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Monday, January 11, 2010

political dairy of seoni dist of m.p.

पंचायत चुनाव प्रचार में भाजपा नेता सक्रिय इंका नेता घर बैठे -जिला पंचायत चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचलें अपने शवाब पर आ चुकीं हैं। जिला भाजपा ने जिला पंचायत और जनपद पंचायत सदस्यों के लिये अपनी पार्टी के अधिकृत समर्थित प्रत्याशियों की सूची बाकायदा जारी कर दी हैं। भाजपा के सांसद,विधायक एवं जिला स्तर के नेता चुनाव में अपनी भागीदारी भी चालू कर चुकें हैं। दूसरी ओर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष ने चुनाव के लगभग बीस दिन पहले से जिले के इकलौते विधाय ठा. हरवंश सिंह के साथ कई जगह सम्मेलन करके प्रत्याशी चयन की कवायत तो की लेकिन जिला इंका अपनी अधिकृत सूची जारी नहीं कर पायी। एक तरफ भाजपा के नेता खुले आम अपनी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के लिये चुनाव प्रचार कर रहें हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस के चुनाव लड़ने वाले नेता अपने आप को राजनैतिक रूप से असहाय महसूस कर रहें हैं क्योंकि जिला स्तर का कोई भी नेता इन चुनावों में प्रचार करने नहीं जा पा रहें हैं। जिले के अधिकांश क्षेत्रों में एक से अधिक इंका नेता चुनाव मैदान में डटे हुये हैं।आशुतोष वर्मा सिवनीपंचायत चुनावों में भाजपा भी चलायेगी अनुशासन का डंड़ा -अपने आप को अनुशासित पार्टी मानने वाली भाजपा की हालत इस मामले में अत्यंत खराब हैं। भाजपा की अनुशासन की चादर तार तार हो चुकी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सिवनी क्षेत्र में ना केवल भाजपाइयों ने वरन कई जिम्मेदार पदाधिकारियों ने निर्दलीय उम्मीदवार मुनमुन राय की कप प्लेट का काम किया था। इसके पहले केवलारी विस क्षेत्र में कई दिग्गज भाजपाइयों पर इंका प्रत्याशी रहे हरवंश सिंह से सांठगांठ के आरोप लगते रहें हैं लेकिन अनुशासन का डंडा कभी नहीं चला। इसका एक कारण यह भी रहता था कि जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की जीत इंका के भीतरघात और अनुशासनहीनता के कारण मिलती थी। इसलिये भाजपा में भी भीतरघात और अनुशासनहीनता का राज रोग इसे तेजी से लगा कि सारे दावे ही खोखले हो गये। इस बार नपा चुनाव में जहां एक तरफ कांग्रेस ने अनुशासन का डंडा तो चलाया लेकिन इस डर से कुछ बलशाली हाथों ने इस डंडें की मार से कुछ लोगों को बचाने का प्रयास किया कि कहीं ऐसा ना हो कि पीड़ित नेता आका का पिछला अतीत खोलकर ना रख दें और कई चेहरे बेनकाब ना हो जायें। लेकिन भाजपा ने चुनाव के बाद कुछ लोगों को कारण बताओं नोटिस जरूर जारी किया हैं। जिसमें कोई महत्वपूर्ण नेता शामिल नहीं हैं। नव निर्वाचित नपाध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के एक समर्थक का इस बारे में कहा गया एक वाक्य काफी अहम हैं कि यदि इस चुनाव में भीतरघात के दोषियों को ईमानदारी से दंड़ित किया जाये तो जिले के भाजपा की पहली पंक्ति का एक भी नेता बाकी नहीं बचेगा। आगामी पंचायत चुनाव में भी भाजपा में असंतोष कम नहीं हैं। नेताओं ने अपनी अपनी पसंद के प्रत्याशी तो बनवा लिये हैं और उन्हें बाकायदा भाजपा का समर्थित प्रत्याशी घोषित कर दिया गया हैं लेकिन कई क्षेत्रों में भाजपा के समर्पित प्रत्याशी के रूप में भाजपा नेता चुनाव मैदान में डटे हुये हैं। राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार भाजपा के समर्थित और समर्पित प्रत्याशियों की ज्रग भी कुछ कम रोचक नहीं होगी। क्योंकि ऐसे सभी उम्मीदवार किसी ना किसी दिग्गज के समर्थक हैं। भाजपा में जारी चर्चाओं के अनुसार भाजपा इन चुनावों में अनुशासन के प्रति सख्त रवैया अपनाने वाली हैं और ऐसे नेताओं पर अनुशासन का डंड़ा चलाने की तैयारी कर रही हैं।आशुतोष वर्मा सिवनीजिला इंका प्रवक्ता ये भी तो खुलासा करें कि आखिर कांग्रेसी जिताये किसेर्षोर्षो-जिला कांग्रेस के प्रवक्ता ओमप्रकाश तिवारी ने प्रेस को एक विज्ञप्ति जारी कर जिले के कांग्रेसियो से अपील की है कि वे पंचायत चुनावों में सक्रिय भागीदारी निभायें और विकास के प्रति समर्पित लोगों को जितायें।जिस जिला कांग्रेस के तिवारी जी अध्यक्ष हैं उस जिला कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची ही जारी नहीं की हैं। ऐसे में आखिर तिवारी जी की बात मान कर जिले के कांग्रेसी जितायें भी तो किसेर्षोर्षो क्योंकि हर उम्मीदवार चुनाव में अपने आप को विकास के प्रति समर्पित बता रहा हैं और क्षेत्र के चहुंमुखी विकास का वायदा भी मतदाताओं से कर रहा हैं।वैसे तो जिला के इकलौते इंका विधायक ठा. हरवंश सिंह और इंकाध्यक्ष महेश मालू ने घूम घूम कर कई सम्मेलन किये थे लेकिन जिले के सर्वमान्य नेता हरवंश सिंह 19 वाडोZं के लिये 19 नाम एकमतेन तय नहीं करा पाये। मजाक मजाक में कांग्रेसियों का यह कथन भी कम रोचक नहीं हैं कि तिवारी जी भले ही जिला कांग्रेस के नाम ना बता पा रहें हों पर कम से कम आका के द्वारा तय किये गये नाम तो बता दें ताकि उनकी अपील पर जिले भर के कांग्रेसी उन्हें जिताने में जुट जायें अन्यथा ऐसा ना हो जाये कि तिवारी जी के कहने पर किसी को चुनाव जिताने में जुटे कांग्रेसियों को बाद में फटकार खाना पड़े क्योंकि आका तो किसी और को जिताना चाहता था और कार्यकत्ताZ किसी और को जिताने में जुट गयें। कांग्रेस में कुल मिलाकर हालात ऐसे हैं कि पूरे जिले मे चुनाव लड़ने वाले कांग्रेसी नेता और समर्थक ही चुनाव में जुटे हुये हैं बाकी किसी भी नेता को चुनाव से कोई लेना देना नहीं हैं। आशुतोष वर्मा सिवनीनपा उपाध्यक्ष पद को लेकर भाजपा और और इंका में घमासान जारी हैं -नव निर्वाचित नपा का सम्मेलन स्थगित होने से उपाध्यक्ष पद के लिये शुरू हुयी कवायत भी शिथिल पड़ गयी हैं। पालिका में कब्जा जमाने में सफल भाजपा अपना उपाध्यक्ष भी बनाना चाहती हें ताकि पिछली बार जैसी परिस्थितियां ना बनें तो दूसरी तरफ इंका भी अपना उपाध्यक्ष बना कर पालिका में अपनी दखंलदाजी बरकरार रखना चाहती हैं। दोनो ही पार्टियों ने हालांकि अभी तक किसी के नाम पर अंतिम मोहर नहीं लगायी हैं लेकिन दोनों ही दलों में इस पद के लिय भारीे मारामारी हैं। भाजपा के 12,इंका के 11 तथा राकपा के 1 पार्षद पालिका में हैं। संख्या की दृष्टि से यदि सब कुछ ठीक ठाक चला तो दोनों ही दलों के उम्मीदवार को 12 12 वोट मिलने की संभावना बनती हैं क्योंकि राकपा के बब्लू भाई दूधवाले अंत में कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं। यदि बराबर बराबर वोट पड़तें हैं तब अध्यसक्ष का वोट निर्णायक वोट के तौर पर डाला जायेगा जिससे भाजपा के जीतने की संभावना बन सकती हैं लेकिन यदि फैसला बहुमत से हो जाता हें तो फिर निर्णायक वोट डालने की जरूरत ही नही होती हैं। नपा उपाध्यक्ष का पद किसकी झोली में जायेगार्षोर्षो इस पर अभी कुछ भी कहना संभव नहीं हैं।

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