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Wednesday, September 29, 2010

अमन चैन के लिये

अपराधियों में धर्म या मजहब तलाशना बन्द करें

अपराध अपराध होता हैं। गुनाह गुनाह होता हैं। अपराधी अपराधी होता हैं। गुनहगार गुनहगार होता हैं।दंगाई दंगाई होता हैं। इनका कोई धर्म या मजहब नहीं होता। इनके ना तो परवरदिगार होते हैं और ना ही भगवान होते हैं। ये ना तो पूजा में विश्वास करते हैं और ना ही इबादत में। इनके ना तो कोई पूजा स्थल होते हैं और ना ही इबादतगाह होते हैं। समाज और राजनेता इनमें यदि धर्म और मजहब तलाशना बन्द कर दे और अपराधियों को सिर्फ अपराधी, गुनहगारों को सिर्फ गुनहगार तथा दंगाइयों को सिर्फ दंगाई मानकर चले तो ज्यादातर फसादों का तो वैसे ही खात्मा हो जायेगा।

आज समस्या इसी बात की हैं कि इन तत्वों में समाज और राजनेता धर्म और मजहब को तलाशने लगे हैं। राजनेता अपनी सुविधा और लाभ के लिये ऐसे तत्वों को संरक्षण देकर बवाल खड़ा करने में भी कोई संकोच नहीं करते हैं। यही मूल कारण है कि जब देखो तब सांप्रदायिक दंगों की आग में कई शहर कई बार धधक जाते हैं और आग जब लगती हैं तो वह यह नहीं देखती कौन आग लगाने वाले धर्म या मजहब का हैं और कौन दूसरे मजहब या धर्म का हैंर्षोर्षो वह अपनी चपेट में सबको समेट लेती हैं और सब कुछ जलाकर खाक कर देती हैं।

स्वामी विवेकानन्द जी ने यह कहा है कि इस देश में कोई भी बड़ा सामाजिक,आर्थिक या राजनैतिक परिवर्तन धर्म के माध्यम से ही सम्भव हैं। इसे मूल मन्त्र मानकर कई राजनेताओं ने धर्म और राजनीति का घालमेल कर दिया हैं। राजनीति यदि धर्म के नियन्त्रण में रहे तो ठीक हैं लेकिन होने यह लगा हें कि राजनेता धर्मावलंबी लोगों की घार्मिक भावनायें भड़का कर अपनी राजनीति चमकाने में लग जातेे हैं। फिर वे ये भी नहीं देखते कि जिस जगह मन्दिर या मिस्जद बनाने की बात कर रहें हैं वह जगह ही मानव मात्र के खून से रंग गई हैं। आदमी के खून से लाल हुयी ऐसी जमीन पर बनी इमारत में ना तो भगवान का वास होगा और ना ही परवरदिगार का। और भला होगा भी कैसे र्षोर्षो जिन्हें पूजा या इबादत करना हैं जब उनका ही खून उसे बनाने के लिये बहा हों तो भला भगवान या खुदा उसे कैसे माफ कर सकते हैं र्षोर्षो

Þईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवानß आजादी के छ: दशक बाद भी बापू की लाइनों की देश को जरूरत हैं। आज आवश्यक्ता इस बात की हैं कि धर्म या मजहब का नियन्त्रण धर्माचार्यों और मौलवियों के हाथों में रहे और प्रजातन्त्र में शासन चलाने का काम राजनेताओं के नियन्त्रण में रहे। इन दोनों में घालमेल ना हो। साथ यह भी आवश्यक हैं कि अपराधियों और गुनहगारों में धर्म और मजहब को तलाशने तथा उस आधार पर संरक्षण देने का काम भी बन्द हो। प्रशासनिक अमला भी इन आपराधिक तत्वों के नियन्त्रण में राजनैतिक हस्तक्षेप को बरदाश्त ना करें और कड़ाई से कार्यवाही करें। ऐसा सब कुछ हो जाये तो आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सदभाव देश में हमेशा बना रहेगा।

सम सामयिक टिप्पणी हस्ताक्षर

विदज ातनजकमअ10

Monday, September 27, 2010

संगठन चुनाव के नाम पर जिले में मात्र हरवंश सिंह के केवलारी क्षेत्र में मजबूत कांग्रेस को ही और मजबूत करने का काम किया गया है

प्रभात झॉ के कार्यक्रम में केवलारी का जुड़ना एक महत्वपूर्ण राजनैतिक घटना मानी जा रही हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि वैसे तो डॉ. बिसेन ने अच्छा चुनाव लड़ा था लेंकिन हमारी ही कुछ कसर रह गई। लेकिन इस बार आपको कोई चूक नहीं करना हैं। वैसे शायद प्रभात झॉ जी इस तथ्य वाकिफ ही होंगें कि इंका भाजपा की नूरा कुश्ती में ही केवलारी सीट भाजपा हारती आ रही हैं बदले में उसे शेष सभी सीटों पर जीत दिलायी जाती हैं। कांग्रेस के संगठन चुनावों के नाटक का समापन हो गया हैं। विगत दिनों कांग्रेस के जिला निर्वाचन अधिकारी वालुजकर सिवनी दोबारा आये थे। जिला प्रतिनिधियों की सूची गोपनीय रखी गई थी। इसको मीडिया को भी उपलब्ध नहीं कराया गया था। बैठक में पहुंचे वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार पप्पू खुराना,प्रसन्न मालू और संजय भारद्वाज आदि ने इस बात पर आपत्ति उठायी कि जिला प्रतिनिधियों की सूची को गोपनीय क्यों रखा गयार्षोर्षो चुनाव के नाम पर औपचारिकता करके किसी नेता की मनमानी थोपी जा रही हैं। अयोध्या विवाद पर आने वाले फैसले को लेकर जिले में अमन चैन बनाये रखने के लिये ऐतिहात के तौर पर कई कार्य किये गये। जिले के प्रशासनिक अमले के साथ ही विभिन्न राजनैतिक दलों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी। विगत 23 सितम्बर को प्रशासन की पहल पर जिले के सभी घर्म गुरुओं,राजनैतिक दलों के नेता,सामाजिक कार्यकत्ताZ और प्रशानिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से शान्ति मार्च का आयोजन किया।



प्रभात झा के दौरे में केवलारी का रहना चर्चित- लंबे समय बाद जिले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झॉ का नगरागमन हुआ। उन्होंने जिले के सभी मंड़लों के कार्यकत्ताZओं से तीन सम्मेलनों में मुलाकात की और उन्हें मार्गदर्शन दिया। सिवनी,केवलारी और लखनादौन में उनकें सम्मेलन हुये। प्रभात झॉ के कार्यक्रम में केवलारी का जुड़ना एक महत्वपूर्ण राजनैतिक घटना मानी जा रही हैं। उल्लेखनीय हैं कि केवलारी क्षेत्र कांग्रेस के हरवंश सिंह विधायक हैं जो इन दिनो विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर आसीन हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि विस उपाध्यक्ष रहते हुये भी जब हरवंश सिंह ने कांग्रेस के निर्णय के साथ सदन के बहिष्कार का निर्णय लिया था और यह बयान दिया था कि पार्टी मेरे लिये पहले हैं और उपाध्यक्ष पद बाद मे हैं। तब सदन के अन्दर और बाहर भारी बवाल मचा था। नये प्रदेशाध्यक्ष बन प्रभात झॉ ने पूर्व मुख्यमन्त्री कैलाश जोशी और कप्तान सिंह के साथ राज्यपाल से भेंट कर श्री हरवंश सिंह के संवैधानिक पद पर रहते हुये सदन के बहिष्कार को आपत्तिजनक बताते हुये आवयक कार्यवाही करने की मांग की थी। लेकिन भाजपा की गुटबाजी और इंका भाजपा की नूरा कुश्ती के चलते हरवंश सिंह के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुयी थी। इसलिये प्रभात झॉ के जिले के दौरे में केवलारी के सम्मलिम होने को लेकर तरह तरह की अटकलें लगायी जा रहीं हैं। उनके इस प्रवास में भाजपा के केवलारी से रहे पूर्व मन्त्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी साथ थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि वैसे तो डॉ. बिसेन ने अच्छा चुनाव लड़ा था लेंकिन हमारी ही कुछ कसर रह गई। लेकिन इस बार आपको कोई चूक नहीं करना हैं और पिछले चार बार बदला लेकर इस बार यह सीट जीतना ही हैं। वैसे शायद प्रभात झॉ जी इस तथ्य वाकिफ ही होंगें कि इंका भाजपा की नूरा कुश्ती में ही केवलारी सीट भाजपा हारती आ रही हैं बदले में उसे शेष सभी सीटों पर जीत दिलायी जाती हैं। भाजपा यदि सन 1993 के पहले चुनाव से लेकर आज तक की अपनी हार की समीक्षा करे तो सारे तथ्य वैसे ही उजागर हो जायेंगें लेकिन सब कुछ ओपन सीक्रेट की तरह साफ हैं फिर भी आज तक अनुशासन के जानी जाने वाली भाजपा ने कभी भी किसी के भी खिलाफ भीतरघात के आरोप में कोई कार्यवाही करना उचित नहीं समझा।

केवलारी क्षेत्र को केन्द्र बना कर हुये इंका के चुनाव- कांग्रेस के संगठन चुनावों के नाटक का समापन हो गया हैं। विगत दिनों कांग्रेस के जिला निर्वाचन अधिकारी वालुजकर सिवनी दोबारा आये थे। उन्होंने मालू भवन में एक बैठक में भाग लिया। इस बैठक में प्रवेश नियन्त्रित किया गया था। केवल पासधारी लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी। जिला प्रतिनिधियों की सूची गोपनीय रखी गई थी। इसको मीडिया को भी उपलब्ध नहीं कराया गया था। बैठक में पहुंचे वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार पप्पू खुराना,प्रसन्न मालू और संजय भारद्वाज आदि ने इस बात पर आपत्ति उठायी कि जिला प्रतिनिधियों की सूची को गोपनीय क्यों रखा गयार्षोर्षो चुनाव के नाम पर औपचारिकता करके किसी नेता की मनमानी थोपी जा रही हैं। जिले के एकमात्र विधायक हरवंश सिंह के विश्वास पात्र हीरा आसवानी के नाम पर आम सहमति की बात की गई। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि व्यवहार कुशल व्यवसायी हीरा आसवानी की केवलारी विधानसभा क्षेत्र में शुगर मिल रही हैं एवं पिछले तीन चुनावों से वे पलारी के आस पास के पोलिंग बूथों का प्रभार कुशलता के साथ सम्भालते रहें हैं। जिले में कांग्रेस संगठन के चुनाव ही मात्र केवलारी विधानसभा क्षेत्र जीतने के ही हिसाब से कराये गये हैं जो कि हरवंश सिंह का क्षेत्र हैं जहां से वे चार बार से चुनाव जीत रहें हैं। पिछले पांच चुनावों से सिवनी और बरघाट एवं दो बार से लखनादौन क्षेत्र में कांग्रेस हारती आ रही हैं। लेकिन इन क्षेत्रों को जीत कर कांग्रेस को मजबूत करने के कोई प्रयास संगठन चुनावों में नहीं किये गये है।सिवनी,बरघाट और लखनादौन क्षेत्रसे भी जिन नेताओं का चयन किया गया हें उनमें से अधिकांश हरवंश सिंह के पसन्दीदा उम्मीदवार ना आने पर अपने क्षेत्र में भीतरघात और केवलारी में हरवंश सिंह का चुनावी काम करते रहे हैं। अधिकांश प्रदेश प्रतिनिधियों और जिला प्रतिनिधियों का चयन इसी आधार पर किया गया हैं। केवलारी विधानसभा क्षेत्र में सम्पूर्ण केवलारी ब्लाक के अलावा सिवनी ग्रामीण,छपारा एवं धनोरा ब्लाक के कुछ हिस्से आते है।इन तीनों ब्लाकों के प्रदेश प्रतिनिधि केवलारी क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। इसी तरह इन तीन ब्लाकों के 18 जिला प्रतिनिधियों में से 13 जिला प्रतिनिधि केवलारी क्षेत्र के निवासी हैं जबकि इन तीन ब्लाकों में सिवनी एवं लखनादौन विधानसभा क्षेत्र के बड़े हिस्से शामिल हैं। इस तरह यह तो कहा ही जा सकता हैं कि इन संगठन चुनावों से जिले में कांग्रेस मजबूत नहीं होगी और सोनिया और राहुल की मंशा पर पानी फेर दिया गया है ैंऔर संगठन चुनाव के नाम पर जिले में मात्र केवलारी में मजबूत कांग्रेस को ही और मजबूत करने का काम किया गया हैं।।

अयोध्या विवाद:शान्ति मार्च का हुआ असर- अयोध्या विवाद पर आने वाले फैसले को लेकर जिले में अमन चैन बनाये रखने के लिये ऐतिहात के तौर पर कई कार्य किये गये। जिले के प्रशासनिक अमले के साथ ही विभिन्न राजनैतिक दलों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी। विगत 23 सितम्बर को प्रशासन की पहल पर जिले के सभी घर्म गुरुओं,राजनैतिक दलों के नेता,सामाजिक कार्यकत्ताZ और प्रशानिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से शान्ति मार्च का आयोजन किया जो कि शहर के भेरौगंज इलाके से शुरू होकर विभिन्न इलाकों का भ्रमण करते हुये स्थानीय थाने के सामने वाले उर्दू स्कूल में समाप्त हुआ। शान्ति मार्च के समापन के अवसर पर उपस्थित धर्म गुरुओं,प्रमुख नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने शान्ति और अमन चैन बनाये रखने की अपील की थी। जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक ने जिले ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर शान्ति बनाये रखने की अपील की थी। सभी कार्यक्रमों में उपस्थित नागरिकों को जिला पुलिस अधीक्षक शपथ भी दिलाते थे। इन सब प्रयासों से जिले में एक वातावरण बन गया था। सभी आश्वस्त दिख रहें थे कि बीते कुछ सालों में जिले के अमन चैन और शान्ति के स्विर्णम इतिहास पर लगे बदनुमा दागों को धो लेंगें। लेकिन 24 सितम्बर को होने वाला फैसला टल गया। अब 28 सित. को सुप्रीम कोर्ट में पेशी रहेगी जिसके बाद ही कुछ तय हो पायेगा। वैसे यही उम्मीद की जा रही है कि जिले में अमन चैन बना रहेगा।

Monday, September 20, 2010

अमन चैन के लिये

अपराधियों में धर्म या मजहब तलाशना बन्द करें

अपराध अपराध होता हैं। गुनाह गुनाह होता हैं। अपराधी अपराधी होता हैं। गुनहगार गुनहगार होता हैं।दंगाई दंगाई होता हैं। इनका कोई धर्म या मजहब नहीं होता। इनके ना तो परवरदिगार होते हैं और ना ही भगवान होते हैं। ये ना तो पूजा में विश्वास करते हैं और ना ही इबादत में। इनके ना तो कोई पूजा स्थल होते हैं और ना ही इबादतगाह होते हैं। समाज और राजनेता इनमें यदि धर्म और मजहब तलाशना बन्द कर दे और अपराधियों को सिर्फ अपराधी, गुनहगारों को सिर्फ गुनहगार तथा दंगाइयों को सिर्फ दंगाई मानकर चले तो ज्यादातर फसादों का तो वैसे ही खात्मा हो जायेगा।

आज समस्या इसी बात की हैं कि इन तत्वों में समाज और राजनेता धर्म और मजहब को तलाशने लगे हैं। राजनेता अपनी सुविधा और लाभ के लिये ऐसे तत्वों को संरक्षण देकर बवाल खड़ा करने में भी कोई संकोच नहीं करते हैं। यही मूल कारण है कि जब देखो तब सांप्रदायिक दंगों की आग में कई शहर कई बार धधक जाते हैं और आग जब लगती हैं तो वह यह नहीं देखती कौन आग लगाने वाले धर्म या मजहब का हैं और कौन दूसरे मजहब या धर्म का हैंर्षोर्षो वह अपनी चपेट में सबको समेट लेती हैं और सब कुछ जलाकर खाक कर देती हैं।

स्वामी विवेकानन्द जी ने यह कहा है कि इस देश में कोई भी बड़ा सामाजिक,आर्थिक या राजनैतिक परिवर्तन धर्म के माध्यम से ही सम्भव हैं। इसे मूल मन्त्र मानकर कई राजनेताओं ने धर्म और राजनीति का घालमेल कर दिया हैं। राजनीति यदि धर्म के नियन्त्रण में रहे तो ठीक हैं लेकिन होने यह लगा हें कि राजनेता धर्मावलंबी लोगों की घार्मिक भावनायें भड़का कर अपनी राजनीति चमकाने में लग जातेे हैं। फिर वे ये भी नहीं देखते कि जिस जगह मन्दिर या मिस्जद बनाने की बात कर रहें हैं वह जगह ही मानव मात्र के खून से रंग गई हैं। आदमी के खून से लाल हुयी ऐसी जमीन पर बनी इमारत में ना तो भगवान का वास होगा और ना ही परवरदिगार का। और भला होगा भी कैसे र्षोर्षो जिन्हें पूजा या इबादत करना हैं जब उनका ही खून उसे बनाने के लिये बहा हों तो भला भगवान या खुदा उसे कैसे माफ कर सकते हैं र्षोर्षो

Þईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवानß आजादी के छ: दशक बाद भी बापू की लाइनों की देश को जरूरत हैं। आज आवश्यक्ता इस बात की हैं कि धर्म या मजहब का नियन्त्रण धर्माचार्यों और मौलवियों के हाथों में रहे और प्रजातन्त्र में शासन चलाने का काम राजनेताओं के नियन्त्रण में रहे। इन दोनों में घालमेल ना हो। साथ यह भी आवश्यक हैं कि अपराधियों और गुनहगारों में धर्म और मजहब को तलाशने तथा उस आधार पर संरक्षण देने का काम भी बन्द हो। प्रशासनिक अमला भी इन आपराधिक तत्वों के नियन्त्रण में राजनैतिक हस्तक्षेप को बरदाश्त ना करें और कड़ाई से कार्यवाही करें। ऐसा सब कुछ हो जाये तो आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सदभाव देश में हमेशा बना रहेगा।



सम सामयिक टिप्पणी
 आशुतोष वर्मा

अंबिका सदन,

16 शास्त्री वार्ड,

सिवनी (म.प्र.) 480661

मो. 09425174640





Sunday, September 19, 2010

राजनैतिक रूप से चौंकाने वाले है अनुसुइया के दौरे-

पहले तो बुलाने से भी नहीं आतीं थीं। अब कुछ दिनों से आने के बहाने ढ़ूढ़तीं हैं। चौंकिये नहीं हम बात कर रहें हैं पड़ोसी छिन्दवाड़ा जिलक की भाजपा नेत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुश्री अनुसुइया उइके की। भाजपायी बताते हैं कि पहले कई बार जिलें के कई कार्यक्रमों में जब उन्हें आमन्त्रित करते थे तो वे किसी ना किसी बहाने टाल जातीं थीं। लेकिन कहते हैं कि आजकल वे सिवनी आने के बहाने तलाशतीं हैं। उनके राज्यसभा का तीन चौथाई कार्यकाल भी समाप्त हो चला हैं। आजकल राज्यसभा के लिये प्रदेश को भाजपा ने बाहरी नेताओं का चारागाह बना दिया हैं। इसलिये हर बार एक ना एक राष्ट्रीय नेता प्रदेश से चुनकर राज्यसभा में जा रहा हैं। इसलिये आगे क्या होगा यह कहना आज तो सम्भव नहीं हें लेकिन राज्यसभा के दूसरे कार्यकाल के लिये टिकिट ला पाना उतना आसान भी नहीं हो पायेगा। वैसे सुश्री उइके प्रदेश में पटवा ग्रुप की मानी जाती हैं और उनके ही बल पर वे आज इस मुकाम पर हैं। पटवा जब छिन्दवाड़ा से कमलनाथ को हरा कर सांसद बने थे तब अनुसुइया ने उनका बहुत काम किया था। इसी चुनाव में तत्कालीन मन्त्री एवं केवलारी के इंका विधायक हरवंश सिंह पर कमलनाथ को हराने के आरोप भी लगे थे। प्रदेश के मुख्यमन्त्री भी पटवा के ही अनुयायी माने जाते हैं। कुछ दिनों से जबलपुर संभाग के सर्वमान्य आदिवासी नेता फगग्नसिंह कुलस्ते से शिवराज की पट नहीं रही है। वे इस बार मंड़ला लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी हार गये हैं। नये परिसीमन में जिले की लखनादौन और केवलारी विस सीट मंड़ला लोकसभा क्षेत्र में ही आती हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि अनुसुइया 1993 में जिले के लखनादौन विस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुकीं हैं। केवलारी क्षेत्र से तो अभी भी भाजपा ही जीती हैं। इन सब राजनैतिक कारणों सें सुश्री उइके के इन दौरों को नज़र अन्दाज नहीं किया जा सकता। यह भी हो सकता हें कि कुलस्ते की जड़ों में मट्ठा डालने के लिये इन दौरों को शिवराज का भी समर्थन हासिल हो। सुश्री उइके अपनी सांसद निधि से विकास कार्यों के लिये राशि भी दे रहीं हैं। वैसे उनके सभी कार्यक्रम सामाजिक रूप से आयोजित हों रहें हें लेकिन इनमें हो सकने वाली राजनीति से अनजान बने रहना एक भूल भी हो सकती हैं।वैसे तो प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष होने के नाते उनका कार्यक्रम कोई अनुचित नहीं कह सकता लेकिन कुछ भाजपाइयों के इन कार्यक्रमों में परहेज से तो यही लगता हैं कि हो ना हो इन दौरों के पीछे कोई उच्च स्तरीय राजनीति जरूर हैं।
क्या राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप हो पायेंगें युवक कांग्रेस के चुनाव?

कांग्रस महासचिव राहुल गांधी की मंशा के के अनुरूप मध्यप्रदेश में भी युवक कांग्रेस के चुनाव होने वाले हें। इसी सिलसिले पिछले दिनों प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी भी सिवनी आये थे जो एक बार फिर अध्यक्ष बनना चाहते हैं। बीते दिनों प्रदेश एन.एस.यू.आई. की पूर्व अध्यक्ष सुश्री रिश्म पवार बालाघाट जाते वक्त सिवनी में भी रुकीं। जिले के युवा इंका नेता आसिफ इकबाल के नेतृत्व में युवकों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार खुराना,जकी अनवर,गीता ठाकुर,डी.वी.नायर,प्रदीप राय आदि नेता उपस्थित थे। लेकिन जिला इंका ें पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम से किनारा काट लिया। और तो और जिला युवा इंका ग्रामीण एवं शहर के अध्यक्ष रंजीत यादव और देवी सिं चौहान भी कहीं नज़र नहीं आये। वैसे भी सिवनी जिला राहुल गांधी के आम अरदमी के सिपाही कार्यक्रम के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल का गृह जिला हैं। वे भी इस कार्यक्रम में कहीं नहीं थे। हालांकि इस कार्यक्रम में गुटबाजी से दूर रहकर कांग्रेस को मजबूत करने का आव्हान किया गया लेकिन जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के समर्थक कांग्रेसी कार्यक्रम में जनर नहीं आये। ऐसे में जिले में राहुल गांधी की आशा के अनुरूप युवक कांग्रेस कैसे काम करेगी?इसका तो भगवान ही मालिक हैं। जिले में तो इा बात की भीह संभावना बहुत कम हैं कि जिले में युवक कांग्रेस के चुनाव भी तरीके से हो जाये और पदाधिकारी नेताओं की जेब के बजाय कार्यकत्ताZओं के बीच से चुना जा सके। यह आशंका हाल ही में हुये जिला इंका के चुनावों की में की गई मनमानी से और भी अधिक बलवती हो रही हैं।



क्या राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप हो पायेंगें युवक कांग्रेस के चुनावर्षोर्षो

कांग्रस महासचिव राहुल गांधी की मंशा के के अनुरूप मध्यप्रदेश में भी युवक कांग्रेस के चुनाव होने वाले हें। इसी सिलसिले पिछले दिनों प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी भी सिवनी आये थे जो एक बार फिर अध्यक्ष बनना चाहते हैं। बीते दिनों प्रदेश एन.एस.यू.आई. की पूर्व अध्यक्ष सुश्री रिश्म पवार बालाघाट जाते वक्त सिवनी में भी रुकीं। जिले के युवा इंका नेता आसिफ इकबाल के नेतृत्व में युवकों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार खुराना,जकी अनवर,गीता ठाकुर,डी.वी.नायर,प्रदीप राय आदि नेता उपस्थित थे। लेकिन जिला इंका ें पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम से किनारा काट लिया। और तो और जिला युवा इंका ग्रामीण एवं शहर के अध्यक्ष रंजीत यादव और देवी सिं चौहान भी कहीं नज़र नहीं आये। वैसे भी सिवनी जिला राहुल गांधी के आम अरदमी के सिपाही कार्यक्रम के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल का गृह जिला हैं। वे भी इस कार्यक्रम में कहीं नहीं थे। हालांकि इस कार्यक्रम में गुटबाजी से दूर रहकर कांग्रेस को मजबूत करने का आव्हान किया गया लेकिन जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के समर्थक कांग्रेसी कार्यक्रम में जनर नहीं आये। ऐसे में जिले में राहुल गांधी की आशा के अनुरूप युवक कांग्रेस कैसे काम करेगीर्षोर्षो इसका तो भगवान ही मालिक हैं। जिले में तो इा बात की भीह संभावना बहुत कम हैं कि जिले में युवक कांग्रेस के चुनाव भी तरीके से हो जाये और पदाधिकारी नेताओं की जेब के बजाय कार्यकत्ताZओं के बीच से चुना जा सके। यह आशंका हाल ही में हुये जिला इंका के चुनावों की में की गई मनमानी से और भी अधिक बलवती हो रही हैं।



क्या राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप हो पायेंगें युवक कांग्रेस के चुनावर्षोर्षो

कांग्रस महासचिव राहुल गांधी की मंशा के के अनुरूप मध्यप्रदेश में भी युवक कांग्रेस के चुनाव होने वाले हें। इसी सिलसिले पिछले दिनों प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी भी सिवनी आये थे जो एक बार फिर अध्यक्ष बनना चाहते हैं। बीते दिनों प्रदेश एन.एस.यू.आई. की पूर्व अध्यक्ष सुश्री रिश्म पवार बालाघाट जाते वक्त सिवनी में भी रुकीं। जिले के युवा इंका नेता आसिफ इकबाल के नेतृत्व में युवकों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार खुराना,जकी अनवर,गीता ठाकुर,डी.वी.नायर,प्रदीप राय आदि नेता उपस्थित थे। लेकिन जिला इंका ें पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम से किनारा काट लिया। और तो और जिला युवा इंका ग्रामीण एवं शहर के अध्यक्ष रंजीत यादव और देवी सिं चौहान भी कहीं नज़र नहीं आये। वैसे भी सिवनी जिला राहुल गांधी के आम अरदमी के सिपाही कार्यक्रम के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल का गृह जिला हैं। वे भी इस कार्यक्रम में कहीं नहीं थे। हालांकि इस कार्यक्रम में गुटबाजी से दूर रहकर कांग्रेस को मजबूत करने का आव्हान किया गया लेकिन जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह के समर्थक कांग्रेसी कार्यक्रम में जनर नहीं आये। ऐसे में जिले में राहुल गांधी की आशा के अनुरूप युवक कांग्रेस कैसे काम करेगीर्षोर्षो इसका तो भगवान ही मालिक हैं। जिले में तो इा बात की भीह संभावना बहुत कम हैं कि जिले में युवक कांग्रेस के चुनाव भी तरीके से हो जाये और पदाधिकारी नेताओं की जेब के बजाय कार्यकत्ताZओं के बीच से चुना जा सके। यह आशंका हाल ही में हुये जिला इंका के चुनावों की में की गई मनमानी से और भी अधिक बलवती हो रही हैं।

























































Saturday, September 18, 2010

तार तार हुयी भाजपा में अनुशासन की चादर -

कभी पूरे देश में भाजपा सबसे अधिक अनुशासित पार्टी मानी जाती थी। भाजपा को भी इस बात पर नाज था। लेकिन राज पाठ मिलते ही ऐसा राजरोग लगा कि यह सब कुछ गायब ही हो गया। हाल ही में झारखंड़ में मुंड़ा की हुयी ताजपोशी के समारोह में यह सब कुछ पूरी तरह खुल गया। शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवानी सहित द्वितीय पंक्ति के कई राष्ट्रीय नेता शामिल नहीं हुये। आज भाजपा में ऊपर से लेकर नीचे तक यही हाल हैं। कहीं मुख्यमन्त्री और प्रदेश अध्यक्ष दो छोर पर खड़े दिखायी दे रहें हें तो कहीं जिले में भाजपा कई गुटों में बंटी दिखायी दे रही हैं। जिले में तो हालात यहां तक पुंहच गये हैं कि पार्टी के नेता ही एक दूसरे के खिलाफ अखबारबाजी कराने से भी नहीं चूक रहें हैं। समन्वय बनाने का काम जिन संगठन मन्त्री के जिम्मे हैं वे खुद ही कभी किसी के तो किसी के पक्षधर बन कर एक पार्टी बन जाते हैं। यही कारण हें कि संगठन मन्त्री खुद ही ना केवल विवादों के घेरे में आ गये हैं वरन अखबारों में सुखीZ भी बन रहें हैं।फिर यह तो एक सिद्धान्त ही हैं कि ताल मेल बनाने का काम करने वाला यदि खुद ही अपनी पसन्द और नापसन्दगी के दायरे में घिर जाये तो फिर वो काम या योग्यता के अधार पर सभी कार्यकत्ताZओं के साथ न्याय नहीं कर सकता हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों जिला भाजपा में हो रहा हैं। कई गुटों में बंटी जिला भाजपा में समन्वय के आभाव में एका नहीं हो पा रहा हैं। भाजपायी भी कांग्रेसियों का विरोध करने के बजाय अपने आपस में ही गला काट प्रतियोगिता में लगे हुये हैं। वो तो भला हो कि कांग्रेस और उसके इकलोते छत्रप हरवंश सिंह से चुनावी नूरा कुश्ती सेट हो जाती हैं जिसके चलते भाजपा चुनावी वैतरणी पार कर लेती हैं वरना जिस दिन यह नूरा कुश्ती टूट जायेगी उस दिन जिले में भाजपा को एक सीट जीतने के भी लाले पड़ जायेंगें। अन्यथा भजपा का आला नेतृत्व इस बात की पड़ताल करा ले कि कब कौन सा विधायक किन कारणों से तीजा और कब कब भाजपा केवलारी में किन किन कारणों से हारीर्षोर्षो कुुल मिलाकर वर्तमान में यह तो कहा ही जा सकता हैं कि भाजपा को अनुशासन की जिस चादर पर नाज था वह आज तार तार हो चुकी हैं।

Thursday, September 16, 2010

कलेक्टर का पत्र संशोधित करायें शिवराज

सुप्रीम कोर्ट के खुलासे से हुआ स्पष्ट :कुरई घाटी छोड़कर पेड़ काटने की स्थगित अनुमति बहाल की जाये

प्रदेश सरकार जिला कलेक्टर को इस बाबद निर्देश जारी करें कि फोर लेन मामले में पूर्व में जारी गये आदेश को संशोधित करें और विवादास्पद कुरई घाटी के क्षेत्र को छोड़कर शेष जगह पेड़ काटने के लिये पदान की गई अनुमति को यथावत रखें । सुप्रीम कोर्ट के खुलासे के बाद यह स्पष्ट हो गया हैं कि शेष जगह जो काम रुका हैं वह कलेक्टर के उसी पत्र के कारण रुका हैं।

उक्ताशय के तथ्य प्रस्तुत करतें हुये इंका नेता आशुतोष वर्मा ने मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भेजा हैं। पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व औऱ जिला कलेक्टर को भी भेंजी गई हैं। पत्र में बताया गया हें कि उत्तर दक्षिण कारडोर का निर्माण हो रहा हैं जिसमें सिवनी जिले के लखनादौन से लेकर खवासा तक निर्माण कार्य जारी था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में पेंच टाइगर रिर्जव के हिस्से को लेकर एक याचिका विचाराधीन हैं। इस याचिका में जिले के नागरिक भी जनमंच के माध्यम से हस्तक्षेपकत्ताZ हैं। आपने भी राज्य सरकार की ओर वकील नियुक्त किया हैं।

इंका नेता वर्मा ने पत्र में आगे यह भी उल्लेख किया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पिछली 13 सितम्बर की पेशी में यह खुलासा किया हैं कि कुरई घाट के 8.57 कि.मी. के विवादित हिस्से को छोड़कर शेष भाग के निर्माण में कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगायी हैं। लेकिन सी.ई.सी. के प्रदेश के मुख्य सचिव को संबोधित पत्र के आधार पर जिला कलेक्टर पी.नरहरि ने दिनांक 18 दिसम्बर 2008 को राज्य शासन की अनुशंसा की प्रत्याशा में वन भूमि और गैर वन भूमि में पेड़ कटाई की पूर्व में जारी की गई अनुमति को स्थगित कर दिया था और पेड़ कटाई प्रतिबंधित कर दी थी। जिससे निमार्ण कार्य रुक गया हैं। ऐसा भी विदित हुआ हें कि जिला कलेक्टर के इस पत्र में उल्लेखित राज्य शासन की अनुशंसा अभी तक प्राप्त नहीं हुई हैं जिसकी प्रत्याशा में जिला कलेक्टर ने आदेश जारी किये थे।

मुख्यमन्त्री को भेजे गये पत्र में इंका नेता वर्मा ने बताया हैं कि जिले में लगभग 38 कि. मी. रोड़ का निर्माण कार्य रुका हुआ हैं। ऐसी परिस्थिति में कोर्ट के इस खुलासे के बाद लगभग 30 कि.मी. रोड़ का निर्माण कार्य शुरू हो सकता हैं। इस हेतु यह आवयक हैं कि प्रदेश सरकार अब नये निर्देश जारी करे और कलेक्टर सिवनी के पत्र को संशोधित कर मात्र विवादास्पद 8.57 कि.मी के विवादित क्षेत्र भर में पेंड़ कटाई प्रतिबंधित रहे तथा शेष इलाके में इस हेतु लगाया प्रतिबंध समाप्त किया जाये ताकि निर्माण कार्य प्रारंभ हो सके।

इंका नेता आशुतोष वर्मा ने सरकार को हो रहे नुकसान की जानकारी देते हुये लिखा हें कि यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि एन.ए.एच.आई. द्वारा ठेकेदार को बाधामुक्त जमीन उपलब्ध ना कराने के कारण प्रतिदिन लाखों रुपयों की छतिपूर्ति देना होगा जो अभी लगभग 200 करोड रुपये हो चुकी हैं। इस सम्बंध में जिला कलेक्टर सिवनी ने अपने पत्र दिनांक 19 दिसम्बर 2008 के माध्यम से राज्य शासन का ध्यानाकषिZत कराया था लेकिन इस पत्र आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुयी हैं।

पत्र के अन्त में इंका नेता ने अनुरोध किया हैं कि प्रदेश सरकार शीघ्र जिला कलेक्टर सिवनी के उक्त पत्र दिनांक 18 दिसम्बर 2008 में संशोधन करने के निर्देश जारी करें जिसके कारण कॉरीडोर के निर्माण का कार्य रुका हुआ हैं वह शीघ्र ही प्रारंभ हो सके।

Tuesday, September 14, 2010

शिव की नगरी सिवनी को फिर निराश करेंगें शिवराज?


राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के भाजपायी हल्कों में इस बात की तेजी से चर्चा चल रही हैं कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान गणेश उत्सव के दौरान ही निगम और मंड़लों में नामांकन करके भाजपाइयों को गणेश जी के प्रसाद के रूप में मोदक खिलाने वाले हैं।

यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि शिवराज ने शिव की नगरी सिवनी को निराश ही किया हैं। जिले के चार में से तीन विधायक भाजपा के रहते हुये भी किसी को भी मन्त्रीमंड़ल में नहीं लिया। प्रदेश के चार सांसदों को भाजपा ने विधानसभा के टिकिट दिये थे। जीतने के बाद चार में से तीन को मन्त्री बना दिया लेकिन सिवनी की नीता पटेरिया को मन्त्री नहीं बनाया।

राजनैतिक क्षेत्रों में जारी चर्चाओं के अनुसार पूर्व विधायक नरेश दिवाकर, जिनकी टिकिट भाजपा ने काट दी थी, के साथ पूर्व मन्त्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी निगम या मंड़ल के अध्यक्ष पद के सशक्त दावेदार हैं।लेकिन सदैव की भान्ति शायद इस बार भी शिव की नगरी सिवनी के भाजपाइयों शिव के पुत्र गणेश के जन्मोत्सव में बांटे जाने वाले मोदकों का आनन्द शायद ही उठाने को मिले।

वैसे तो ऐसी चर्चायें सरकार बनने के बाद से कई बार चली लेकिन शिवराज ने अपना पिटारा नहीं खोला। इस बार भी यदि गणेशोत्सव में मोदक का प्रसाद नहीं मिला तो फिर पितृ पक्ष में तो मिलने से रहा और जब इतने दिन के लिये बात टल जायेगी तो फिर ना जाने कब तक के लिये बात टल जाये?इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता हैं।

Sunday, September 12, 2010

भीमगढ़ जलावर्धन योजना

भाजपा इंका की नूरा कुश्ती का खामियाजा भोगा शहर ने

1 करोड़ 25 लाख रुपये की राशि बिजली बिल में समायोजित : थम गया हैं विकास का पहिया : 13 करोड़ बिजली का बिल बाकी : राजेश,नीता,के.डी.,शिवराज कुछ करेंगें या मूक दर्शक बन देखेंगें तमाशा

जिले के लिये वरदान मानकर बनायी गई भीमगढ़ जलावर्धन योजना अब अभिशाप बन गई हैं। योजना के निर्माण में हुये भारी भ्रष्टाचार के कारण यह योजना तकनीकी स्वीकृति के अनुसार काम नहीं कर रही हैं। इसीलिये इस योजना को बिजली का बिल 13 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया हैं। इंका भाजपा की नूरा कुश्ती के कारण आज तक इस योजना की जांच नहीं हो पायी। प्रदेश की भाजपा सरकार ने नगर विकास के लिये मिलने वाली 1 करोड़ 25 लाख रुपये की राशि काटकर बिजली के बिल भुगतान में समायोजित कर ली हैं। इसका खामियाजा पूरा शहर भुगतेगा। क्या रोड़ शो करके भाजपा को जिताने आये शिवराज शहर के लोगों को राहत दिलायेंगेंर्षोर्षो यह सवाल राजनैतिक गलियारों में गूंज रहा हैं।

यहां यह उल्लेखनीय हैं कि शहर की सन 2021 तक की अनुमानित 1 लाख 20 हजार आबादी को दोनों समय में 12 एम.एल.डी. पाने देने के लिये बनायी गई थी। इस परियोजना के संचालन में तकनीकी स्वीकृति के अनुसार शहर को दोनो समय 12 एम.एल.डी. पानी देने पर 57 लाख यूनिटों की खपत होनी चाहिये। इसमें शहर की चारों टंकिया, जिनकी कुल क्षमता 5.40 एम.एल.डी. हैं, को 22 घंटों में दो बार भरना चाहिये था। लेकिन हर व्यक्ति यह बात जानता हैं कि आज तक एक बार भी टंकिया ओनों टाइम नहीं भरी जा सकीं वरन 20 घंटें में बमुश्किल एक बार ही टंकिया भर जा रही हैं। इसके बावजूद भी आधा पानी मिलने पर पर दो गुना बिजली का बिल आ रहा हैं। यही राशि बढ़कर आज 13 करोड़ से भी अधिक हो गई हैं।

शहर के लिये वरदान मान कर बनासयी इस जलावर्धन योजना को बनाने में ऐसा भ्रष्टाचार हुआ कि बनते से ही यह योजना वरदान के बजाय अभिशाप बन गई हैं। यह योजना कांग्रेस शासन काल में पी.एच.ई.मन्त्री हरवंश सिंह के कार्यकाल में पूरी हुयी थी। जिसमें हुये भ्रष्टाचार को लेकर एक भाजपा नेता ने दुगाZ मंड़प में झांकी भी लगायी थी।योजना को बनवाने का श्रेय लेने वाले नेता तो भागीरथ बन गये लेकिन भ्रष्टाचार के नंगे नाच ने गंगा को ही कर्जदार बना डाला हैं। इसकी जांच के लिये कई जतन किये गये लेकिन जांच नहीं हो पायी। इंका नेता आशुतोष वर्मा ने कांग्रेस शासनकाल में पोस्टकार्ड अभियान चलाया। इसी दौरान उनके अनुरोध पर पालिका के अध्यक्ष विजय चौरसिया के कार्यकाल में 22 पार्षदों की मांग पर परिषद की अभियाचित बैठक दिनांक 6 फरवरी 2003 को परिषद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके राज्य शासन से मांग की थी कि इस योजना की जांच की जाये कि आधा पानी मिलने पर भी दुगना बिजली का बिल कैसे आ रहा हैंर्षोर्षो इसके बाद भाजपा शासनकाल में जिला भाजपा अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर ने भी इस परियोजना की जांच की मांग की थी। लेकिन इस परियोजना में भ्रष्टाचार करने वालों की जड़े इतनी गहरी थीं कि कोई भी आज तक जांच नहीं करा पाया हैं। भाजपा और इंका की इस नूरा कुश्ती का खामियाजा आज पूरा भुगत रहा हैं रहा है जबकि प्रदेश की शिवराज सरकार ने शहर विकास के लिये मिलने वाली राशि में से एक करोड़ 25 लाख रुपये की राशि एक मुश्त बिजली के बिल में समायोजित कर ली।

नगर पालिका चुनाव में भाजपा को जिताने के लिये प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने रोड़ शो करके सड़क सड़क वोट मांगे थे। जनता ने उनके प्रत्याशी को जिताया भी हैं। लेकिन आज उनकी ही सरकार ने शहरवासियों के मुंह से निवाला छीन लिया हैं। शिवराज के चुनाव में किये गये विकास के दावे खोखले साबित हो रहें हैं। पिछले पन्द्रह सालों से लगातार बिजली के बिल का भुगतान पूरा नहीं हो रहा हैं। पालिका करीब 13 करोड़ रुपये से भी अधिक बिल देना बाकी हैं। क्या भाजपा के पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी अपने राजनैतिक सम्बंधों का लाभ शहर के लोगों को भी दिलायेंगेंर्षोर्षोक्या शिवराज शहर के लोगों को इस अभिशाप से निजात दिलाने के लिये सरकार से अनुदान दिलायेंगेंर्षोर्षो क्या भाजपा विधायक नीता पटेरिया शहर के नागरिकों की सुध लेकर विधानसभा में प्रश्न उठाकर इस योजना की जांच की मांग करेंगींर्षोर्षो क्या भाजपा सांसद के.डी.देशमुख संसद में इस बारे में कुछ करेंगेंर्षोर्षो या सभी चुप रहकर तमाशा देखते रहेंगें और शहर के नागरिक इन नेताओं की नूरा कुश्ती का खामियाजा ऐसे ही भुगतते रहेंगें।



Saturday, September 11, 2010

अमन चैन के लिये अपराधियों में धर्म या मजहब तलाशना बन्द करें

अपराध अपराध होता हैं। गुनाह गुनाह होता हैं। अपराधी अपराधी होता हैं। गुनहगार गुनहगार होता हैं।दंगाई दंगाई होता हैं। इनका कोई धर्म या मजहब नहीं होता। इनके ना तो परवरदिगार होते हैं और ना ही भगवान होते हैं। ये ना तो पूजा में विश्वास करते हैं और ना ही इबादत में। इनके ना तो कोई पूजा स्थल होते हैं और ना ही इबादतगाह होते हैं। समाज और राजनेता इनमें यदि धर्म और मजहब तलाशना बन्द कर दे और अपराधियों को सिर्फ अपराधी, गुनहगारों को सिर्फ गुनहगार तथा दंगाइयों को सिर्फ दंगाई मानकर चले तो ज्यादातर फसादों का तो वैसे ही खात्मा हो जायेगा।

आज समस्या इसी बात की हैं कि इन तत्वों में समाज और राजनेता धर्म और मजहब को तलाशने लगे हैं। राजनेता अपनी सुविधा और लाभ के लिये ऐसे तत्वों को संरक्षण देकर बवाल खड़ा करने में भी कोई संकोच नहीं करते हैं। यही मूल कारण है कि जब देखो तब सांप्रदायिक दंगों की आग में कई शहर कई बार धधक जाते हैं और आग जब लगती हैं तो वह यह नहीं देखती कौन आग लगाने वाले धर्म या मजहब का हैं और कौन दूसरे मजहब या धर्म का हैं? वह अपनी चपेट में सबको समेट लेती हैं और सब कुछ जलाकर खाक कर देती हैं।

स्वामी विवेकानन्द जी ने यह कहा है कि इस देश में कोई भी बड़ा सामाजिक,आर्थिक या राजनैतिक परिवर्तन धर्म के माध्यम से ही सम्भव हैं। इसे मूल मन्त्र मानकर कई राजनेताओं ने धर्म और राजनीति का घालमेल कर दिया हैं। राजनीति यदि धर्म के नियन्त्रण में रहे तो ठीक हैं लेकिन होने यह लगा हें कि राजनेता धर्मावलंबी लोगों की घार्मिक भावनायें भड़का कर अपनी राजनीति चमकाने में लग जातेे हैं। फिर वे ये भी नहीं देखते कि जिस जगह मन्दिर या मिस्जद बनाने की बात कर रहें हैं वह जगह ही मानव मात्र के खून से रंग गई हैं। आदमी के खून से लाल हुयी ऐसी जमीन पर बनी इमारत में ना तो भगवान का वास होगा और ना ही परवरदिगार का। और भला होगा भी कैसे ? जिन्हें पूजा या इबादत करना हैं जब उनका ही खून उसे बनाने के लिये बहा हों तो भला भगवान या खुदा उसे कैसे माफ कर सकते हैं ?

Þईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवानß आजादी के छ: दशक बाद भी बापू की लाइनों की देश को जरूरत हैं। आज आवश्यक्ता इस बात की हैं कि धर्म या मजहब का नियन्त्रण धर्माचार्यों और मौलवियों के हाथों में रहे और प्रजातन्त्र में शासन चलाने का काम राजनेताओं के नियन्त्रण में रहे। इन दोनों में घालमेल ना हो। साथ यह भी आवश्यक हैं कि अपराधियों और गुनहगारों में धर्म और मजहब को तलाशने तथा उस आधार पर संरक्षण देने का काम भी बन्द हो। प्रशासनिक अमला भी इन आपराधिक तत्वों के नियन्त्रण में राजनैतिक हस्तक्षेप को बरदाश्त ना करें और कड़ाई से कार्यवाही करें। ऐसा सब कुछ हो जाये तो आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सदभाव देश में हमेशा बना रहेगा।



आशुतोष वर्मा

16 शास्त्री वार्ड

सिवनी म.प्र.

09425174640











Monday, September 6, 2010

फोर लेन विवाद
इंका नेता आशुतोष के पत्र पर प्रधानमन्त्री कार्यालय से हुयी पहल

सिवनी।फोर लेन मामले में इंका आशुतोष वर्मा के पत्र पर प्रधान मन्त्री कार्यालय ने पहल करते हुये भू तल परिवहन मन्त्रालय को यथोचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।

जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने प्रधानमन्त्री को संबोधित अपने माह सितम्बर के पत्र में ध्यानाकषिZत कराते हुये उल्लेख किया था कि समूचे देश में चारों महानगरो और चारों दिशाओं को न्यूनतम लंबाई के मार्गों को जोड़कर ईंधन एवं समय की बचत के लिये प्रधानमन्त्री स्विर्णम चतुर्भुज योजना के तहत एक्सप्रेस हाई वे बनाये जा रहे हैं। इसके तहत कन्याकुमारी से काश्मीर तक बनने वाला चार हजार कि. मी. लंबा उत्तर दक्षिण कॉरीडोर मध्यप्रदेश के सिवनी जिले से होकर नागपुर से कन्याकुमारी तक बन रहा हैं। यह मार्ग सिवनी जिले में कुरई विकासखंड़ में स्थित पेंच नेशनल पार्क की सीमाओं के बाहर से जा रहा हैं। जिले में यह कॉरीडोर मार्ग लगभग 63 किलोमीटर बन चुका हैं और मात्र 38 किलो मीटर बनना शेष हैं। सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस पकरण की विस्तृत जानकारी देते हुये इंका नेता वर्मा ने भेजे गये फ्ेक्स में लिखा हैं कि इस कारीडोर के निर्माण को रोकने के लिये एक एन.जी.ओं. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंड़िया दिल्ली द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उक्त याचिका आई.ए.क्र. 1124/09 पेश की गई हैं जो कि विचाराधीन हैं। इस पत्र में भूतल परिवहन मन्त्रालय एवं वन तथा पर्यावरण मन्त्रालयों की एक राय ना बनने के कारण सरकार को हो रहे नुकसान को देखते हुये प्रधानमन्त्री से हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी।

प्रधानमन्त्री कार्यालय से प्राप्त पत्र से यह विदिति हुआ हैं कि इंका नेता वर्मा का यह पत्र यथोचित कार्यवाही के लिये सचिव भू तल परिवहन मन्त्रालय को भेज दिया गया हैं। प्रधानमन्त्री कार्यालय से हुयी इस पहल से जिले के फोर लेन मामले के जल्दी निराकरण की उम्मीद बन गई हैं।

क्या सिवनी,बरघाट और लखनादौन सीटें भाजपा को जिताने के हिसाब से हुये इंका के चुनाव?
भाजपा की कार्यकारिणी में केवलारी क्षेत्र की उपेक्षा पर भी लगे थे नूरा कुश्ती के आरोप

सिवनी। हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधियों के नामों की घोषणा की गई हैं। इस सूची को देखकर सियासी हल्कों में यह चर्चा आम हो गई हें कि पिछले कई चुनावों से हारने वो क्षेत्रों में कांग्रेस को मजबूत करने की दृष्टि से नहीं वरन चार बार से जीत रहे केवलारी के किले को बचाये रखने के हिसाब से की गई हैं।

जिले के राजनैतिक क्षेत्रों में बहुप्रतीक्षित कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधियों की सूची जारी हो गई हैं। इस सूची में पूर्व से चर्चित नामों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ हैं। इसमें सिवनी नगर से राजकुमार पप्पू खुराना, ग्रामीण से मो. समी अंसारी,केवलारी से हरवंश सिंह,छपारा से शफीक मोहम्मद,लखनादौन से बेनी परते,धनोरा से नेहा सिंह,कुरई से राजा बघेल, धंसौर से योगेन्द्र सिंह और बरघाट से महेश मालू शामिल हैं। पूर्व में धनोरा से करतार सिंह,बरधाट से अर्जुन काकोड़िया और घंसौर से आलोक वाजपेयी के नाम प्रकाशित हुये थे।

bन नामों के चयन से यह स्पष्ट दिखायी दे रहा हैं कि केवलारी विस क्षेत्र को केन्द्र मानकर नेताओं का चयन किया गया हैं। केवलारी विस क्षेत्र में जिले के आठ विकासखंड़ों में से केवलारी, छपारा, धनोरा, सिवनी ग्रामीण, बरघाट ब्लाक के कुछ कुछ हिस्से शामिल हें। केवलारी ब्लाक को छोड़ कर इन विकास खंड़ों में केवलारी के अलावा शेष तीन विस क्षेेत्रों के हिस्से भी आते हैं लेकिन जिन नेताओं को चुना गया हैं वे या तो उस ब्लाक के केवलारी विस क्षेत्र के हिस्से में रहते हैं या उनका प्रभाव केवलारी क्षेत्र में हैं। धनोरा ब्लाक का एक बड़ा हिस्सा लखनादौन विस क्षे में आता हें जहां से पहले भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता करतार सिंह बघेल का नाम था जो कि धनोरा ब्लाक के केवलारी विस क्षेत्र में आने वाले सुनवारा के रहने वाले थे । उनके स्थान पर केवलारी की पूर्व विधायक एवं हरवंश सिंह के विरोध में भाजपा से दो चुनाव लड़ चुकी नेहा सिंह को प्रदेश प्रतिनिधि बनाया गया हैं जिनका आज भी केवलारी क्षेत्र में प्रभाव हैं। सिवनी ग्रामीण से प्रतिनिधि बनाये गये मो. समी अंसारी का पुश्तेनी गांव भोमा केवलारी क्षेत्र में पड़ता हें और आस पास के इलाके में उनका रयूख हैं। इसी तरह आदिवासी विस क्षेत्र बरघाट से पहले आदिवासी नेता अर्जुन काकोड़िया का नाम प्रकाशित हुआ था जिनकी पत्नी ने हाल ही में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता हैं। इस ब्लाक से वर्तमान जिला इंका अध्यक्ष महेश मालू का नाम तय किया गया हें जिनका गांव लोपा केवलारी विस क्षेत्र में हैं। आदिवासी बरघाट विस क्षेत्र के ही कुरई ब्लाक से सिवनी के रहने वाले राजा बघेल को प्रतिनिधि बनाया गया हें जो हमेशा केवलारी विस क्षेत्र में ही चुनाव प्रचार करते रहें हैं।
इस तरह जिले से घोषित 9 प्रतिनिधियों में 6 ऐसे हें जिनका चयन केवलारी क्षेत्र में उपयोगिता को देखते हुये ही किया गया हैं। जिले के अन्य तीन क्षेत्रों सिवनी, बरघाट और लखनादौन में कांग्रेस कैसे जीते? इसकी कोई रणनीति इस चयन में दिखायी नहीं दे रहीं हैं। इस सूची की घोषणा होते ही सियासी हल्कों में यह चर्चा हो रही हैं कि कांग्रेस के ये चुनाव क्या सिवनी, बरघाट और लखनादौन में भाजपा को जिताने के लिये किये गये हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि भाजपा की जिला कार्यकारिणी घोषित होते समय केवलारी क्षेत्र की उपेक्षा होने पर भी राजनैतिक हल्कों में यह चर्चा थी कि कहीं ऐसा नूरा कुश्ती दके तहत तो नहीं किया गया हैं? क्या कांग्रेस के चुनावों की इस घोषणा से पूर्व के आरोप की पुष्टि नहीं हो रही हैंर्षोर्षो इन सवालों का जवाब तो अब आने वाले समय में ही मिलेगा।






Sunday, September 5, 2010

भाजपा की प्रदेश की सत्ता एवं संगठन की समन्वय समिति की सदस्य बनने से नीता पटेरिया का राजनैतिक कद बढ़ गया हैं

प्रदेश की सत्ता एवं संगठन की समन्वय समिति की सदस्य बनने से नीता पटेरिया का राजनैतिक कद बढ़ गया हैं। इस मुकाम पर पहुंच कर नीता यदि जिले की संभाग,मेडिकल कालेज या कृषि महाविद्यालय की मांग पूरी करा दें तो उनके इस पद का लाभ जिले को भी कुछ मिल जायेगा और लोग उनका नाम लेंगें। कांग्रेस के चुनाव के पहले चरण की घोषणा हो गई हैं। जिले से निर्वाचित 9 प्रदेश प्रतिनिधियों के नामों की घोषणा हो गई हैं। कांग्रेसियों द्वारा की गई उठा पटक का कोई खास परिवर्तन इसमें नहीं दिखा। पूर्व में चर्चित नामों में से सिर्फ दो परिर्वतन हुये हैं।ये परिवर्तन क्रमश: हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती उर्मिला सिंह एवं केन्द्रीय मन्त्री कमलनाथ के हस्तक्षेप के कारण हुये बताये जा रहे हैं। जिले के भाजपा और इंका के विरोध में अपने आप को थर्ड फ्रंट मानने वालों का तो फ्रंट ही नही खुलता हैं। तीसरे मोर्चे की गतिविधियां शून्य होने से जिले का राजनैतिक वातावरण इंका और भाजपामय होकर रह गया हैं।इनकी गतिविधियां नहीं होने से कई मामलों में कांग्रेस और भाजपा मिली जुली कुश्ती खेलकर जिले का नुकसान कराने से भी नहीं चूकते हैंं। प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी का पिछले दिनों दूसरा प्रवास हुआ।पहली बार जब वे आये थे तो जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष राजा बघेल थे और अब जब दूसरी बार आये तो राजा समर्थक रंजीत यादव अध्यक्ष हैं। राजा की गैरहाजिरी में भी यह कहना तारीफ में कसीदा काढ़ना था या कुछ औरर्षोर्षो इसे लेकर सियासी हल्कों में चर्चायें जारी हैं।

प्रदेश की सत्ता एवं संगठन की कोर कमेटी की सदस्य बनने से नीता का कद बढ़ा - पिछले दिनों भाजपा में सत्ता एवं संगठन में समन्वय स्थापित करने वाली कोर समिति का गठन किया गया हैं। इस समिति में प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमन्त्री के अलावा प्रदेश के अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं को शामिल किया गया हैं। इस समिति में सिवनी की विधायक एवं प्रदेश भाजपा महिला मोर्चे की अध्यक्ष नीता पटेरिया को भी शामिल किया गया हैं। यह कोर कमेटी ना केवल सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने का काम करती हैं वरन संगठन प्रधान भाजपा में यह समिति सरकार पर नकेल डालने का काम भी करती हैं। नीता पटेरिया की इस नियुक्ति से भाजपा में उनका राजनैतिक कद काफी बढ़ गया हैं। पहले सांसद रहने के कारण केन्द्रीय नेतृत्व से उनकी निकटता ने ही उन्हें विस की टिकिट भी दिलवायी थी। अब देखना यह है कि उनकी इस राजनैतिक उपलब्धियों से जिले को क्या मिलता हैंर्षोर्षो वैसे तो जिले की कई घोषणायें लंबित हैं और कई जायज हक नहीं मिल पाये हैं। यदि नीता पटेरिया के माध्यम से उपलब्धियां जिले को मिलती हैं तो निश्चित ही लागे उनकी प्रशंसा करेंगें। उदाहरण के लिये जिले का जायज हक बनता हैं कि यदि प्रदेश सरकार जबलपुर संभाग को विभाजित करके नया संभाग बनाती हैं तो मुख्यालय सिवनी को बनाया जाये। भौगोलिक और प्रशासनिक दृष्टि से सिवनी ही मुख्यालय बनने योग्य है लेकिन छिन्दवाड़ा को मुख्यालय बनाकर जिले का हक छीना जा रहा हैं।इस दिशा में प्रयास करके नीता जिले को यह उपलब्धि दिला सकतीं हैं। इसी तरह मुख्यमन्त्री की धोषणानुसार जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में जिला कलेक्टर की ओर कुछ कार्यवाहियां भी शुरू हुयीं थीं जिनके अखबारों में समाचार भी छपे थे लेकिन वे भी अब बन्द सी ही हो गयाीं हैं। जिले में कृषि माविद्यालय खोलने की उनकी अपनी खुद की मांग ही लंबित हैं। ये तमाम मांगें प्रदेश सरकार से ही पूरी होनी हैं। अब यदि नीता पटेरिया इस कोर कमेटी की मेंबर रहते हुये इनमें से कुछ भी उपलब्धि करा देतीं हैं जो जिले को कुछ मिल जायेगा अन्यथा उनकी यह राजनैतिक उपलब्धि उनके लिये राजनैतिक रूप से भले ही लाभ दायक हो जायें लेकिन जिले के लिये कोई काम की नहीं रहेगी।

जिला इंका के प्रदेश प्रतिनिधियों की सूची जारी-जिले में कांग्रेस के चुनाव के पहले चरण की घोषणा हो गई हैं। जिले से निर्वाचित 9 प्रदेश प्रतिनिधियों के नामों की घोषणा हो गई हैं। कांग्रेसियों द्वारा की गई उठा पटक का कोई खास परिवर्तन इसमें नहीं दिखा। पूर्व में चर्चित नामों में से सिर्फ दो परिर्वतन हुये हैं। घंसौर ब्लाक से आलोक बाजपेयी के स्थान पर योगेन्द्र सिंह और सुनवारा ब्लाक से करतार सिंह बघेल के स्थान पर हरवंश सिंह की सहमति से नेहा सिंह को प्रतिनिधि बनाया गया हैं। ये परिवर्तन क्रमश: हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती उर्मिला सिंह एवं केन्द्रीय मन्त्री कमलनाथ के हस्तक्षेप के कारण हुये बताये जा रहे हैं। यह भी चर्चित हैं कि घंसौर ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर अब शक्ति सिंह के स्थान पर आलोक बाजपेयी के अध्यक्ष बनने जा रहें हैं। इसी तरह बरघाट ब्लाक से अर्जुन सिंह काकोड़िया को काट कर वर्तमान जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू को प्रतिनिधि क्यों और किसने बनवाया हैंर्षोर्षो इस पर तो चर्चा करना ही बेमानी हैं। ऐसे खेल खेलने वाले नेता को हर कांग्रेसी पहचानता हैं। चुनावी धांधलियों को लेकर दिल्ली तक हाय तौबा मचाने वाले इंका नेता आशुतोष वर्मा और पूर्व इंका प्रत्याशी प्रसन्न मालू कुछ भी कर पाने में सफल नहीं हो पाये हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिये जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्षो के चुनाव 17 सितम्बर तक होने हें फिर उसके बाद ही ब्लाक अध्यक्षों एवं जिला अध्यक्षों की घोषणा होगी। प्रदेश प्रतिनिधियों की घोषणा के बाद जिला अध्यक्ष कौन बनेगार्षोर्षो इसको लेकर तरह तरह की अटकलें जारी हैं।

थर्ड फ्रंट का तो फ्रट खुलता ही नहीं हैं जिले में -जिले के भाजपा और इंका के विरोध में अपने आप को थर्ड फ्रंट मानने वालों का तो फ्रंट ही नही खुलता हैं। तीसरे मोर्चे की गतिविधियां शून्य होने से जिले का राजनैतिक वातावरण इंका और भाजपामय होकर रह गया हैं। इन दलों की गतिविधियां चनावी होकर रह गईं हैं। राजनैतिक विश्लेषक तो यह तक कहने से नहीं चूकते हैं कि चुनावी समीकरणों में इस फ्रंट का उपयोग कांग्रेस और भाजपा के घाघ और पैसे वाले नेता अपने जीतने या दूसरे को हरानें के लिये कर लेते हैं। इसीलिये इन दलों की राजनैतिक विश्वसनीयता कम होते जा रही है। इन दलों की राजनैतिक सक्रियता इंका और भाजपा उदोनों ही दलों की निरंकुश गतिविधियों पर अंकुश लगा सकतीं हैं। लेकिन इनकी गतिविधियां नहीं होने से कई मामलों में कांग्रेस और भाजपा मिली जुली कुश्ती खेलकर जिले का नुकसान कराने से भी नहीं चूकते हैंं। यह ना केवल समय की मांग हैं वरन जिले के विकास के लिहाज से भी अत्यन्त आवश्यक हैं कि तीसरे मोर्चे के दलों को भी अपनी राजनैतिक सक्रियता बनाये रखना चाहिये।

जीतू द्वारा की गई राजा की तारीफ चर्चित-प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी का पिछले दिनों दूसरा प्रवास हुआ।पहली बार जब वे आये थे तो जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष राजा बघेल थे और अब जब दूसरी बार आये तो राजा समर्थक रंजीत यादव अध्यक्ष हैं। इस बार जीतू के कार्यक्रम में राजा बघेल उपस्थित नहीं थे। राजा की गैर हाजिरी में उनके गृह जिले में जीतू ने उनकी तारीफ में पुल बांधे और कहा कि जब में प्रदेश अध्यक्ष बना था तब आपके नगर के राजा बघेल भी दौड़ में थे। लेकिन राहुल जी ने मुझे अध्यक्ष बना दिया तथा राजा को राष्ट्रीय पद दे दिया और आज वे राहुल जी के साथ घूम रहें हैं। वैसे तो पहली बार जब जीतू सिवनी आये थे तब राजा जिले के अध्यक्ष तब उन्होंने यह बात नहीं कही और दूसरी बार जब वे आये तो राजा की गैरहाजिरी में भी यह कहना तारीफ में कसीदा काढ़ना था या कुछ औरर्षोर्षो इसे लेकर सियासी हल्कों में चर्चायें जारी हैं। वैसे जीतू के दोनों बार आने पर जिले में युवक कांग्रेस दिखी वरना ना जाने कहां गुम हो जाती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी जो प्रयास युवक कांग्रेस के लिये कर रहें हैं उस दिशा में जिले में कुछ होता दिखायी नहीं दे रहा हैं। यहां तो कांग्रेसी परंपरा के अनुसार ही यह संगठन जब देखो तब भाट गिरी में ही व्यस्त दिखायी देता हैं कभी किसी की तो कभी किसी की। अब देखना यह हैं कि राहुल का असर जिले की युवक कांग्रेस पर कब पड़ता हैं।

Wednesday, September 1, 2010

क्या बाघों के राबिनहुड बने जयराम रमेश मानवमात्र के हितो की ओर भी देखेंगें?: रामगोपाल
वर्तमान में भारत में वन और वन्य प्राणियों की रक्षा में सामने आये एक आधुनिक राविनहुड याने जय राम रमेश पूरे देश में उस पुराने राविनहुड की तरह ही हर कहीं से प्रशंसा पाते हुये दिखाई पड़ रहे है । पर सच सिर्फ इतना ही नहीं है इसके विपरीत भी एक और पहलु है जहां झांकने की कोशिश या यो कहें हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा है पर इसे सामने लाने का प्रयास हमें तो करना ही होगा क्यों र्षोर्षो क्योंकि हम इस तथाकथित राविनहुड़ से पोषित नही वल्कि शोषित जनसमुदाय में से हैं ।

यहां विषय है उत्तर दक्षिण कारीडोर मे एन.एच. 7 का वह विवादित हिस्सा जिसे लेकर भारत के सभी एन.जी.ओ. के साथ साथ वन और पर्यावरण मन्त्रालय भी पर्यावरण और बाघों को बचाने का मुद्दा बना जिले मेंं जी रही बारह लाख जनसंख्या और उस रोड़ के किनारे पड़ने वाले 20 हजार लोगों की पहचान और उनके जिन्दा रहने के मनसूबों को अपने अधिकारों के पेरौेंं तले रोन्दने पर अमादा नज़र आ रहें हैं ।

दुख का विषय है कि बचे कुचे बाघों को तो अपना राविनहुड़ मिल गया पर जिले में जीने वाले करीव बारह लाख लोग अपने लिये आदमियों को बचाने वाला राविनहुड़ कहां से लायें ?

इसका सिलसिला तब शुरू हुआ जब इस हिस्से का निर्माण कार्य आधे से उपर पूरा हो जाने के बाद एक तथा कथित एन.जी.ओ. जो अपने आप को वन एवं वन्य प्राणियों का हितेषी बताता है,ने सुप्रीम कोर्ट में बाघोेंं को इस निर्माण से होने जा रहें नुकसान की रूपरेखा बना निर्माण को रूकवाने की अनुमति पा ली । सवा साल पहले रूका निर्माण कार्य सुप्रीम कोर्ट में आज तक अनििर्णत पड़ा हुआ है ।

इस बीच महाअदालत द्वारा इस मसले को समझने हेतु एक समिती बनाई गई आश्चर्य यह है कि उसमेंं सिर्फ बाघोेंं की व्यथा समझने वालों को शामिल किया पर इस पूरे प्रकरण में उपजने वाली मानव समस्याओं का क्या र्षोर्षो इस पर विचार करना या विचारक को शामिल करना किसी ने जरूरी नही समझा। तो क्या इसके लिये हमें किसी मानवाधिकार संगठन की शरण में जाना पड़ेगा र्षोर्षो बाघोेंं को बचाने की कवायत में ये विशेषज्ञ मानव हितों को इस कदर किनारे कर देंगे यह किसी ने नही सोचा था ! विकास और बचाव का यह नज़रिया किसी भी रूप में एक सन्तुलित नज़रिया तो नहीं कहा जा सकता हैं। यह सत्य है कि डब्लू.डब्लू. ओ का एक बहुत बड़ा फण्ड इन्हें वालििन्टयर बनने के लिये अपनी ओर खीचता है पर उसकी आंच में ये यथार्थता को इतना नज़र अन्दाज कर जाते है कि इन पर हावी स्वार्थपरिता भी शर्मिन्दा नज़र आती है।

यथार्थ का धरातल मनुष्य ने अपने को आधार मान कर कर बुना है उससे जुडे़ सर्वाइवरों को बह कितना हिस्सा दे सकता है इसे बहां की भौगोलिक उपलब्धता, भौतिक परिस्थितयो, सामाजिक ढ़ाचे और आर्थिक समर्थतां के आकड़ों के अनुपात से सन्तुलित किया जाकर निर्धारित किया जाना चाहिये इसे डब्लू.डब्लू. ओ. के बने एक प्रारूपिक नक्शे पर बैठा एक अनुशासित वालिन्टयर बनकर उनकी वाहवाही तो पाई जा सकती है पर मुख्य उद्धेश्य की सार्थकता इससे मीलों दूर हो जाती है ।

भारत भूमि का क्षेत्रफल यहां रह रही आबादी को कितना पूरा पड़ता हैै यह ये मुफतखोरों जो मेट्रों के अपने ए.सी. आफिस में ऐश करने ,सड़क की जगह हवा में सफर करने तथा गांव शब्द का Þगाß भी न जानने वाले शायद कभी न जान पायेंगे। इसीलिये ये वहां बैठे बैठे इन कस्वाई हिस्सों की जरूरतों उनकी मुसीबतों और बामुश्किल जी जा रही जिन्दगी को नज़र अन्दाज कर अपनी कलमों से उनकी मौत का फरमान लिख देते हैं। सड़क पर भुट्टे बेचने वाले उस गरीब देहाती की, वहां बैठी ककड़ी बेचने वाली उस विधवा की और ऐसे ही कई हजार जरूरतमन्दो से जुड़ा जीवन और उनकी जीवनी का सम्बंध शायद ये उस सड़क से कभी न जोड़ पायें जिसे बन्द करने की वकालत ये लोग कर रहे है।बाघों को आवाद करने के लिये इतनी जिन्दगियां बरबाद की जाना क्या उचित हैर्षोर्षो यह एक यक्ष प्रश्न है ।

आिªफ्रका के मसाईमारा रिजर्व की उस परिस्थती से इन एन.जी.ओस को प्रेरणा लेनी चाहिये जब वहां अपने पालतू मवेशियों को शेरों द्वारा लगातार मारे जाने से शेर तथा मसाई एक दूसरे के आमने सामने आ खड़े हुयेे थे कई शेर मार भी दिये गये मामला हद से बाहर जाने पर सरकार तथा नियन्त्रकों ने हल के रूप में मसाईयों को निर्वासित नहीं किया था बल्कि शेरों और मसाई कबीलों के बीच बिल्लयों की मीलों लंबी दीवार खीच दी थी। मसाईयों के संसाधनों पर कोई आंच नहीं आने दी गई आज वहां स्थिती सामान्य चल रही है ।पिश्चिम में जब किसी कालोनी के पिछवाड़े पोखर में मगरमच्छ आ जाता है तो उसके संरक्षण में कालोनी को विचलित नहीं किया जाता वल्कि उस मगरमच्छ को वहां से सुरक्षित स्थान पर निर्वासित कर दिया जाता है।

अमरीका में पार्क क्षेत्र से लगे कस्बाई इलाकों में जब पार्क के भालू घुसपैठ करते हैं तो उन्हें बुरी तरह से रबर की गोलियों से मारा जाता है उनके पीछे कुत्ते छोड़े जाते हैं उन्हें इस हद तक डराया जाता है कि वो दोवारा उस जगह घुसपैठ न करें । स्थानीय प्रशासन एवं डब्लू.डब्लू. ओ. द्वारा स्थानीय वाशिन्दों के हित को नहीं छेड़ा जाता और न ही वन्य प्राणी संरक्षण की आड़ तले वन्य प्राणियों के क्षेत्र विस्तारण की प्रस्तावना दी जाती है ।उनकी नीतियां जो उन्होनें स्वविवेक से तय की हैं इतनी सटीक हैं कि कही से भी यह परिलक्षित नहीं होने देती की वन्य प्राणी संरक्षण की वजह से मानव या मानवहितों को कही से भी सुपरसीट नहीं कर रहीं हैं। और यही वन और वन्य संरक्षण का मूल मत्र है ।

पर यहां इसका उल्टा हो रहा है। बाघों के संरक्षण हेतु मनुष्यों के संसाधन छीने जा रहे है उन्हें निर्वासित और साधन विहीन किया जा रहा है ऐसे में तो मनुष्य इसके लिये बाघोेंं को ही दोषी मानेेगा तब क्या बाघोेंेंं और मनुष्यों के बीच सौहार्द रह पायेगा, क्या इसी सृजन की आपेक्षा डब्लू.डब्लू. ओ. तथा सरकार इतना पैसा खर्च कर करती है । इन परिस्थितियों को तो बाघ तथा वन वचाव के नाम पर ये एन.जी.ओ. और जिम्मेदार सरकारी मोहकमे ही अंजाम देते नज़र आ रहे हैं । हमने वन एवं पर्यावरण मन्त्री महोदय का फूला हुआ सीना तो देखा पर वो वह नही देख पा रहे हैं जो समय उन्हें समय आने पर दिखायेगा । उनकी ये हठधर्मिता वन्य प्राणी और पर्यावरण संरक्षण को विकास के बजाय कहीं विनाश के मुकाम पर तो ना ले जायगीर्षोर्षोे इसका उत्तर तो अभी धुन्ध में छिपा है ।

समस्या का हल वन वाघ और मानवों के बीच एक युक्तियुक्त सामन्जस्य बनाने का हा,े ऐसे में सरकार की ओर से विकल्प स्वरूप ऐसी योजनाओं को लाना होगा जिससे मनुष्य अपने संसाधन छिनने सेे शंकित न होकर सशक्त हो अपने अन्र्तमन से इन वनों तथा वन्य प्राणियों के संरक्षण में सरकार तथा इन संगठनों का कंधे से कंधा मिलाकर चलने का विचार बना सके ।



रामगोपाल Þबब्बाÞ सोनी

सुनारी मोहल्ला

सिवनी

मो. 09329020262