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Saturday, January 30, 2010

काश राहुल जी यह भी कह जाते

अपनी स्पष्टवादिता के लिये मशहूर इंका के युवा राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी ने अपने मध्यप्रदेश प्रवास के दौरान भोपाल में कांग्रेस कार्यालय मेे यह कह कर एक मिसाल पेश की हैं कि कांग्रेस को कांग्रेस ही हराती हैं यदि कांग्रेस एक रहे तो किसी भी प्रदेश में कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता। उनका यह कथन शत प्रतिशत सही हैं। मैं 57 वषीZय कांग्रेसी कार्यकत्ताZ हूंं। मैंने सन 1974-1975 में स्व. जयप्रकाश नारायण जी की समग्र क्रान्ति के दौर में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिवनी म.प्र. के छात्र संघ अध्यक्ष एवं सागर विश्वविद्यालय छात्र महासंघ के कार्यकारिणी सदस्य का चुनाव कांग्रेसी विचारधारा वाले छात्र के रूप में जीता था। इसके बाद मैं जिला एन.एस.यू.आई. का अध्यक्ष, मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस में कार्यकारिणी सदस्य तथा 1978 से 1999 तक जिला कांग्रेस कमेटी का महामन्त्री एवं प्रवक्ता के पद पर भी कार्यरत रहा हंूं तथा पिछले दस सालों से जिले में कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के रूप में कार्यरत हूंंं। मुझे इस बात का गौरव प्राप्त हैं कि पार्टी ने मुझे मध्यप्रदेश के सिवनी विधानसभा क्षेत्र से 1993 और 1998 के चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था। सन 1990 के चुनाव में सिवनी विस क्षेत्र से कांग्रेस से चुनाव लड़कर हारने वाले श्री हरवंश सिंह 1993 के चुनाव में तत्कालीन सांसद कुमारी विमला वर्मा के पुराने निर्वाचन क्षेत्र केवलारी से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। जहां से कु. विमला वर्मा सन 1967 से चुनाव जीतते आ रहीं थी। मैं 93 और 98 के दोनों ही चुनाव राहुल जी के कथानुसार कांग्रेसियों के भीतरघात के कारण ही हारा था। इसके बाद इसी क्षेत्र से 2003 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्री राजकुमार उर्फ पप्पू खुराना और 2008 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्री प्रसन्न मालू हार गये थे। हार का कारण वही था। इतना ही नहीं वरन सिवनी लोकसभा क्षेत्र से 1996 और 1999 में कु. विमला वर्मा,2004 में कु. कल्याणी पांड़े और 2009 में सिवनी बालाघाट क्षेत्र से लोकसभा चुनाव में श्री विश्वेश्वर भगत कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव इन्हीं कारणों से हार चुके हैं। नगरपालिका अध्यक्ष सिवनी के चुनाव में 1999 में श्री महेश मालू, 2004 में श्रीमती चमेली सनोड़िया और 2009 के चुनाव में संजय भारद्वाज कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव हार चुके हैं।जिले की बरघाट विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस 1990 से लगातार चुनाव हार रही हैं। कांग्रेस के अभेद्य गढ़ रहे लखनादौन विस क्षेत्र में भी कांग्रेस 2003 के से हार रही हैं। इसी चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में गौंड़वाना गणतन्त्र पार्टी के रामगुलाम उइके से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में श्रीमती उर्मिला सिंह चुनाव हार चुकीं हैं। समूचे जिले में हारने वाली कांग्रेस 1993 से लगातार अभी तक सिर्फ केवलारी विधानसभा से जीतते आ रही हैं । यहां के कांग्रेस विधायक हरवंश सिंह आजकल विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं। एक बात और विशेष तौर पर गौर करने लायक हैं कि सन 1993 के चुनाव के बाद से इस जिले में कांग्रेस में बागियों को पुरुस्कृत करने की परंपरा चल रही हैं। लोकसभा के 96 के चुनाव के बागी श्री शोभाराम भलावी को पहले केबिनेट रेंक के साथ निगम अध्यक्ष बनाया फिर 2003 में लखनादौन विस क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी अप्रत्याशित रूप से बना दिये गये थें। 1998 के चुनाव में इसी विस क्षेत्र से बागी रहे श्री बेनी परतें इंका के युवा विधायक श्री रणधीर सिंह के असामयिक निधन के बाद 2000 के उप चुनाव में ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में टिकिट लाने और जीतने में कामयाब हो गये थे लेकिन अगले चुनाव में इंका विधायक रहते हुये भी उनकी टिकिट काट कर श्री शोभाराम भलावी को टिकिट दे दिया गया। सन 2008 के चुनाव में श्री बेनी परते को फिर से कांग्रेस की टिकिट मिली लेकिन वे चुनाव जीत नहीं पाये। ऐसा ही कुछ बरघाट विधानसभसा क्षेत्र में भी हुआ हैं। 1998 का विधानसभा चुनाव बागी उम्मीदवार के रूप में केवलारी जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष श्री भोयाराम चौधरी ने लड़ा था जो कि काग्रेंस की हार कारण बने थे। लेकिन अगले ही विधानसभा चुनाव 2003 में श्री भोयाराम चौधरी को इसी क्षेत्र से कांग्रेस की टिकिट मिली और वे भी हार गये। राहुल जी ने भोपाल में जो कुछ कहा उसके प्रमाण इस जिले में साक्षात देखने को मिले हैं कि काग्रेस कांग्रेस के ही कारण लगातार हारते चली आ रही हैं। हर चुनाव की हार के बाद विश्लेषण भी हुये और हारने वाले पार्टी प्रत्याशियों ने भीतरघात की शिकायतें भी की हैं। लेकिन भीतरघातियों के खिलाफ कोई कार्यवाही होने के बजाय इस जिले में बागियों को पुरुस्कृत और निष्ठावान कार्यकत्ताZओं को तिरस्कृत किया जाता रहा हैं। काश राहुल जी यह भी कह जाते कि अब आने वाले समय में पार्टी से गद्दारी करने वालों बख्शा नहीं जायेगा तो हम जैसे निराशा की गर्त में जाते जा रहे निष्ठावान कांग्रेसियों के हौसले एक बार फिर बुलन्द हो जाते।

1 comment:

  1. टीप के लिए आभारी हूँ . आपके विचारो से सहमत हूँ . काग्रेसियो में भीतर घात के कारण कई बार कांग्रेस को हार का खामियाजा भुगतना पड़ा है . आभार

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