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Monday, July 23, 2012


आमानाला कांड़ में हरवंश के खिलाफ हत्या का प्रयास करने का मामला दर्ज कराने वाली नीता पटेरिया अब चुप क्यों है ?
पेश नहीं हुआ चालान
हरवंश पहुंचे हाई कोर्ट 
सिवनी। आमानाला कांड़ में इंका विधायक हरवंश सिंह के खिलाफ धारा 307 का प्रकरण दर्ज करवाने वाली भाजपा विधायक नीता पटेरिया की लंबी चुप्पी सियासी हल्कों में चर्चित हैं। प्रकरण का चालान अभी तक पुलिस ने कोर्ट में पेश नहीं किया हैं। इंका विधायक हरवंश सिंह भी हाई कोर्ट गयें हैं कि उनके खिलाफ धारा 307 का मामला नहीं बनता हैं। 
उल्लेखनीय हैं कि लगभग छः साल पहले आमानाला लघु सिंचायी परियोजना के लोकार्पण के मामले में तत्कालीन भाजपा सांद नीता पटेरिया और तत्कालीन क्षेत्रीय इंका विधायक हरवंश सिंह आमने सामने हो गये थे। कुछ हल्के फल्के वाद विवाद के बाद भाजपा सांसद नीता पटेरिया की ना केवल गाड़ी क्षति ग्रस्त हो गयी थी वरन उसी गाड़ी में उनका पुत्र भी बैठा हुआ था। सांसद पटेरिया ने आरोप लगाया था कि इंका विधायक हरवंश सिंह और उनके समर्थकों ने जान से मारने का प्रयास किया हैं। थाने में मामला दर्ज कराने के लिये जिले के तमाम भाजपा नेताओं ने थाने में धरना भी दिया था। उसके बाद जिले के बंड़ोल थाने में  इंका विधायक हरवंश सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ धारा 307 सहित अन्य गंभीर धाराओं में प्रकरण भी पंजीबद्ध हो गया था। 
इंका विधायक हरवंश सिंह ने अपने खिलाफ पंजीबद्ध किये गये मामले को राजनैतिक बताते हुये एक न्याय रैली का आयोजन किया था। इस न्याय रैली में जिले सहित जबलपुर संभाग के हजारों कार्यकर्त्ताओं ने भाग लिया था। जिले की एंतिहासिक रैलियों में इस न्याय रैली को भी गिना जाता हैं।
मामला दर्ज होने के बाद हरवंश सिह सहित सभी आरोपियों को चालान पेश होते तक के लिये अग्रिम जमानत भी मिल गयी थी। लंबे समय तक चालान पेश ना होने के कारण इंका विधायक हरवंश सिंह उच्च न्यायालय की शरण में चले गये तथा यह गुहार लगायी कि उनके खिलाफ धारा 307 का मामला नहीं बनता हैं अतः उन्हें आरोप मुक्त किया जाये। यह मामला भी अभी हाई कोर्ट में लंबित हैं।
आज नीता पटेरिया सिवनी विस क्षेत्र की भाजपा विधायक हैं तथा प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष हैं। जबकि इंका विधायक हरवंश सिंह प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष है। परिसीमन के बाद इस कांड का घटना स्थल अब केवलारी के बजाय सिवनी विस क्षेत्र का हिस्सा बन गया हैं।
प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं और पुलिस लगभग छः साल बाद भी कोर्ट में इस प्रकरण का चालान नहीं पेश कर पायी हैं। ऐसे में यह सवाल सियासी हल्कों में खासा चर्चित हैं कि भाजपा विधायक नीता पटेरिया इस मामले अब तक चुप्पी क्यों साधे हुयीं हैं? क्या उनके द्वारा उस समय बनवाया गया प्रकरण फर्जी था? या अब किन्हीं राजनैतिक समीकरणों के चलते मामला लटका हुआ है? या मुख्यमंत्री के डंपर कांड़ से इस मामले के तार जुड़े हुये? ये तमाम ऐसे सवाल हैं जो कि राजनैतिक क्षेत्रों में तैर रहें हैं।         

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