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Wednesday, February 23, 2011

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23.2.11






हरवंश सिंह को थी क्लीन चिट की जल्दी लेकिन फरियादी ने लगायी शीर्ष सुनवायी की अर्जी









सिवनी। आमानाला जीमन घोटाले मामले में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह और उनके पुत्र रजनीश सिह के बरी हो जाने का मामला राजनैतिक हल्कों में चर्चित हैं। हरवंश सिंह को तो मामले में क्लीन चिट लेने की जल्दी समझ में आती हैं लेकिन अदालत में शीघ्र सुनवायी की गुहार फरियादी द्वारा की जाना समझ से परे हैं। जिस फरियादी ने अदालत में परिवाद दायर कर हरवंश सिंह और उनके पुत्र पर आरोप लगाये थे उसी फरियादी द्वारा उन्हें आरोप मुक्त करने में जल्दी सियासी हल्कों में चर्चित है। झूठे आरोप लगाकर परिवाद पेश कर आरोपी बनाने वाले फरियादी के खिलाफ हरवंश सिंह द्वारा कोई कार्यवाही नही किये जाने की घोषणा के कई अर्थ लगाये जा रहें हैं।










उल्लेखनीय है कि बहुचर्चित आमानाला जमीन घोटाले में फरियादी मो. शाह ने लखनादौन के न्यायालय में 18 मई 2010 को एक परिवाद धारा 156(3) के अंर्तगत पेशकर अभियुक्त न्याज अली,रजनीश सिंह और हरवंश सिंह के विरुद्ध 420,506,294,120बी के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही करने की गुहार लगायी थी। कोर्ट के बार बार आदेश देने के बाद भी रजनीश सिंह एवं हरवंश सिंह के खिलाफ पुलिस ने मामला पंजीबद्ध नहीं किया था। अंततः 28 जून 2010 को इनके खिलाफ मामला पंजीबद्ध करने की सूचना कोर्ट को दी गयी थी। फरियादी ने कोर्ट में बयान देकर यह कहा था कि उसकी हरी महाराज ने रजनीश सिंह से फोन पर बात करायी थी। फरियादी ने यह भी कहा था कि रजनीश सिंह ने उससे कहा था कि बैठकर फैसला कर लेते हैं। अन्य सभी खातेदारों के साथ बैठ कर बात कर लो। ऐसा करते करते 3 माह गुजर गये लेकिन कोई भी सह खातेदार ने मेरे साथ बैठकर बात नहीं की हैं। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि फरियादी की पुश्तैनी जमीन सादकसिवनी निवासी रवी नारायण शर्मा ने खरीदी हैं जिनके हरवंश सिंह से नजदीकी संबंधों की चर्चा भी होती रही हैं।










सियासी हल्कों में व्याप्त चर्चा के अनुसार हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष का चयन होना हैं। नेता प्रतिपक्ष के चयन का काम तो फरवरी माह में ही किये जाने की संभावना है। राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चित हैं कि हरवंश सिंह भी इस दौड़ में शामिल हैं। इसीलिये वे प्रयासरत थे कि अदालत में पंजीबद्ध धोखाधड़ी के मामलें में उन्हें जल्द ही क्लीन चिट मिल जाये क्योंकि इस मामले शिकायत जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा आला कमान को कर चुके थे। लेकिन फरियादी द्वारा कोर्ट में जल्दी सुनवायी की गुहार करना लोगों को समझ में नहीं आ रहा हैं। उल्लेखनीय है कि प्रकरण की खारिजी पर विचार हेतु कोर्ट मामले को 7 फरवरी 2011 को सुनवायी के लिये नियत कर चुकी थी लेकिन कोर्ट में उपस्थित फरियादी ने एक आवेदन पत्र देकर प्रार्थना की कि आज ही याने 28 जनवरी को ही सुनवायी कर ली जाये। इस अर्जी को स्वीकार करते हुये कोर्ट ने उसी दिन प्रकरण में खारिजी लगा दी। खारिजी के संबंध फरियादी ने अदालत में अपनी सहमति जतायी तथा अपने बयान में कहा कि,“ मेरा कोई विवाद शोष नही है।“फरियादी का अदालत में दिया यह कथन भी बहुअर्थी माना जा रहा है।










यहां यह भी उल्लेखनीय हें कि आरोपी ने जिस तेजी से आरोप लगाये थे उसी तेजी से स्वयं ही अरोप वापस लेने की जल्दी चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। कुछ लोगों का तो यह मानना है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि फोन पर हुयी चर्चा के अनुसार अदालत के बाहर कहीं कोई बैठक हुई हो और मामला सुलट गया हो इसीलिये फरियादी ने अपने बयान में यह कहा हो कि मेरा कोई विवाद शेष नहीं है। कुछ लोगों का तो यह भी मानना हैं कि जिले में हो रहे बेनामी जमीनों के सौदे की तरह ही यह मामला ना हो।










इस निर्णय की जानकारी देने के लिये बुलायी गयी प्रेस कांफ्रेंस में जब हरवंश से यह पूछा गया कि झूठे आरोप लगाकर आपकी छवि खराब करने वाले फरियादी मों. शाह के विरुद्ध झूठी शिकायत करने और मानहानी का क्या आप दावा करेंगें तो हरवंश सिंह ने साफ मना कर दिया कि वे ऐसी कोई कार्यवाही नहीं करेगें। उनके इस जवाब से भी लोग भैंचक हैं कि आखिर ऐसे आदमी के खिलाफ कोई कार्यवाही करने से वे क्यों हिचक रहें हैं?










अब इस सब में सच्चायी क्या हैं? यह तो पर्दे के पीछे ही हैं। लेकिन इस मामले के निपट जाने से विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को राजनैतिक रूप से काफी राहत मिल गयी हैं।


घोखाधड़ी का यह तीसरा मामला था हरवंश पर










सिवनी। लंबे राजनैतिक जीवन में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के ऊपर यह घोखाधड़ी करने का तीसरा मामला हैं। पहला मामला पिछड़ेवर्ग की एक विधवा महिला था जिसने अपनी जमीन हड़प लेने का आरोप लगयाथा। दूसरा मामला आदिवासियों को पैसे लेकर सिंचाई पंप ना देने का था जिसमें धोखाध्ड़ी का आरोप प्रमाणित पाने पर उप पंजीयक सहकारी संस्थाओं ने सिवनी पुलिस थाने को अपराध पंजीबद्ध कर कार्यवाही करने हेतु लिखित पत्र भेजा था। तीसरा आरोप एक फकीर मुस्लिम ने लगाया और अदालत में मेरा कोई विवाद शेष नहीं का बयान दियाऔर मामला खारिज हो गया। यह भी एक विचारणीय प्रश्न हैं कि बार बार हरवंश सिंह पर धोखाधड़ी के आरोप लगते क्यों हैं?










क्या बेनामी खरीद का मामला है?










सिवनी। फरियादी की पुश्तैनी जमीन के 22 खातेदारों में से 19 खातेदारों ने अपनी जमीन सादकसिवनी निवासी रविनारायण शर्मा ने 29 जनवरी 2010 को खरीद ली थी। इस सौदे की रजिस्ट्री भी मामले में जांच में आयी थी। विक्रय पत्र की फोटो कापी भी ली गयी थी। बताया जाता हैं कि क्रेता रविनारायण और हरवंश सिंह के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। इसी आधार पर कई लोगों का यह भी मानना हैं कि जिले में इस चल रहें गोरख धंधें के समान ही यह भी एक बेनामी सौदा ना हो?










सात महीने दस दिनों में निपटी कार्यवाही










सिवनी। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के विरुद्ध परिवाद पत्र के द्वारा अदालत में पेश किये गये मामले का निर्णय होने में सात महीने दस दिनों का समय लगा। उल्लेखनीय हैं कि यह परिवाद मो. शाह ने 18 मई 2010 को पेश कर हरवंश सिंह धोखाधड़ी के आरोप चस्पा कियं थे और 28 जनवरी 2011 को अदालत में मेरा कोई विवाद शेष नहीं हैं का बयान दिया जिसके आधार पर अदालत ने खारिजी मंजूर कर दी।










कार्यवाही करने में क्यों हिचक रहें हैं हरवंश










सिवनी। झूठे आरोप लगाकर इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में सुर्खियां बनने वाले हरवंश सिंह अब मामले के झुठे साबित हो जाने के बाद फरियादी मो. शाह के खिलाफ झूठी शिकायत करने के लिये आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही करने और मानहानि का दावा करने से क्यों साफ साफ मना कर रहे हैं? उनके इस इंकार में मामले को सुलटाने की कोई गुत्थी तो नहीं उलझ रही है?दैनिक यशोन्नति सिवनी से साभार

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