अत्यंत घिनौने कृत्य के आरोप में स्तीफा देने वाले वित्त मंत्री राघवजी का पुतला जलाया कांग्रेसियों ने
बीते दिनों जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक बरघाट में सम्पन्न हुयी। इस बैठक में राहुल गांधी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक पल्लब लोचनदास भी उपस्थित थे। राहुल गांधी के भोपाल प्रवास के दौरान ब्लाक और जिला संगठन के पदाधिकारियों द्वारा कोई अधिकार नहीं होने की शिकायत की थी। कांग्रेस आला कमान द्वारा प्रत्याशी चयन जैसे महत्वपूर्ण को में ब्लाक और जिला कांग्रेस कमेटियों को यह अधिकार दिया गया था। लेकिन एक दूसरे से बुराई ना होने के चक्कर में संगठन ने ऐसा करना मुनासिब नहीं समझा। इन दिनों प्रदेश का राजनैतिक तापमान एकदम से बढ़ गया हैं। इसकी तपिश ने प्रदेश के 80 वर्षीय बुजुर्ग वित्त मंत्री राघवजी की बलि ले ली हैं। राजधानी के हबीबगंज थाने में उनके एक नौकर रामकुमार दांगी ने उन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाते हुये शपथ पत्र दिया। इसके बाद पटेरिया,ताजकुमार के पिता और उसके भाई के बयान आदि केस को कमजोर करने वाले साबित होंगें। नपा उपाध्यक्ष राजिक अकील के साथ अन्य युवा कांग्रेसियों ने भी राघवजी का पुतला जलाया।गौगपा के रोको,टोको और ठोंको अभ्यिान का पहला शिकार मुनमुन राय हो गये हैं। सिवनी विस क्षेत्र के एक गांव से उन्हें गौगपा के कार्यकर्त्ताओं ने गांव में घुसने नहीं दिया और बेरंग वापस जाने के लिये मजबूर कर दिया। यह समाचार अखबारों में सुर्खियों में इसलिये आ गया क्योंकि पिछले विस चुनाव में मुनमुन ने लगभग 30 हजार वोट लेकर कांग्रेस को तीसरे नंबंर पर ढ़केल दिया था।
जिला कांग्रेस ने अलाकमान को किया अधिकृत-बीते दिनों जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक बरघाट में सम्पन्न हुयी। इस बैठक में राहुल गांधी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक पल्लब लोचनदास भी उपस्थित थे। यह बैठक आगामी विधानसभा चुनाव के लिये कि जिले के चारों विस क्षेत्रों के लिये कांग्रेस के प्रत्याशियों के चयन के लिये रखी गयी थी। बताया जा रहा था कि इस बैठक में हर विस क्षेत्र से तीन तीन उम्मीदवारों का पैनल बनाना था। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी के भोपाल प्रवास के दौरान ब्लाक और जिला संगठन के पदाधिकारियों द्वारा कोई अधिकार नहीं होने की शिकायत की थी। बताया जा रहा है कि इसी को ध्यान में रखते हुये कांग्रेस आला कमान द्वारा प्रत्याशी चयन जैसे महत्वपूर्ण को में ब्लाक और जिला कांग्रेस कमेटियों को यह अधिकार दिया गया था। लेकिन एक दूसरे से बुराई ना होने के चक्कर में संगठन ने ऐसा करना मुनासिब नहीं समझा। जिला कांग्रेस कमेटी की इस बैठक मे सख्ती के साथ इस बात का ध्यान रखा गया था कि जिले के पदाधिकारियों के अलावा अन्य नेता बैठक में शामिल ना हों। इसीलिये सिवनी नगर कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संतोष उर्फ नान्हू पंजवानी से जिला इंका अध्यक्ष हीरा आसवानी ने अधिकृत नेताओं के नामों की सूची को पढ़वाया। बैठक में सिवनी के पूर्व प्रत्याशी राजकुमार पप्पू खुराना और प्रसन्न मालू भी शामिल हो गये थे लेकिन पर्यवेक्षक द्वारा उन्हें बाद में मिलकर अपनी बात रखने को कहा और वे बैठक से बाहर चले गये। वैसे जिला इंकाध्यक्ष ने जिले के सभी पूर्व प्रत्याशियों को बरघाट आमंत्रित किया था और कहा था कि बैठक के बाद पर्यवेक्षक आपसे चर्चा करेंगें। कांग्रेसी हल्कों में चर्चा है कि जब दो पूर्व प्रत्याशियों को बैठक में शामिल नहीं होने दिया गया तो फिर एक दर्जन से अधिक जिला कांग्रेस के महामंत्री होने के बाद भी पदाधिकारियों की सूची नगर कांग्रेस के महामंत्री से क्यों पढ़वायी गयी जबकि वे इस बैठक में शामिल होने की पात्रता भी नहीं रखते थे। राहुल गांधी और आला कमान के निर्देश और गाइड लाइन भले ही पूरे प्रदेश के लिये लागू हो लेकिन जिले में इसको धता बताने में किसी को संकोच नहीं हुआ। इतनी महत्वपूर्ण बतायी जाने वाली इस बैठक में एक मात्र दो लाइन का प्रस्ताव पास करके सभी आवेदन कांग्रेस आला कमान को भेज दिया गया तथा जिला कांग्रेस की ओर से उन्हें अधिकृत कर दिया गया। बैठक के बाद पर्यवेक्षक से मिलकर पूर्व प्रत्याशी आशुतोष वर्मा, राजकुमार पप्पू खुराना,प्रसन्न मालू और नपा अध्यक्ष के पूर्व प्रत्याशी संजय भारद्वाज ने चर्चा कर राजनैतिक स्थिति से अवगत कराया।
अत्यंत घिनौने आरोप में नप गये राघवजी-इन दिनों प्रदेश का राजनैतिक तापमान एकदम से बढ़ गया हैं। इसकी तपिश ने प्रदेश के 80 वर्षीय बुजुर्ग वित्त मंत्री राघवजी की बलि ले ली हैं। राजधानी के हबीबगंज थाने में उनके एक नौकर रामकुमार दांगी ने उन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाते हुये शपथ पत्र दिया और साथ में एक सी.डी. भी पुलिस को सौंप दी हैं। उसने अपने शपथपत्र में कहा है कि यह सी.डी. उसके दोस्त ने बनायी है। मूल दस्तावेज लेने वो जो गया है तो उसका पता नही है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर राघवजी का स्तीफा मंजूर हो गया है।स्तीफे के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला और विदिशा के ही भाजपा नेता एवं प्रदेश के पूर्व निगम अध्यक्ष शिवशंकर पटेरिया ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेस लेकर यह दावा किया कि यह सी.डी. उन्होंने बनवायी है और वे भाजपा से गंदगी साफ करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने 22 सी.डी. बनवायीं हैं। प्रदेश भाजपा ने पटेरिया को निलंबित कर दिया है। इसके बाद दो दिनों से लापता राजकुमार के पिता ने मीडिया को यह बयान देकर सबको चौंका दिया है कि उनका पुत्र मांसिक रूप से बीमार है और उसने पहले भी एक बुजुर्ग आदमी पर ऐसा इल्जाम लगाकर उसके पैसा वसूला था। उसके पिता ने यह प्रमाणपत्र भी दे डाला कि राघवजी उसके पुत्र को बेटे की तरह रखते थे। इसके साथ ही राजकुमार के भाई ने विदिशा जिले के कुरवायी थाने में यह रिपोर्ट दर्ज करायी है कि मांसिक रूप से बीमार उसका भाई तीन महीनों से लापता हैं। अब यहां एक सवाल यह उठना स्वभाविक ही है कि यदि राजकुमार तीन तहीनों से लापता था तो भोपाल में राघवजी के खिलाफ शपथपत्र देने और दो दिनों से लापता होने के बाद ही उसके भाई के द्वारा यह रिपोर्ट क्यों दर्ज करायी गयी? अब राजकुमार ने खुद मीडिया के सामने आकर यह बयान दिया है कि उसके पिता और भाई को धमकी देकर यह सब कराया जा रहा हैं। विधि के विशेषज्ञों का यह मानना है कि थाने में शपथपत्र के साथ राजकुमार द्वारा आवेदन देने के बाद ऐसे तमाम बयान केस को कमजोर करने वाले साबित होंगें और भाजपा तथा प्रदेश सरकार अपने बुजुर्ग नेता राघवजी को बचाने के लिये ये सारे दांव पेंच खेल रही है। राघवजी के विरोध में पूरे प्रदेश में कांग्रेसी उनके पुतले जलाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहें हैं। इसी क्रम में नपा उपाध्यक्ष राजिक अकील के साथ अन्य युवा कांग्रेसियों ने भी राघवजी का पुतला जलाया। मुख्य प्रश्न तो यह है कि आखिर राजनीति के शिखर में बैठे ऐसे जिम्मेदार नेता ही ऐसा आचरण और अपना चरित्र पेश करेंगें तो उनके अनुयायी और युवा पीढ़ी आखिर किस बात के लिये प्रेरित होंगें?
गौगपा ने मुनमुन को गांव में घुसने नहीं दिया-गौगपा के रोको,टोको और ठोंको अभ्यिान का पहला शिकार मुनमुन राय हो गये हैं। सिवनी विस क्षेत्र के एक गांव से उन्हें गौगपा के कार्यकर्त्ताओं ने गांव में घुसने नहीं दिया और बेरंग वापस जाने के लिये मजबूर कर दिया। यह समाचार अखबारों में सुर्खियों में इसलिये आ गया क्योंकि पिछले विस चुनाव में मुनमुन ने लगभग 30 हजार वोट लेकर कांग्रेस को तीसरे नंबंर पर ढ़केल दिया था। उल्लेखनीय है कि मुनमुन इस बार फिर कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाने लिये चुनाव लड़ना चाह रहें हैं। अभी यह कहना मुश्किल हैं कि मुनमुन की सेंधमारी उन्हें जिताने लायक साबित होती हैं या फिर भाजपा को जिताने में मददगार होती है? गौगपा के ऐसे तीखे तेवरों से यह अंदेशा हो रहा है कि पिछले चुनाव में छपारा ब्लाक की 34 पंचायतों में मुनमुन ने आदिवासियों के काफी वोट ले लिये थे वो अब संभव हो पायेगा या नही? आदिवासी और मुस्लिम वोटों के भरोसे इस बार मुनमुन कितनी सेंधमारी कर पायेंगें? यह कहना फिलहाल संभव नहीं हैं। “मुसाफिर“
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बोले
09 जुलाई 2013 से साभार
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