उत्तर दक्षिण कारीडॉर मामले में प्रधानमन्त्री से हस्तक्षेप की मांग
सिवनी।सुप्रीम कोर्ट में लंबित उत्तर दक्षिण कॉरीडोर के मामले में केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर सुप्रीम कोर्ट में एक राय पेश करवा कर मामले का शीघ्र निराकरण होने का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह इंका नेता आशुतोष वर्मा ने पंप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी,प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह एवं इंका महासचिव राहुल गांधी से किया हैं।, इंका नेता वर्मा ने फ्ेक्स में लिखा हैं कि समूचे देश में चारों महानगरो और चारों दिशाओं को न्यूनतम लंबाई के मार्गों को जोड़कर ईंधन एवं समय की बचत के लिये प्रधानमन्त्री स्विर्णम चतुर्भुज योजना के तहत एक्सप्रेस हाई वे बनाये जा रहे हैं। इसके तहत कन्याकुमारी से काश्मीर तक बनने वाला उत्तर दक्षिण कॉरीडोर मध्यप्रदेश के सिवनी जिले से होकर नागपुर से कन्याकुमारी तक बन रहा हैं। यह मार्ग सिवनी जिले में कुरई विकासखंड़ में स्थित पेंच नेशनल पार्क की सीमाओं के बाहर से जा रहा हैं। जिले में यह कॉरीडोर मार्ग लगभग 80 किलोमीटर बन चुका हैं और मात्र तीस किलो मीटर बनना शेष हैं। पत्र में आगे उल्लेख किया गया हैं कि इस कारीडोर के निर्माण को रोकने के लिये एक एन.जी.ओं. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंड़िया दिल्ली द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उक्त याचिका क्र. 2687-2688/09 दर्ज की गई हैं जो कि विचाराधीन हैं। कोर्ट में प्रस्तुत इस याचिका में भारत शासन के अलावा सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग, राष्ट्रीय राजामर्ग विकास प्राधिकरण एवं नेशनल टाइगर कंजरवंशन अर्थारिटी को पक्षकार बनाया गया हैं एवं कोर्ट में इन सभी के अलग अलग वकील अपना पक्ष रखते हैं। इस याचिका के जवाब में संप्रग शासनकाल के प्रथम कार्यकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण ने शपथ पत्र के साथ जो जवाब दिया था उसमें प्रथम आप्शन के रूप में फ्लाई ओवर(एलीवेटेड हाई वे) और आप्शन दो में वर्तमान एन.एच. के चौड़ीकरण का प्रस्ताव किया था। सी.ई.सी. की रिपोर्ट के बाद सिवनी के जनमंच नामक संगठन की ओर से इंटरवीनर बनने का आवेदन लगाया गया। इस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एमाइकस क्यूरी श्री साल्वे को यह निर्देश दिया कि वे सी.ई.सी. और एन.एच.ए.आई. के साथ बैठक कर एलीवेटेड हाई वे सहित अन्य विकल्प तलाशने का प्रयास करें। एक बैठक के बाद एन.एच.ए.आई. ने 9 अक्टूबर 2009 को एक शपथ पत्र देकर बैठक में सी.ई.सी. द्वारा आप्शन दो के बारे में सुझाये गये संशोधनों पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी हैं लेकिन आप्शन एक के बारे में शपथपत्र में कुछ भी नहीं कहा हैं। इसके बाद संप्रग शासन के दूसरे कार्यकाल में दिनांक 6 नवम्बर 2009 को श्री साल्वे ने कोर्ट में जो अपना नोट प्रस्तुत किया है उसमें यह उल्लेख किया है कि एन.एच.ए.आई. आप्शन एक, जो कि एलीवेटेट हाइ वे का था, के लिये सहमत नहीं हैं क्योंकि उसमें लगभग 900 करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी। जबकि ईंधन और समय की बचत के मूल मन्त्र को लेकर बनायी जा रही परियोजना में निर्माण लागत का प्रश्न उठाना ही नहीं चाहिये। इंका नेता वर्मा ने पत्र में अनुरोध किया हैं कि प्रधानमन्त्री कार्यालय से इसमें समन्वय बनाने के लिये निर्देश दिये जाने चाहिये। केन्द्र सरकार के सभी विभागों में राष्ट्रहित को देखते हुये एकमतेन निर्णय लिया जाना चाहिये तथा उसे ही सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के पक्ष के रूप में रखा जाना चाहिये। कोर्ट में केन्द्र शासन के अलग अलग विभागों की अलग अलग राय होने से सरकार की छवि प्रभावित हो रही हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक बनने वाले इस महामार्ग का निर्धारण क्षेत्रीय कारणो से किया जाना उचित नहीं होगा। इंका नेता ने अनुरोध किया है कि आप ऐसा निर्णय लेने का कष्ट करें ताकि इस कॉरीडोर के मार्ग में कोई परिवर्तन ना हो तथा समय और ईंधन को बचाने के मूल मन्त्र का पालन हो सके।
सिवनी।सुप्रीम कोर्ट में लंबित उत्तर दक्षिण कॉरीडोर के मामले में केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर सुप्रीम कोर्ट में एक राय पेश करवा कर मामले का शीघ्र निराकरण होने का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह इंका नेता आशुतोष वर्मा ने पंप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी,प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह एवं इंका महासचिव राहुल गांधी से किया हैं।, इंका नेता वर्मा ने फ्ेक्स में लिखा हैं कि समूचे देश में चारों महानगरो और चारों दिशाओं को न्यूनतम लंबाई के मार्गों को जोड़कर ईंधन एवं समय की बचत के लिये प्रधानमन्त्री स्विर्णम चतुर्भुज योजना के तहत एक्सप्रेस हाई वे बनाये जा रहे हैं। इसके तहत कन्याकुमारी से काश्मीर तक बनने वाला उत्तर दक्षिण कॉरीडोर मध्यप्रदेश के सिवनी जिले से होकर नागपुर से कन्याकुमारी तक बन रहा हैं। यह मार्ग सिवनी जिले में कुरई विकासखंड़ में स्थित पेंच नेशनल पार्क की सीमाओं के बाहर से जा रहा हैं। जिले में यह कॉरीडोर मार्ग लगभग 80 किलोमीटर बन चुका हैं और मात्र तीस किलो मीटर बनना शेष हैं। पत्र में आगे उल्लेख किया गया हैं कि इस कारीडोर के निर्माण को रोकने के लिये एक एन.जी.ओं. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंड़िया दिल्ली द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उक्त याचिका क्र. 2687-2688/09 दर्ज की गई हैं जो कि विचाराधीन हैं। कोर्ट में प्रस्तुत इस याचिका में भारत शासन के अलावा सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग, राष्ट्रीय राजामर्ग विकास प्राधिकरण एवं नेशनल टाइगर कंजरवंशन अर्थारिटी को पक्षकार बनाया गया हैं एवं कोर्ट में इन सभी के अलग अलग वकील अपना पक्ष रखते हैं। इस याचिका के जवाब में संप्रग शासनकाल के प्रथम कार्यकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण ने शपथ पत्र के साथ जो जवाब दिया था उसमें प्रथम आप्शन के रूप में फ्लाई ओवर(एलीवेटेड हाई वे) और आप्शन दो में वर्तमान एन.एच. के चौड़ीकरण का प्रस्ताव किया था। सी.ई.सी. की रिपोर्ट के बाद सिवनी के जनमंच नामक संगठन की ओर से इंटरवीनर बनने का आवेदन लगाया गया। इस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एमाइकस क्यूरी श्री साल्वे को यह निर्देश दिया कि वे सी.ई.सी. और एन.एच.ए.आई. के साथ बैठक कर एलीवेटेड हाई वे सहित अन्य विकल्प तलाशने का प्रयास करें। एक बैठक के बाद एन.एच.ए.आई. ने 9 अक्टूबर 2009 को एक शपथ पत्र देकर बैठक में सी.ई.सी. द्वारा आप्शन दो के बारे में सुझाये गये संशोधनों पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी हैं लेकिन आप्शन एक के बारे में शपथपत्र में कुछ भी नहीं कहा हैं। इसके बाद संप्रग शासन के दूसरे कार्यकाल में दिनांक 6 नवम्बर 2009 को श्री साल्वे ने कोर्ट में जो अपना नोट प्रस्तुत किया है उसमें यह उल्लेख किया है कि एन.एच.ए.आई. आप्शन एक, जो कि एलीवेटेट हाइ वे का था, के लिये सहमत नहीं हैं क्योंकि उसमें लगभग 900 करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी। जबकि ईंधन और समय की बचत के मूल मन्त्र को लेकर बनायी जा रही परियोजना में निर्माण लागत का प्रश्न उठाना ही नहीं चाहिये। इंका नेता वर्मा ने पत्र में अनुरोध किया हैं कि प्रधानमन्त्री कार्यालय से इसमें समन्वय बनाने के लिये निर्देश दिये जाने चाहिये। केन्द्र सरकार के सभी विभागों में राष्ट्रहित को देखते हुये एकमतेन निर्णय लिया जाना चाहिये तथा उसे ही सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के पक्ष के रूप में रखा जाना चाहिये। कोर्ट में केन्द्र शासन के अलग अलग विभागों की अलग अलग राय होने से सरकार की छवि प्रभावित हो रही हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक बनने वाले इस महामार्ग का निर्धारण क्षेत्रीय कारणो से किया जाना उचित नहीं होगा। इंका नेता ने अनुरोध किया है कि आप ऐसा निर्णय लेने का कष्ट करें ताकि इस कॉरीडोर के मार्ग में कोई परिवर्तन ना हो तथा समय और ईंधन को बचाने के मूल मन्त्र का पालन हो सके।
शानदार पोस्ट
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