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Tuesday, January 19, 2010

political analysis of seoni

बन्दों पर ना आये आंच, आका ऐसी करायें जांच,
जिले की कांग्रेसी राजनीति का हाल यह हो गया हैं कि सिवनी और बरघाट विस क्षेत्र से 1990 के चुनाव से कांग्रेस हारती चली आ रही हैं। पिछले तीन लोक सभा चुनावों में भी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी हैं। हर बार भीतरघात के आरोप प्रत्याशियों ने लगाये लेकिन भीतरघात करने वाले कांग्रेसियों के आका मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह इतने अधिक ताकतवर हो चुकें हैं कि इनके समर्थकों का बाल भी बांका नहीं हो पाता हैं। ऐसा ही कुछ दृश्य इस नगरपालिका चुनाव में भी दिखा। सिवनी के अध्यक्ष पद के इंका प्रत्याशी संजय भारद्वाज ने चुनाव के दौरान ही चार इंका नेताओं जिला इंका के महामन्त्री द्वय हीरा आसवानी,असलम खॉन,युवा इंका के राष्ट्रीय समन्वयक राजा बघेल और नपा उपाध्यक्ष सन्तोष उर्फ नान्हू पंजवानी के खिलाफ लिखित शिकायत की थी। इनमें राजा बधेल और नान्हू पंजवानी को तो निष्कासित और निलंबित कर दिया गया हैं लेकिन असलम भाई को नोटिस जारी किया गया हैं तथा हीरा आसवानी का मामला प्रदेश इंका को भेज दिया गया हैं। इंकाई खेमे में एक बार फिर यह चर्चा चल पड़ी हैं कि हरवंश सिंह इन नेताओं के बचाव में सामने आ गये हैं। वैसे भी इंका में यह कहावत चटखारे के साथ चर्चित रहती हैं कि पार्टी और प्रत्याशी भले ही हारते रहें पर बन्दों पर ना आये आंच, आका ऐसी करायें जांच, अब देखना यह हैं कि जिन इंका नेताओं पर अनुशासन का डं़ड़ा चला हैं वे इस बार भी हमेशा की तरह बच जाते हैं या फिर सजा पाते हैं।
क्या विस चुनाव का भुवन का कर्जा चुकाया हरवंश
जिला पंचायत के चुनाव में केवलारी विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्र. 11 का चुनाव अत्यन्त रोचक था। यहां से इंका समर्थक श्रीमती फरीदा साबिर अंसारी के विरुद्ध भाजपा समर्थित प्रत्याशी के रूप में वृन्दा भुवन ठाकुर चुनाव मैदान में थीं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि फरीदा अंसारी 1999 से 2004 तक केवनारी जनपद पंचायत की अध्यक्ष थीं। पिछले जिला पंचयात चुनाव में इसी वार्ड के वे ना केवल सशक्त दावेदार थीं वरन पिछड़ा वर्ग महिला के लिये अध्यक्ष पद आरक्षित होने के कारण वे एक योंग्य उम्मीदवार थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले भाजपा से कांग्रेस में आये आनन्द भगत के लिये क्षेत्रीय इंका विधायक रहवंश सिंह ने फरीदा अंसारी को चुनाव नहीं लड़ने दिया। इस बार जब वे चुनाव लड़ीं तो अध्यक्ष पद अनारक्षित वर्ग के लिये था। दूसरी ओर यह तथ्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं कि पंवार समाज की भाजपा समर्थित घोषित की गई प्रत्याशी वृन्दा ठाकुर के पति भुवन ठाकुर ने केवलारी विस क्षेत्र से भाजपा के बागी उम्मीदवार के रूप में 2009 का चुनाव लड़ा था। इससे पंवार समाज के ही भाजपा प्रत्याशी डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन समाजिक वोटों में बिखराव के राजनैतिक सन्देश को झुठला नहीं पाये थे। जिले में कांग्रेस की तरह ही भाजपा में भी बागियों को पुरुस्कृत का दौर शुरू हो गया हैं। इस चयन को लेकर भाजपा में काफी हड़कंप मचा और भाजपा के उगली मंड़ल ने आशा राजपूत को सतर्थित प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके कारण जिले से उन्हें नोटिस भी मिला। भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में इतनी बगावत होने के बावजूद भी भाजपा प्रत्याशी का भारी वोटों से जीतना सियासी गलियारों में चर्चित हैं। ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं हैं कि हरवंश सिंह ने भुवन ठाकुर का विधानसभा चुनाव का कर्जा चुकाने और ताकतवर अंसारी परिवार को धूल चटाने लिये ऐसी सियासी बिसात बिछायी कि एक तीर से दो दो शिकार हो गये।

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