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Monday, January 3, 2011

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

क्या प्रहलाद पटेल के भाजपा में पुन: स्थापित होने से महाकौशल के भाजपायी राजनैतिक समीकरणों में बदलाव आयेगा?

राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा में पद लेकर राजनैतिक रूप से पुन: स्थापित हाने वाले पूर्व केन्द्रीय मन्त्री प्रहलाद पटेल की सक्रियता एवं नेतृत्व से मिलने महत्व के चलते महाकौशल की भाजपायी राजनीति में काफी हल चल मची हुयी हैं। अब देखना यही हैं कि जिले के भाजपा नेताओं में से कौन कौन किस किस बहाने से उनके कार्यक्रम से किनारा करता हैं और कौन कौन बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता हैं। लेकिन इतना तो तय है कि प्रहलाद पटेल के कारण भाजपायी समीकरणों में बदलाव अवश्य आयेगा। मुख्य अतिथि की आसन्दी से बोलते हुये मन्त्री बिसेन ने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया उनसे जब कहीं गड़बड़ हो जाती हैं तो एक पड़ोसी के नाते हरवंश सिंह जी का उनको सहयोग मिलता हैंवैसे भी इस जिले में कांग्रेस और भाजपा नेताओं की नूरा कुश्ती के आरोप कोई नये नहीं हैं। पहले भी कई नेताओं पर हरवंश सिंह से सांठ गांठ के आरोप लगते रहें है। वकीलों के ही इस कार्यक्रम सम्भवत: हरवंश सिंह के विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के बाद विधायक नीता पटेरिया पहली बार विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन दिखीं। दोनों के चुनाव जीतने बाद ऐसा ना जाने क्या हो गया कि दोनों एक दूसरे को फिलहाल फूटी आंख नहीं सुहा रहें हैं। इसमें राजनीति तलाशने की गुजाइश नहीं मान रहें हैं। अब वारस्तविकता क्या हैंर्षोर्षो यह तो समय ही बतायेगा। सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरी सिंह यादव का नगर प्रवास हुआ। उनके इस एक दिवसीय प्रवास के दौरान नये बस स्टेन्ड के सामने आम सभा रखी गई थी। जिसमें उन्होंने इंका और भाजपा को जम कर कोसा।

प्रहलाद के कारण बदलेगे भाजपायी समीकरण-राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा में पद लेकर राजनैतिक रूप से पुन: स्थापित हाने वाले पूर्व केन्द्रीय मन्त्री प्रहलाद पटेल की सक्रियता एवं नेतृत्व से मिलने महत्व के चलते महाकौशल की भाजपायी राजनीति में काफी हल चल मची हुयी हैं। वैसे तो इस अंचल में कई छत्रप ऐसे हैं जिन्हें छ़त्रप बनाने में ही प्रहलाद पटेल का हाथ था। हाल ही में बालाघाट जिले में हुये उनके शानदार प्रोग्राम ने एक अलग ही छाप छोड़ दी हैं। इसमें सोने में सुहागे का काम किया उनके प्रोटोकाल में हुयी चूक के कारण प्रदेश सरकार द्वारा किये गये एस.पी. के तबादले ने। अब 4 जनवरी को प्रहलाद पटेल का सिवनी आगमन हो रहा हैं। हालांकि जिला भाजपा द्वाराउनके प्रोग्राम की कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की गई हैं। उनके कार्यक्रम के बारे में विज्ञप्ति उनके कट्टर समर्थक एवंजिला भाजपा के उपाध्यक्ष सुदामा गुप्ता ने जारी की हैं। हालांकि बालाघाट जिले में जिले के संगठन ने उनसे किनारा कर लिया था लेकिन सिवनी के बारे में कहा जाता हैं कि यहां कोई ऐसी स्थिति बनने की संभावना नहीं हैंं।यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि प्रहलाद पटेल सिवनी लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें दो बार जीत हासिल हुई हैं और दो बार वे चुनाव हारे हैं। इसके बाद वे बालाघाट से सांसद चुने गये थे और केन्द्रीय मन्त्री भी बने थे। इसलिये इन क्षेत्रों में उनकी काफी पकड़ मानी जाती हैं। राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त चर्चा के अनुसार अब अभी तक भाजपायी राजनीति में दरकिनार पड़े उनके समर्थकों के दिन फिरने में भी कोई समय नहीं लगने वाला हैं। अब देखना यही हैं कि जिले के भाजपा नेताओं में से कौन कौन किस किस बहाने से उनके कार्यक्रम से किनारा करता हैं और कौन कौन बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता हैं। लेकिन इतना तो तय है कि प्रहलाद पटेल के कारण भाजपायी समीकरणों में बदलाव अवश्य आयेगा।

पड़ोसी होने नाते हरवंश से सहयोग मिलने की बात कही गौरी भाऊ ने-जिला अधिवक्ता संघ के तत्वावधान में प्रदेश स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।इस के समापन समारोह में मन्त्री गौरी शंकर बिसेन,विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह एवं विधायक द्वय नीता पटेरिया और कमल मर्सकोले के अलावा नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी उपस्थित थे। मुख्य अतिथि की आसन्दी से बोलते हुये मन्त्री बिसेन ने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया उनसे जब कहीं गड़बड़ हो जाती हैं तो एक पड़ोसी के नाते हरवंश सिंह जी का उनको सहयोग मिलता हैं जबकि अध्यक्ष रोहाणी जी जरा सख्त मिजाज रहते हैं। वैसे भी नये परिसीमन के बाद हरवंश सिंह और गौरीशंकर बिसेन के क्षेत्र सीमायें और नजदीक आ गईं हैं। पिछले विस चुनाव के बाद केवलारी में जब भाजपा हारी थी तो कई कार्यकत्ताZओं ने खुलकर भीतरघात के आरोप भी लगाये थे जिसकी चपेट में कई बड़े नेता भी आ गये थे। वैसे भी इस जिले में कांग्रेस और भाजपा नेताओं की नूरा कुश्ती के आरोप कोई नये नहीं हैं। पहले भी कई नेताओं पर हरवंश सिंह से सांठ गांठ के आरोप लगते रहें है।

एक ही मंच पर काफी दिनों बाद दिखे हरवंश और नीता-वकीलों के ही इस कार्यक्रम सम्भवत: हरवंश सिंह के विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के बाद विधायक नीता पटेरिया पहली बार विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन दिखीं। इस बाबद एक स्थानीय अखबार ने टिप्पणी भी की हैं कि ऐसी क्या बात हैं कि वे इस मंच पर शामिल हुयीं। वैसे तो विस चुनाव के चलते तक कहीं कोई विरोध नहीं दिख रहा था जबकि दोनेां ही अलग अलग पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे।ना तो हरवंश सिंह को सिवनी से कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे प्रसन्न मालू की कोई चिन्ता दिखी और ना ही नीता जी को केवलारी से भाजपा से चुनाव लड़ने वाले ढ़ालसिंह की कोई चिन्ता फिकर दिखी। फिर दोनों के चुनाव जीतने बाद ऐसा ना जाने क्या हो गया कि दोनों एक दूसरे को फिलहाल फूटी आंख नहीं सुहा रहें हैं। हालांकि इतने के बाद भी आमानाला कांड़ का चालान तो पेश नहीं ही हो सका हैं जिसमें हरवंश पर धारा 307 का आरोप लगा था। लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं हैं कि नीता जी ने हरवंश सिंह के किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं फिर चाहे वो राष्ट्रीय कार्यक्रम हों या फिर प्रदेश का स्थापना दिवस समारोह हो। इस बात की परवाह किये बिना कि इसके परिणाम क्या होंगें र्षोर्षो वे अपने इस निर्णय पर अड़िग रहीं। इसीलिये लोग वकीलों के इस कार्यक्रम में,जिसकी अध्यक्षता हरवंश सिंह कर रहे थे ,वे क्यों शामिल हुयीर्षोर्षोइसके लोग कारण तलाश रहें हैं। कुछ लोग इसे अच्छे सम्बंधों के बनने की शुरुआत मान रहें हैं तो ज्यादातर लोगों का यह मानना हैं कि चूंकि वे स्वयं भी वकील रहीं हैं तथा इस आयोजन में उनके भी कई समर्थक सक्रिय रूप से शामिल थे इसलिये वे विशिष्ट अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शरीक हुयीं थी। इसमें राजनीति तलाशने की गुजाइश नहीं मान रहें हैं। अब वारस्तविकता क्या हैंर्षोर्षो यह तो समय ही बतायेगा।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने इंका भाजपा को कोसा आम सभा में -कई दिनों बाद इंका और भाजपा के अलावा किसी अन्य दल की गतिविधियां दिखायी दी। मौका था सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरी सिंह यादव के नगर प्रवास का। उनके इस एक दिवसीय प्रवास के दौरान नये बस स्टेन्ड के सामने आम सभा रखी गई थी। सपा के जिला अध्यक्ष धर्मराज सिंह ठाकुर केवलारी विस क्षेत्र के पलारी इलाके के हैं। आप इस क्षेत्र में भारी संख्या मेंरहने वाले किरार समाज के हैं जो कि भाजपा के प्रति समर्पित मानी जाती हैं। श्री ठाकुर ने इंका के दिगग्ज हरवंश सिंह के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। लेकिन चुनाव हारने के बाद गतिविधियां शून्य सी ही हो गईं थी। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के दौरे के दौरान ना केवल झंका मंका ठीक ठाक था वरन लोग भी जुटे थे। अपनी रणनीति के तहत सपा नेताओं ने कांग्रेस और भाजपा को बराबरी से कोसा लेकिन स्थानीय नेतृत्व को हाथ लगाने की जरूरत भी नहीं समझी। पड़ोसी जिले बालाघाट के लांजी क्षेत्र के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने भी सभा को संबोधित किया। कुल मिलाकर कई दिनों बाद किसी तीसरे मोर्चे के राजनैतिक दल की उपस्थिति ठीक ठाक हीरही।वैसेभी बसपा,सपा,कम्युनिस्ट,राजद,जदयू आदि राजनैतिक दलों की उपयोगिता इस जिले में कांग्रेस को हराने और भाजपा को जिताने भर की हैं। जीत दर्ज करने लायक स्थिति बनाने में ना तो अभी तक इन राजनैतिक दलों ने और ना ही इनके आकाओं ने कोई कारगर प्रयास किया हैं। हां जीत सकने वाली सीटों के लिये रसद जुटाने के काम भले ही आ जायें तो यही बहुत हैं।

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