Wednesday, January 27, 2010
on republic day of india
`गण´ सुस्त और `तन्त्र´ अनियन्त्रित हो जाये तो कैसे सफल होगा `गणतन्त्र´ आज पूरा देश इकसठवां गणतन्त्र दिवस उल्लास के साथ मना रहा हैं। आज के दिन हमने अपने देश का संविधान लागू किया था।जनता के द्वारा,जनता के लिये,जनता के शासन की व्यवस्था इस संविधान में की गईं थीं।समस्त कायों के सुचारु रूप से संचालन के लिये कार्यपालिका,विधायिका और न्यायपालिका के साथ साथ पारदशीZ प्रशासन के मूल उद्देश्य से प्रेस को चौथे स्तंभ के रूप में मान्यता दी गई थी। संविधान में सभी स्तंभों के कार्यक्षेत्र का स्पष्ट विवरण दिया गया हैं। लेकिन कई बार ऐसे मौके भी आये जब इनमें यह होड़ मच गई कि कौन सर्वोच्च हैं र्षोर्षो ऐसे अवसर भी आये जब कभी विधायिका और न्यायपालिका आमने सामने दिखी तो कभी कार्यपालिका और विधायिका में टकराहट के स्वर सुनायी दिये तो कभी प्रेस पर स्वच्छन्दता के आरोप लगे। ऐसे दौर में कुछ ऐसे अप्रिय वाकये भी हुये जो कि निदंनीय रहे। Þगणß को िश्क्षित कर जागृत करने के अभियान को गति देने के प्रयास किये गये। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इतने अधिक प्रयोग किये गये कि यह लक्ष्य हमसे आज साठ साल भी दूर ही दिखायी दे रहा हैं।वर्तमान में सरकार शिक्षा की गारंटी देने के उसी प्रकार प्रयास कर रही हें जैसा कि रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार की गारंटी दी गई हैं। शिक्षा को प्रोत्साहन देकर जागृति लाने की महती आवश्यकता आज भी महसूस की जा रही हैं। ताकि ÞगणÞ चुस्त हो सके। ßतन्त्रß को नियन्त्रित रखना अत्यन्त आवयक हैं। Þतन्त्रÞ यदि निरंकुश हो जाये तो ÞगणÞ के अधिकारो को सुरक्षित रख पाना एक दुष्कर कार्य हो जाता हैं। एक समस्या यह भी हैं कि यदि देश में कोई ईमानदार हैं तो वो बाकी पूरे देश को बेइमान मानने लगता हैं। ऐसी घारणा हैं कि तन्त्र को नियन्त्रित रखने के लिये पारदशीZ प्रशासन होना अत्यन्त आवश्यक हैं। इस दिशा में सरकार द्वारा लागू किया गया सूचना का अधिकार कानून कारगर साबित हो सकता हैं। लेकिन कानूनी बारिकियों और प्रशासनिक अमले की हठधर्मिता कई मामलों में आड़े आते दिखायी दे रही हैं। राजनेता भी तन्त्र से राजनैतिक काम लेकर उन्हें नियन्त्रित करने में असहाय दिख रहें हैं। जिससे तन्त्र अनियन्त्रित ही दिखायी दे रहा हैं। ÞगणÞ यदि सुस्त हो और Þतन्त्रÞ यदि अनियन्त्रित हो भला Þगणतन्त्रÞकैसे सफल हो पायेगार्षोर्षो61 वें गणतन्त्र दिवास की पूर्व संध्या पर हमारी यही कामना हैं कि ÞगणÞ जागृत हो,Þतन्त्रÞ नियन्त्रित हो और राजनेता इस दुष्कर कार्य को कर सकें ताकि Þगणतन्त्रÞ सफल हो सके।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment