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Wednesday, January 12, 2011

जिले का नक्सल प्रभावित घोषित होना

विकास में होगा सहायक या बाधक ?

काफी जद्दोजेहाद के बाद अन्तत: सिवनी जिला नक्सल प्रभावित जिला घोषित हो ही गया हैं और पच्चीस करोड़ रुपये की किश्त भी विकास कायेZं के लिये मंजूर हो गई हैं। पहले केन्द्र सरकार ने जो प्रस्ताव भेजे थे उनमें सिवनी जिला शामिल था। लेकिन ना जाने क्यों शिव की नगरी सिवनी के स्थान पर शिवराज सरकार ने सिंगरोली जिले को प्रस्तावित कर दिया था। केन्द्रीय मन्त्री कमलनाथ ने भी प्रधानमन्त्री से भेंट कर छिन्दवाड़ा जिले को शामिल करने की मांग की थी। लेकिन अन्त में सिवनी को शामिल कर ही लिया गया।

जिले को शामिल किये जाने के श्रेय लेने की कवायद भी शुरू हो गई हैं। जिला इंका प्रवक्ता को भले ही कांग्रेस के स्थापना दिवस के कार्यक्रम की विज्ञप्ति जारी करने की फुर्सत ना मिली हो लेकिन यह घोषणा होते ही उन्होंने बयान जारी कर सांसद बसोरी सिंह एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह का आभार मानने में देर नहीं लगायी। काश ऐसा होता रहता तो शायद सिवनी बहुत कुछ ना छिन पाता।

यह जिला नक्सल प्रभावित जिले में शामिल हो गया। हालांकि इस जिले में एस.पी. डी.एम. मित्रा के कार्यकाल में रूमाल टेंक के आस पास के इलाके में अन्य जिलों में दबिश बढ़ने के कारण नक्सलवादियों द्वारा शरणस्थली के रूप में प्रयोग करने की घटनायें जरूर सामने आयीं थीं लेकिन उसके बाद ऐसा कभी भी सुनने को नहीं मिला था कि कहीं कोई गतिविध पुलिस ने नोट की हों या कार्यवाही की हो।

अब सवाल यह उठता हैं कि यह जिले के विकास के लिये यह सहायक होगा या बाधकर्षोर्षो इस बारे में लोगों के अलग अलग विचार हो सकते हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि इससे आधार भूत विकास करने के लिये शासन से जो अतिरिक्त पैसा मिलेगा उससे तेजी से विकास होगा। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का यह भी मानना हैं कि इसके चलते जो अतिरिक्त अधिकार मिलेंगें उनके दुरुपयोग होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा विकास की संभावनायें उद्योगों की स्थापना से थी। वैसे यह जिला जीरो इण्डस्ट्री जिले में आज तक शामिल हैं। हमारे जन नेता और प्रशासनिक अधिकारी बिना नक्सल प्रभावित जिला घोषित हुये उद्योंगों को आर्कषिZत नहीं कर पाये तो भला अब उनसे क्या उम्मीद की जा सकती हैंर्षोर्षो जबकि पिछले कुछ सालों से समूचे प्रदेश में इण्डस्ट्री मीट आयोजित किये जा रहें है।

जहां तक सड़क,पानी,विभिन्न भवनों के लिये पैसे की बात हैं तो कई सालों से इसका कोई आभाव नहीं देखा गया। जिले में लगभग सभी राष्ट्रीय योजनायें लागू हैं। पर कैसी लागू हैं और कैसा काम हो रहा हैं र्षोर्षो यह किसी से छिपा नहीं है। हाल ही समाचार पत्रों में यह प्रकाशित हुआ था कि जिले की वाषिZक योजना के लिये लगभग 192 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुयी है। इस जिले के आठ में से चार ब्लाक आदिवासी ब्लाक हेै जिनके विकास के लिये अतिरिक्त राशि भी प्राप्त होती है। जिले में 6 सौ 45 पंचायतें है और लगभग 1500 गांव हैं। इस हिसाब से देखा जाये तो लगभग 30 लाख रुपये प्रत्येक ग्राम पंचायत को मिलेंगेंं।जो कि कोई कम राशि नहीं मानी जा सकती। वास्तव में पैसों की कमी नहीं हैं। लेकिन इस बात की जरूर जरूरत हैं कि इसमें हो रही बन्दर बाट पर नियन्त्रण किया जाये और भारी भ्रष्टाचार पर नियन्त्रण किया जाये।

अब यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा कि यह जिले के विकास में सहायक होगा या बाधकर्षोर्षो

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