आस लगाये दो साल से बैठे हैं वे अब निराश होने लगे हैं। आम सहमति ना बनने या आला कमान से हरी झंड़ी नहीं मिल पाने से मामला बार बार पेंड़िग हो जाता हैं। अब देखना यह हैं कि कब ये दावेदार लालबत्तीधारी बन पाते हैं।भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार होता हैं। वो केन्द्रीय या प्रादेशिक नहीं होता। लेकिन भाजपा ने यह विभाजन कर दिया हैं। भाजपा का युवा मोर्चा सम्भागीय मुख्यालयों पर केन्द्रीय भ्रष्टाचार के विरुद्ध मेराथन दौड़ का आयोञ्जन किया हैं।
दूध की तकवारी बिल्ली के हवालेर्षोर्षो-राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्र सरकार को कदम कदम पर घेरने का प्रयास कर रही भाजपा के साथ जिले में बिल्कुल उल्टा ही हो रहा हैं। कुछ दिनों पहले जिला भाजपा कार्यालय में महिला मोर्चे की जिले की बैठक पूर्व पालिका अध्यक्ष पार्वती जंघेला की अध्यक्षता में सम्पन्न हुयी। इसमतें यह तय किया गया कि मंहगायी,भ्रष्टाचार और केन्द्र सरकार के घोटालों के खिलाफ जिले में चरणबद्ध आन्दोलन चलाया जायेगा। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि हाल ही में नगर की दुगनी लागत में बनी घटिया सड़कों के मामले में राज्य शासन ने तत्कालीन नपा अध्यक्ष पावर्ती जंघेला को 5 सालों के लिये चुनाव लड़नें के लिये अपात्र घोषित करने के साथ ही तीन लाख रुपये की वसूली के आदेश जारी किये हैं। ऐसे में जिलमे ें पार्वती जंघेला के नेतृत्व में चलाया जा रहा यह अभियान मजाक का पात्र बन गया हैं और लोग यह कहने में कोई संकोच नहीं कर रहें हैं कि भाजपा ने तो दूध की तकवारी बिल्ली के हवाले कर दी हैं।
बुलावा महंगा पड़ गया इस बार-चलो बुलावा आया है की तर्ज पर कहीं भी चले जाना कभी कभी बहुत महंगा पड़ जाता हैं। ऐसा ही कुछ बीते दिनों विधानसभा उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते विधायक हरवंश सिंह के साथ हुआ। शिवराज सिंह के बुलावे पर कहीं भी चले जाना हरवंश सिंह की आदत में शुमार हो गया था। बीते दिनों प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजधानी भोपाल में शहर का नाम बदल कर भोजपाल रखने के लिये राजा भोज की स्मृति में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया था। प्रदेश सरकार के नाम बदलने की इस कार्यवाही का प्रदेश विरोध कर रही थी। कार्यक्रम में कांग्रेस की उपस्थिति दिखाने की गरज से बताया जाता हैं कि मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह ने विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को आमन्त्रित किया और वे उस कार्यक्रम में शामिल भी हो गये। बताया जाता हैं कि इसे प्रदेश कांग्रेस ने गम्भीरता से लिया और मामले का आलाकमान तक पहुचाया था। शायद इसी सन्दर्भ के चलते नव नियुक्त नेता प्रतिपक्ष ने पिछले दिनों प्रदेश के हजारों कार्यकत्ताZओं की उपस्थिति में हरवंश सिंह को कठघरे में खड़ा करते हुये खुले आम यह कह दिया था कि प्रदेश में सरकार तो हम बना लेंगें बशर्ते ठाकुर साहब शिवराज को सपोर्ट करना बन्द कर दें। इन तमाम तथ्यों को देखते हुये यह कयासलगाये जा रहें हैं कि विस उपाध्यक्ष पद जाने के बाद हरवंश सिंह को क्या जवाबदारी मिलने वाली हैं। कभी मीडिया में छपता हैं कि प्रदेश कांग्रेस का मिोट कण्ट्रोल हरवंश सिंह के हाथ में होगा, तो कभी यह छपता हैं कि वे कार्यकारी अध्यक्ष या प्रभारी महामन्त्री बनेंगें तो कभी यह छपता हैं कि आला कमान प्रदेश के वरिष्ठ दस नेताओं की समन्वय समिति बनायेगी और उसमें हरवंश सिंह भी शामिल होगें। इन तमाम खबरों से यह अन्दाजा तो लगाया ही जा सकता हैं कि उन्हें क्या मिलेगार्षोर्षो यह तय नहीं हैं। सियासी हल्कों में यह भी चर्चा हैं कि हो सकता कि अब शेष कार्यकाल उन्हें सिर्फ इंका विधायक रह कर ही गुजारना पडे़।
भ्रष्टाचार में बह गया पुल देखते रहे हरवंश-विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने पिछले दिनों अपने विधानसभा क्षेत्र के उगली अंचल में कुछ कार्यक्रमों में सांसद बसोरी सिंह के साथ भाग लिया। इन कार्यक्रमों में एक बरगुल नाले पर बनने वाले पुल का शिलान्यास कार्यक्रम भी शामिल था। इस अवसर पर मौजूद लोगों को सम्बोधित करते हुये हरवंश सिंह ने कहा कि क्षेत्र की पूर्व भाजपा सांसद ने भी इस काम के लिये तेरह लाख रुपये सांसद निधि से मञ्जूर किये थे लेकिन वे भ्रष्टाचार और कमीशन बाजी की भेण्ट चढ़ गये और पुल पहली बरसात में ही बह गया। उनके इस भाषण से एक सवाल सहज ही पैदा हो जाता हैं कि यदि उनके विधानसभा क्षेत्र में विपक्षी पार्टी भाजपा की सांसद की सांसद निधि से भ्रष्टाचार और बन्दर बाण्ट हो रही थी तब वे चुप क्यों रहेंर्षोर्षो इसकी जांच कर दोषियों से राशि वसूल करने की मांग क्यों नहीं की थीर्षोर्षोक्या वे पुल के बहने और उसी पुल के लिये दूसरी बार राशि मञ्जूर करा कर अब किन्हीं अपने वालों को बन्दरबाण्ट करने का मौका देना चाह रहें हैंर्षोर्षो ना तो यह मुद्दा जांच के लिये उठाया गया और ना ही यह मुद्दा चुनाव में उठार्षोर्षो ऐसे में ही तो उन पर भाजपा नेताओं के साथ नूरा कुश्ती खेलने के आरोप जिले से अब तो भोपाल तक में लगने लगे हैं।
निराश हो रहे हैं लाल बत्ती के दावेदार- भाजपा के नेता जो निगम या मंड़ल के जरिये लाल बत्ती की आस लगाये दो साल से बैठे हैं वे अब निराश होने लगे हैं। भाजपा में फैलने वाले सम्भावित असन्तोष के डर से ना तो वे मन्त्री मंड़ल का विस्तार कर रहें हैं और ना ही निगम और मंड़लों में नियुक्ति ही कर रहें हैं। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा और शिवराज की अनबन के चलते आम सहमति नहीं बन पाने के कारण भी यह काम रुका पड़ा हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा हैं कि भाजपा आला कमान की मर्जी के बाबजूद भी उमा भारती के पार्टी प्रवेश में शिवराज द्वारा लगाये जा रहे अड़ंगे से आला कमान नाराज हैं और उन्हें इसीलिये हरी झंड़ी नहीं मिल रही हैं। बार बार मन्त्रीमंड़ल विस्तार एवं निगमों की नियुक्तियों को चर्चे होते हैं और फिर मामला लटक जाता हैं। इसे लोग ऐसा मान रहें हैं कि शिवराज सिंह की पकड़ ऊपर कमजोर हो गई हैं। इसीलिये हर बार किसी ना किसी बहाने इन नियुक्तियों को टाला जा रहा हैं। भाजपा में दावेदार माने जाने वाले नेता इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर कब तक और कैसे अपने समर्थकों को समझायें कि बस अब लाल बत्ती आने ही वाली हैं। उन्हें इस बात का डर भी सता रहा हैं कि बहुत ज्यादा विलम्ब होने से उनके समर्थक टूट कर दूसरे पाले में ना चलें जाये और फिर उनका दावा ही कमजोर हो जाये। अब देखना यह हैं कि कब ये दावेदार लालबत्तीधारी बन पाते हैं।
भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार रहने दे केन्द्रीय या प्रादेशिक ना बनाये मोर्चा -भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार होता हैं। वो केन्द्रीय या प्रादेशिक नहीं होता। लेकिन भाजपा ने यह विभाजन कर दिया हैं। भाजपा का युवा मोर्चा सम्भागीय मुख्यालयों पर केन्द्रीय भ्रष्टाचार के विरुद्ध मेराथन दौड़ का आयोञ्जन किया हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं को जागृत करना एक प्रशसनीय काम हैं जो कि मोर्चा कर रहा हैं। लेकिन यह निन्दनीय है कि वह केन्द्रीय और प्रादेशिक भ्रष्टाचार में फर्क करना युवाओं को सिखा रही हैं। इससे क्या ऐसा सन्देश युवाओं में नहीं जायेगा कि अपना करे तो शिष्टाचार और दूसरा करे तो भ्रष्टाचारर्षोर्षो इसलिये युवा मोर्चे को चाहिये कि वह या तो इसी मेराथन दौड़ में प्रादेशिक भ्रष्टाचार को भी जोड़ें या फिर इसके लिये अलग से कोई दौड़ आयोजित कर निष्पक्षता से भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगायें और युवाओं में जागृति लाने का काम करें।
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