संजय और भोजराज द्वारा श्रेय लेने के प्रयास को वीरेन्द्र ने थोथी वाहवाही बटोरने और प्रेस को गुमराह करने वाली कार्यवाही बताया
फोर लेन के लिये जनमंच का गठन किया गया था। यह एक गैर राजनैतिक या यू कहें कि सर्वदलीय मंच बनाया गया था। लेकिन इसके कर्त्ता धर्ता बने लोगों ने इस अपनी राजनीति करने का जब मंच बना लिया गया तो धीरे धीरे इससे लोग कटने लगे। इस मंच को कुछ स्वय भू नेताओं कुछ नेताओं की आलोचना करने का मंच बना लिया।फोर लेन के मुद्दे पर मिली सफलता को अपनी निजी सफलता मान लिया और इसके संयोजक संजय तिवारी ने नपा अध्यक्ष का चुनाव लड़कर इसे राजनैतिक रूप से भुनाने की कोशिश कर डाली। जिसका जनता जनार्दन ने मुंह तोड़ जवाब भी दिया। जनमंच के बचे खुचे कुछ नेताओं ने एक काम और शुरू कर दिया कहीं कुछ भी हो उस पर मेड बाय जनमंच की सील लगानी चालू कर दिया। जिले में मंड़ी चुनावों का पहला चरण समाप्त हो गया हैं। नाम वापसी के बाद इंका और भाजपा अध्यक्षों ने पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी हैं। मंड़ी चुनावों की शुरुआत से ही सियासी हलकों में यह सुगबुगाहट चल रही थी कि नूरा कुश्ती में पारंगत इंका और भाजपा नेता अपनी अपनी राजनैतिक सुविधा के अनुरूप आपस में मंड़ियों का बटवारा ना कर लें। केवलारी मंड़ी में हुये इस निर्विरोध निर्वाचन को राजनैतिक विश्लेषक इसी चश्में से देख रहें हैं। शासकीय वाहन में उल्टा तिरंगा झंड़ा लगने के समाचार बीत दिनों अखबारों की सुर्खियों में रहे। वाकया केवलारी विस क्षेत्र के छपारा में आयोजित जन सूचना अभियान मेले का हैं। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विस उपाध्यक्ष और क्षेत्रीय इंका विधायक ठाकुर हरवंश सिंह थे।
जनमंची नेता श्रेय बटोरने के आरोप के घेरे में-फोर लेन के लिये जनमंच का गठन किया गया था। यह एक गैर राजनैतिक या यू कहें कि सर्वदलीय मंच बनाया गया था। लेकिन इसके कर्त्ता धर्ता बने लोगों ने इस अपनी राजनीति करने का जब मंच बना लिया गया तो धीरे धीरे इससे लोग कटने लगे। इस मंच को कुछ स्वय भू नेताओं कुछ नेताओं की आलोचना करने का मंच बना लिया। इस जनमंच को फोर लेन के मुद्दे पर मिली सफलता को अपनी निजी सफलता मान लिया और इसके संयोजक संजय तिवारी ने नपा अध्यक्ष का चुनाव लड़कर इसे राजनैतिक रूप से भुनाने की कोशिश कर डाली। जिसका जनता जनार्दन ने मुंह तोड़ जवाब भी दिया। जनमंच के बचे खुचे कुछ नेताओं ने एक काम और शुरू कर दिया कहीं कुछ भी हो उस पर मेड बाय जनमंच की सील लगानी चालू कर दिया। सड़क पर होने वाले प्रर्दशनों में मना बुझा कर सबको बुलाना और फिर कोई श्रेय लेने की बात हो तो सबको दर किनार कर एक पर एक दो लोगों द्वारा उसे बटोरना इन नेताओं की आदत सी बन गयी थी। ऐसा ही एक वाकया पिछले दिनों हुआ। सिवनी बाय पास से खवासा तक की फोर लेन बनाने वाली सदभाव कंपनी के खिलाफ इतने साल बाद हुये 12 करोड़ 94 लाख रु. के जुर्माने के बाद जनमंच के संजय तिवारी और भोजराज मदने ने हॉटल बाहुबली में एक प्रेस कांफ्रेस लेकर इसे खुद की जीत बताया और अखबारों में सुर्खियां बटोरी थीं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है किसदभाव कंपनी ने सन 2008 से अपना काम चालू किया था और यह अवैध उत्खनन का काम उसी दौरान किया गया था। यहो यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इसी दौरान जनमंच और उसका आंदोलन भी पूरे शवाब में था तब जनमंच की कमान संभाहने वाले इन्हीं नेताओं ने सदभाव कंपनी की इस काली करतूत की अनदेखी क्यों की थी? यह सवाल आज जनता के बीच उठाया जा रहा हैं। जनमंच की इस पत्रकार वार्ता के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र सोनकेशरिया ने बाकायदा एक प्रेस नोट जारी करके इस बात का खुलासा किया कि उनने जनवरी 2011 में हाई कोर्ट में सदभाव की इस काली करतूत के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी और माननीय न्यायालय के आदेश पर जिला कलेक्टर ने एक जांच समिति गठित की थी जिसकी अनुशंसा पर खनिज विभाग द्वारा सदभाव कंपनी पर 12 करोड़ 94 लाख रु. का जुर्माना किया गया जिसके लिये वसूली अधिकारी एस.डी.एम. सिवनी को बनाया गया था। लेकिन उन्होंने पूरी गुण दोष के आधार पर पूरी सुनवायी करके जुर्माने को ही शून्य घाषित कर दिया था। इसकी पुनः शिकायत करने की बात का खुलासा करते हुये सोनकेशरिया ने बताया कि इसके बाद एक बार फिर कंपनी पर जुर्माने के आदेश हुये। इस आदेश के बाद जनमंच के संजय तिवारी और भोजराज मदने द्वारा पत्रकार वार्ता लेकर श्रेय लेने की कार्यवाही को एडवोकेट सोनकेशरिया ने थोथी वाहवाही बटोरने और प्रेस को गुमराह करने वाली कार्यवाही बताया हैं। वीरेन्द्र ने यह भी उल्लेख किया है कि 2009 में सिर्फ फोरलेन के लिये जनमंच का गठन किया गया था लेकिन अब ऐसा लगता है कि जनमंच अब बाधाओं को दूर करने के बजाय थोथी वाहवाही लूटने की जुगत में लगा रहता हैं। इस तरह के कारनामे देखकर जिले की उस जनता को घोर निराश हाथ लगी है जिसने जनमंच के फोर लेन के आंदोलन में गैर राजनैतिक मंच समझकर उसे अपना समर्थन दिया था वरना जिले के भाजपायी और इंकाई जन प्रतिनिधियों का आपसी सौदेबाजी से तो वो वैसे ही निराश हो चुकी थी।
मंड़ी चुनाव में जोड़ तोड़ शुरू-जिले में मंड़ी चुनावों का पहला चरण समाप्त हो गया हैं। नाम वापसी के बाद इंका और भाजपा अध्यक्षों ने पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी हैं। भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने अपना चुनाव अभियान भी चालू कर दिया हैं। कांग्रेस की ओर से ऐसी कोई पहल अभी तक दिखी नहीं हैं। इंका विधायक हरवंश सिंह के निर्वाचन क्षेत्र केवलारी मंड़ी में दो कृषक वार्डों से निर्विरोध निर्वाचन के समाचार अखबारों की सुर्खी भी बने हैं। इनमें एक वार्ड से भाजपा तथा दूसरे वार्ड से इंका के कद्दावर नेता भोयाराम चौधरी निर्वाचित हो गये हैं। अखबारों में यह भी उल्लेख किया गया है कि भोयाराम केवलारी जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष रहें हैं और उपाध्यक्ष रहते हुये ही उन्होंने 1198 में बरघाट विस क्षेत्र से पहले बागी होकर और फिर 2003 में इंका प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। मंड़ी चुनावों की शुरुआत से ही सियासी हलकों में यह सुगबुगाहट चल रही थी कि नूरा कुश्ती में पारंगत इंका और भाजपा नेता अपनी अपनी राजनैतिक सुविधा के अनुरूप आपस में मंड़ियों का बटवारा ना कर लें। केवलारी मंड़ी में हुये इस निर्विरोध निर्वाचन को राजनैतिक विश्लेषक इसी चश्में से देख रहें हैं। अब कौतूहल इसबात को लेकर मचा हुआ हैं कि महाराष्ट्र सीमा वाली महत्वपूर्ण सिवनी मंड़ी के मामले में नूरा कुश्ती विशेषज्ञ कैसा बंटवारा करते हैं? यह किसी एक खाते में पूरी पूरी जायेगी या फिर इसका आधा आधा बटवारा हो जायेगा। जिले की शेंष मंड़ियों में देसरा महत्वपूर्ण स्थान राजनैतिक रूप से केवलारी मंड़ी का हैं क्योंकि वह हरवंश सिंह के क्षेत्र में आती हैं। इस पर कांग्रेस का कब्जा होना बति आवयक माना जा रहा हैं। वैसे पहले तो सिवनी और केवलारी दोनों ही प्रमुख मंड़ियों पर कांग्रेस का ही कब्जा था लेकिन अब आने वाले चुनाव परिणामों पर सभी निगाहें इस लिये भी लगी हुयीं है क्योंकि नरेश दिवाकर द्वारा जिला भाजपा अध्यक्ष का दायित्व संभाहलने के बाद जिले में यह पहला चुनाव हैं।
विस उपाध्यक्ष की गाड़ी में उल्टा झंड़ा चर्चित?-शासकीय वाहन में उल्टा तिरंगा झंड़ा लगने के समाचार बीत दिनों अखबारों की सुर्खियों में रहे। वाकया केवलारी विस क्षेत्र के छपारा में आयोजित जन सूचना अभियान मेले का हैं। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विस उपाध्यक्ष और क्षेत्रीय इंका विधायक ठाकुर हरवंश सिंह थे। वाहन पर सवार होकर हरवंश सिंह समारोह स्थल तक पहुच गये लेकिन तब तक किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया कि गाड़ी में उल्टा राष्ट्र ध्वज फहरा रहा हैं। जब लोगों में इसकी चर्चा हुयी तो तो इसे सीधा किया गया। इस बाबद जब विस उपाध्यक्ष से प्रेस ने पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें सिवनी से प्रशासन ने गाड़ी उपलब्ध करायी थी और शायद ड्रायवर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया होगा। लिा भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने कहा कि राष्ट्र ध्वज का अपमान करने वाले के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये। उन्होंने यह कहने में संकोच बरता कि राष्ट्र ध्वज का अपमान किसने किया। भाजपा ने इस मामले में पुलिस रिपोर्ट कराने से भी परहेज किया। प्रशासन शायद ही अपनी ओर से इस मामले में कोई पहल करें क्योंकि गाड़ी झंड़े सहित उसी के द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी। ऐसा लगता है कि जिले में हुये राष्ट्र ध्वज के अपमान का यह गंभीर मामला सिर्फ अखबारों में ही सिमट कर रह जायेगा। “मुसाफिर“