या रब मेरे दुश्मन को सदा,रखना सलामत ,
वरना मेरे मरने की,दुआ कौन करेगा?
नर्मदा तट पर प्रदेश भाजपा सरकार का सामाजिक एवं धार्मिक आयोजन विवादों के बीच संपन्न हो गया। प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं जिले के इंका विधायक हरवंश सिंह ने इस आयोजन को भाजपा धार्मिक पाखंड़ बताया था और विश्व हिन्दु परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल से राम मंदिर के लिये एकत्रित किये गये चंदे का हिसाब भी पूछा था। इसके जवाब में बजरंग दल ने उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया था। यह कहा जा रहा था कि हरवंश सिंह स्वयं इस बयान का खंड़न करेंगें। लेकिन उनहोंने खुद खंड़न करके विहिप और बजरंग दल सहित भाजपा से भी सीधा पंगा लेना मुनासिब नहीं समझा और जिला इंका प्रवक्ता ओ.पी.तिवारी के माध्यम से खंड़न जारी कराया और मामले को समाप्त कर दिया। कांग्रेस के संगठन चुनाव हुये लगभग एक साल का समय बीत गया हैं। अभी तक जिला कांग्रेस की तो घोषणा ही नहीं हो पायी हैं। लेकिन ब्लाक कांग्रेस कमेटियों की घोषणायें हो गयीं हैं। ब्लाक कमेटियों की घोषणा के बाद भी इन दो महीनों में किसी भी ब्लाक के अध्यक्ष अपने महामंत्रियों की घोषणा नहीं कर पाये और अपनी पूरी टीम नहीं बना पाये हैं। ना जाने कब पूरी टीम बनेगी और कब नये पादिधाकारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने का काम शुरू करेंगें। नीता तो ताबड़ तोड़ प्रदेश के दौरों पर निकल जातीं हैं। इस दौरान पूर्व विधायक नरेश दिवाकर सिवनी विधानसभा क्षेत्र में किसी कार्यक्रम मेंशामिल होने का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं। कार्यकत्र्ताओं को भी एक विकल्प मिल जाता हैं और डी.एन. को भी संपर्क बनाने का अवसर मिल जाता हैं। नरेश समर्थक नीताके अध्यक्ष बनने से इसीलिये बहुत खुश हैं कि उनके नेता को इसी बहाने क्षेत्र संपंर्क जीवंत रखने का अवसर मिल रहा हैं जो कि बाद में टिकिट के वक्त काम आ सकता हैं।
आक्रामक तेवरों के बाद खुद खंड़न ना कर बचाव की मुद्रा में दिखे हरवंश-नर्मदा तट पर प्रदेश भाजपा सरकार का सामाजिक एवं धार्मिक आयोजन विवादों के बीच संपन्न हो गया। गौड़वाना गणतंत्र पार्टी ने इसका विरोध किया था लेकिन इसका कोई खास असर आयोजन में कहीं नजर नहीं आया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ हैं। कई बार यह देखा गया हैं कि विरोध में स्वर तो मुखर होते हैं लेकिन फील्ड में कुछ दिखायी देता नहीं हैं। प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं जिले के इंका विधायक हरवंश सिंह ने इस आयोजन को भाजपा धार्मिक पाखंड़ बताया था और विश्व हिन्दु परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल से राम मंदिर के लिये एकत्रित किये गये चंदे का हिसाब भी पूछा था। इसके जवाब में बजरंग दल ने उन्हें कठघरे में खड़ा करते हुये यह कहा था कि हरवंश सिंह इस आयोजन के लिये हुयी बैठक में स्वयं उपस्थित थे और उन्होंने ना केवल इस आयोजन का स्वागत किया था वरन सहयोग देने के साथ ही कुछ सुझाव भी दिये थे। बजरंग दल के इस बयान के बाद इंकाई हल्कों में कई दिनों तक चर्चा जारी रही और यह कहा जा रहा था कि हरवंश सिंह स्वयं इस बयान का खंड़न करेंगें। लेकिन उनहोंने खुद खंड़न करके विहिप और बजरंग दल सहित भाजपा से भी सीधा पंगा लेना मुनासिब नहीं समझा और कई दिनों तक विचार विमर्श करने के बाद जिला इंका प्रवक्ता ओ.पी.तिवारी के माध्यम से खंड़न जारी कराया और मामले को समाप्त कर दिया। उनके इस करतब से सियासी हल्कों में चर्चा जारी हो गयी कि वे समन्वय की राजनीति पर हमेशा की तरह संतुलन बनाकर चलना चाह रहें हैं जैसा कि वे अभी तक करते आये हैं। उनके आक्रमक बयान उनकी तासीर के खिलाफ थे इसलिये राजनैतिक क्षेत्रों यह चर्चा होने लगी थी कि वे नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिये ऐसी बयान बाजी कर रहें हैं लेकिन अब ऐसा लगने लगा हैं कि ऐसा कुछ पाने की संभावना को समाप्त होते देख हरवंश सिंह ने जो हैं, याने विस उपाध्यक्ष पद, उसको बचाने के लिये फिर कवायत शुरू कर दी हैं और अपनी जानी पहचानी अंर्तदलीय समन्वय की रणनीति पर चलना फिर शुरू कर दिया हैं।लेकिन उनके समर्थकों का यह मानना है कि यह सबउनके पार्टी के ही कुछ दुश्मनों की कयासबाजी हैं जो उनके बारे में ऐसे ही प्रलाप करते रहते हैं। जबकि उनके दुश्मनों कायह कहना हैं कि हम तो उनकी सलामती इसलिये भी चाहते हैं कि नहीं तो हमारा तो विरोध ही समाप्त हो जायेगा। उनकी इसी मर्जी से मिलता जुलता दर्दे बयां करते हुये किसी शायर ने में कहा हैं कि,
“या रब मेरे दुश्मन को सदा,
रखना सलामत ,
वरना मेरे मरने की,
दुआ कौन करेगा?“
ब्लाक इंका के महामंत्रियों की घोषणा में विलंब चर्चित-कांग्रेस के संगठन चुनाव हुये लगभग एक साल का समय बीत गया हैं। अभी तक जिला कांग्रेस की तो घोषणा ही नहीं हो पायी हैं। लेकिन ब्लाक कांग्रेस कमेटियों की घोषणायें हो गयीं हैं जिनमें धनोरा के निर्वाचित अध्यक्ष मुकेश जैन के स्थान पर तिवारी लाल उइके को विजयी घोषित करने का कमाल हो चुका हैं। कांग्रेस के संविधान के अनुसार निर्वाचित अध्यक्ष को महामंत्री घोषित करने का अधिकार दिया गया है। लेकिन ब्लाक कमेटियों की घोषणा के बाद भी इन दो महीनों में किसी भी ब्लाक के अध्यक्ष अपने महामंत्रियों की घोषणा नहीं कर पाये और अपनी पूरी टीम नहीं बना पाये हैं। ना जाने कब पूरी टीम बनेगी और कब नये पादिधाकारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने का काम शुरू करेंगें। इंकाई हल्कों में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार इस बार महामंत्रियों की घोषणा पर ही बहुत सारे समीकरण बनना बिगड़ना हैं। इसलिये जिले के इंका पुरोधा हरवंश सिंह पत्ते बहुत संभल खेल रहें हैं। इसलिये वे इसमें विलंब कर रहें हैं। क्योंकि बहुत सारे नेताओं को महामंत्री बनाने का आश्वासन दे दिया गया था। जिनमें कई नेताओं का विरोध अभी से शुरू हो गया है। इस असंतोष को दबाने और संतुलित करने के उपाय तलाशे जा रहें हैं। ऐसा ही कुछ सफल प्रयास पिछले चुनावों के बाद भी किया गया था। जब निर्वाचित अध्यक्ष महेश मालू महामंत्रियों की सूची में असलम भाई को शामिल नहीं करना चाहते थे और हरवंश सिंह यह चाहते थे कि उन्हें शामिल किया जाय। ससीलिये लंबे समय तक जिला इंका के महामंत्री घोषितनहीं हो पाये और अंततः असलम भाई महामंत्री बन गये और समय बीत जाने के कारण विरोध भी नहीं हो पाया। ऐसे हालात में अब कौन और कब महामंत्री बन पायेगा? इसके बारे में कोई भी कुछ भी कहने की परिस्थिति में नहीं है।
नीता के बाहर रहने पर नरेश कोमौका मिल जाता हैं सिवनी क्षेत्र में-भाजपा के तबेले में इन दिनों कुछ शांति सी दिख रही हैं। इसका एक कारण यह भी हैं कि अभी तक तो समूची भाजपा मंड़ला के नर्मदा के तट पर आयोजित कथित धार्मिक कार्य में जुटी हुयी थी। इसके बाद घोषणा हो गयी थी कि जिला भाजपा अध्यक्ष एवं तीनों विधायक मुख्यमंत्री के उपवास में शामिल होंगें लेकिन उनका उपवास ही प्रधानमंत्री के आश्वासन पर स्थगित हो गया। यहां की स्थिति भी ऐसी हैं कि सिवनी के पूर्व एवं वर्तमान विधायक दोनों ही खुश हैं। वर्तमान विधायकनीता पटेरिया इसलिये खुश हैं कि वे प्रदेश महिला मोर्चे की अधक्ष बन गयीं और मुख्यमंत्री की पत्नी सहितकई दिग्गजों के रिश्तेदार उनके नेतृत्व वाली कार्यकारिणी में शामिल हैं। वे ताबड़ तोड़ प्रदेश के दौरों पर निकल जातीं हैं। इस दौरान पूर्व विधायक नरेश दिवाकर सिवनी विधानसभा क्षेत्र में किसी कार्यक्रम मेंशामिल होने का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं। कार्यकत्र्ताओं को भी एक विकल्प मिल जाता हैं और डी.एन. को भी संपर्क बनाने का अवसर मिल जाता हैं। नरेश समर्थक नीताके अध्यक्ष बनने से इसीलिये बहुत खुश हैं कि उनके नेता को इसी बहाने क्षेत्र संपंर्क जीवंत रखने का अवसर मिल रहा हैं जो कि बाद में टिकिट के वक्त काम आ सकता हैं।नीता के विरुद्ध लग रहे आरोप और क्षेत्र में कम होता उनका संपंर्क उनके विरुद्ध वातावरण बनाने में काम आयेगा ऐसा उनके विरोधियोंका मानना हैं। वहीं दूसरी ओर नीता समर्थक इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका ऐसा मानना हैं कि नीता के प्रदेश अध्यक्ष बनने से उनके उच्च स्तरीय राजनैतिक संबंध बनेंगें और रहा सवाल नरेश के द्वारा आरोप लगाने का तो ेउनका कोई महत्व नहीं रहेगा क्योंकि आरोपों के चलते ही उनकी टिकिट कटी थी। अब आगे क्या होगा और कैसे राजनैतिक समीकरण बनेंगें? इनके बारे में अभी से कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी।
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