www.hamarivani.com

Tuesday, July 30, 2013

चुनावी साल में  वृक्षारोपण के शासकीय कार्यक्रम में  किसी शाही पर्यावरण मित्र  का अतिथि बनना सियासी हल्कों में  हुआ चर्चित
जिला मुख्यालय के पांच बार से जीतने वाले सिवनी विस क्षेत्र में इस बार एक नयी पहल प्रारंभ हुयी है। अपने आप को भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्त्ता बताने वाले कई नेता बैठकों का दौर कर रहें हैं कि इस बार पार्टी का उम्मीदवार किसी भी ब्राम्हण या बनिये को नहीं बनाना चाहिये। कांग्रेस में भी नजारा  कुछ अलग नहीं है। सिवनी विस क्षेत्र के 38 में से 22 और बरघाट विस क्षेत्र से 19 में से 18 टिकटार्थी लामबंद हो गये हैं।  सिवनी में ये सभी टिकटार्थी स्वयं को ग्रामीण परिवेश का बता रहें हैं और उनका कहना है कि पार्टी पांच बार से यहां से चुनाव हार रही है और पांचों बार शहरी क्षेत्र के उम्मीदवारों को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था।  लेकिन कोई भी चुनाव जीत नहीं पाया।बरघाट के टिकटाथियों का कहना है कि पार्टी के खिलाफ दो बार चुनाव लड़ चुके अर्जुन काकोड़िया को प्रत्याशी नहीं बनाया जाना चाहिये। चुनावी साल में वृक्षारोपण के किसी शासकीय कार्यक्रम में कोई शाही पर्यावरण मित्र अतिथि बने और सियासी हल्कों में कोई चर्चा ना हो ये भला कैसे हो सकता है? ऐसा ही कुछ बीते दिनों इस जिले में हुआ है। अब देखना यह है कि ये सूबे के शहंशाह के नजदीकी शाही पर्यावरण मित्र चुनावी साल में अपनी आमद से कांग्रेस या भाजपा में से किस पार्टी का राजनैतिक प्रदूषण समाप्त करेंगें।
भाजपा में खुला ब्राम्हण बनिया विरोधी मोर्चा-आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा में भी गतिविधियां तेज हो गयीं है। जिला मुख्यालय के पांच बार से जीतने वाले सिवनी विस क्षेत्र में इस बार एक नयी पहल प्रारंभ हुयी है। अपने आप को भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्त्ता बताने वाले कई नेता बैठकों का दौर कर रहें हैं कि इस बार पार्टी का उम्मीदवार किसी भी ब्राम्हण या बनिये को नहीं बनाना चाहिये। इन नेताओं का यह कहना है कि भाजपा में पार्टी के जिला अध्यक्ष एवं सिवनी विस क्षेत्र के अधिकांश उम्मीदवार अभी तक इन दो वर्गों से ही रहे है। भाजपा के इस धड़े का यह भी कहना है कि स्व. पं. महेश शुक्ला,प्रमोद कुमार जैन कंवर साहब,स्व. चक्रेश जैन,सुदर्शन बाझल,सुजीत जैन और अब नरेश दिवाकर पार्टी के जिलाध्यक्ष है। पार्टी में अब तक सिर्फ दो बार वेदसिंह ठाकुर,कीरत सिंह बघेल और डॉ. ढ.ालसिंह बिसेन ही अन्य ऐसे नेता है जिन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह सिवनी विस क्षेत्र से 85 में प्रमोद कुमार जैन,90 और 93 में स्व0 महेश शुक्ला, 98 और 2003 में नरेश दिवाकर और 2008 में नीता पटेरिया को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया और जनता ने पांच बार यह सीट भाजपा की झोली में डाली है। भाजपा के इन नेताओं का यह कहना है कि इन कारणों से जनता में यह संदेश जा रहा है कि भाजपा ब्राम्हणों और बनियों की पार्टी बन कर रह गयी है। इससे पार्टी के अन्य कार्यकर्त्ताओं में अब उपेक्षा की भावना घर करने लगी है। इसलिये इस बार पार्टी को सिवनी से किसी अन्य वर्ग के नेता को पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिये। चुनाव के पहले भाजपा में उठ रही यह असंतोष की लपटें कितना नुकसान पहुंचाने वाली साबित होंगी? यह कहा जाना अभी संभव नहीं हैं। 
सिवनी और बरघाट में भी कांग्रेस के टिकटार्थी हुये लामबंद-कांग्रेस में भी नजारा कुछ अलग नहीं है। सिवनी विस क्षेत्र के 38 में से 22 और बरघाट विस क्षेत्र से 19 में से 18 टिकटार्थी लामबंद हो गये हैं। सिवनी में ये सभी टिकटार्थी स्वयं को ग्रामीण परिवेश का बता रहें हैं और उनका कहना है कि पार्टी पांच बार से यहां से चुनाव हार रही है और पांचों बार शहरी क्षेत्र के उम्मीदवारों को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने 90 में स्व. ठा. हरवंश सिंह, 93 और 98 में आशुतोष वर्मा, 2003 में राजकुमार पप्पू खुराना और 2008 में प्रसन्न मालू को उम्मीदवार बनाया था और कोई भी जीत नहीं पाया था इसलिये इस बार ग्रामीण क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया जाये। इसी तरह बरघाट विस क्षेत्र में भी कांग्रस पांच बार से चुनाव हार रहीं है। लेकिन परिसीमन के बाद पिछले चुनाव से जिले की यह सीट आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित हो गयी है। लेकिन इस सीट से भी कांग्रेस की टिकिट के लिये 19 नेताओं ने आवेदन दिया है। इनमें से अर्जुन काकोड़िया को छोड़कर शेष 18  टिकटार्थी लामबंद हो गये हैं कि उनके अलावा 19 में से किसी को भी पार्टी टिकिट दे क्योंकि वे पार्टी के खिलाफ दो बार इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। 
केवलारी क्षेत्र में शाही पर्यावरण मित्र की आमद हुयी चर्चित-हर साल बारिश आती है। बारिश में हर साल वृक्षारोपण होता है। हर शासकीय या अशासकीय वृक्षारोपण के कार्यक्रम में कोई ना कोई अतिथि पर्यावरण मित्र भी होता है। लेकिन जब चुनावी साल में वृक्षारोपण के किसी शासकीय कार्यक्रम में कोई शाही पर्यावरण मित्र अतिथि बने और सियासी हल्कों में कोई चर्चा ना हो ये भला कैसे हो सकता है? ऐसा ही कुछ बीते दिनों इस जिले में हुआ है। जी हां हम बात कर रहें है छपारा के एक शासकीय कार्यक्रम में उपस्थित हुये एक शाही पर्यावरण मित्र की उपस्थिति की जो कि अखबारों की सुर्खी बना था। केवलारी विस क्षेत्र के छपारा कस्बे में आयोजित एक शासकीय वृक्षारोपण कार्यक्रम में  चुनावी मौसम में अचानक ही प्रगट हुये एक शाही पर्यावरण मित्र अपने आप को सूबे के शहंशाह के किचिन केबिनेट के खास मेम्बर का रिश्तेदार बता रहें हैं। केवलारी विधानसभा क्षेत्र में सूबे के शहंशाह से नजदीकी बता कर आमद देने वाले पर्यावरण मित्र किस पार्टी का राजनैतिक प्रदूषण दूर करेंगें और किसमें प्रदूषण फैलायेंगें? इसे लेकर क्षेत्र के सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें होने लगीं हैं। वैसे भी जिले का केवलारी विस क्षेत्र कांग्रेस का एक ऐसा मजबूत गढ़ है जहां से कांग्रेस सिर्फ दो चुनाव,1962 और 1990 में,ही हारी है। अन्यथा 1967 से 1985 तक के पांच विस चुनाव कांग्रेस की कु. विमला वर्मा और 1993 से 2008 तक के चार विस चुनाव कांग्रेस के स्व. हरवंश सिंह चुनाव जीते है। आगामी विस चुनाव में स्व. हरवंश सिंह के ज्येष्ठ पुत्र रजनीश सिंह कांग्रेस के प्रबल दावेदार है। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सूबे के शहंशाह स्व. हरवंश सिंह को एक शासकीय समारोह के सार्वजनिक मंच से स्व. हरवंश सिंह को एक शानदार और जानदार राजनेता बता चुके हैं। अब देखना यह है कि ये सूबे के शहंशाह के नजदीकी शाही पर्यावरण मित्र चुनावी साल में अपनी आमद से कांग्रेस या भाजपा में से किस पार्टी का राजनैतिक प्रदूषण समाप्त करेंगें।
और अंत में -जिले के राजनैतिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहा केवलारी विस क्षेत्र इस बार भी महत्वपूर्ण ही रहेगा। यहां से इस बार कांग्रेस के विधायक रहे स्व0 हरवंश सिंह के ज्येष्ठ पुत्र रजनीश सिंह टिकटि के प्रबल दावेदार हैं। इनके अलावा क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष डॉ. वसंत तिवारी,जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष शक्ति सिंह,ब्लाक इंका के पूर्व अध्यक्ष दिलीप दुबे, जिला इंका के उपाध्यक्ष जकी अनवर और क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं प्रदेश प्रतिनिधि मो. शफीक पटेल के पुत्र अतीक पटेल ने भी टिकिट की दावेदारी की हैं। हालांकि कांग्रेस में किसी भी विस क्षेत्र टिकिट मांगने वालों की यह संख्या सबसे कम हैं लेकिन सियासी हल्कों में यह इसलिये चर्चित हैं कि 20 साल में पहली बार इस क्षेत्र से टिकिट की मांग अन्य नेताओं ने भी की हैं। क्षेत्री विधायक रहे स्व. हरवंश सिंह के निधन के चंद महीनों बाद ही उनके गृह क्षेत्र में नेताओं की आवाज मुखर होना महत्वपूर्ण माना जा रहा हैंमु।”साफिर”
सा. दर्पण झूठ ना बोले
30 जुलाई 13

No comments:

Post a Comment