भाजपा के सदस्यता अभियान के लिये केवलारी में नरेश दिवाकर और सिवनी में वेदसिंह को प्रभारी बनाना चर्चित
भाजपा का यह सदस्यता अभियान इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि अभी जो सदस्य बनेंगें वे ही लोकसभा और विधानसभा के चुनावों की रणभूमि में रणबांकुरे रहेंगें। संभागीय संगठन मंत्री की उपस्थिति में हुयी एक बैठक में जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन ने जिले के चारों विस क्षेत्रों के लिये प्रभारी नियुक्त किये हैं। जिनमें लखनादौन में सुदामा गुप्ता,बरघाट में गोमती ठाकुर,सिवनी में वेद सिंह और केवलारी क्षेत्र में नरेश दिवाकर को प्रभारी बनाया गया हैं। केवलारी और सिवनी विस क्षेत्र के प्रभारियों की नुयुक्ति कुछ अलग ही राजनैतिक संकेत दे री हैं।हरवंश नरेश बिसेन त्रिकोण के तीनों कोणों को राजनीति का क ख ग जानने वाला भी बखूबी जानता हैं। पिछले एक दशक से नूरा कुश्ती के किस्से भाजपा और कांग्रेस में चलते रहें हैं जो आज भी जारी हैं। पूर्व घंसौर विस क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस विधायक टक्कनसिंह मरकाम का विगत दिनों स्वर्गवास हो गया। लेकिन सहकारिता और राजनैतिक क्षेत्रों में जिस गुमनामी में उनका अंतिम संस्कार हो गया उसके चर्चे अवश्य हो रहें है। सिवनी और बालाघाट के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की बालाघाट संसदीय क्षेत्र में बढ़ रहींे राजनैतिक गतिविधियां सियासी हल्कों में चर्चित हैं। लंबे समय से केवलारी के भाजपायी आपने पालनहार गौरी भाऊ के दर्शन के लिये भी तरस गये हैं। भाजपायी क्षेत्रों यह चर्चा जोरों पर हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो केवलारी के भाजपा के पालनहार ना केवल कहीं गुम हो गयें हैं वरन उनके कोई बयान भी इन दिनों सुर्खियों में नहीं हैं।
भाजपा के सदस्यता प्रभारियों की नियुक्ति हुयी चर्चित-भाजपा का सदस्यता अभियान प्रारंभ हो चुका हैं। आलाकमान के निर्देशानुसार इस बार बीस प्रतिशत नये सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया हैं।यह सदस्यता अभियान इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि अभी जो सदस्य बनेंगें वे ही लोकसभा और विधानसभा के चुनावों की रणभूमि में रणबांकुरे रहेंगें। संभागीय संगठन मंत्री की उपस्थिति में हुयी एक बैठक में जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन ने जिले के चारों विस क्षेत्रों के लिये प्रभारी नियुक्त किये हैं। जिनमें लखनादौन में सुदामा गुप्ता,बरघाट में गोमती ठाकुर,सिवनी में वेद सिंह और केवलारी क्षेत्र में नरेश दिवाकर को प्रभारी बनाया गया हैं। राजनैतिक क्षेत्रों में विशेषकर भाजपा में ही इस बात लेकर चर्चाओं के दौर प्रारंभ हो गये हैं कि ये नियुक्तियां क्या किसी नये चुनावी समीकरण की शुरुआत तो नहीं हैं। एक तरफ जहां बरघाट और लखनादौन, जो कि दोनों आदिवासी क्षेत्र है, में स्थानीय नेताओं को ही प्रभारी बनाया गया हैं लेकिन केवलारी और सिवनी विस क्षेत्र के प्रभारियों की नुयुक्ति कुछ अलग ही राजनैतिक संकेत दे री हैं। सिवनी क्षेत्र से दो बार विधायक रहे नरेश दिवाकर की पिछले चुनाव में टिकिट कट गयी थी लेकिन वे आज मविप्रा के कबीना मंत्री का दर्जा प्राप्त अध्यक्ष हैं। उन्हें सिवनी के बजाय केवलारी का प्रभारी बनाया गया हैं जबकि केवलारी से 2003 का विस चुनाव लड़ चुके भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर को सिवनी का प्रभार दिया गया हैं। वैसे तो सिवनी से भाजपा की नीता पटेरिया विधायक हैं लेकिन भाजपा में सिवनी की टिकिट को लेकर कुछ इस तरह से मारामारी चल रही हैं मानो वहां से कांग्रेस का विधायक हो। केवलारी विस क्षेत्र से कांग्रेस के हरवंश सिंह विधायक हैं जहां का सदस्यता प्रभारी नरेश जी को बनाया गया हैं। यहां यह विशेषरूप से उल्लेखनीय है कि पिछला विधानसभा चुनाव केवलारी से डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन ने लड़ा था जो कि आज प्रदेश के वित्त आयोग के लालबत्तीधारी अध्यक्ष हैं। हरवंश नरेश बिसेन त्रिकोण के तीनों कोणों को राजनीति का क ख ग जानने वाला भी बखूबी जानता हैं। पिछले एक दशक से नूरा कुश्ती के किस्से भाजपा और कांग्रेस में चलते रहें हैं जो आज भी जारी हैं। जिला भाजपा अध्यक्ष द्वारा सदस्यता अभियान का केवलारी और सिवनी का प्रभार वरिष्ठों को सम्मान देने वाला हैं या फिर इसके पीछे कुछ राजनैतिक मंसूबे फल फूल रहें हैं?इसका इसके बारे में अभी से सियासी हल्कों में पोस्टमार्टम शुरू हो गया हैं। क्योंकि आदिवासी विधायकों शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले के क्षेत्रों को प्रभार ऐसे किसी वरिष्ठ भाजपा नेता को नहीं सौंपा गया हैं।
मरकाम के निधन पर सहाकारिता एवं राजनैतिक क्षेत्र में की गयी उपेक्षा चर्चित-पूर्व घंसौर विस क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस विधायक टक्कनसिंह मरकाम का विगत दिनों स्वर्गवास हो गया। लेकिन सहकारिता और राजनैतिक क्षेत्रों में जिस गुमनामी में उनका अंतिम संस्कार हो गया उसके चर्चे अवश्य हो रहें है। स्व. मरकाम जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष सहित सहकारी बैंक के अध्यक्ष और अपेक्स बैंक के उपाध्यक्ष भी रहे है। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गये थे। लेकिन उनके दुखद निधन पर ना तो जिला भाजपा ने,ना जिला कांग्रेस ने और ना ही सहकारी बैंक ने उन्हें श्रृद्धांजली देना जरूरी समझा। हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह,विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह और म.प्र.वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन की विज्ञप्तियां जरूर प्रकाशित हुयीं हैं। एक कद्दावर आकिदवासी नेता के निधन पर की गयी ये उपेक्षा बहुत से सवाल छोड़ जाती हैं।
बालाघाट लोस क्षेत्र में प्रहलाद की सक्रियता बनी चर्चा का केन्द्र-सिवनी और बालाघाट के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की बालाघाट संसदीय क्षेत्र में बढ़ रहींे राजनैतिक गतिविधियां सियासी हल्कों में चर्चित हैं। उल्लेखनीय है कि परिसीमन में सिवनी संसदीय क्षेत्र समाप्त हो जाने के बाद सिवनी लोस क्षेत्र के सिवनी एवं बरघाट विस क्षेत्र बालाघाट लास में शामिल कर दिये गयेहैं। इसके अलावा 6 विस क्षेत्र बालाघाट जिले के हैं। हाल ही में हुये लखनादौन नगर पंचायत के चुनाव में भी प्रहलाद पटेल आये थे और हाल ही में उन्होंने बालाघाट जिले में कार्यक्रम आयोजित किया था जिसे मीडिया ने उनके शक्ति प्रर्दशन के रूप में देखा हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि इस क्षेत्र के सांसद के.डी. देशमुख विस चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं और नगरपालिका चुनाव के दौरान वारासिवनी आये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने भी कांग्रेस के गढ़ वारासिवनी को ढहाने के लिये के.डी. भाऊ को हरी झंड़ी सी दिखा दी हैं। ऐऐ हालात में भाजपा का एक वर्ग विशेष कर पटेल समर्थकों का मानना हैं बालाघाट लोस से प्रहलाद पटेल भी एक सशक्त दावेदार हो सकते हैं।
बालाघाट लोस क्षेत्र में प्रहलाद की सक्रियता बनी चर्चा का केन्द्र-बड़ी उम्मीदों के साथ प्रदेश भाजपा ने केवलारी विस क्षेत्र का प्रभारी सरकार के वरिष्ठ मंत्री गौरीशंकर बिसेन को बनाया था। इसके पहले राज्य सरकार के मंत्री जयसिंह मरावी प्रभारी थे। लेकिन कांग्रेस के दिग्गजों को हराने की मुख्यमंत्री की सार्वजनिक रूप से घोषित रणनीति के तहत प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने बिसेन को प्रभारी बनाया था। अपने बयानों और कार्यशैली के लिये हमेशा चर्चाओं में रहने वाले गौरी भाऊ ने अपनी धमाकेदार आमद भी केवलारी में दी थी। इसी बीच रानजैतिक समीकरणों में बदलाव हुआ और केवलारी क्षेत्र से भाजपा की टिकिट पर चुनाव लड़ चुके डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को कबीना मंत्री के दर्जेे के साथ प्रदेश के वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। अब लंबे समय से केवलारी के भाजपायी आपने पालनहार गौरी भाऊ के दर्शन के लिये भी तरस गये हैं। भाजपायी क्षेत्रों यह चर्चा जोरों पर हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो केवलारी के भाजपा के पालनहार ना केवल कहीं गुम हो गयें हैं वरन उनके कोई बयान भी इन दिनों सुर्खियों में नहीं हैं। वैसे तो जब गौरी भाऊ प्रभारी बनाये गये थे तभी से यह चर्चा थी कि नाटकीय शैली में राजनीति करने वाले क्षेत्रीय इंका विधायक हरवंश सिंह और गौरी शंकर बिसेन में से आखिर कौन किसको मात देगा? या कब नूरा कुश्ती चाले हो जावेगी? अब गौरी भाऊ केवलारी क्यों नहीं आ रहे हैं? इसका खुलासा तो वो ही कर सकतें हैं। “मुसाफिर“
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बोले से साभार